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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

प्रधानमंत्री के कोयला ब्लॉक आवंटन में शामिल होने के सबूत

Following Letter from Union Minister Subodh Kant Sahay to P.M. Manmohan Singh recommending a company for Coal block. केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को निम्नलिखित पत्र  लिखा जिसमे  कोयला ब्लॉक के लिए एक कंपनी की सिफारिश की गयी .



Do we still need more proof to prove that the PM was involved in Coal block allocation?
क्याहमे अब भी और अधिक सबूत की जरूरत है यह साबित करने के लिए कि प्रधानमंत्री कोयला ब्लॉक आवंटन में शामिल थे ?

लोकपाल विधेयक लटका, सिलेक्ट कमेटी की रपट शीतकालीन सत्र में

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नई दिल्ली : भ्रष्टाचार निवारक लोकपाल विधेयक के पारित होने में अब और समय लगेगा। इस मसले पर गठित राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी की मियाद शुक्रवार को बढ़ा दी गई। 

यह कमेटी विधेयक को लेकर खड़ी की गई आपत्तियों की जांच कर रही है। कमेटी अब अपनी रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में सौंपेगी। सिलेक्ट कमेटी का गठन इस वर्ष मई में बजट सत्र के दौरान उस समय किया गया था, जब लोकसभा में पारित हो जाने के बाद इस विधेयक के प्रारूप पर विपक्ष ने राज्यसभा में आपत्ति खड़े किए थे। 

कमेटी को मानसून सत्र के दौरान पिछले सप्ताह रिपोर्ट सौंपनी थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हंगामे के बीच कमेटी को ध्वनिमत से समय विस्तार दे दिया गया। अब इस रपट को शीतकालीन सत्र के प्रथम सप्ताह के अंतिम दिन सौंपा जाना है। 


यह पूछे जाने पर क्या सिलेक्ट कमेटी शीतकालीन सत्र में अपनी रपट सौंप देगी, कमेटी के सदस्य राम गोपाल यादव ने कहा कि मैं ऐसी आशा करता हूं। समय विस्तार मांगे जाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि ढेर सारे काम बाकी रह गए हैं। कई जांच-पड़तान किया जाना अभी बाकी है। कई अन्य लोगों से बातचीत किए जाने की जरूरत है। ज्ञात हो कि संसद का मानसून सत्र सात सितम्बर को समाप्त हो रहा है।

किरन बेदी भ्रष्टाचार के खिलाफ बीजेपी से तालमेल चाहती थीं: केजरीवाल


भंग हो चुकी टीम अन्ना की अहम सहयोगी किरन बेदी चाहती हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई बीजेपी के तालमेल से लड़ी जाए. ये दावा किसी और ने नहीं बल्कि टीम अन्ना के अहम सहयोगी और अन्ना के बाद आंदोलन के सबसे बड़ा चेहरा अरविंद केजरीवाल ने किया है.

अरविंद केजरीवाल ने एबीपी न्यूज से विशेष बातचीत में कहा है कि किरन बेदी बीजेपी से तालमेल चाहती हैं और यही वजह है कि जब पिछले दिनों बीजेपी के अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर का घेराव किया गया तो नहीं आईं.

उन्होंने आगे कहा, "किरन बेदी मेरे फोन का जवाब नहीं दे रही हैं. फिलहाल वह शहर में नहीं हैं. जब आएगीं तो मैं उनसे मिलूंगा और समझाऊंगा की बीजेपी से देश को दिशा नहीं मिलने वाली है."

केजरीवाल ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी दिसंबर में गुजरात चुनाव नहीं लड़ पाएगी, हालांकि उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि दो अक्टूबर को उनकी पार्टी लॉन्च होगी.

लेकिन यहां यह सवाल लाजमी है कि जब टीम अन्ना के दो बड़े सदस्य आमने-समाने हैं तो अन्ना हज़ारे किसके साथ खड़े होंगे.

बीजेपी का विरोध करने के मामले पर किरन बेदी और अरविंद केजरीवाल के बीच उस वक्त मतभेद दिखे थे जब कोयला घोटाले पर केजरीवाल के आंदोलन में किरन बेदी शामिल नहीं हुई थीं.

कोयले की लड़ाई, सड़क पर आई ...


कोयला घोटाले पर संसद की लड़ाई अब खुलकर सड़क पर आ गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भाजपा पर हमले की शुरूआत पाकिस्तान सीमा से जुड़े बाड़मेर की रेतीली धरती से की। उन्होंने संसद न चलने देने के भाजपा के कदम को अलोकतांत्रिक करार देते हुए यहां तक कह दिया कि कुछ लोग चाहते हैं कि सब कुछ उनकी मर्जी का हो या फिर कुछ भी नहीं हो।

लोकतंत्र में यह नहीं चलेगा। कोयला घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर अड़ी भाजपा पर कांग्रेसियों को आक्रामक अंदाज में पलटवार का निर्देश दे चुकीं सोनिया ने सड़क पर भी इस लड़ाई का शंखनाद कर दिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाड़मेर की रेगिस्तानी धरती पर 200 किमी दूर से पानी पहुंचाने की योजना के शुभारंभ के बहाने राज्य में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत भी कर दी। अगले साल राज्य में होने वाले चुनावों से पहले इस बंजर इलाके में मीठा पानी पहुंचा कर गहलोत ने इस मौके को अपनी चुनावी तैयारियों से जोड़ा तो सोनिया ने जनता को यह समझाने की कोशिश की कि भाजपा लोकतंत्र और देशहित के खिलाफ है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत संप्रग के दामन पर कोयले की कालिख को धोने के लिए उन्होंने संसद में विपक्ष को बहस की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि अगर संसद में इस मामले पर चर्चा होगी तो ''सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। देश के सामने महंगाई, आंतरिक सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं का हवाला देते हुए सोनिया ने संसद न चलने देने की विपक्ष की प्रवृत्ति को देश के लिए घातक करार दिया।

उन्होंने भाजपा पर लोकतंत्र की विरासत को नष्ट करने का आरोप मढ़ते हुए कहा, कुछ लोग हर मामले में राजनीति कर रहे हैं, जबकि यह समय एकजुट होकर देश के सामने मौजूद चुनौतियों का सामना करने का है। इससे पहले सोनिया से हिमालय का पानी यहां लाने वाली बाड़मेर लिफ्ट परियोजना का उद्घाटन कराते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने शहरी बीपीएल परियोजना का शुभारंभ भी कांग्रेस अध्यक्ष के हाथों से ही कराया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री डा. सी.पी. जोशी, मुकुल वासनिक व भंवर जितेंद्र सिंह के अलावा बाड़मेर-जैसलमेर से कांग्रेसी सांसद हरीश चौधरी तथा अन्य तमाम दिग्गज मौजूद रहे।

अन्‍ना हजारे की राजनीतिक पार्टी जनता की पहली पसंद...

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1.76 लाख करोड़ का 2-जी घोटाला, 1.86 लाख करोड़ का कोयला घोटाला, जन लोकपाल बिल और विदेशों में जमा काले धन के मुद्दे ने सरकार की नींद उड़ा दी है. ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस विरोधी लहर का फायदा सीधे बीजेपी को मिलेगा, लेकिन अन्‍ना के आंदोलन ने सबकी हवा निकाल दी है.

सर्वे के मुताबिक देश की जनता सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी से खासी नाराज है और अगर आज आम चुनाव हुए तो महज़ 18 फीसदी जनता ही कांग्रेस को अपना मत देगी, लेकिन इस कांग्रेस विरोधी लहर का फायदा मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की झोली में जाता नहीं दिख रहा है, बल्कि इसकी लोकप्रियता भी घटी है. वहीं, अगर आज चुनाव हुए तो देश के 77 फीसदी लोग अन्‍ना की पार्टी को वोट देना चाहते हैं.

घोटाले के आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजसेवी अन्ना हजारे और योग गुरु बाबा रामदेव की अगुवाई में देश का एक बहुत बड़ा तबका उठ खड़ा हुआ. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते-लड़ते अन्ना की टीम के लोग अचानक राजनीति की राह पर चल पड़े. कोई हैरान है, कोई परेशान कि पार्टी का फैसला क्यों?

लेकिन इस हैरानी और परेशानी के बीच अन्‍ना और उनके सहयोगियों के लिए अच्‍छी खबर यह है क‍ि 64 फीसदी लोग इसे सही फैसला मानते हैं. यही नहीं 77 फीसदी लोग अन्‍ना की पार्टी को वोट भी देना चाहते हैं.

देश के 28 शहरों में 8 हजार 833 लोगों से बात करके समझने की कोशिश की कि लोग अन्‍ना हजारे की राजनीतिक पार्टी बनाने के फैसले से कितना सहमत है.

22 अगस्त से 24 अगस्त के बीच लोगों से बात की गई. जनता से पूछा गया कि क्‍या वे अन्‍ना की पार्टी के उम्‍मीदवारों को वोट देंगे ? क्‍या अन्‍ना की पार्टी नक्‍सलवाद, देश के आर्थिक हालात, महंगाई और आतंकवाद जैस मुद्दों से निपट पाएगी?

जनता की पसंद अन्‍ना

हाल ही में लोकपाल बिल की मांग को लेकर अनशन पर बैठे अन्‍ना हजारे के आंदोलन के बारे में 95 फीसदी लोगों को पता था. हालांकि महाराष्‍ट्र के औरंगाबाद और तमिलनाडु के मदुरैई में यह प्रतिशत अपेक्षाकृत कम था. औरंगाबाद में 84 फीसदी और मदुरैई में 78 फीसदी लोग इस आंदोलन के बारे में जानते हैं.

सर्वे के मुताबिक 84 फीसदी लोग अन्‍ना और उनके आंदोलन का समर्थन करते हैं, जबकि 14 फीसदी इससे कोई सरोकार नहीं रखते हैं. हालांकि कोचीन (57 फीसदी) और मदुरैई (43 फीसदी) में यह प्रतिशत अपेक्षाकृत कम है.

 सर्वे में पाया कि 73 फीसदी लोग अन्‍ना के राजनीतिक पार्टी बनाने के फैसले के बारे में जानते हैं, जबकि 20 फीसदी लोग इस बात से अंजान थे. हालांकि औरंगाबाद (50 फीसदी) में अन्‍ना की राजनीतिक पार्टी के बारे में अपेक्षाकृत कम लोगों को जानकारी थी.

सर्वे के मुताबिक अन्‍ना की राजनीतिक पार्टी के फैसले को 64 फीसदी लोग सही मानते हैं और उन्‍हें लगता है कि इससे साफ-सुथरी छवि वाले लोग सत्ता में आएंगे. वहीं, 22 फीसदी लोगों का कहना है कि राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला सही नहीं है और इससे टीम अन्‍ना अपने लक्ष्‍य से भटक जाएगी.

यही नहीं सर्वे में यह भी पाया गया कि लोग सिर्फ अन्‍ना के आंदोलन और राजनीतिक पार्टी बनाने के फैसले का समर्थन ही नहीं करते बलिक चुनाव में उन्‍हें वोट भी देंगे. सर्वे के मुताबिक 77 फीसदी लोग चुनाव में अन्‍ना की पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे, जबकि 16 फीसदी उनकी पार्टी को वोट नहीं देंगे. हालांकि कोचीन (38 फीसदी) में यह प्रतिशन अपेक्षाकृत कम है.

