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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

मायावती को कांग्रेस का 400 करोड़ का दिवाली उपहार प्यार के साथ!

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी की मुखिया मायावती पर कांग्रेस किस कदर मेहरबान है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण इलाके लुटियंस जोन में उन्हें तीन बंगले आवंटित किए गए हैं।

दिलचस्प बात यह है कि मायवती ने तीनों बंगलों को मिलाकर एक विशाल बंगला तैयार कराया है और सीपीडब्लूडी ने इसे बाकायदा मंजूरी भी दी है। इस नए बंगले का क्षेत्रफल 28800 वर्ग फुट है और इतना बड़ा बंगला किसी मंत्री के पास भी नहीं है।

बंगलों को इस तरह मिलाना गैरकानूनी है। इस नए बंगले में अनाधिकृत निर्माण किया गया है। फाइबर शीट की छतें बनाकर जगह घेरी गई है।

आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने सूचना के अधिकार के तहत इनके बारे में जानकारी मांगी थी। उन्हें बताया गया कि ये इकाई बहुजन प्रेरणा ट्रस्ट को दी गई थी।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी मायावती के भाई के ४०० करोड़ वापिस कर दिए हैं 

मोदी-राहुल दोनों PM पद के लिए अनफिट: अन्‍ना हजारे

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पीएम पद की उम्‍मीदवारी को लेकर जहां देश गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी की दावेदारियों के ऊपर बहस कर रहा है वहीं समाजसेवी अन्‍ना हजारे ने कहा कि इस पद के लिए दोनों ही फिट नहीं हैं.

जनतंत्र यात्रा को लेकर उत्तर भारत में जगह-जगह रैली कर रहे अन्‍ना हजारे ने कहा कि जनता को अधिकार होना चाहिए कि वह देश के प्रधानमंत्री चुन सके ना कि वह राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुना जाए.

उन्‍होंने कहा कि उनके द्वारा निकाली गई यह जनतंत्र यात्रा लोगों को नींद से जगाने के लिये है. हजारे ने कहा कि लोकसभा एक मन्दिर है और जनता की यह जिम्मेदारी है कि वे सही जनप्रतिनिधि को चुनकर संसद मे भेजे ताकि उसकी पवित्रता कायम रहे. जनता को जागना होगा तभी देश का भला हो सकता है.

उन्होंने कहा कि अभी हमें श्रेष्ठ भारत का निर्माण करना है. लोकसभा चुनाव में गुण्डे, माफिया, चोर, लूटेरे और भ्रष्ट नेता किसी भी स्थिति में जीत न पाये. इसके लिये जनता उन्हें अपनी वोट की ताकत का अहसास कराये और शहीद भगत सिह राजगुरू और सुखदेव के सपनों का भारत बनाये.

पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि देश की आजादी के 65 वर्ष के अन्तराल में देश की जनता के स्थिर मन को बदलने के लिये व्यवस्था में परिवर्तन करना होगा और इस परिवर्तन के लिये बहुत काम करना पडेगा.

सिंह ने कहा कि देश में बढ रहा भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह चाट रहा है, जिसका इलाज बेहद जरूरी है. इस देश की असली मालिक तो जनता है. लेकिन वह अपनी ताकत नहीं पहचान पाती और देश की बागडोर सही हाथों में नहीं सौंप पाती.

सिंह ने कहा कि अल्पमत हासिल करने वाला भी सांसद या विधायक बन जाता है यह व्यवस्था ठीक नही है इसे बदलने की आवश्यकता है.

देश के भ्रष्ट लोगों के खिलाफ लड़नी लड़ाई : अन्ना हजारे


आजादी की लड़ाई में शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव सिंह की अहम भूमिका रही है। उनके बलिदान से देश को आजादी मिली है। लेकिन देश के अंदर बैठे भ्रष्ट लोगों के खिलाफ एक लड़ाई ओर लड़नी है ताकि देश को बचाया जा सके। यह बात भ्रष्टाचार के खिलाफ जनआंदोलन छेड़ने वाले व समाजसेवी अन्ना हजारे ने कही। वे बुधवार को भिवानी रोड स्थित जनसेवा संस्थान में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इसके उपरांत उन्होंने पत्रकारवार्ता को भी संबोधित किया।

जनसेवा संस्थान के अध्यक्ष स्वामी परम चैतन्य की सेवाओं से प्रभावित अन्ना हजारे ने कहा कि इस प्रकार की सेवा की भावना से उन्हें भी सेवा करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होने कहा कि जनता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। उन्होंने कहा कि देश 66 वर्ष की स्वतंत्रता के बाद सेवा भाव मिट जाने से भ्रष्टाचार में लिप्त हो गया हेै। इस स्थिति के लिए किसको दोष दिया जाए। उन्होंने कहा कि आज सता से पैसा ओर पैसे से सता का चलन बढ गया है। अन्ना ने कहा कि राजनैतिक लोग चाहते है कि वे शमशान घाट पर भी राज सिंहासन पर बैठ कर जाएं। उन्होंने कहा कि अगर आमजन यही भावना मन में रखे की वे क्या ले कर आया है ओर क्या लेकर जाऐगा तो स्थिति में परिवर्तन आ सकता है। उन्होनें उपस्थित जनसमूह से आहवान किया कि वे भ्रष्टाचारी व असामाजिक तत्वों की न सुने ओर अपने वोट का सही प्रयोग करते हुए चरित्रवान को ही अपना मत दे। अन्ना हजारे ने कहा कि 1965 के युद्ध के समय उन्होंने निर्णय लिया था कि वे अपना बाकी का जीवन देश व समाज की सेवा में लगा देगें। उन्होनें कहा कि आज देश के अंदर छुपे हुए शत्रुओं से लड़ाई लड़नी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ते हुए छह भ्रष्ट मंत्रियों व 400 से अधिक अधिकारियों को घर बिठा दिया है ओर अब भी उनका संघर्ष जारी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि गांव-गांव जाकर इस विषय में लोगों को जागरूक करने का आहवान किया।

- अन्ना हजारे ने सत्ता व विपक्ष पर भी साधा निशाना

सत्ता व विपक्ष पर निशाना साधते हुए अन्ना ने कहा कि सभी राजनेताओं ने बीस हजार चंदा देने तक हिसाब न देने का बिल पास करा दिया क्योकि सभी माल हजम करने में एक है। काले धन को सफेद बनाने के लिए राजनैतिक दलों को यह राह बडी आसान लगती है। इससे पहले जनसेवा संस्थान में पहुचने पर अन्ना हजारे की टीम का जोरदार स्वागत किया गया। सभा स्थल मंच पर सभी आगुतक नेताओं ने भारत माता के चित्र के समक्ष द्वीप प्रज्ज्वलित करके जनसभा का शुभारंभ किया। जनसेवा संस्थान पब्लिक स्कूल के बच्चों ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत करके उपस्थित लोगो को भाव-विभोर कर दिया। सभा का संचालन जन जागरण समिति के अध्यक्ष स्वामी परम चैतन्य ने किया तथा संयोजक मेजर मेयर सिंह राठी ने सभी नेताओं व अतिथियों का स्वागत किया।

हार्ट अटैक के बजाए देश के लिए मरना बेहतर: अन्ना हजारे


फतेहाबाद : भ्रष्टाचार विहीन व्यवस्था लागू करवाने के लिए देश में आंदोलन चला रहे अन्ना हजारे चालीस वर्षो से घर नहीं गए हैं और न ही परिवार के बारे में ज्यादा जानकारी रखते हैं। उनके लिए सब कुछ देश है। यह खुलासा स्वयं अन्ना हजारे ने फतेहाबाद में जनसभा के दौरान किया।