जब लोगों से यह पूछा गया कि क्‍या अन्‍ना हजारे की पार्टी नक्‍सलवाद, देश की अर्थव्‍यवस्‍था, महंगाई और आतंकवाद जैसे दूसरे मुद्दों से निपट पाएगी तो 65 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया. सर्वे के मुताबिक 65 फीसदी लोगों का मानना है कि अन्‍ना की राजनीतिक पार्टी इन सभी मुद्दों से निपट सकती है. जबकि 24 फीसदी लोग सहमत नहीं है.

तीन महीने पहले मई में यूपीए-2 सरकार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन अब हालात और बुरे हो गए हैं. मई महीने में यूपीए-2 के तीन साल पूरे होने के मौके पर कराए गए सर्वे में तो 21 फीसदी जनता कांग्रेस के साथ थी, लेकिन अब यह ग्राफ़ गिरकर 18 फीसदी पर पहुंच चुकी है.

मई में 28 फीसदी जनता बीजेपी की झोली में अपना मत डालना चाहती थी,  लेकिन अब उसका मत प्रतिशत गिरा है, लेकिन महज़ एक फीसदी की ही गिरावट आई है. अब भी 27 फीसदी जनता बीजेपी के कमल को खिलाने चाहती है.

रामदेव से ज्‍यादा भरोसेमंद हैं अन्‍ना

भले ही इस बार अन्‍ना और उनकी टीम को जंतर मंतर में भीड़ जुटाने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव का सहारा लेना पड़ा हो, लेकिन जनता की नजर में अब भी अन्‍ना हजारे ज्‍यादा विश्‍वसनीय है.

सर्वे में पाया कि रामदेव की तुलना में 75 फीसदी लोग अन्‍ना को ज्‍यादा भरोसेमंद मानते हैं.

हालांकि 85 फीसदी लोग काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव की मुहिम के बारे में भी जानते हैं.

इसके साथ ही 49 फीसदी लोगों को लगता है कि जन लोकपाल बिल के लिए अन्‍ना हजारे का आंदोलन और विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव की मुहिम का मसद एक ही है, जबकि 43 फीसदी इससे इत्तेफाक नहीं रखते और उनका मानना है कि ये दोनों आंदोलन अलग-अलग हैं.

सोनिया, आडवाणी, मुलायम, लालू आदी 46 सांसदों ने एक साल में संसद में नहीं पूछा एक भी सवाल


देश की राजनीति में सक्रिय रहने वाले अनेक नामचीन लोकसभा सदस्य संसद में प्रश्न पूछने के मामले में ‘शून्य’ हैं.

इनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी, सपा के मुलायम सिंह यादव, राजद नेता लालू प्रसाद और जदयू अध्यक्ष शरद यादव जैसे बड़े दिग्गज शामिल हैं. 

पन्द्रहवीं लोकसभा के तीसरे वर्ष (2011-2012) में संसद में कामकाज को लेकर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, भाजपा नेता जसवंत सिंह, जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा, भाजपा के शत्रुघ्न सिंहा समेत 65 यानि लगभग 14 प्रतिशत सांसदों ने इस एक साल में प्रश्नकाल के दौरान एक भी सवाल नहीं पूछा. 

संगठन ‘मास फॉर अवेयरनेस’ द्वारा संचालित ‘वोट फॉर इंडिया’ अभियान की ओर से जारी रिपोर्ट में सांसदों के कामकाज का विस्तार से विश्लेषण कर यह दावा किया गया है.  

‘रिप्रजेंटेटिव ऐट वर्क’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के अलावा कांग्रेस के राज बब्बर और मोहम्मद अजहरूद्दीन समेत दस सांसदों ने 2011-12 के दौरान निचले सदन में प्रश्नकाल में महज एक-एक सवाल पूछे. 

इस एक वर्ष की अवधि में सर्वाधिक 272 प्रश्न महाराष्ट्र से शिवसेना के सदस्य शिवाजी ए पाटिल ने पूछे. गौर करने वाली बात यह भी है अधिक से अधिक प्रश्न पूछने में कुछ युवा सांसद भी आगे रहे. सपा के धम्रेन्द्र यादव और नीरज शेखर तथा कांग्रेस के सबसे युवा सांसद हमीदुल्ला सईद और श्रुति चौधरी सहित कुछ सदस्यों ने सरकार के मंत्रियों से 200 से अधिक प्रश्न पूछे. 

2011-12 में लोकसभा में हुयी तमाम चर्चाओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी ने महज एक-एक बार हिस्सा लिया. इस मामले में भाजपा के सांसद अजरुन राम मेघवाल अव्वल रहे. बीकानेर से लोकसभा सदस्य और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी मेघवाल ने 147 बार चर्चाओं में भाग लिया. वहीं कांग्रेस के पीएल पुनिया ने 100 और सपा के शैलेन्द्र कुमार ने 98 बार लोकसभा में विभिन्न मुद्दों पर हुयी चर्चाओं में भाग लिया. 

पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी, पूर्व भाजपा नेता कल्याण सिंह, भाजपा के नवजोत सिंह सिद्धू और कांग्रेस के अजहरूद्दीन की चर्चाओं में भागीदारी ‘शून्य’ रही. 

रिपोर्ट के मुताबिक 2011-12 में लोकसभा की कार्यवाही कुल 85 दिन चली और इस दौरान 370 घंटे 54 मिनट काम हुआ. हंगामे तथा अन्य वजहों से 175 घंटे 51 मिनट का समय बर्बाद हुआ. 

रिपोर्ट कहती है कि इस दौरान संसद की कार्यवाही में 12 हजार 201 बार व्यवधान उत्पन्न हुआ. संसद में सदस्यों की उपस्थिति 79 प्रतिशत रही. रिपोर्ट के अनुसार 15 वीं लोकसभा के तीसरे साल में सरकार की ओर से 59 विधेयक पेश किये गये जिनमें से 54 पारित हो गये. 

यह संगठन 2009-10 और 2010-11 के लिए भी इस तरह की रिपोर्ट पेश कर चुका है. 

खामोश न रहते तो मनमोहन हो जाते बेआबरू: सुषमा


कोल ब्लॉक पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खामोशी वाले शेर पर बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने चुटकी ली। उन्होंने कहा खामोश रहे तो अच्छा है, नहीं तो वह बेआबरू हो जाते। प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर अड़ी बीजेपी ने यूपीए शासन में आवंटित सभी 142 कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द करने की अपनी मांग को जोड़ते हुए कांग्रेस पर आरोप जड़ा है कि उसे भी मोटा माल लिया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह संसद न चलने देने के अपने रुख पर कायम है। अगर अन्य दल इसमें उसका साथ नहीं भी देते तो भी इस मामले में वह अपनी लड़ाई खुद ही जारी रखेगी।

संसद में प्रधानमंत्री के बयान के बाद लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि उनकी पार्टी की मांग है कि प्रधानमंत्री प्रत्यक्ष जिम्मेदारी लें और पद छोड़ें। इसके अलावा 142 कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द करके उनकी दोबारा से नीलामी करें, क्योंकि नीलामी से ही सचाई सामने आ जाएगी कि सीएजी का आंकड़ा सही है या नहीं।

सुषमा स्वराज ने कहा कि पीएम के बयान से उनके इस आरोपों की पुष्टि होती है कि गड़बड़ी हुई है। अरुण जेटली ने इस मामले में सीएजी को गलत ठहराकर एक तरह से संवैधानिक संस्था पर ही हमला किया है। उन्होंने कहा कि जीडीपी बढ़ाने के लिए पीएम अपने तर्क दे रहे हैं लेकिन वह बताएं कि क्या जीडीपी बढ़ी?

भ्रष्टाचार …चीन में सजा… भारत में मज़ा...


चीन में गत मंगलवार को दो भ्रष्ट राजनेताओं को फाँसी पर चढ़ा दिया गया – ये थे पूर्व मेयर जो रिश्वत लेने, हेराफेरी और पद के दुर्रपयोग के दोषी पाए गए. १२ मई को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई और महज़ २ महीने नौं दिन के बाद लटका दिया गया. भ्रष्टाचार के प्रति अपनी ‘ जीरो टालरेंस ‘ निति की बदौलत आज चीन विकास स्तर में भारत से मीलों आगे निकल गया है. ऐसी अनेकों उदाहरण चीन में देखने को मिलती हैं जब भ्रष्टाचार में लिप्त राजनेताओं, कर्मचारियों व् अन्य नागरिकों को सूली पर लटका दिया गया.

हमारे यहाँ ऐसी एक भी उदहारण ‘ ढूँढते रह जाओगे ‘ सूली तो क्या किसी को मामूली सजा भी हुई हो. आज हम विश्व के भ्रष्ट देशों के सिरमौर बन कर उभरे हैं और शीर्ष स्थान तक पहुँचाने के लिए चंद पायदान की दरकार है. भ्रष्टाचार के कीर्तिमान बनाने में हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री महा पंडित श्री श्री जवाहर लाल जी नेहरु का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. पंडित जी द्वारा रोपे और सिंचित किये गए भ्रष्टाचार के बूटे आज वट वृक्ष बन उभरे हैं .पंडित जी के कार्यकाल में पहला घोटाला जीप घोटाला था जिसे उनके चहेते कृष्णा मेनन ने सरअंजाम दिया था.

आजाद भारत का यह पहला घोटाला था और वह भी देश की सुरक्षा से सम्बंधित ! नाम – मात्र के विरोधी सांसदों ने यह मामला जोर शोर से संसद में उठाया… नेहरु जी बुरा मान गए – कृष्णा मेनन नेहरु जी के ख़ास राजदार जो ठहरे ? मेनन को सजा तो क्या ! इनाम सवरूप रक्षा मंत्री बना दिया ! नतीजा ६२ के युद्ध में हम चीन के हाथों पराजित हुए और हजारों मील अपनी भूमि से हाथ धो बैठे. नेहरु जी सदमे से उबर न सके और अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए.

दूसरा भ्रष्टाचार भी नेहरु जी की ही देन था जब पंजाब के वृष्ट नागरिक व् राजनेता नेहरु जी से मिले और ततकालीन मुख्यमंत्री परताप सिंह कैरो की लूट खसूट की शिकायत की. नेहरु जी ने कैरो के खिलाफ कार्रवाही तो क्या करनी थी उल्टा ‘जुमला’ दे मारा ‘ अरे भई कैरो यह लूट का पैसा कोई बाहर तो नहीं ले गया – देश में ही लगा रहा है. भ्रष्टाचार के प्रति ‘सब चलता है’ की इस नीति के चलते और नेहरु जी की नादानी के परिणाम स्वरुप आज , स्विस बैंकों में भ्रष्टाचार से लूटा गया – भारत का काला धन १५०० बिलियन डालर को पार कर गया है.

कोयला आवंटन की "महालूट" का गोरखधंधा और सियासी पेंच


नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बीते हफ्ते कोयला ब्‍लॉक आवंटन, रिलायंस पावर को अतिरिक्‍त कोयले की आपूर्ति और दिल्‍ली एयरपोर्ट से संबंधित डायल को लेकर एक ऑडिट रिपोर्ट पेश की। इनमें कुल मिलाकर सरकारी खजाने को 3.81 लाख करोड़ रुपये की चपत लगने की बात सामने आई है। 

भ्रष्‍टाचार और घोटाले को लेकर सरकार तो पहले से ही घिरी थी और अब कैग के इस नए ‘विस्‍फोट’ ने सरकार के समक्ष एक ‘महासंकट’ खड़ा कर दिया है। 

यानी संकट पहले से काफी बड़ा है और निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री हैं, जिनकी छवि अब तक बेदाग रही है। जिन कोयला ब्‍लॉक के आवंटन को लेकर सवाल उठाए गए हैं, वह साल 2006 से 2009 के बीच आवंटित हुए। इस दौरान कोयला महकमा प्रधानमंत्री के अधीन था। दरअसल कोयला आवंटन और टूजी स्‍पेक्‍ट्रम मामले में कमोबेश समान तरीके से गोरखधंधे को अंजाम दिया गया। नीलामी के बजाय पहले आओ और पहले पाओ की नीति को अमल में लाया गया। इससे साफ है कि घोटाले को सियासी मिलीभगत करके अंजाम दिया गया। जबकि कानून मंत्रालय ने उस वक्‍त साफ कहा था नीलामी ही सबसे बेहतर रास्‍ता है। पर इसकी राय को अनदेखा कर दिया गया। जबकि सरकार की यह सफाई कि राज्‍य सरकारों के विरोध के चलते केंद्र को प्रतिस्‍पर्धी बोली की प्रक्रिया टालनी पड़ी, गले से नीचे नहीं उतरती। 

यानी मनमाने तरीके से नियमों को तोड़-मरोड़कर कर पसंदीदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। इतनी बड़ी रकम के गोलमोल होने के बाद भी यदि सरकार इसे ‘डकारने’ में जुटी है तो समझा जा सकता है कि भ्रष्‍टाचार मुक्‍त देश का सपना, कहीं सपना ही बनकर ही न रह जाए। हैरत तो उस समय हुई जब सरकार के आला मंत्री कैग रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे आधारहीन और तथ्‍यों से परे बताने में जुट गए। ऐसा लगा मानो कि कैग ने कुछ भारी गलतियां कर दी हो और आंखें तरेरते हुए सरकार उसकी कान खींचने में लग गई। सवाल यह पैदा होता है कि कैग तो एक संवैधानिक संस्‍था है, तो फिर किस हक से पूरी सरकार अमला उसके अस्तित्‍व पर सवाल उठाने लगा। इस रिपोर्ट पर चौतरफा हंगाम मचने के बाद चिदंबरम साहब ने सफाई देते-देते इस ‘महाघोटाले’ को जीरो लॉस तक करार दे डाला। तर्क भी ऐसा जो हजम ही न हो। 

हैरतअंगेज तर्क यह था कि जब आवंटित खदानों में से एक को छोड़कर किसी में खनन कार्य हुआ ही नहीं हो तो फिर नुकसान कैसा। जाहिर सी बात है, जब कोई खदान किसी को आवंटित कर दिया गया तो मालिकाना हक तो उसका ही है। ऐसे में खनन के बाद जब कमाई होगी तो तिजोड़ी उसकी भरेगी, पर सरकारी खजाने में क्‍या जाएगा। हालांकि बाद में चिदंबरम सफाई देते नजर आए कि जीरो लॉस का उनका आशय यह नहीं था। 

गौर हो कि कोयला ब्लाक आवंटन में कथित घोटाले को लेकर संसद में बीते हफ्ते से ही जोरदार हंगामे का क्रम अभी तक जारी है। न विपक्ष को कुछ स्‍वीकार है और न सरकार की सेहत पर कोई असर है। सरकार एवं विपक्ष के अपने-अपने रुख पर अड़े रहने से इस स्थिति के लंबा खिंचने के आसार बने हुए हैं। इसमें किसका कितना फायदा और कितना नुकसान है, इसका खुलासा शायद ही हो, लेकिन दलों के बीच आरोपों-प्रत्‍यारोपों में एक-दूसरे के ऊपर जो कीचड़ उछाले जा रहे हैं, उससे यह साफ है कि केंद्र और राज्‍यों के स्‍तर पर खनन क्षेत्र में जमकर लूट को अंजाम दिया गया है। यानी दामन किसी के भी साफ नहीं हैं। इन घोटालों के पीछे सियासी मिलीभगत को कतई अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

सरकार ने अपने पलटवार में यह भी कह डाला कि कैग रिपोर्ट में कोयला ब्‍लॉक आवंटन से राजस्‍व नुकसान की बात सही नहीं है। उस दौरान जो प्रक्रिया अपनाई गई थी, वह पारदर्शी थी। सरकार के एक मंत्री तो अपने बचाव में यहां तक कहा कि नीतियां बनाना सरकार की जिममेदारी है। कैग अपने दायरे में काम नहीं कर रहा है। वहीं, भाजपा का कहना है कि कोयला धांधली मामला टूजी आवंटन घोटाले से भी बड़ा है। कैग की इस रिपोर्ट से महाघोटाले की पोल खुल गई है। 

कैग रिपोर्ट पर कोई स्‍पष्‍ट जवाब देने के बजाय कांग्रेस ने अपना रुख और हमलावर बना लिया। कांग्रेस अध्‍यक्ष के खुले संकेत के बाद तो इस `महासंग्राम` के और लंबा खिंचने के आसार हैं। पर नुकसान तो हर हाल में देश का ही है। चाहे वह `महालूट` हो या संसद में कार्यवाही का स्‍थगन। पर इन सियासी खींचतान में असल मुद्दा गौण होता नजर आ रहा है। मुद्दा यह कि सरकारी खजाने को हुए लाखों करोड़ों के नुकसान की भरपाई कैसे होगी और कौन करेगा। इसके लिए जिम्‍मेदार व्‍यक्ति को कानून की दहलीज तक लेकर कौन जाएगा। घोटालों का अनवरत दौर कब थमेगा। क्‍या कभी कोई सरकार अपने दामन साफ रखकर देश के सही और असली विकास की नींव रखेगी। ये सवाल तो तूफानी वेग से कौंधते हैं, पर वास्‍तव में कभी उम्‍मीद की कोई किरण नजर आएगी। 

विपक्ष केवल प्रधानमंत्री के इस्‍तीफे की मांग पर अडिग है, वहीं सरकार का रुख भी अडि़यल बना है। इस गतिरोध से आखिर क्‍या और किसका फायदा होगा। क्‍या इसके पीछे की वजह कुछ और है। सियासी लाभ और अपना दामन बचाने की कवायद तो नहीं हो रही है। खैर गतिरोध तो टूटना ही है, लेकिन चिंता इस बात की है कि टूजी प्रकरण का जो हश्र हुआ, वही कोयले की इस धांधली में भी न हो। और सभी दागदार बाद में `बेदाग` होकर बाहर निकल आएंगे। टूजी घोटाला सामने आने के बाद भी सरकार ने कैग को लताड़ा था और कहा था कि यह संस्‍था अपनी लक्ष्‍मण रेखा को पार गई है। कैग के प्रति वैसा ही आक्रामक रवैया इस बार भी अपनाया गया। यदि कैग जैसी संस्‍था के साथ इस तरह का रुख जारी रहा तो देश में घोटाले दर घोटाले होते रहेंगे और जनता को भनक तक नहीं लगेगी। यहां सवाल घोटालों पर गंभीर रुख अपनाने का है और इसे किसी भी स्‍तर पर रोकने का है। नहीं तो देश की खस्‍ता माली हालत से जनता को बेहाल होते देर नहीं लगेगी। 

कोयला आवंटन और टूजी मामले में कैग ने जिस रकम की ओर इशारा किया है, वह काफी बड़ा व भयानक है। यदि दोनों घोटालों के कुल रकम को मिला दिया जाए तो देश की शक्‍ल और सूरत दोनों ही बदल जाएगी। इन रिपोर्टों में कैग ने साफ कहा है कि सरकार ने निविदा प्रणाली को ताक पर रख तमाम कोयला ब्‍लॉक का आवंटन किया। सच्‍चाई यह है कि सरकार सात साल तक नीलामी प्रक्रिया पर विचार करती रही, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। अब सवाल यह उठता है कि क्‍या सरकार की मंशा इसे कभी लागू करने की थी ही नहीं। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद तमाम पूरी सरकार ही इसे झुठलाने पर तुल गई और इसे जीरो लॉस करार देकर बेबुनियाद और खोखले दावे का तर्क देने लगी। जबकि कैग ने सरकारी खजाने को नुकसान का अनुमान साल 2010-11 में कोल इंडिया की ओपनकास्‍ट खदानों से कोयले के उत्‍पादन की लागत तथा बिक्री मूल्‍य के आधार पर लगाया है। 

गौर करने वाली बात यह है कि मार्च, 2011 तक सरकारी और निजी कंपनियों को 194 कोयला ब्‍लॉक आवंटित किए गए। आवंटन पर सवाल यह है कि सरकार ने बिना नीलामी के ही कोयला ब्‍लॉक आवंटित कर दिए। आवंटन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्‍पक्षता का घोर अभाव रहा। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर कितने दिन अडिग रहता है, यह तो कुछ दिनों में पता चल जाएगा। पर सिर्फ सियासी लाभ के लिए पहले विरोध मकसद नहीं होना चाहिए। इस मसले पर बहस के बजाय केवल हंगामा कर गतिरोध बनाए रखने का एक और पहलू यह हो सकता है कि विपक्ष कैग रिपोर्ट को राजनीतिक हथियार की तरह इस्‍तेमाल करना चाहता है और नजरें आम चुनाव पर हो। शायद सरकार को घेरने और परास्‍त करने का यह सुनहरा मौका विपक्ष अपने हाथ नहीं जाने देना चाहता हो क्‍योंकि सरकार इस समय भ्रष्‍टाचार, महंगाई, मंदी जैसे गंभीर मसलों से जूझ रही है। और सरकार की खराब हुई छवि का वह जनता के बीच जाकर लाभ ले सके। संसद में हंगाम कर कार्यवाही को बाधित करने का एक उद्देश्‍य सरकार को कठघरे में खड़ा करना भी है। 

1993 तक देश में कोयला ब्‍लॉक आवंटन की कोई तय नीति नहीं थी। इसके बाद अंतर मंत्रालयी स्‍क्रीनिंग कमेटी की सिफारिशों के आधार पर निजी कंपनियों को कोयला आवंटन शुरू किया गया। नीलामी के आधार पर कोयला आवंटन की प्रक्रिया 2004 में विचार में आई, जिसे सरकार अब तक अंतिम रूप नहीं दे पाई है। इसे विडंबना ही कहा जाए कि विपुल खनिज संपदा के लिए अब तक कोई कारगर नीति नहीं बनाई गई। 

अब देखना यह होगा कि कैग रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में पेश करने के बाद इसे लोक लेखा समिति के पास कब तक भेजा जाता है। कैग रिपोर्ट के समिति के पास आने के बाद ही इसका विस्‍तार से अध्‍ययन संभव होगा और इस मामले में किसी ठोस कार्रवाई की आधारशिला तैयार हो सकेगी। पर सबसे ज्‍यादा जरूरत सरकारी संपदा के आवंटन को लेकर एक पारदर्शी प्रक्रिया बनाने की है ताकि इस तरह के `महालूट` पर पूरी तरह रोकथाम लग पाए। 