अन्ना बोले जीवन में व्रत लिया है कि जबतक जीना है समाज और देश के लिए जीना है। मरना है तो भी देश के लिए ही। हार्ट अटैक से मरने से तो बेहतर है कि देश के लिए मरे। इसीलिए जान हथेली में लेकर घूम रहा हूं, नहीं पता घर के क्या हालात हैं। कहां पर बहन है और तीन भाई है, और उनके बच्चों के नाम भी पता नहीं हैं। मंदिर में रहता हूं। एक बिस्तर और एक प्लेट है। देश के लिए योजनाओं करोड़ों की बनाई हैं किंतु अपना बैंक बैलेंस नहीं है। लड़ते लड़ते 6 मंत्रियों के विकेट लिए हैं और 40 अफसरों को चलता कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में लड़ रहा था तो कपिल सिब्बल बोले बाहर के लोगों को कानून बनाने की कमेटी में क्यों लें? तब उन्होंने कहा कि जिन्हें बाहर के बता रहे हो वह सत्ता के मालिक हैं और फिर सरकार की लाइट जगी और कमेटी बनी।

4 मई से यात्रा का दूसरा पड़ाव शुरू

पूर्व थल सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने कहा कि जनतंत्र मोर्चा की जनतंत्र यात्रा में अपार भीड़ जुट रही है और यात्रा अपने मकसद में कामयाब हो रही है। यात्रा का दूसरा पड़ाव 4 मई से उत्तर प्रदेश से शुरू होगा। यात्रा राजस्थान व मध्य प्रदेश में भी जाएगी। वे आज फतेहाबाद में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि राजनीति में आने का कोई इरादा फिलहाल नहीं है। हालांकि कई पार्टियों से उन्हें ऑफर जरूर मिले हैं। उन्होंने कहा कि जनतंत्र मोर्चा का मकसद जनता को जगाने का है। जनता खुद फैसला करेगी किसे जिताना है। उन्होंने कहा कि सितंबर के प्रथम सप्ताह में दिल्ली में जन संसद बुलाई जाएगी। जिसमें एक बड़े परिवर्तन की शुरूआत नजर आएगी। नेताओं के साथ आने के संबंध में उन्होंने कहा कि जो नेता स्वार्थ छोड़ कर आना चाहे और चुनाव न लड़ने की शपथ लेगा उसे अपने साथ जोड़ेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हरियाणा में यात्रा के सफल होने से किसी को डर लग रहा है। इसीलिए यात्रा के कार्य में बाधा पहुंचाई जा रही है। कैथल में पोस्टर फाड़े गए हैं। वहीं सोनीपत में बैनर की मंजूरी नहीं मिली। लगता है प्रशासन को निर्देश कहीं से मिले हैं।

परमाणु के विरूद्ध खुलकर बोले जनरल

सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद परमाणु सयंत्र का विरोध करने पूर्व में भी गोरखपुर पहुंचे जनरल वीके सिंह ने एक बार फिर परमाणु सयंत्र की मुखालफत कर दी। जनरल ने कहा कि जमीन परमाणु सयंत्र के बदले अच्छा मुआवजा मिला। किसानों की बांछें खिल गई हैं। अच्छे मुआवजे से गाड़ियां आ गई। किंतु ये सब किसान के हित में नहीं है। बैलगाड़ी से सीधे गाड़ी में आने के नुकसान हैं। यह सब बाद में महसूस होगा। पैसा मिला है, खाना अच्छा मिलेगा। रहन सहन अच्छा होगा किंतु वो स्वच्छ हवा और तंदरुस्ती कहां से लाओगे जो गोरखपुर में है। उन्होंने कहा कि थर्मल पावर के कारण बठिंडा कैंसर कैपिटल बन गया है। वहीं कोटा परमाणु बिजली घर से शहर व आसपास का क्षेत्रफल स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि परमाणु सयंत्र के लगने से आम आदमी को लाभ नहीं बल्कि जो बाहर से सयंत्र मंगाकर यहां लगवाएंगे।

काले अंग्रेजों को सत्ता से करें बाहर: अन्ना हजारे


कैथल - अंग्रेज लुटेरे तो 150 साल तक लूटपाट करके चले गए और अब सत्ता जिन काले अंग्रेजों के हाथों में है वे उनसे कहीं ज्यादा लूट मचा रहे हैं। अब समय आ गया है कि घोटालों में संलिप्त केंद्र व राज्यों में भ्रष्ट सरकारों को उखाड़ फैंकें। यहां आयोजित जनसभा में सुप्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा कि जनतंत्र मोर्चा देशभर में नई जागृति पैदा कर रहा है और सो रहे लोगों को जगाने का काम कर रहा है।

अन्ना ने आरोप लगाया कि केंद्र के 2 मंत्रियों ने उनकी हत्या करवाने के लिए 30 लाख रुपए की सुपारी दी थी लेकिन सुपारी लेने वालों ने मेरी हत्या करने से मना कर दिया।

पद्मसिंह पाटिल (एनसीपी नेता) ने दी मेरे नाम की सुपारीः अन्ना हजारे


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यमुनानगर। गांधीवादी समाजसेवी अन्‍ना हजारे की जान को खतरा है और किसी उन्‍हें मारने की सुपारी भी दे डाली है। जी हां इस बात का खुलासा खुद अन्‍ना हजारे ने किया है। अन्‍ना हजारे ने कहा है कि उनकी जान को खतरा है और महाराष्‍ट्र के एक नेता ने उनकी हत्‍या की सुपारी दे डाली है। अन्‍ना ने एनसीपी के नेता पर सुपारी देने का आरोप लगाया है। देशव्‍यापी जनयंत्र यात्रा पर निकले अन्‍ना हजारे ने हरियाणा के यमुनानगर में इस सनसनीखेज बात का खुलासा किया। अन्‍ना हजारे ने कहा कि एनसीपी का एक नेता उनकी जान के पीछे पड़ा है। अन्‍ना हजारे के इस खुलासे के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया है। जनतंत्र यात्रा में जनसैलाब को संबोधित करते हुए अन्‍ना हजारे ने कहा कि एनसीपी नेता पद्मसिंह पाटिल से उनकी जान को खतरा है। 

उन्‍होंने कहा कि मेरे आंदोलनों से कुछ लोगों के मान को धक्का पहुंचता है। अगर जनता की राय लेकर कानून नहीं बनाया जाता है तो अंग्रेजों और मौजूदा सरकारों में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। मालूम हो कि इससे पहले भी अन्‍ना हजारे की जान पर खतरे की खबरें आती रहीं हैं। बीते साल अक्‍टूबर में गृहमंत्रालय को उसकी ऐजेंसी ने खबर दी थी कि समाज सेवी अन्ना हजारे की जान को खतरा है। उन्हें सुरक्षा की जरूरत है। अगर वो सुरक्षा मांगेगे तो उन्हें दी जायेगी। मगर उस वक्‍त अन्‍ना हजारे ने सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया था। 
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केजरीवाल जल्‍द अनशन तोड़ देंगे: अन्‍ना

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नई दिल्ली: दिल्ली में बिजली और पानी के बढ़े हुए बिलों के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल का अनिश्चितकालीन अनशन आज 11वें दिन भी जारी है।  ‘आप’ के सूत्रों ने बताया कि बिजली और पानी के बढ़े बिल न देने की सविनय अवज्ञा की केजरीवाल की अपील का असर राजधानी वासियों पर बढ़ता जा रहा है, लेकिन केजरीवाल का अनशन जारी रहने से उनकी सेहत कमजोर होती जा रही है।

सोमवार को केजरीवाल का काफिला मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर रवाना हो रहा था, लेकिन पुलिस ने काफिले को भैरों मार्ग में रोका दिया। जिस कारण पु‍लिस और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई।  आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री पर बड़े उद्योगपति से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि  फिलहाल केजरीवाल का अनशन जारी रहेगा।

अन्ना हजारे  ने सोमवार को पंजाब के मोगा में कहा कि केजरीवाल आने- वाले दो-तीन दिन में अनशन तोड़ देंगे। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने ने कहा कि केजरीवाल और उनकी राह भले ही अलग हो गई हो, लेकिन मंजिल एक ही है। इसके साथ ही उनका कहना था कि केजरीवाल जल्द ही अनशन तोड़ेंगे।

सरकार पर नहीं, जनशक्ति पर भरोसा: अन्ना

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अन्ना हज़ारे जनतंत्र यात्रा


सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने रविवार से अमृतसर के जलियांवाला बाग़ से अपनी ‘जनतंत्र यात्रा’ की शुरुआत कर दी है.