बाबा रामदेव को मिला 35 करोड़ का आयकर नोटिस


देहरादून। कालाधन और भष्‍टाचार के मुद्दे पर अपने आंदोलनों द्वारा केंद्र सरकार को घेरले वाले बाबा रामदेव खुद कानूनी पेंच में घिरते नजर आ रहे है। योगगुरू बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ ट्रस्‍ट को चैरेटेबिल स्‍टेट्स पर आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है। आयकर विभाग ने पतंजलि ट्रस्‍ट को दान में मिले 70 करोड़ रूपये को ट्रस्‍ट की आय करार दिया है, और 35 करोड़ रूपए टैक्‍स के रूप में अदा करने का नोटिस भेजा है। बाबा रामदेव ने पत्रकारों के बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।

गौरतलब है कि इससे पहले आशंका जताई गई थी कि बाबा के खिलाफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने गाज गिराने की पूरी तैयारी कर ली है। आईटी डिपार्टमेंट ने अपनी जांच में पाया था कि बाबा का ट्रस्‍ट चैरिटेबल संस्‍था के तौर पर रजिस्‍ट्रर्ड होने के बावजूद कमाई कर रहा है। ऐसा भी बताया जा रहा है कि आईटी डिपार्टमेंट पतंजलि ट्रस्‍ट का चैरिटेबल संगठन के तौर पर रजिस्‍ट्रेशन रद्द कर सकता है।

पतंजलि पर भारी जुर्माना लगाए जाने की आशंका जताई जा रही थी, और आईटी विभाग ने नोटिस भी भेज दिया। अगर चैरिटेबल ट्रस्‍ट के तौर पर रजिस्‍ट्रेशन रद्द हो गया तो पतंजलि को टैक्‍स छूट नहीं मिलेगी। अंग्रेजी न्‍यूज पेपर 'इंडियन एक्‍सप्रेस' ने बताया था कि आईटी विभाग ने अपने जांच में पाया है कि पतंजलि ट्रस्‍ट 2009-10 के दौरान व्‍यवसायिक कामों में शामिल थी। ऐसा भी बताया गया था कि ट्रस्‍ट ने लगभग 72.37 करोड़ रुपए की कमाई भी की थी।

आईटी विभाग को पतंजलि ट्रस्‍ट ने जानकारी देते हुए कहा था कि ट्रस्‍ट से उसकी कोई कमाई नहीं है। सेक्‍शन 12-A आईटी कानून के तहत पतंजलि ट्रस्‍ट को छूट दी जा रही थी। इससे पहले सर्विस टैक्‍स विभग ने ट्रस्‍ट को 5 करोड़ रूपए चुकाने के लिए नोटिस भेजा था।

अब सड़क पर होगी कांग्रेस और बीजेपी की टक्कर : सोनिया



कोयला ब्लॉक आवंटन में हुए कथित घोटाले की लड़ाई अब सड़क पर लड़ी जाएगी। भाजपा की चुनौती को स्वीकार करते हुए कांग्रेस ने भी सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी सांसदों को विपक्ष के खिलाफ सख्त तेवर अपनाने की हिदायत देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं है। इसलिए, सबको बेहद आक्रामक और एकजुट होकर लड़ाई लड़नी चाहिए।

कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया के तेवर काफी तल्ख रहे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ गलत नहीं किया है। इसलिए, विपक्ष के आरोपों से विचलित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों के लिए भाजपा ब्लैकमेलिंग कर रही है। सोनिया बोलीं कि संसद नहीं चलने देना भाजपा की आदत बन गई है। उसकी इस आदत से उसके सहयोगी दल भी चिंतित हैं। उनका इशारा अकाली दल और जद (यू) की तरफ था। अकाली दल व जदयू सीएजी रिपोर्ट पर बहस चाहते हैं।

संसद के अंदर भी मंगलवार को सोनिया गांधी काफी आक्रामक नजर आईं। सीएजी की रिपोर्ट को लेकर भाजपा सांसदों ने हंगामा किया तो सोनिया ने पार्टी नेताओं को विरोध करने का इशारा किया। कोयला घोटाले के मुद्दे पर मंगलवार को लगातार छठे दिन संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चल सकी। वहीं, इस पूरे मामले पर कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा कि उसे कांग्रेस पार्टी से जिम्मेदारी का प्रमाणपत्र हासिल करने की जरूरत नहीं है। पार्टी संसदीय दल की बैठक के बाद भाजपा ने कांग्रेस को भी संसद के प्रति जवाबदेही याद दिलाते हुए कहा कि कोल ब्लॉक मुद्दे पर कांग्रेस केवल चर्चा के लिए चर्चा कराना चाहती है।

भ्रष्टाचार से एकजुट होकर लड़ें रामदेव-अन्ना : वी के सिंह

देश में कैंसर की तरह फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अन्ना व रामदेव को एक मंच पर आना होगा। दोनों को एक साथ बैठकर इस पर मंथन करना चाहिए। पिछले दिनों एक अच्छी शुरुआत हुई थी, लेकिन यह मेल लंबा चलेगा तभी फल मिल सकता है। दिल्ली से देवबंद जाते समय मंगलवार को मोदीपुरम में वीके सिंह ने कुछ देर यहां रुककर ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि देश में भ्रष्टाचार शरीर में खून की तरह फैल चुका है। इसे खत्म करने को सभी को एक मंच पर आना पड़ेगा। आज किसानों का कदम-कदम पर शोषण होता है। किसानों की समस्याओं के लिए मैं हमेशा लड़ूंगा। एक सवाल के जवाब में कहा कि उनका अभी राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है। सभाओं में शामिल होने से राजनेताओं के बीच खलबली जरूर है। सेना में राजनीति के हस्तक्षेप पर वीके सिंह ने कहा कि यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। राजनेता हर जगह घुसने का प्रयास करते हैं। उनके रहते सेना में किसी का हस्तक्षेप नहीं रहा। उनके साथ किसान नेता सरदार बीएम सिंह भी थे। मोदीपुरम पहुंचने पर वीके सिंह का हिमांशु, जसवंत, प्रधान मटौर राजीव चौहान, अनंगपाल, ब्रजपाल सिंह, विपुल, राकेश चौहान, सुनील, भूपेंद्र सोम ने उनका स्वागत किया।

कसाब को फांसी ही होगी, सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई मुहर

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कसब पर अब तक 35 करोड़ का सरकारी खर्च 

मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए हमलों के दौरान गिरफ्तार हुए अभियुक्त अजमल कसाब को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सज़ा बरकरार रखी है.

कसाब को इससे पहले बंबई हाई कोर्ट ने भी फांसी की सज़ा सुनाई थी लेकिन कसाब ने इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.


जस्टिस आफताब आलम और सीके प्रसाद की खंडपीठ ने कहा, '' कसाब के बारे में फैसला करने में कोई दुर्भावना नहीं है. इस शख्स ने भारत के खिलाफ लड़ाई छेड़ी है. भारत की संप्रभुता को चुनौती दी है और युद्ध का ऐलान किया है. इसलिए ऐसे शख्स को मृत्युदंड की सज़ा बरकरार रखने में कोई समस्या नहीं है.''

कोर्ट का कहना था कि कसाब को मृत्युदंड़ देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था.

कसाब की दलील थी कि उसकी कम उम्र को देखते हुए उसे फांसी की सज़ा न दी जाए लेकिन अभियोजन पक्ष ने लगातार कहा कि कसाब के जुर्म की गंभीरता को देखते हुए उसे फांसी की सज़ा ही दी जानी चाहिए.

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कसाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में अभियोजन पक्ष के गोपाल सुब्रहमण्यम का कहना था, '' मोहम्मद कसाब का पक्ष हमने रखा. अलग अलग का़नून के तहत. अभियुक्त के अधिकारों की बात रखी. अंतरराष्ट्रीय क़ानून का मसला भी रखा. सुप्रीम कोर्ट ने कसाब की अपील खारिज कर दी. सबूतों के आधार पर कोर्ट ने तय किया कि फांसी की सज़ा बरकरार रखी जाए. कानून के तहत सुनवाई हुई.''

हालांकि अभी कसाब के पास विकल्प है कि वो इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करें और फिर राष्ट्रपति से दया की अपील करें.

क्लिक करें मुंबई हमलों का एक साल

अभियोजन पक्ष के वकील उज्जवल निकम ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे ये साफ होता है कि मुंबई पर हमले की पूरी साजिश पाकिस्तान में रची गई थी.

उज्जवल निकम ने बंबई हाई कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए बार बार कसाब के लिए फांसी की सज़ा की मांग की थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रसन्नता जताई है.

फहीम और सबाउद्दीन रिहा

इसके अलावा फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को रिहा कर दिया गया है. इन दोनों पर भारत से मुंबई हमलावरों को मदद करने का आरोप था. इन दोनों को सुनवाई कोर्ट ने सज़ा सुनाई थी उम्रकैद की जिसके बाद मुंबई हाई कोर्ट ने इन दोनों को रिहा किया था.

महाराष्ट्र सरकार ने इसके खिलाफ भी अपील की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फहीम और सबाउद्दीन के मामले में भी हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और कहा कि इन दोनों को रिहा किया जाना चाहिए.

हाई कोर्ट में 21 फरवरी 2011 को कसाब को फांसी की सज़ा दी गई थी जिसके बाद इस साल 31 जनवरी से मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरु हो गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने तक अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनी हैं. कसाब के अलावा पाकिस्तान के और दस नागरिक मुंबई हमलों में शामिल पाए गए थे.

अंधाधुंध गोलीबारी के दोषी पाए गए कसाब के पक्ष में और विरुद्ध कई घंटों की सुनवाई के बाद जस्टीस आफताब आलम और सीके प्रसाद की बेंच ने 25 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए अजमल कसाब ने कहा था कि उसे स्वतंत्र और निस्पक्ष न्याय नहीं मिला और वो भारत के खिलाफ किसी साजिश का हिस्सा नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 10 अक्तूबर को कसाब के फांसी की सजा पर रोक लगाई थी.

सोनिया गांधी ने दिए समय पूर्व चुनाव के संकेत


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Sonia Gandhi

नई दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को अपने नेतृत्व की जबर्दस्त बानगी पेश करके जहां विपक्ष को हैरत में डाल दिया, वहीं पार्टी कार्यकर्ताओंं में नई जान फूंक दी। 
जहां पार्टी की संसदीय दल की बैठक में सोनिया ने बीजेपी पर अपने आक्रामक तेवर दिखाए, वहीं लोकसभा में सहयोगी दल एसपी के नेता मुलायम सिंह की बेंच पर जाकर उनसे गुफ्तगू करके बीजेपी के खिलाफ नए समीकरण बनाने के संकेत दिए। 

समय पूर्व चुनाव : सोनिया ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी को तैयार रहने की ताकीद करते हुए संकेत दिए कि चुनाव समय पूर्व भी हो सकते हैं। 

राहुल नहीं, सोनिया : यूपीए-2 की सरकार बनने के साथ ही कांग्रेस की मुसीबतें भी बढ़ने लगी थीं। कई मंत्रियों पर आरोप लगने के बाद जब बीजेपी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी इस्तीफा मांगना शुरू कर दिया तो ऐसे में सोनिया ने ही मोर्चा संभाला। कांग्रेस में बहुत सारे लोगों को लगता था कि ऐसे मुश्किल वक्त में राहुल गांधी को अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने की जरूरत है, मगर उनके बदले सोनिया ने कमान संभाल कर दिखा दिया कि अभी पार्टी को उनकी बहुत जरूरत है। 

मंगलवार को संसद में सोनिया के तीखे तेवरों के बाद उनकी पुरानी निकट सहयोगी रहीं अंबिका सोनी ने बीजेपी पर हमला बोला। इससे पहले सोनिया, आडवाणी को सदन में अपने शब्द वापस लेने पर मजबूर कर चुकी हैं। 

मुलायम से गुफ्तगू : सुबह सदन शुरू होने से पहले सोनिया अचानक मुलायम सिंह की सीट पर जा पहुंचीं। 'नमस्ते' करके सोनिया ने उनसे कुछ देर बातें कीं। फिर 'शुक्रिया' कहके वापस अपने स्थान पर आ गईं। बाद में जब संवाददाताओं ने मुलायम से इस बारे में पूछा तो वह जवाब देने से बचते रहे। 


नया विवाद : लेकिन उनकी पार्टी के प्रवक्ता मोहन सिंह ने यह कहकर एक नया विवाद छेड़ दिया कि कांग्रेसी ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हटाने की कोशिशें कर रहे हैं। कांग्रेसी मनमोहन सिंह के बचाव में आगे नहीं आ रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की तरफ से इस बयान को कल्पना की उपज बताया गया। 



एक ही सिक्के के दो पहलू हैं कांगेस-भाजपा: केजरीवाल


भोपाल : इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) ने मध्य प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों की लूट का आरोप लगाया है और इस लूट में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व विरोधी दल कांग्रेस को साझेदार (पार्टनर) बताया है। राजधानी भोपाल पहुंचे आईएसी के अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया व संजय सिंह ने मंगलवार को एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र में कांग्रेस भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है तो मध्य प्रदेश में भाजपा की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार। इन दोनों दलों का चरित्र एक ही है और वे एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

केजरीवाल ने सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश , उड़ीसा के साथ राजस्थान (वसुंधरा राजे सिंधिया) ने कोयला ब्लॉक की नीलामी का विरोध किया था। इतना ही नहीं इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने औद्योगिक घरानों को कोयला ब्लॉक को आवंटित करने तक की सिफारिश की थी।

उन्होंने आगे कहा कि दोनों प्रमुख दलों के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को कुचलने की कोशिश की जाती है। रविवार को दिल्ली में जब प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष और भाजपा अध्यक्ष का आवास घेरने की कोशिश की गई तो उन पर लाठियां बरसाई गई और यही हाल मप्र में हुआ। शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने वालों पर भोपाल में भी लाठियां बरसाई गईं।

एक सवाल के जवाब में आईएसी के सदस्यों ने कहा कि केंद्र में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला और 2जी घोटाला होता है तो मप्र में डम्पर घोटाला होता है और कर्मचारियों के यहां करोड़ों की संपत्ति निकलती है। इससे साफ होता है कि दोनों का चरित्र एक है।

अपनी आगामी योजना का खुलासा करते हुए केजरीवाल ने कहा कि मप्र में आईएसी के कार्यकर्ता गांव-गांव में पहुंचकर सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोलेंगे। आगामी चार माह में सभी गांव व शहरों के वार्डो में कार्यकर्ता पहुंचकर संगठन बनाएंगे।

केजरीवाल ने कांग्रेस व भाजपा दोनों को ही आगामी चुनाव में उखाड़ फेंकने का आह्वान करते हुए कहा कि अब किसी एक दल को सत्ता से बाहर करने की नहीं बल्कि व्यवस्था में बदलाव की जरुरत है।

इससे पहले भोपाल पहुंचे केजरीवाल टीम के सदस्यों ने आईएसी के सदस्यों के साथ बैठक की और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने का कार्यक्रम स्थगित किए जाने की वजह बताई। उन्होंने कहा कि 24 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन का ऐलान किया था, मगर सदस्यों की रिहाई होने पर उन्होंने पूर्व घोषित आंदोलन स्थगित किया।

केजरीवाल पर बरसी किरण, अन्ना से राह दिखाने की मांग


बैंगलोर। टीम अन्ना की अहम सदस्य रहीं किरण बेदी ने अरविंद केजरीवाल से अपने किसी तरह के मतभेदों से इनकार किया है लेकिन कहा है कि टीम अन्ना बिखर गई है और इसे संभालने के लिए खुद अन्ना हजारे को वापस आना चाहिए।

किरण बेदी ने कहा कि मेरा सिर्फ इतना कहना है कि हमें सिर्फ एक पार्टी पर फोकस करना चाहिए जो पावर में हो। बाद में बाकी पार्टियों के खिलाफ जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ये महज मतभिन्नता है जो अरविंद केजरीवाल के अपनी पार्टी का ऐलान करने के बाद ठीक हो जाएंगे क्योंकि ये साफ हो जाएगा कि कौन किस तरफ जा रहा है।
कोयला आवंटन घोटाले पर किरण बेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस्तीफ़ा देना चाहिए। हमने अनशन के वक्त भी मांग की थी की SIT गठित हो लेकिन तब कोई पार्टी हमारे साथ नहीं थी।

गौरतलब है कि केजरीवाल ने रविवार को पीएम, सोनिया और गडकरी के घर का घेराव किया था। इससे किरण बेदी सहमत नहीं थीं। उन्होंने कहा था कि बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर के घेराव की जरूरत नहीं है। लेकिन अरविंद का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक जैसी हैं। इस मतभेद पर अन्ना ने भी साफ कर दिया था कि वो किरण से पूछेंगे कि आखिर वो घेराव में शामिल क्यों नहीं हुईं?

जरूर पढिये कैसे केजरीवाल समर्थकों ने 10 तक घंटे दिल्ली पुलिस को छकाया

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नई दिल्ली। भ्रष्टाचार व कोयला खदान आवंटन में धाधली के विरोध में अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने रविवार सुबह से अपराह्न तीन बजे तक पुलिस को खूब छकाया। इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आइएसी) के सैकड़ों समर्थक जिस तरह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के निवास पर पहुंच घेराव करने के लिए अलग-अलग समूहों में निकले, उससे अफरा-तफरी का माहौल कायम रहा। दोपहर बाद रेसकोर्स स्थित प्रधानमंत्री निवास के बाहर तथा जनपथ पर समर्थकों को रोकने के लिए पुलिस को वाटर कैनन तथा लाठीचार्ज करना पड़ा, साथ ही आसू गैस के गोलों का भी इस्तेमाल किया गया। मगर प्रदर्शनकारियों का जोश फिर भी ठंडा नहीं पड़ा। अपराह्न तीन बजे अरविंद केजरीवाल ने जब समर्थकों से कहा कि उनका मकसद पूरा हो गया अब घेराव रोक दें, तब समर्थक रुके और पुलिस ने भी राहत की सास ली।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को जारी रखते हुए पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, गोपाल राय, मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास रविवार सुबह छह बजे ही अलग-अलग टुकड़ियों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, काग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाधी, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के निवास पर घेराव करने पहुंचे। चूंकि 10 बजे इस तरह के प्रदर्शन की सूचना पुलिस को दी गई थी, इस लिहाज से वह पूरी तरह से मुस्तैद भी नहीं थी। निर्धारित समय से कई घटे पहले अन्ना सहयोगियों को नई दिल्ली इलाके में घूमते देख पुलिस व अन्य सुरक्षा कर्मियों के होश उड़ गए। तुरंत पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी गई और समूह में आए समर्थकों को पुलिस हिरासत में लेने गई। अरविंद केजरीवाल के पास जब पुलिसकर्मी पहुंचे तो उन्होंने कहा कि सिर्फ दो शख्स सड़क पार कर रहे हैं। इससे किसी नियम का उल्लंघन नहीं है। सड़क पर स्वतंत्र होकर चलना उनका मौलिक अधिकार है। मगर अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया व कुमार विश्वास आदि की दलील को पुलिस ने नहीं माना और सभी को हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग थाने ले गई। कुछ ही देर में समर्थकों का जत्था भी पहुंचा तो थाने में ही सभी प्रदर्शन करने लगे। पुलिस ने जैसे-तैसे मामला शात कराया और सभी प्रदर्शनकारियों को थाने से छोड़ दिया।  

इसके बाद सभी जंतर-मंतर पहुंच गए और वहा जमकर केंद्र सरकार के खिलाफ भड़ास निकालने लगे। वहा से दोबारा केजरीवाल समर्थक टुकड़ियों में बंटकर काग्रेस मुख्यालय, प्रधानमंत्री आवास, संसद भवन, नितिन गडकरी के आवास की ओर कूच करने निकले। पुलिस ने उन्हें रोका तो जमकर हंगामा किया। कुछ लोगों ने अकबर रोड स्थित काग्रेस मुख्यालय तथा जनपथ पर बैरिकेड तोड़ आगे बढ़ने की कोशिश की तो काबू करने के लिए पुलिस को वाटर कैनन, लाठीचार्ज व आसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। दोपहर एक बजे से अपराह्न तीन बजे तक आइएसी समर्थक व पुलिस कर्मियों के बीच लुकाछिपी का खेल चलता रहा। इसी बीच अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके घेराव के दो मकसद थे। एक था सरकार के कारनामे का पर्दाफाश और दूसरा काग्रेस-भाजपा की मिलीभगत को उजागर करना। दोनों ही मकसद पूरे हो गए, इसलिए अब घेराव खत्म किया जाए। केजरीवाल से मिले इस निर्देश के बाद जाकर मामला शात हुआ। पुलिस ने भी राहत की सास लेते हुए नई दिल्ली इलाके की प्रमुख सड़कें जो सुबह से ही बंद रखी थीं, उन्हें आवाजाही के लिए खोल देने का निर्देश दिया। इसके बाद अन्ना के सहयोगियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गए अरविंद केजरीवाल, प्रशात भूषण, मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, कुमार विश्वास को देर शाम छोड़ दिया गया।

अन्ना का आंदोलन असफल नहीं:मेधा पाटकर

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सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का मानना है कि अन्ना समर्थकों को राजनीति में आने से पहले एक बार फिर से विचार कर लेना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि अन्ना के आंदोलन को नाकामयाब करार देना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि मजबूत ऐंटि-करप्शन कानून की मांग को लेकर चलाए गए आंदोलन के इस तरह थमने के बावजूद अन्ना समर्थक लड़ाई से अलग नहीं हुए हैं।

पाटकर ने कहा, 'फिलहाल यह नहीं मान लेना चाहिए कि अन्ना का आंदोलन फेल हो गया है। कई लोग आज भी इस आंदोलन के पक्ष में हैं और वे समय-समय पर इसका समर्थन करते रहेंगे। हमें इस आंदोलन के नतीजे पर पहुंचने से पहले थोड़ा और इंतजार करना चाहिए।'

टीम अन्ना की सदस्य रहीं पाटकर ने कहा कि कोई भी पार्टी नहीं चाहती कि मजबूत लोकपाल कानून आए। ऐसे में देश में बढ़ रहे करप्शन को खत्म करने के लिए सिर्फ एक कानून पर ही फोकस नहीं किया जाना चाहिए। मेधा मानती हैं कि अन्ना समर्थकों को सक्रिय राजनीति में उतरने से पहले अच्छी तरह से विचार करना चाहिए

केजरीवाल पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में आज भोपाल में प्रदर्शन करेंगे




कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल मंगलवार को भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास के बाहर प्रदर्शन करेंगे.