अन्ना हज़ारे ने स्पष्ट किया है कि उनके नेतृत्व वाला जनतांत्रिक मोर्चा चुनावी मैदान में नहीं उतरेगा लेकिन अगले लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश की आम जनता को जागरुक बनाने की उनकी मुहिम जारी रहेगी.

इस यात्रा का आयोजन मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ और मज़बूत लोकपाल विधेयक लाने के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से किया जा रहा है.

"आम लोगों को जन लोकपाल विधयेक जैसे मुद्दों पर जागरुक करने की जरुरत है. देश में बदलाव तभी होगा जब आम आदमी इस आंदोलन से जुड़ेगा."
अन्ना हजारे, जनतंत्र यात्रा की शुरुआत से पहले

इस यात्रा के दौरान अन्ना अपने समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ देश की जनता को जागरुक करने की कोशिश करेंगे.

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'त्रस्त है आम आदमी'

अमृतसर में अन्ना हज़ारे ने मीडिया से कहा, “आम लोगों को जन लोकपाल विधयेक जैसे मुद्दों पर जागरुक करने की ज़रुरत है. देश में बदलाव तभी होगा जब आम आदमी इस आंदोलन से जुड़ेगा.”

अन्ना हज़ारे ने ये भी कहा है कि देश की जनता मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से त्रस्त हो चुकी है.

उन्होंने कहा, “देश के आम लोग भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था से त्रस्त हैं. इसमें बदलाव तभी होगा जब आम जनता एक मंच पर आकर बदलाव की मांग करेगी.”

अन्ना हज़ारे के मुताबिक़ जनतंत्र यात्रा का अंतिम उद्देश्य है आम लोगों को ये बताना कि उनमें सरकारों को उखाड़ फेंकने की ताक़त है.

जन संसद का आयोजन

इस यात्रा के दौरान आम लोगों को भ्रष्टाचार, लोकपाल के अलावा चुनाव सुधार और जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के प्रावधानों के बारे में भी बताया जाएगा.

अन्ना हज़ारे ने इस यात्रा को समर्थन देने के लिए सभी राजनीतिक दलों को ख़त भेजा था, लेकिन अभी तक कोई राजनीतिक पार्टी इस यात्रा में शामिल होने के लिए सामने नहीं आई है.

जलियांवाला बाग़ से शुरू जनतंत्र यात्रा के तहत पंजाब में अन्ना हज़ारे आठ सार्वजनिक रैलियों को संबोधित करेंगे. ये यात्रा व्यास और कपूरथला होते हुए जालंधर पहुंचेगी.

निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक पांच महीने बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल जन रैली का आयोजन प्रस्तावित है. इसे जन संसद का नाम दिया गया है.

केजरीवाल से मिले अन्ना, अनशन खत्म करने की अपील की


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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार द्वारा बिजली और पानी की कीमतों को बढ़ाए जाने के खिलाफ पिछले सात दिनों से अनशन पर बैठे अरविंद केजरीवाल से शुक्रवार को उनके पुराने साथी और समाजसेवी अन्ना हजारे मिलने पहुंचे। उन्होंने केजरीवाल से अनशन खत्म करने की अपील भी की। इससे पहले श्रीश्री रविशंकर भी उनसे इस तरह की ही अपील कर चुके हैं।

कल देर रात दिल्ली की सुंदर नगरी कालोनी में अनशन पर बैठे केजरीवाल से अन्ना की मुलाकात बेहद औपचारिक तरीके से हुई। अन्ना ने कहा अब सभी के एक साथ चलने का समय आ गया है चाहे वह रामदेव हों या और कोई। उन्होंने कहा कि केजरीवाल और उनकी राहें भले ही अलग हों लेकिन उनकी मंजिल एक ही है, जहां एक दूसरे की जरूरत पड़ेगी हम साथ देंगे।

अन्ना ने कहा कि सरकार चाहती है कि आंदोलनकारियों की मौत हो जाए, लेकिन अब लोग जागरूक हो रहे हैं। बेहतर होगा कि केजरीवाल अनशन खत्म करें और जल्द स्वस्थ्य होकर लंबी लड़ाई के लिए फिर तैयार होकर मैदान में उतरें। अन्ना ने कहा कि वह शनिवार को जलियांवाला बाग से अपना जागरूकता अभियान शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव की घोषणा होते ही वह दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन शुरू करेंगे।

इससे पूर्व केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को खुले मंच पर आकर बहस करने की चुनौती दे डाली। उन्होंने आरोप लगाया कि शीला दीक्षित ने दो विदेशी कंपनियों को सस्ती दरों में पानी देने का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। उन्होंने कहा कि वह डॉक्युमेंट्स के दम पर साबित कर सकते हैं कि शीला दीक्षित के दावे झूठे हैं। शीला दीक्षित ने कहा था कि जनता 24 घंटे बिजली इस्तेमाल करके सिर्फ 8 घंटे का बिल नहीं दे सकती।

केजरीवाल को नहीं मिलेगा अन्‍ना हजारे का साथ

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नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल से उनके अनिश्चितकालीन उपवास में शामिल होने के लिए न्यौता मिलने के कई दिन बाद गुरुवार को अन्ना हजारे ने कहा कि वह प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि उनका दलगत राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।

जालियांवाला बाग से 31 मार्च से अपनी राष्ट्रव्यापी यात्रा शुरू करने की घोषणा करने के लिए यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस सप्ताह के शुरू में केजरीवाल उनके पास आए थे और उपवास से पहले उनका आशीर्वाद मांगा था तथा आने का न्यौता दिया था।

हजारे ने कहा, ‘‘हम पहले ही कह चुके हैं कि हम किसी दल के साथ नहीं हैं और हम चुनाव लड़ने नहीं जा रहे। मैं 23 मार्च को (केजरीवाल के उपवास में) नहीं जा रहा।’’ सोमवार को रालेगण सिद्धि में हजारे से भेंट करने के बाद केजरीवाल ने कहा था कि इस सप्ताहांत केा सुंदर नगरी में उनके प्रदर्शन में शामिल होने पर वह सहमत हो गए हैं।

जब हजारे से पूछा गया कि क्या वह 23 मार्च के बाद जाएंगे तब उन्होंने कहा कि यदि उनके पास समय रहा तो वह देखेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘अन्य लोगों से बातचीत करने में कोई बुराई नहीं है।’’

हजारे और पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने कहा कि जनतंत्र मोर्चा के कार्यकर्ता व्यवस्था में संपूर्ण बदलाव लाने की जरूरत के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए 31 मार्च को जालियांवाला बाग से राष्ट्रव्यापी यात्रा शुरू करेंगे। पंजाब और हरियाणा होते हुए यात्रा का पहला चरण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 17 अप्रैल को समाप्त होगा।

हजारे ने कहा कि इस दौरान तीन राज्यों में 34 सभाएं होगीं। सिंह ने कहा कि पहले चरण के बाद 13 दिन का अंतराल होगा और फिर उसके बाद यात्रा चालू होगी एवं इस दौरान राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड जनसभाएं की जाएंगी।

नेताओं पर हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा, ‘‘निहित स्वार्थी तत्व की वजह से संसद में प्रदर्शन होते हैं।’’

अरविंद केजरीवाल की भूख हड़ताल में शामिल होंगे अन्ना

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समाजसेवी अन्ना हजारे 23 मार्च से शुरू हो रहे अरविंद केजरीवाल के अनिश्चितकालीन अनशन में साथ देने के लिए एक बार फिर मंच साझा कर सकते है.
जी हां, खबरों के मुताबिक काफी समय से अलग हुए समाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल एक बार फिर साथ होंगे.

अरविंद का सरकार पर फिर हल्ला-बोल

अरविंद केजरीवाल 23 मार्च से दिल्ली में प्राइवेट बिजली कंपनियों के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन करने वाले हैं. अरविंद के इस अनशन के दौरान समाजसेवी अन्ना हजारे के शामिल होने की खबर है. 

सूत्रों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल सोमवार को अन्ना हजारे से मिलने गए थे. उन्होंने अन्ना से दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन में शामिल होने का आग्रह किया.
अन्ना भी करेंगे अनशन

अन्ना हजारे ने यह आग्रह मान लिया है और आम आदमी पार्टी के बैनर तले हो रहे इस भूख हड़ताल में वह भी एक दिन का अनशन कर सकते हैं. उन्होंने अरविंद को अनशन में आने का भरोसा देते हुए कहा कि उनका समर्थन पार्टी को नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल को है. 

गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिकल पार्टी बनने के बाद इनके बीच दूरियां आ गई थी. 

आरविंद केजरीवाल के राजनीति में आने और राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद से अन्ना और केजरीवाल के बीच तनाव आ गया था और दोनों अलग हो गए थे, लेकिन अनशन के बहाने दोनों के बीच एकबार फिर से नजदीकियां बढ़ने लगी है.

वहीं अन्ना और अरविंद के बीच घटती दूरियां सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है.

विश्‍वास की कमी के चलते छोड़ा अन्‍ना का साथ : अरविंद केजरीवाल


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नई दिल्‍ली - इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन के पूर्व कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने अन्‍ना हजारे से अपने अलग होने के कारणों का खुलासा करते हुए कहा है कि हमारे बीच विश्‍वास की कमी हो गयी थी। जिसके कारण हम दोनों के रास्‍ते अलग हो गये। केजरीवाल ने हेडलाइन्‍स टुडे चैनल को दिये गये साक्षात्‍कार में कहा कि मैं नहीं जानता हूं कि अन्‍ना ने मुझे राजनीतिक रूप से महत्‍वाकांक्षी होने की बात क्‍यों‍ कही, जबकि उन्‍होने कुछ दिनों पहले ही मेरे लिए प्रचार करने की बात कही थी। गौरतलब है कि अन्‍ना हजारे ने कहा था कि अगर वह(अरविंद केजरीवाल) कपिल सिब्‍बल के खिलाफ चुनाव में खड़े होते हैं तो वह केजरीवाल के लिए खुद प्रचार करेंगे।

केजरीवाल का कहना है कि मैं अन्‍ना को समझ नहीं सका था कि वह क्‍या करना चाह रहे है। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल लाने के लिए हुए आंदोलन में केजरीवाल पहले अन्‍ना के साथ ही थे। आंदोलन की शुरूआत अप्रैल 2011 में हुई थी।

केजरीवाल ने स्‍वामी अग्निवेश द्वारा लगाये गये आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह आरोप निराधार हैं कि मैं चाहता था 'अनशन के दौरान अन्‍ना की मृत्‍यु हो जाये।' अगर उन्‍हें (अग्निवेश) कभी ऐसा लगा हो तो उनको यह बात किरन बेदी से या प्रशांत भूषण से बतानी ही चाहिए थी। मैं अन्‍ना की बहुत इज्‍जत करता हूं।
अपनी 'आम आदमी पार्टी' के बारे में केजरीवाल ने कहा है कि हम दिल्‍ली चुनाव के लिए जल्‍द ही प्रचार करेंगे और देखना चाहते हैं कि लोग हमारी पार्टी को कितना समर्थन देते हैं। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ हम पहले की तरह ही आंदोलन करते रहेंगे।

मजबूत लोकपाल न आने पर आंदोलन करेंगे अन्ना


गडव। समाजसेवी अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिए केंद्र सरकार को मई तक का वक्त देते हुए आरोप लगाया कि इस विधेयक को पारित करने मे वित्त मंत्री पी चिदंबरम को कोई दिलचस्पी नहीं है।

अन्ना ने कर्नाटक के गडव यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि लोकपाल विधेयक को पारित करने में चिदंबरम ही नहीं बल्कि पूरी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यूपीए सरकार को ही कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मई तक उस विधेयक को पारित नहीं करती है तो वह विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।

जनतंत्र मोर्चा नहीं लड़ेगा चुनाव: अन्‍ना हजारे


नई दिल्ली - सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा है कि उनका नवगठित ‘जनतंत्र मोर्चा’ राजनीतिक दल नहीं बनाएगा और ना ही चुनाव लड़ेगा। हजारे ने कहा कि जनतंत्र मोर्चा का मुख्य उद्देश्य संघर्ष होगा और वे पार्टी का ध्यान किए बिना केवल अच्छे उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। 

अन्‍न हजारे ने कहा कि जनतंत्र मोर्चा कोई चुनाव नहीं लड़ेगा या कोई राजनीतिक दल नहीं बनाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य संघर्ष होगा। हम पार्टियों का ध्यान किये बिना अच्छे उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। उन्होंने एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि उम्मीदवार का चरित्र अच्छा होना चाहिए, उसका पिछला रिकार्ड अच्छा होना चाहिए और अच्छी छवि होनी चाहिए। हजारे ने कहा कि यदि उनकी साथी पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी चुनाव लड़ती हैं तो वह उन्हें अपना समर्थन नहीं देंगे।

अम्बाला से भ्रष्टाचार का बिगुल फूंकेंगे 'अन्ना'

चंडीगढ़ : देशभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ डंका बजाने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे अब हरियाणा में भ्रष्टाचार का बिगुल बजाएंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार अगले महीने 4 अप्रैल को अम्बाला से अन्ना का हरियाणा दौरा शुरू होगा,जो 10 अप्रैल को सोनीपत में खत्म होगा। अन्ना की इस मुहिम में इस बार अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी नहीं रहेंगे,बल्कि योग गुरु स्वामी रामदेव, जनरलवी.के.सिंह,एन.गोविंदाचार्य व डा.भीमराव अम्बेदकर के पौत्र प्रकाश अम्बेदकर भी हुंकार भरेंगे। अन्ना के दौरे को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। 

इसमें पानीपत में दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के अध्यक्ष एडवोकेट सतबीर हुड्डा की अगुवाई में समान शिक्षा रैली को भी संबोधित करेंगे।  बता दें कि भ्रष्टाचार की लड़ाई शुरू करने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे का हरियाणा दौरा बीते फरवरी महीने में प्रस्तावित था लेकिन किन्हीं कारणों से अब यह 4 अप्रैल से शुरू होगा। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार अन्ना हजारे 4 अप्रैल की दोपहर को अम्बाला शहर से अपने मिशन का आगाज करेंगे। उसके बाद यमुनानगर,जगाधरी व कुरुक्षेत्र में लोगों को भ्रष्टाचार की लड़ाई में साथ देने का आग्रह करेंगे।  5 अप्रैल को अन्ना हजारे की सभा करनाल के तरावड़ी,नीलो खेड़ी, घरौंडा,करनाल शहर होते हुए पानीपत में समान शिक्षा रैली में भाग लेेकर जींद में रात्रि ठहराव करेंगे।

 6 अप्रैल को मिर्चपुर,बरवाला, अग्रोहा, फतेहाबाद,ढींग मंडी होते हुए सिरसा पहुंचेंगे। 8 अप्रैल को दादरी, नारनौल,महेंद्रगढ़, अटेली व रेवाड़ी में लोगों को सरकार में फैले भ्रष्टाचार के बारे में बताएंगे। इसी तरह से अन्ना हजारे 9 अप्रैल को पटौदी, मेवात, नूंह, सोहना व गुडग़ांव में लोगों को संबोधित करने के साथ ही 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के क्षेत्र झज्जर,गोहाना,रोहतक व सोनीपत में भ्रष्टाचार के कारनामों का खुलासा करेंगे।  अन्ना के हरियाणा दौरे की कमेटी में शामिल एडवोकेट सतबीर हुड्डा की मानें तो अन्ना के दौरे का मकसद लोगों को भ्रष्टाचार की लड़ाई में शामिल करना है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में जिस तरह से भ्रष्टाचार व घोटाले उजागर हुए हैं, उससे हरियाणा की साख काफी गिरी है। इन्हीं मुद्दों पर राज्य की जनता को जागरुक किया जाएगा।

women's day 2013 : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर क्या महिला शुरक्षित है ??

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भारतीय संस्कृति मातृ-प्रधान संस्कृति रही है। इस नाते पारिवारिक दायरे से लेकर सांस्कृतिक प्रभावों में देश की महिलाओं का वर्चस्व बना रहा है। पौराणिक दृष्टि से देखें तो हमारी प्राचीन संस्कृति में नारी की महत्ता सदैव अप्रतिम मानी गई है। यानी हम कह सकते है-"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता" (जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।) 

मौजूदा दौर में हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाकर भी इनकी गरिमा को याद रखा करते हैं। विश्वव्यापी तौर पर आठ मार्च को प्रतिवर्ष हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हम मनाते हैं और इस सदी में इनके योगदान की मीमांसा करते हैं। लेकिन, व्यापक परिप्रेक्ष्य में आज भी हमारे सामाजिक दायरे में ऐसी विसंगतियां देखने को मिल जाती हैं, जो इनकी गरिमा के विपरीत रहा करती है। ऐसी प्रवृत्ति हमारी दकियानूसी सोच का ही अभिप्राय है। 

अगर ऐसा न होता तो जिस दिन सारी दुनिया में जहां महिला दिवस मनाया जा रहा था। उसी दिन महिलाओं को उत्पीड़ित किए जाने से लेकर उनकी हत्या तक के मामले घटित नहीं होते। जिस महिला दिवस को आधी दुनिया या आधी आबादी के रूप में हम आंकते रहे हैं, उसी आधी दुनिया में विसंगतियों का ऐसा जंजाल आज तक क्यों नहीं मिट पाया है? इस बात का जवाब दिया जाना वाकई टेढ़ी खीर है?

सच्चाई का दायरा तो वास्तव में महिलाओं की अकूत श्रमशीलता, गृहस्थ धर्म, पारिवारिक संस्कार और जीवनदर्शन के तमाम गुणों की अवधारणा पर निर्भर करता है। अंग्रेजी के एक विद्वान का यह कथन कितना सटीक हैः ' टू टीच ए मैन इज इक्वल टू टीच ए मैन, बट टू टीच ए वुमन इज इक्वलेंट टू टीच ए फैमिली" (एक मानव को शिक्षा देना, एक मानव को शिक्षा देने के बराबर है, लेकिन एक महिला को शिक्षा देना, पूरे परिवार को शिक्षा देने के बराबर है।) स्पष्ट है कि महिला का पारिवारिक दायरे में जो योगदान होता है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसीलिए हमारी संस्कृति को मातृ-प्रधान इसलिए माना गया है। 

अफसोस की बात यह है कि आज अपने परिवर्तित दायरे में हम एक दिन तो देश के नारीत्व के नाम समर्पित कर देते हैं। लेकिन, इसके अनुपालन में हमारा समाज उतना तवज्जो नहीं देता जितना उसे देना चाहिए। इन सारी विसंगतियों के पीछे जो मूल कारण है, वह वाकई त्रासदीपूर्ण है। 

चूंकि, राष्ट्रीय परिवेश में जब हम अपने संचार साधनों की समीक्षा करते हैं तो यह साफ जाहिर हो जाता है कि हम अपनी संस्कृति को इस दायरे में कोई महत्व नहीं दे रहे हैं। दूरदर्शन, रेडियो, साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हमें जिस तरह की ऊर्जा मिलनी चाहिए वैसी ऊर्जा आज नहीं मिल पा रही है। इसके पीछे जो तथ्य छिपे हैं, उसकी गंभीरता को समझना चाहिए। 

टेलीविजन के जरिए हमें जो कुछ परोसा जा रहा है उस दिशा में न तो संस्कृति विभाग ही ध्यान दे रहा है और न ही मानवीय गतिविधियों से जुड़े सांस्कृतिक संगठन ही। यदि इसी तरह हमने अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली तो न जाने हमारे मानवीय दायरे में किस तरह का भूचाल नहीं आ जाएगा? इसकी चिंता न करते हुए हम यदि इसे सहजतौर पर टालते जाएंगे तो निश्चित तौर पर यह हमारी सभ्यता और संस्कृति को कालिख मलने से चूकेगा नहीं। 


दरअसल, शैक्षणिक संस्थाओं को इस संदर्भ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। यदि हम अपने नौनिहालों को प्रारब्ध की शिक्षा में अपने दायित्व से काट कर रखेंगे तो उनमें परिवर्तन कहां आ पाएगा। यही वह उम्र है जहाँ हम इन नौनिहालों को संस्कारित कर सकते हैं। ऐसा किया जाना अपनी सभ्यता को शिखर तक पहुंचाना ही है।

सात दिनों तक हरियाणा में यात्रा निकालकर क्रांति का आगाज करेंगे अन्ना


लोकपाल के लिए लड़ाई लड़ने वाले प्रमुख समाजसेवी अन्ना हजारे हरियाणा में यात्रा निकालकर क्रांति का आगाज करेंगे। अन्ना की यात्रा राज्य में 4 अप्रैल से शुरू होगी और 11 अप्रैल को उत्तरप्रदेश की ओर रुख करेगी। अन्ना की जनतंत्र यात्रा का कार्यक्रम सोमवार को गुड़गांव के मैत्री भवन में आयोजित बैठक में लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता पूर्व थल सेना अध्यक्ष वीके सिंह ने की।

अन्ना के प्रदेश टीम के सदस्य सुभाष पूनिया ने बताया कि अन्ना की यात्रा पंजाब में पहली अप्रैल से शुरू होगी और 3 अप्रैल तक पंजाब में ही यात्रा जारी रहेगी। हरियाणा में यह यात्रा 4 अप्रैल को सुबह सबसे पहले राजपुरा में प्रवेश करेगी। इसके बाद अंबाला, यमुनानगर के रास्ते कुरुक्षेत्र पहुंचेगी और रात्रि पड़ाव भी कुरुक्षेत्र में ही होगा। 5 अप्रैल को यात्रा कुरुक्षेत्र से करनाल की ओर रुख करेगी तथा पानीपत के रास्ते जींद पहुंचेगी तथा अन्ना रात्रि को जींद में ही रुकेंगे। 6 अप्रैल को बरवाला, अग्रोहा फतेहाबाद के रास्ते यात्रा सिरसा पहुंचेगी। 7 अप्रैल को सिरसा से चौपटा, भट्टूकलां, आदमपुर व हिसार होते हुए रात्रि पड़ाव भिवानी में होगा। 8 अप्रैल को यात्रा दादरी, नारनौल के रास्ते रेवाड़ी पहुंचेगी। 9 अप्रैल को यात्रा मेवात के रास्ते गुड़गांव के लिए निकलेगी और रात्रि ठहराव भी गुड़गांव में होगा। 10 अप्रैल को यात्रा झज्जर, रोहतक के रास्ते सोनीपत पहुंचेगी। अगले दिन सोनीपत से यात्रा उत्तरप्रदेश के लिए रवाना होगी। सुभाष पूनिया ने बताया कि 25 मुद्दों को लेकर की जा रही है और इन मुद्दों पर जनता के बीच अन्ना अपनी बात रखेंगे।

अरविन्द केजरीवाल के समर्थन में अन्ना

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लोकायुक्त ही नहीं ला पाए तो कैसे बन पाएंगे मोदी पीएम : अन्ना हजारे

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नई दिल्ली - भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल के मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा। वहीं लोकायुक्त के बहाने अन्ना ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। अन्ना ने सवाल उठाया कि नरेंद्र मोदी गुजरात में तो लोकायुक्त कानून नहीं बना पाए, तो कैसे भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बना पाएंगे। वो कैसे पीएम बनेंगे।

अन्ना ने सरकार को भी घेरते हुए कहा कि सरकार ने ऐसा क्यों कहा कि हर राज्य में लोकायुक्त होगा। गरीब को हर जगह करप्शन देखना पड़ता, देश में गरीब लोगों को न्याय नहीं दिलाते तो फिर जनलोकपाल का क्या मतलब है। अब सरकार कह रही है कि सीबीआई भी लोकपाल के दायरे में नहीं आएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार और नेताओं से उन्हें कोई अपेक्षा नहीं है। जनता को अपने प्रतिनिधि भेजने पड़ेंगे। मैं डेढ़ साल घूमता रहूंगा और बताऊंगा कि सरकार ने किस तरह झूठ बोला। सोनिया ने लिखा है कि हमने जनलोकपाल संसद में रखा है। मैंने उनको लिखा कि क्या इसमें सीबीआई, सीवीसी है? जब तक इनपर सरकार का कंट्रोल है तब तक कैसा लोकपाल। मैंने सोनिया को लिखा है कि सत्ता जहर नहीं, नशा है।
अन्ना ने कहा कि हमने तय किया है कि मैं डेढ़ साल तक घूमूंगा, गरीबों को न्याय दिलाउंगा। जनरल वीके सिंह भी साथ रहेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो आम चुनाव से पहले रामलीला मैदान में भी बैठूंगा। उन्होंने कहा कि कानून विधानसभा या संसद में बनता है। लेकिन कानून का ड्राफ्ट जनता के साथ मिलकर बनाना चाहिए। जनता को अपने लोग भेजने चाहिए, ताकि सशक्त कानून बन सके।

सरकार दे रही धोखा, फिर करूंगा अनशन: अन्ना

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भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि लोकपाल बिल के नाम पर सरकार शुरू से धोखा देते आई है. अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो अपने वादे से मुकर गए हैं.