केजरीवाल का यह प्रदर्शन उनके समर्थकों के खिलाफ रविवार 26 अगस्त को हुई पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में होगा.

केजरीवाल का आरोप है कि चौहान की ओर से कि गए भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन करते वक्त भोपाल में लोगों को बहुत बुरी तरह पीटा गया.

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्र की यूपीए और मध्य प्रदेश की भाजपा के बीच क्या कोई फर्क है? एक जैसा चरित्र, एक जैसा सत्ता का गुरूर, एक जैसा भ्रष्टाचार और एक जैसा दमन.’’

केजरीवाल ने ‘ट्वीट’ कर कहा, ‘‘मैं मंगलवार को एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने का गुनाह करूंगा. मुख्यमंत्री के आवास के बाहर धरने पर बैठूंगा और गिरफ्तार किए जाने की पेशकश करूंगा.’’
उल्लेखनीय है कि कोयले के ब्लॉकों के आवंटन के मुद्दे पर प्रदर्शन करने के कारण देश भर में अन्ना हजारे के संगठन इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के कई समर्थकों को रविवार 26 अगस्त को हिरासत में लिया गया था.

भारतीय जनता पार्टी शासित मध्य प्रदेश में पुलिस ने ऐसे कार्यकर्ताओं की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया जिन्होंने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास के घेराव की कोशिश की. पांच लड़कियों सहित 25 लोगों को उस वक्त हिरासत में लिया गया जब वे बैरीकेड पार करने की कोशिश कर रहे थे.

अन्ना के साथ हूं, अरविंद की पार्टी में नहीं - किरण बेदी

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किरन बेदी और अरविंद केजरीवाल के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं। घेराव में शामिल न होने के बाद न तो किरन ने केजरीवाल से बात करने की कोशिश की और न ही टीम केजरीवाल की तरफ से किरन को कोई मेसेज आया है।  इस मसले पर किरन बेदी से की बात :

अन्ना ने आपसे जवाब मांगा है कि आप धरने में क्यों नहीं गईं?
मेरे पास कोई मेसेज नहीं आया है और न ही अब तक किसी ने मुझसे डायरेक्ट यह पूछा है। अगर मुझसे सीधे पूछा जाता है तो मैं अन्ना को मिलकर बताऊंगी कि क्या वजह थी और किन स्थितियों में मैंने यह फैसला किया। बिल्कुल। मुझे लगता है कि सत्ता पार्टी पर फोकस होना चाहिए। जिसकी कानून बनाने की जिम्मेदारी है। जो वाइस प्रेजिडेंट और प्रेजिडेंट इलेक्ट करवा सकती है तो कानून क्यों नहीं बना सकती। साथ ही हमें विपक्ष की चुनौती भी बढ़ानी चाहिए कि हम यह आपसे उम्मीद करते हैं कि सरकार से सवाल पूछें और दबाव बनाएं।

तो क्या आप बीजेपी से सपोर्ट लेने या बीजेपी को सपोर्ट करने के हक में हैं?
नहीं, मैं किसी पार्टी के हक में नहीं हूं, लेकिन हकीकत यह है कि कानून तो अभी इन 2 मेजर पार्टियों को ही बनाना है। जो पॉलिटिकल विकल्प की बात अरविंद कर रहे हैं, वह तो अगले साल आएगा और ऐसा चमत्कार तो मैंने सुना नहीं कि विकल्प बनाते ही इतनी पावर आ जाए कि कानून बनाने लगें। कानून तो अभी इन दो मेजर पार्टियों को ही बनाना है।

क्या आप कभी बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ेंगी?
मुझे चुनावी राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है।

मतलब आप कभी चुनाव नहीं लड़ेंगी?
यह तो ऐसा सवाल हो गया कि आप कब तक जिंदा रहेंगे, कल नहीं रहे तो फिर क्या...बस यही मेरा जवाब है कि मेरी चुनावी राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है।

अरविंद और आपके बीच पहले भी मतभेद रहे हैं। कई बार मीटिंग में आप उनकी बात से सहमत नहीं हुई हैं?
मैं हमेशा अपनी बात रखने का कर्तत्व निभाती हूं। सबके भले के लिए और मूवमेंट के भले के लिए ही सोचती हूं। जब भी किसी बात से असहमत होती थी तो अपनी असहमति हमेशा लिखवाती थी। अब जब बिल्कुल असहमत हो गई तो नहीं गई।

टीम अन्ना की जगह क्या अब टीम केजरीवाल बन गई है?
टीम अन्ना तो अब भंग हो गई है और अगर कोई टीम केजरीवाल बनती है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं पॉलिटिकल विकल्प में नहीं जाऊंगी और मैं अन्ना के आंदोलन के साथ हूं। अरविंद पॉलिटिकल विकल्प में जाएंगे। वह पार्टी के फाउंडर होंगे और पार्टी में सिसौदिया, भूषण और दूसरे लोग होंगे। अन्ना ने भी कहा है कि वह पक्ष पार्टी नहीं बनाएंगे। पार्टी केजरीवाल की होगी और आंदोलन अन्ना का होगा। मैं आंदोलन के साथ हूं।

क्या केजरीवाल फैसले थोपते हैं, घेराव को लेकर आपकी राय पर विचार क्यों नहीं किया गया?
ऐसा नहीं है कि फैसले थोपते हैं। सबकी बात होती है। वह फैसले लेते हैं। कई बार शॉर्ट नोटिस में फैसले लेने होते हैं। घेराव को लेकर भी शायद वह पहले फैसला कर चुके होंगे।

केजरीवाल का फैसला ही माना गया तो यह पार्टी या कार्यक्रम था या आंदोलन का?
मुझे नहीं मालूम कि यह किसका फैसला था और किन-किन ने मिलकर यह फैसला लिया। मुझे घेराव के बारे में दो दिन पहले ही पता चला तो मैंने अपनी राय बता दी। घेराव की प्लानिंग में मैं शामिल नहीं थी, उन लोगों की आपस में मीटिंग हुई होगी।

घेराव में 'मैं अरविंद हूं' की टोपी नजर आई, इस पर क्या कहेंगी?
मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि किसी के नाम की टोपी के बजाय 'मैं आईएसी हूं', 'मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ हूं' जैसी टोपी होनी चाहिए।

तो क्या आप घेराव को लेकर मतभेद पर खुद अरविंद या किसी टीम मेंबर से बात नहीं करेंगी?
जरूरत पड़ी तो मैं बात करूंगी। बात तो होती रहती है। घेराव के बाद से कोई बात नहीं हुई है। कोई पूछेगा तो जवाब दूंगी। मुझे कोई चिंता नहीं है क्योंकि मैंने कुछ गलत नहीं किया है।

दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल और उनके साथियों के खिलाफ F.I.R. दर्ज की


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नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, मनीष सिसोदिया, गोपाल राय और नीरज कुमार के खिलाफ दंगा भड़काने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया है। रविवार को अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में दिल्ली में हुए प्रदर्शन में शामिल लोगों के खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज किया गया है। एफआईआर संसद मार्ग थाने में दर्ज की गईं। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा वीआईपी इलाकों में धारा- 144 का उल्लंघन किए जाने पर ही उनके खिलाफ ताकत का इस्तेमाल करना पड़ा।

इस बीच, अन्‍ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी के बीच 'मतभेद' थमने का नाम नहीं ले रहा है। किरण बेदी ने कहा है कि वह किसी भी पार्टी के प्रति नरम नहीं हैं लेकिन इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन (आईएसी) एकाएक देश के लिए विकल्‍प नहीं हो सकता है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने केजरीवाल को 'फ्रस्‍ट्रेट' करार देते हुए कहा कि आईएसी देश में दिक्‍कतें पैदा करना चाहता है।

रविवार को हुए विरोध प्रदर्शन में भी बेदी शामिल नहीं हुईं। रविवार को केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर के बाहर प्रदर्शन को लेकर किरण बेदी से उनका मतभेद है। उन्‍होंने कहा, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। किरण बेदी का बीजेपी को लेकर रवैया थोड़ा नरम है। लेकिन जल्द ही उन्हें सच्चाई का अंदाजा लग जाएगा।' केजरीवाल ने दावा किया है कि उनके आंदोलन का मकसद पूरा हो गया।

केजरीवाल ने कहा कि अन्‍ना हजारे द्वारा शुरू किया गया राजनीतिक विकल्‍प कानून के तहत एक पार्टी के तौर पर ही रहेगा लेकिन व्‍यवहार में यह राजनीतिक क्रांति होगी। यह क्रांति आने वाले दिनों में पूरे देश में फैलेगी। उन्‍होंने कहा, 'देश में विपक्ष नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। सभी पार्टियों ने कांग्रेस के सामने हथियार डाल दिए हैं। यह क्रांति संसद और विधानसभाओं की गंदगी को साफ करेगी। 

हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी:मनमोहन



नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर विपक्ष के भारी हंगामे के बीच सोमवार को प्रश्नकाल के बाद लोकसभा और फिर राज्य सभा में अपना बयान दिया। उन्होंने कोयला आवंटन पर कैग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए उसे विवादास्पद बताया। उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा कि यह यूपीए-1 सरकार ही थी, जिसने पहली बार जून 2004 में बोली के माध्यम से आवंटन का आइडिया दिया। प्रधानमंत्री को बयान के दौरान दोनों सदनों में भारी शोर-शराबे का सामना करना पड़ा। 

प्रधानमंत्री लोकसभा और राज्य सभा में जिस समय बयान पढ़ रहे थे, विपक्षी दल उनके इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे। इस वजह से उनका बयान कोई ठीक से सुन भी नहीं पाया। विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

प्रधानमंत्री ने लोकसभा में बयान देने के ठीक बाद संसद भवन के बाहर मीडिया में भी बयान दिया। प्रधानमंत्री ने उनकी 'खामोशी' पर तंज कसने वालों को शायराना अंदाज में जवाब देते हुए शेर पढ़ा, 'हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी।' इसके बाद उन्होंने एक बार फिर कैग की रिपोर्ट को खारिज किया। उन्होंने विपक्ष से आह्वान किया कि वह संसद में बहस चलने दे, ताकि लोगों को इस मामले पर जवाब मिल सके।


संसद न चलने देने के मुद्दे पर बीजेपी अलग-थलग पड़ती जा रही है। अब तक हर मुद्दे पर बीजेपी के साथ खड़ा रहने वाले अकाली दल ने कहा कि इस मामले में सदन के भीतर चर्चा की जानी चाहिए। गौरतलब है कि बीजेपी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग करते हुए पिछले सप्ताह संसद नहीं चलने दी थी। वैसे, बीजेपी ने अपने इस रुख में अभी भी कोई बदलाव नहीं किया है। बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि पार्टी पीएम के इस्तीफे की मांग से पीछे नहीं हटेगी।

पीएम मंगलवार को ईरान के दौरे पर जा रहे हैं इसलिए जाने से पहले वह इस मामले पर अपनी सफाई देना चाहते थे। प्रधानमंत्री 2005-2009 में कोयला ब्लॉक आवंटन के दौरान कोयला मंत्री भी थे और इसीलिए विपक्ष उन्हें निशाना बना रहा है। वह पिछले हफ्ते से बयान देने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष, खासकर बीजेपी द्वारा संसद में गतिरोध पैदा किए जाने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए। सूत्रों ने बताया कि वह यह कहकर कैग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का खंडन कर सकते हैं कि 1.86 लाख करोड़ के नुकसान के 'भ्रामक' आकलन में 'खामियां' हैं।