लोकपाल बिल पर अन्ना हजारे ने कहा है कि सरकार ने कैबिनेट के सामने जो ड्राफ्ट रखा है, वह हमारा नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जनलोकपाल पर जो भी आश्वासन दिए, वे पूरे नहीं किए. सरकार ने हमें धोखा दिया है.

अन्ना ने आगे कहा कि सीबीआई और सीवीसी लोकपाल के दायरे में आने चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि लोकपाल को लेकर ज्वाइंट कमेटी बनाई गई थी, उसका क्या हुआ.

अन्ना ने सोनिया गांधी पर निशाना साधा, 'सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी से कहा था कि सत्ता जहर है. मैंने उनसे पूछता हूं कि अगर ऐसा है तो हर कोई इसके पीछे क्यों भागता है. सत्ता जहर नहीं नशा है.'

नरेंद्र मोदी के पीएम पद की उम्मीदवारी के बारे में अन्ना हजारे ने कहा, 'नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री पद के लिए सही नहीं हैं. नरेंद्र मोदी ने गुजरात में लोकायुक्त नहीं बनने दिया था.' वहीं राहुल गांधी के बारे में अन्ना बोले, 'परिवारवाद देश के लिए बहुत घातक है. देश को चलाने के लिए उनके पास कोई अनुभव नहीं है.' वहीं किरण बेदी के नए लोकपाल बिल के समर्थन के बारे में अन्ना ने कहा, 'अगर वो ऐसा कर रही हैं तो इसका मतलब उन्हें इसके बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है.'

अरविंद केजरीवाल की पार्टी को समर्थन देने के सवाल पर अन्ना ने कहा, 'अगर केजरीवाल चुनाव लड़ेंगे तो मैं उनका समर्थन नहीं करूंगा. मैं सिर्फ अच्छे इंसानों का समर्थन करूंगा. पहले मैं उनका समर्थन कर सकता था लेकिन अब उनकी पार्टी के लोगों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं.'

अन्ना ने कहा, 'अगर जरूरत पड़ी तो मैं एक बार फिर से अनशन करूंगा. मैं पूरे देश का भ्रमण करके लोगों को जागरुक करूंगा.'

आप सत्ता में आयी तो भ्रष्ट मंत्रियों को 6 माह में जेल

फिल्म 'सत्याग्रह' में रियल अन्ना बने अमिताभ

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इन दिनों अमिताभ बच्चन भोपाल में फिल्म 'सत्याग्रह' की शूटिंग कर रहे हैं। गौरतलब है कि जब बिग बी को एक प्रोटेस्ट का सीन शूट करना था, तो बिग बी सच में ही आंदोलनकारी बन गए।

हुआ यूं कि बिग बी और उनके साथ के बाकी लोगों को एक प्रोटेस्ट का सीन करना था। कुछ दूरी पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की हुई थी, जो कि वॉटर कैनन लिए हुए थी। जैसे ही पुलिस ने प्रोटेस्टे करने वालों को रोकना चाहा, तो अमिताभ के अंदर कुछ ज्यादा ही जोश आ गया और पुलिस उन्हें रोक ही नहीं पाई। उन्हें देखकर तो यही लग रहा था कि वह सच में प्रोटेस्ट करने आए हैं।

आपको बता दें कि प्रकाश झा की यह फिल्म अन्ना हजारे के आंदोलन पर बेस्ड है। इसमें अमिताभ अन्ना हजारे का रोल करते नजर आएंगे। वहीं, अजय देवगन अरविंद केजरीवाल का रोल कर रहे हैं। इसके अलावा, फिल्म में करीना कपूर, अर्जुन रामपाल वगैरह भी हैं।

अब देखना यह है कि प्रकाश झा का यह सत्याग्रह कितना रियल बन पाता है।

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को नया रूप देंगे अन्‍ना हजारे


बीदर (कर्नाटक) : समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा कि उन्होंने करीब डेढ़ महीने में भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने आंदोलन को नया रूप देने का फैसला किया है। 

‘बासव श्री’ पुरस्कार हासिल करने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए अन्ना ने भ्रष्टाचार विरोधी अपने आंदोलन में शामिल होने की इच्छा रखने वाले लोगों से कहा कि वे 99234-99235 पर उन्हें एसएमएस करें जिससे वह उनके संपर्क में रहेंगे। अन्ना ने 12वीं सदी के समाज सुधारक बासवेश्वर की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने एक जातिहीन समाज की स्थापना के लिए अथक प्रयास किए थे।

केजरीवाल चाहते थे अन्ना का बलिदान : अग्निवेश

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नई दिल्ली - टीम अन्ना के पूर्व सहयोगी स्वामी अग्निवेश के एक सनसनीखेज बयान ने खलबली मचा दी है। उन्होंने इंडिया न्यूज़ चैनल पर एक इंटरव्यू में कहा कि अरविंद केजरीवाल चाहते थे कि अनशन के दौरान अन्ना हजारे की मौत हो जाए और इसका फायदा आंदोलन को पहुंचे। अग्निवेश ने कहा कि अरविंद ने उनसे कहा था कि अन्ना का बलिदान आंदोलन के लिए अच्छा रहेगा।

अग्निवेश के इस दावे पर सवाल उठाने वालों की भी कमी नहीं है। यह जगजाहिर है कि केजरीवाल और अग्निवेश में मतभेद आंदोलन के शुरुआती दिनों से ही हैं।

केजरीवाल का जवाबः उधर, अरविंद केजरीवाल ने स्वामी अग्निवेश के आरोपों को हास्यास्पद करार दिया है। केजरीवाल ने ट्विटर कर कहा, 'कुछ मीडिया वाले स्वामी अग्निवेश के हवाले से कह रहे हैं कि मैं अन्ना को 'मारना' चाहता था। क्या इससे हास्यास्पद चीज कुछ और हो सकती है। क्या स्वामी अग्निवेश ने कुछ सबूत दिए हैं?, नहीं। तो फिर क्या उनसे यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि वे इस बारे में कुछ सबूत दें? अन्ना पर एक नहीं 100 जिंदगी कुर्बान।'

क्या-क्या कहा अग्निवेश नेः अग्निवेश के मुताबिक अप्रैल 2011 में जब जंतर-मंतर पर जन लोकपाल आंदोलन शुरू हुआ तो वह अन्ना को आमरण अनशन पर बैठाने के खिलाफ थे। अग्निवेश ने कहा, 'जब मुझे पता चला कि अन्ना आमरण अनशन करने वाले हैं, तो मैंने अरविंद से सवाल किया था कि वह अन्ना जैसे बुजुर्ग को आमरण अनशन पर क्यों बैठा रहे हैं? इस पर अरविंद ने कहा कि उनका बलिदान हो जाता है तो इससे क्रांति होगी। वह मर जाएंगे तो कोई बात नहीं, यह आंदोलन के लिए अच्छा रहेगा।'