दूसरी तरफ, संसद की कार्यवाही न चलने देने को लेकर एनडीए में फूट पड़ गई है। अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा है कि सदन में इस पूरे मसले पर चर्चा की जानी चाहिए। ढींढसा के बयान के बाद सुबह 10 बजे होने जा रही एनडीए की बैठक टल गई, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी के नेताओं की बैठक हुई। इसमें राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज मौजूद रहे। बीजेपी के लिए राहत की बात यह है कि प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग पर शिवसेना उसके साथ है। अकाली दल की राय सार्वजनिक रूप से आने के बाद भी बीजेपी ने साफ कर दिया है कि उसे प्रधानमंत्री के इस्तीफे से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

इससे पहले जेडीयू अध्यक्ष और एनडीए के संयोजक शरद यादव भी निजी तौर पर खुद को चर्चा का पक्षधर बना चुके हैं, लेकिन मीडिया में मतभेद की बात सामने आने के बाद उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि संसद की कार्यवाही के बहिष्कार को लेकर एनडीए एकजुट है।


सभी क्रांतिकारियों को बधाई : अण्णा

दिनांक 26 अगस्त 2012 दिल्ली में जो अहिंसक मार्ग से आंदोलन हुआ उस आंदोलन में जो जो आंदोलनकारी शामिल हुए उन सबको मैं बधई देता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं। पुलिस वाले मार पिटाई करते रहे लेकिन किसी भी आंदोलनकारी ने हाथ नहीं उठाया, पानी के बौछार से मारा, अश्रधुर छोड़ा लेकिन सब सहन करते आंदोलन किया यह बात बहुत ही महत्वपूर्ण लगी।


आंदोलनकारी अपने लिए, अपने परिवार के लिए अपने संस्था के लिए क्या मांग रहे है? आंदोलनकारी इतना ही मांग रहे थे कि कोयला घोटाला के बारे में संसद में छ: दिन से चर्चा नहीं हो रही, यह जनता का पैसा आप बर्बाद क्यों कर रहे हैं। कोयले घोटाले में कांग्रेस क्या और बीजेपी क्या दोनों पक्ष और पार्टी के लोक जिम्मेदार हैं। जनता की दिशाभूल करने के लिए संसद में तू-तू मैं-मैं हो रही है। आंदोलनकारियों का कहना है कि देश के आजादी के लिए लाखों शहीदों ने अपनी कुर्बानी दी है, हसते हसते फांसी पर चले गए उनका देश और देश की जनात की खुशहाली के बारे में बहुत बड़ा सपना था। आज राजनीति के कई लोगों ने सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता इसी सोच में उनका सपना मिट्टी में मिला दिया। वह सपना पूरा करने का इन आंदोलनकारियों की कोशिश है। हम पुलिस के डंडे खायेंगे इतना ही नहीं गोली भी खायेंगे लेकिन उन शहीदों का सपना पूरा करने की कोशिश करेंगे। मैं जब टीवी देख रहा था कि आंदोलनकारी पुलिस के सामने खड़ा है और पुलिस उसको एक जानवर की तरह डंडे से पीट रही थी लेकिन किसी भी आंदोलनकारी ने अपना हाथ नहीं उठाया। उस दृश्य को देखकर मुझे उन नव जवानों पर बड़ा गर्व महसूस हो रहा था और अनुभव कर रहा था कि देश में परिवर्तन का समय आ गया है। ऐसे परिवर्तन लाने के लिए यही रास्ता है, जो यह युवक कर रहे थे।

आजादी की दूसरी लड़ाई में सपफल होना है तो मार खाना पड़ेगा, लाठी खानी पड़ेगी। समय आ गया तो गोली भी खानी पड़ेगी। अब संपूर्ण परिवर्तन के लिए आजादी की दूसरी लड़ाई की शुरूआत हो गई है। उसका प्रदर्शन आंदोलनकारी युवकों ने किया है। इस प्रदर्शन से देश के युवकों को एक नई दिशा मिलेगी, नई प्रेरणा मिलेगी और दिल्ली की अहिंसक मार्ग से शुरू हुई आजादी की दूसरी लड़ाई की चिंगारी अब देश में फैल जाएगी और संपूर्ण परिवर्तन के तरफ यह आंदोलन जाएगा। मैं फिर से युवकों को आह्वान करता हूं कि राष्ट्रीय संपत्ती हमारी संपत्ती है, उसका कोई भी नुकसान ना हो रास्ते स गुजरने वाले सभी भाई बहन हमारे भाई बहन है, उनको तकलीफ ना हो, तकलीफ हमने सहन करनी है, आत्मकलेश हमने सहन करना है और उनकी वेदना ये जनता को होनी है। जैसे आज पुलिस वाले आंदोलनकारियों के पिट रहे थे लेकिन वेदना देश की जनता को हो रही थी।

आज के दिल्ली के आंदोलन का आदर्श देश के युवाओं को लेना है और आगे कोई भी हिंसा ना करते हुए अहिंसा के मार्ग से आंदोलन करना है। मुझे विश्वास हो रहा है कि आजादी की दूसरी लड़ाई में हम कामयाब हो जाएंगे। सभी आंदोलनकारियों का फिर से धन्यवाद्।

भवदीय,
कि. बा. उपनाम अण्णा हज़ारे

हमारा काम पूरा अब घेराव खत्मः अरविंद केजरीवाल


नई दिल्ली :  कोयला ब्लॉक आवंटन में घोटाले को लेकर इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) के कार्यकर्ताओं के घेराव के कारण रविवार सुबह और फिर दोपहर को दिल्ली के वीआईपी इलाकों में घमासान मचा रहा। अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, गोपाल राव, मनीष सिसौदिया और कुमार विश्वास रविवार अलसुबह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घरों का घेराव करने पहुंचे, तो पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग थाने ले गई। उन्हें हंगामे के बाद छोड़ दिया गया। जंतर-मंतर पर धरने के बाद एक बार फिर अरविंद समर्थकों ने घेराव शुरू किया। इस दौरान वीआईपी इलाकों में जमकर हंगामा हुआ।

अरविंद समर्थकों ने टुकड़ियों में बंटकर कांग्रेस मुख्यालय, पीएम आवास, बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर और संसद भवन की ओर कूच किया। पुलिस ने उन्हें रोका तो उन्होंने जमकर हंगामा किया। कुछ लोगों ने कांग्रेस मुख्यालय का बैरिकेड तोड़ दिया। पुलिस ने लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले छोड़कर उन्हें काबू में करने की कोशिश की। टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ जगह अरविंद समर्थकों ने पथराव भी किया। जवाब में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

केजरीवाल बोले काम पूरा, अब घेराव खत्म
पुलिस ने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया समेत कई लोगों को हिरासत में ले लिया। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज के घेराव के पीछे उनके दो मकसद थे। एक सरकार का पर्दाफाश करना और दूसरा कांग्रेस-बीजेपी की मिलीभगत को उजागर करना। उन्होंने कहा कि उनके दोनों मकसद पूरे हो गए हैं। इसके साथ ही केजरीवाल ने घेराव खत्म करने का ऐलान किया।


अपडेट @ 02.00PM
पुलिस ने कांग्रेस मुख्यालय के पास केजरीवाल समर्थकों पर लाठीचार्ज किया है। वहीं 7 रेसकोर्स रोड के पास समर्थकों पर आसूं गैस के गोले छोड़े हैं। पीएम आवास के पीछे भी आंसू गैस के गोले छोड़े गए हैं। वहीं IAC के कुछ कार्यकर्ता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घर के बाहर भी बैठ गए।

अपडेट @ 01.20PM
जंतर-मंतर से घेराव के लिए किया कूच
जंतर-मंतर पर धरने के बाद अन्ना हजारे के सहयोगियों अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास आदि ने समर्थकों के साथ एक बार फिर घेराव के लिए कूच किया। पीएम आवास और संसद भवन की ओर जाते कई कार्यकर्ताओं को पहले से मुस्तैद पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कई लोग पीएम आवास के बाहर से हिरासत में लिए गए। संसद भवन के आसपास भी कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया।

केजरीवाल समर्थकों पर पुलिस ने जमकर किया बल प्रयोग

नई दिल्ली - कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग रिपोर्ट के मद्देनजर प्रधानमंत्री आवास का घेराव करने के लिए अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों की भीड़ जब अकबर रोड पहुंची, तो उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए और तेज पानी की बौछार की गई। बाद में पुलिस ने वहां लाठीचार्ज भी किया, जिसकी जद में कुछ मीडियाकर्मी भी आ गए।

इसके बाद पुलिस ने केजरीवाल को तमाम समर्थकों सहित हिरासत में ले लिया और बस में बिठाकर वहां से उन्हें मंदिर मार्ग थाने ले जाने का प्रयास करने लगी, लेकिन समर्थक बस के आगे लेट गए और पुलिस को उन्हें हटाने में  मशक्कत करनी पड़ी। केजरीवाल ने कहा, मैं यहां बात करने आया था और मुझे गिरफ्तार कर लिया गया।

इससे पहले, अरविंद केजरीवाल के समर्थकों ने पुलिस घेरा तोड़ते हुए संसद परिसर में प्रवेश कर लिया और जमकर नारेबाजी की। सुबह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के घरों के बाहर प्रदर्शन कर रहे अरविंद केजरीवाल और उनके समर्थकों को हिरासत में लिए जाने के बाद रिहा कर दिया गया।

रिहा होने के बाद केजरीवाल अपने समर्थकों के साथ जंतर-मंतर पहुंच गए और उन्होंने अपने समर्थकों से जंतर-मंतर पर जुटने की अपील की और कहा है कि वह एक बार फिर पीएम, सोनिया और गडकरी के घरों का घेराव करेंगे। हिरासत में लिए जाने के बाद इन सभी को संसद मार्ग थाने लाया गया, वहां से दिल्ली पुलिस ने इन्हें बवाना ले जाने की कोशिश की, लेकिन समर्थकों के हंगामे के बाद इन सभी को रिहा कर दिया गया।

जंतर-मंतर पर केजरीवाल ने कोयला घोटाले के संबंध में प्रधानमंत्री से 11 सवाल और गडकरी से 10 सवाल पूछे और कहा कि देश की जनता को इसका जवाब दें। उन्होंने कहा, सारी पार्टियां आपस में मिली हुई हैं और राजनीतिक दल मिलकर देश को लूट रहे हैं।

केजरीवाल ने मांग की कि कोयले के सारे लाइसेंस रद्द किए जाएं। उन्होंने कहा, कोयला ब्लॉक आवंटन में प्रति टन के हिसाब से रिश्वत ली गई है, जिसकी रकम सवा लाख करोड़ रुपये तक पहुंचती है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि कोयला सचिव के बार-बार पत्र लिखने के बावजूद किन कारणों से उनकी बात नहीं मानी गई। उन्होंने बीजेपी, सीपीएम, बीजेडी के मुख्यमंत्रियों की गलत सलाह क्यों मानी।