अग्निवेश के मुताबिक जंतर-मंतर पर अनशन के दौरान सरकार द्वारा सारी मांगें मंजूर करने के बाद भी अरविंद केजरीवाल अन्ना को पांच-सात दिन और अनशन करने के लिए उकसाते रहे। उन्होंने कहा, 'आंदोलन की शुरुआत से ही केजरीवाल बहुत बड़ी महत्वकांक्षा लेकर चल रहे थे। उन्हें लग रहा था कि अन्ना के कंधे पर रखकर ही वह अपनी बंदूक चला सकते हैं। केजरीवाल को लगता था कि अन्ना की छवि का फायदा उठाकर वह लोगों के बीच अपनी बड़ी इमेज बना सकते हैं। इसी के चलते उन्होंने अन्ना को पुणे से लाकर जंतर-मंतर पर बिठाया।'

अग्निवेश के मुताबिक अरविंद केजरीवाल चाहते थे कि अन्ना अपना आंदोलन जारी रखें। आंदोलन के दौरान सरकार द्वारा सारी मांगें मान लेने के बावजूद अन्ना अरविंद के उकसावे पर अनशन पर डटे रहे। उन्होंने जब अरविंद ने बात की तो उन्होंने कहा कि अन्ना अनशन नहीं तोड़ेंगे अभी पांच-सात दिन अनशन और जारी रखेंगे। इस बात का तब उन्हें बहुत बुरा लगा था। उन्हें तब लगा कि यह अनशन किसी और मकसद से करवाया जा रहा है। अग्निवेश के मुताबिक किरण बेदी को भी यह बात बुरी लगी थी।

स्वामी अग्निवेश ने कहा कि उन्होंने इसके बाद टीम अन्ना के सदस्य शांति भूषण और प्रशांत भूषण से बात की। वह भी इस बात पर राजी थे कि अब अन्ना को अनशन तोड़ देना चाहिए। उन्होंने अन्ना को जब इस बारे में समझाया तो वह नहीं माने। इस पर शांति भूषण अन्ना पर बरस पड़े। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पोल-पट्टी खोलने की धमकी के बाद ही अन्ना अनशन तोड़ने पर राजी हुए थे।

आंदोलन से शुरुआत से जुड़े अरविंद गौड़ ने अग्निवेश के आरोप को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा सोचना भी पाप है कि कोई अन्ना को नुकसान पहुंचाना चाहता था। अगर कोई ऐसा कह रहा है तो यह गलतबयानी है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान जो भी हुआ वह स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी। सरकार के रवैये के हिसाब से ही फैसले लिए गए और इस बात पर विचार किया गया कि अनशन कब और कितने दिनों का हो। उनका कहना एकदम गलत है कि कोई अन्ना जी को मारना चाहता था। अग्निवेश का बयान पूरी तरह से बेबुनियाद है।

इस प्रकरण पर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कोई भी जवाब नहीं मिला। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस तरह की बातों से अरविंद केजरीवाल के साथ ही अन्ना से जुड़े कई लोगों को असहजता का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे सवालों का जवाब देते भी नहीं बन रहा है।केजरीवाल के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह अग्निवेश की कुंठा है, जो इस तरह से निकल रही है।

अन्ना हमें हमेशा से प्रेरणा देते रहे हैं, यह सोचना भी गुनाह है। वैसे अगर अग्निवेश की बात करें तो आंदोलन के शुरुआती दिनों में ही उन्हें आंदोलन के लिए नुकसानदायक बता कर टीम अन्ना से बाहर कर दिया गया था। उन पर अन्ना की टीम में जासूसी कर खबरें सरकार तक पहुंचाने का इल्जाम लगा। उनकी एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई, जिसमें उन्हें किसी संदिग्ध से बात करते दिखाया गया। तब भी अग्निवेश ने केजरीवाल पर तानाशाही के इल्जाम लगाए थे और उन्हें अन्ना हजारे के लिए नुकसानदायक बताया था।


प्रधानमंत्री को अन्ना की चिट्ठी


सेवा में,
माननीय डॉ. मनमोहन सिंहजी,
पंथप्रधान, भारत सरकार,
नई दिल्ली

विषय:- संसद सर्वोपरी हैं, उसका निर्णय अंतिम हैं, कॅबिनेट उसमें बदलाव नही कर सकती|

सम्मानीय पंथप्रधानजी
सादर प्रमाण...

महोदय,

संसद का बजेट सत्र शीघ् रही शुरू होने जा रहा हैं और आप उसकी तैय्यारीओं में व्यस्त होंगे| आशा करता हूं की इस व्यस्तता के बावजूद आप मेरे इस पत्र मे उपस्थित किये गये मुद्दों पर गौर करेंगे|

जैसा की आप जानते हैं कि 16 अगस्त 2011 मे रामलीला मैदान पर जो अनशन किया था| 10 दिन के बाद आपने स्वयं मुझे दि. 27 अगस्त को पत्र लिखकर संसद के दोनो सदनोने पारित किये हुए रिजोल्युशन का हवाला देकर अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया था| आपके अनुरोध एवं इस रिजोल्युशन व्दारा संसदने तीन मुद्दोंपर अपनी प्रतिबध्दता जताई थी|

1. सिटीजन चार्टर

2. सभी श्रेणी के कर्मचारियों को लोकपाल कानून मे सम्मीलीन करना |

3. उपयुक्त जरियेसे राज्योंमे लोकायुक्त का गठन करना तिनो मुद्दे को लोकपाल के दायरे में लायेंगे|

इन तीनों मुद्दों को लेकर विगत देढ सालमें चर्चा हो रही हैं और अब यह जरूरी हुआ है की मै आप तक मेरी भावनाएँ पहूंचा दूं|

1. सिटीजन चार्टर के मुद्दे को सरकार ने मुझे लिखीत आश्वासन देने के बावजूद लोकपाल बिल से अलग कर दिया और कहां की उसको अलग कानून के रूप में लाया जायेगा| अगस्त 2011 में सत्ता-पक्ष एवं समुचे विपक्ष ने पुरी सहमती के साथ संसद के दोनों सदनोंमे रिजोल्युशन कर जिन मुद्दे पर देशवासियोंको वचन दिया था| वह अभी तक पुरा नही हो पाया| क्या हमारी सरकार इतनी दुबली बन चुकी हैं की संसद मे सर्व समहमीसे पास किया हुआ रिजोल्युशन के आधार पर दिया गया वचन निभाने मे वह सक्षम नही हैं?

2. सभी श्रेणीयोंके कर्मचारियों को लोकपाल के दायरें में लाने पर संसदने पुरी प्रतिबध्दता उक्त रिजोल्युशन व्दारा जताई थी| हाल ही में गठीत राज्यसभा की सिलेक्ट कमिटीने जो रिपोर्ट सदन को पेश किया हैं उसमें भी इस प्रतिबध्दता को दोहराया था| अ,ब,क,ड श्रेणी के कर्मचारी, अधिकारी लोकपाल के अधिन लाना हैं, गौर तलब है के सिलेक्ट कमिटी मे भी सभी राजनैतिक दलोंके के प्रतिनिधी शामील हैं| अब मिडीया के जरिये यह पता चला हैं कि कॅबिनेटने अपने मिटींग मे यह तय किया हैं की श्रेणी 3 एवं श्रेणी 4 के कर्मचारि योंको लोकपालके दायरे से बाहर रखा जाएं| मुझे इस बात पर बडा आश्‍चर्य हो रहा है की जिस विषयमें संसद आम सहमीसे निर्णय कर चुकी हैं उस मुद्दोको कॅबिनेट खारिज कैसे कर सकती हैं| हमारे जनतांत्रिक ढांचे मे संसद सर्वोपरी हैं, या कॅबिनेट? प्रश्न निर्माण होता हैं|