सुबह में केजरीवाल और गोपाल राय को प्रधानमंत्री आवास के बाहर से हिरासत में लिया गया, जबकि मनीष सिसौदिया और और कुमार विश्वास कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास-10 जनपथ के बाहर से हिरासत में लिए गए।

संजय सिंह और अन्य लोग बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के आवास के बाहर से हिरासत में लिए गए। हिरासत में लिए गए लोग कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर अपने घेराव आंदोलन के तहत नेताओं के आवासों के बाहर जुटे थे।

कार्यकर्ताओं के एक प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने निषेधाज्ञा का उल्लंघन नहीं किया और एक स्थान पर केवल दो की संख्या में ही लोग एकत्र हुए। दिल्ली पुलिस ने शनिवार को निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए कार्यकर्ताओं को आगाह किया था कि वे इन स्थानों पर घेराव नहीं करें।

कोयला घोटाले के विरोध में इंडिया अगेंस्ट करप्शन की हुंकार


दिल्ली की आंख इस खबर से खुली कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की आवाज बनकर उभरे इंडिया अगेंस्ट करप्शन के वरिष्ठ कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, संजय सिंह और कुमार विश्वास को सरकार ने हिरासत मे ले लिया है. अरविंद केजरीवाल और गोपाल राय को प्रधानमंत्री आवास 7, रेसकोर्स रोड के सामने से सुबह 6.30 बजे हिरासत में ले लिया गया. वहीं मनीष सिसोदिया और कुमार विश्वास को सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ के सामने से और संजय सिंह को नितिन गडकरी के आवास 13 तीनमूर्ति लेन के सामने से हिरासत में ले लिया गया. अरविंद केजरीवाल ने हिरासत में लिए जाने के बाद प्रेस से बातचीत में कहा, “सड़क पर घूमना कौन से कानून का उल्लंघन है. हमें किन धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया यह बताने को कोई तैयार नहीं है. हम अपने नेताओं से शांतिपूर्ण तरीके से यह पूछने जा रहे थे कि जब देश के राजनीतिक दल कोई बंद या घेराव का आह्वान करते हैं तो सरकार उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करती है. आदर सत्कार करती है लेकिन जब देश की आम जनता अपना विरोध जताने की कोशिश करती है तो उसे रोकने के लिए मेट्रो रेल बंद कर दी जाती है. क्या देश में अब लोकतंत्र बचा नहीं?”

पुलिस ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सभी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग थाने में रखा था. अरविंद केजरीवाल को पुलिस घसीटते हुए मंदिर मार्ग थाने ले गई जबकि मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के साथ मारपीट की गई. पुलिस सभी लोगों को दिल्ली से बाहर ले जाना चाहती थी लेकिन कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण उसे सबको मुक्त करना पड़ा. इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सभी वरिष्ठ कार्यकर्ता हिरासत से निकलने के बाद जंतर-मंतर पहुंचे.

इंडिया अगेंस्ट करप्शन का नेतृत्व अपने संवैधानिक अधिकारो का प्रयोग करते हुए देश के शीर्ष नेताओं से यह पूछने गया था कि लोकतंत्र का गला क्यों घोंटा जा रहा है?  देश के दोनों बड़े दलों के नेताओं की मिलीभगत से हुए 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए के कोयला घोटाले के विरोध में हो रहे जनप्रदर्शन को रोकने के लिए मेट्रो रेल और एसएमएस को क्यों रोका जा रहा है? अरविंद केजरीवाल ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन की ओर से इस बात की गारंटी ली थी कि सारा प्रदर्शन एकदम शांतिपूर्ण होने वाला था फिर देश के नेता जनता की आवाज को दबाने के लिए क्यों तरह-तरह की चालें चल रहे हैं?

इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की मिलीभगत से हुए एक लाख 86 हजार करोड़ रुपए के कोयला घोटाले के विरोध में प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर का घेराव करने का आह्वान जनता से किया तो सरकार में खलखली मच गई. हताश सरकार ने दिल्ली पुलिस को इस जनविरोध को दबाने में लगाया था और पुलिस ने 26  अगस्त को दिल्ली मेट्रो को छह मुख्य मेट्रो स्टेशनों को बंद करने का हुक्म दिया था जिससे जनता इस विरोध प्रदर्शन में शामिल न हो सके.

सरकार के इस दमनकारी प्रयास से देश की जनता का हौसला कम नहीं हुआ है. जंतर-मंतर पर रविवार को प्रस्तावित कार्यक्रम पहले की तरह जारी रहेगा. सुबह 10 बजे से जनता जंतर-मंतर पर जमा होगी और उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी. देश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा की मिलीभगत से देश को 1.86 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है जनता इसका हिसाब मांगने सड़क पर जरूर उतरेगी. दिल्ली मेट्रो ने पहले की घोषणा के तहत जिन छह मेट्रो स्टेशनों को बंद रखने का फैसला किया था उसे वापस लेने की खबरें आ रही हैं.

पुलिस घेरा तोड़कर संसद परिसर में घुसे केजरीवाल के समर्थक


नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे और इंडिया अगेंस्ट करप्शन के समर्थकों ने जंतर मंतर पर लगी बैरिकेंडिंग को तोड़ (तस्वीर में) दिया है। बैरिकेडिंग तोड़ने के बाद अरविंद केजरीवाल समर्थकों के साथ संसद की तरफ बढ़ रहे हैं। 

वहीं, दूसरी तरफ तमाम सुरक्षा बंदोबस्त को धता बताते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और बीजेपी के मुख्यालय को घेर लिया। समर्थक पीएमओ के सामने सड़क पर लेट गए हैं। पुलिस और समर्थकों के बीच तीखी नोंक झोंक हो रही है। कुछ प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। हजारे समर्थकों ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए साउथ ब्लॉक स्थित पीएमओ और अशोक रोड स्थित बीजेपी कार्यालय को घेरा है। 

समर्थकों ने प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी के घर की तरफ जाने वालों रास्तों को सील किए जाने के बाद अपनी रणनीति बदली है। इससे पहले घेराव करने की कोशिश कर रहे अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों को पुलिस ने हिरासत में लेकर छोड़ दिया था। केजरीवाल और उनके साथियों को मंदिर मार्ग थाने के बाहर उनके समर्थकों ने जबरन पुलिस की गाड़ी से उतार लिया। गाड़ी से उतरने के बाद ये लोग जंतर मंतर पहुंचे।

कांग्रेस नेता जगदंबिका पाल ने कहा कि केजरीवाल की टीम की लड़ाई भ्रष्‍टाचार के खिलाफ नहीं, बल्कि कांग्रेस के खिलाफ थी। उन्‍होंने पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने के लिए देश की जनता को गुमराह किया। पाल ने कहा, 'टीम ने अन्‍ना हजारे को भी राजनीति में उतरने पर मजबूर कर दिया लेकिन जब अन्‍ना को लगा कि वे बंधक बन गए हैं तो घर बैठ गए।'

धरने के बाद फिर करेंगे पीएम और सोनिया का घेराव, पुलिस ने की नाकेबंदी


नई दिल्ली।। कोयला ब्लॉक आवंटन में घोटाले को लेकर पूर्व टीम अन्ना के संगठन इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) का प्रदर्शन शुरू हो गया है। अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, गोपाल राव, मनीष सिसौदिया और कुमार विश्वास रविवार अलसुबह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के
घरों का घेराव करने पहुंचे। पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग थाने ले गई और बाद में वहां हंगामे के बाद केजरीवाल और सिसौदिया को छोड़ दिया। IAC के कार्यकर्ता अब 10 बजे से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। उधर, आज 6 मेट्रो स्टेशन बंद करने का फैसला वापस ले लिया गया है।

अपडेट @ 11.34am
पुलिस ने की नाकेबंदी
उधर, अन्ना के सहयोगियों के पीएम, सोनिया गांधी और नितिन गडकरी के घेराव को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी है। जंतर-मंतर, अकबर रोड और 7 रेसकोर्स रोड पर जबर्दस्त नाकेबंदी की गई है।


अपडेट @ 11.00am
जंतर-मंतर पर धरना शुरू, घेराव के लेकर मतभेद 
जंतर-मंतर पर पूर्व अन्ना के सहयोगियों का धरना शुरू हो गया है। लोग धीरे-धीरे जंतर-मंतर पर जुट रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार कार्यकर्ताओं की टोपी बदली हुई नजर आ रही है। पहले जहां टोपी पर 'मैं अन्ना हूं' लिखा नजर आता था, वहीं अब टोपी पर 'मैं केजरीवाल हूं' लिखा हुआ है। उधर, बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को लेकर अरविंद केजरीवाल और किरन बेदी में मतभेद जाहिर होते दिख रहे हैं। किरन बेदी अभी तक जंतर-मंतर नहीं पहुंची हैं। उधर, अरविदं केजरीवाल ने भी कहा कि उनके और बेदी के बीच घेराव को लेकर मतभेद है।

अपडेट @ 9.17am
IAC के कार्यकर्ता जंतर-मंतर पर धरने के बाद शाम को एक बार फिर पीएम आवास, सोनिया गांधी और नीतिन गडकरी के घर का घेराव करेंगे। मनीष सिसौदिया ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए इसकी जानकारी दी।

अपडेट @ 8.40am
केजरीवाल जंतर-मंतर पहुंचे
पुलिस की हिरासत से छूटने के बाद केजरीवाल और सिसौदिया सीधे जंतर-मंतर पहुंचे। वहां केजरीवाल ने बताया कि तीन लोग प्रधानमंत्री और तीन सोनिया गांधी के घरों का घेराव करने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें गैरकानूनी तरीके से हिरासत में ले लिया गया। उन्होंने कहा कि हिरासत में पुलिस ने मनीष सिसौदिया को पीटा।

अपडेट @ 8.17am
पुलिस ने केजरीवाल, सिसौदिया को छोड़ा
समर्थकों ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया को ले जा रही जिप्सी को घेर लिया। हंगामे के बीच दोनों को जिप्सी से उतार दिया गया। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने केजरीवाल और सिसौदिया को रिहा कर दिया। मनीष सिसौदिया ने आरोप लगाया कि जिप्सी में पुलिस ने उनकी पिटाई की।

अपडेट @ 7.50am
मंदिर मार्ग थाने में बवाल
आईएसी के कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी के विरोध में मंदिर मार्ग थाने में बवाल कर दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस केजरीवाल , सिसौदिया और बाकी सदस्यों को बवाना ले जाने के लिए जिप्सी में बैठाया, लेकिन समर्थकों ने हंगामा कर दिया।

अपडेट @ 6.30am
केजरीवाल पीएम के घर के बाहर से अरेस्ट
अरविंद केजरीवाल को पीएम आवास के बाहर से हिरासत में लिया गया। कुमार विश्वास को 10 जनपथ से अरेस्ट किया गया। सभी को मंदिर मार्ग थाने ले जाया गया। केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें किस जुर्म में अरेस्ट किया गया है।

कुमार विश्वास ने गिरफ्तारी के बाद कहा कि उन्होंने धारा 144 नहीं तोड़ी है। उन्होंने सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक महिला की सुरक्षा के लिए मेट्रो बंद कर दी गई हैं और हजारों लोगों को परेशान किया गया है। गौरतलब है कि पुलिस ने प्रदर्शन को देखते हुए जंतर-मंतर को छोड़कर पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी थी।

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