अगर संसद सर्वोपरी हैं, तो कॅबिनेट कौन से कानून के अधिकरोंके तहत संसद के फैसले को बदल सकती हैं? क्या कॅबिनेट का एैसा करना संसद की अवमानना नही हैं? गांव एवं कसबों में बसा 'आम आदमी' भ्रष्टाचारसे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं| ग्रामसेवक, मंडल अधिकारी जैसे निचले स्तर के अधिकारीयोंके भ्रष्टाचार से जिनसे आम आदमी को आये दिन झुंझना पडता हैं| फिर इन अफसरोंको आपकी सरकार लोकपाल के दायरे से क्यों बचाना चाहती हैं? मेरी दृष्टीसे यह मुद्दा इसलिए भी अहमियत रखता हैं की अगर संसद के फैसले को कॅबिनेट बिना किसी संवैधानिक अधिकारके अपने मतानुसार बदल दें तो इससे हमारे संवैधानिक ढांचे परही सवालिया निशान लगता हैं| हो सकता है के कॅबिनेट जो करने जा रही है उसके परिणाम देश को हर बार भुगतनेे पडे और संसदका महत्व कम हो कर कॅबिनेट ही सर्वोपरी बन जाए| फिर इस देशको शायद भगवान ही बचा पाएं| आप संसदके नेता हैं और मंत्रीमंडल के मुखियां| आपको स्वयं निर्णय करना हैं की देश को संसद चलाएगी या सिर्फ सरकार| अत:मेरा आपसे नम्र अनरोध है की आप संसद की गरीमा को अहमियत देकर सभी श्रेणीयोंके कर्मचारियोंको लोकपाल के दायरे में लाकर संसद की प्रतिबध्दता को निभाएं|

३.संसद के उक्त रिजोल्युन मे यह बात कही गई थी की उचित उपायोंव्दारा राज्योंमे लोकायुक्त का गठन किया जायेगा| केंद्र, राज्य संबंधो के अहम मुद्दोंको लेकर भी संसद मे चर्चा हुई थी| अब अगर केंद्र सरकार यह कह रही है की लोकायुक्त का निर्माण राज्य सरकारों व्दारा किया जाए तो प्रश्न उपस्थित होता हैं की क्या इसे हम राज्य सरकारोंकी अपनी मर्जी पर छोड रहे हैं? ऐसा नही होना चाहिए अन्यथा अलग राज्योंके लोगोंको भ्रष्टाचार के विषयमें अलग न्याय मिलेगा जो उचित नही हैं| मैं इस बात का आग्रह करता हूं की अगर इस लोकायुक्त का निर्माण राज्योंके अधीन किया जा रहा हैं तो केंद्र सरकार आम सहमतीसे लोकायुक्त कानून का अच्छा मसौदा आम सहमीसे तैयार करे और फिर राज्य सरकारोंको अनुरोध करे की इस मसौदे को ही अपनाएं जाएं| भारत के लोकतंत्र में हर राज्यके लोगों को अलग न्याय नही होना चाहिए| किसी राज्यके नागरिक होनेसे पहलेे हम सब भारत के नागरिक है इस बात को नजर अंदाज नही किया जा सकता| अत: आपसे प्रार्थना है की लोकायुक्त के मसले को राज्यों पर ना छोडे और एक अच्छा मसौदा बनाए जो सभी राज्योंके लिये अनिवार्य हो| सिव्हील सोसायटी ने एक मसौदा आपकी सरकार को भेजा है, उत्तराखंड का मसौदा जनहित के लिये अच्छा मसौदा हैं|

इन तीन मुद्दोंके अलावा एक और अहम मुद्दे पर मै आप का ध्यान आकर्षित करना चाहुंगा| देश मे भ्रष्टाचार की जड है हमारा कॉर्पोरेट क्षेत्र| काला एवं भ्रष्टाचार का पैसा यहांसे ही ज्यादातर निर्माण होता हैं| जल, जमीन और जंगल पर निजी कब्जा जमाने हेतू कॉर्पोरेट क्षेत्र भ्रष्टाचार को बडे पैमाने पर बढावा देता हैं| मै हैरान हुं की वामपंथी दलोंको छोड सभी राजनैतिक दल कॉर्पोरेट क्षेत्र के संरक्षण बनकर इस बात को सुनिश्‍चित कर रहे है की कॉर्पोरेट क्षेत्र लोकपाल के दायरे मे ना आये| यह दूर्भाग्यपूर्ण है और जनतंत्र की घोर विडंबना भी हैं| कॉग्रेस सहित देश की अन्य पार्टिया क्यों कॉर्पोरेट क्षेत्र को लोकपाल से बचाना चाहती हैं? इन राजनैतिक दलोंके और कॉर्पोरेट के कौनसे ऐसे संबंध हैं जिस संबंधो की वजह से इस देश के आम आदमी बजाय कॉर्पोरेट क्षेत्र के हीत की सबको चिंता लगी हुयी हैं? इस प्रश्न को लेकर मै बहुत दुखी हूं| इसका महत्व पूर्ण कारण हैं कि पर्यावरण के प्रश्न पर दुनिया के लोग चिंताग्रस्त हैं| वह पर्यावरण का असमतोल कार्पोरेट सेक्टर से जादा बढ रहा हैं| आज देश के कही गांव में पिने का पानी नही मिल रहा, पेट्रोल, डिझेल, रॉकेल, कोयाला की स्थिती को हम अनुभव कर रहे हैं| आनेवाले 150/200 सालमें देशमें बहुत बडा खतरा निर्माण होगा|

अंतत: मै आपसे प्रार्थना करूंगा के इस देश की आम जनता के प्रति अपना दायित्व आप निभाएं| उक्त चार अहम मुद्दोपर जनता के पक्ष में निर्णय हो| मै आशा करता हूं की आप शीघ्रही मेरे इस पत्र पर गौर करेंगे और इस पत्र का जवाब देंगे|

मै भगवान से प्रार्थना करता हूं की आपका अच्छा स्वास्थ एवं दीर्घायुष्य प्रदान करें|

भवदीय,

(कि.बा.उपनाम अण्णा हजारे)

12.02.2013

आबरू से खेलती डॉक्टरी उंगलियां


बलात्कार के दो दिन बाद 18 साल की वह लड़की दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में सफेद रंग की चादर पर लेटी थी. नर्स ने आकर पहले उसकी सलवार खोली और फिर कमीज को नाभि से ऊपर खिसकाया. इसके बाद दो पुरुष डॉक्टर आए. उन्होंने लड़की की जांघों के पास हाथ लगाकर जांच शुरू की तो उसने एकदम से अपने शरीर को कड़ा कर लिया. एकाएक दस्ताने पहने हुए हाथों की दो उंगलियां उसके वजाइना (योनि) के अंदर पहुंच गईं. वह दर्द से कराह उठी. डॉक्टर कांच की स्लाइडों पर उंगलियां साफ करके उसे अकेला छोड़कर वहां से चलते बने. उन्होंने जांच से पहले न तो उसकी अनुमति ली और न ही उसे बताया कि उन्होंने क्या और क्यों किया. यह टू फिंगर टेस्ट (टीएफटी) था.

देश में प्रचलित टीएफटी से बलात्कार पीड़ित महिला की वजाइना के लचीलेपन की जांच की जाती है. अंदर प्रवेश की गई उंगलियों की संख्या से डॉक्टर अपनी राय देता है कि ‘महिला सक्रिय सेक्स लाइफ’ में है या नहीं. भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो डॉक्टरों को ऐसा करने के लिए कहता है. 2002 में संशोधित साक्ष्य कानून बलात्कार के मामले में सेक्स के पिछले अनुभवों के उल्लेख को निषिद्ध करता है. सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में टीएफटी को ‘दुराग्रही’ कहा था. ज्यादातर देशों ने इसे पुरातन, अवैज्ञानिक, निजता और गरिमा पर हमला बताकर खत्म कर दिया है.

जस्टिस जे.एस. वर्मा समिति ने भी इसकी तीखी आलोचना की है. समिति ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आपराधिक कानूनों पर 23 जनवरी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, “सेक्स अपराध कानून का विषय है, न मेडिकल डायग्नोसिस का.” रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला की वजाइना के लचीलेपन का बलात्कार से कोई लेना-देना नहीं है. इसमें टू फिंगर टेस्ट न करने की सलाह दी गई है. रिपोर्ट में डॉक्टरों के यह पता लगाने पर भी रोक लगाने की बात कही गई है जिसमें पीड़िता के ‘यौन संबंधों में सक्रिय होने’ या न होने के बारे में जानकारी दी जाती है.

इस तरह के टेस्ट के विरोध में आवाज उठने लगी है. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड के बाद हजारों गुस्साए लोगों ने दिल्ली की सड़कों पर नारा लगाया, “टू फिंगर टेस्ट बंद करो.” इसके खिलाफ हस्ताक्षर अभियान भी चलाए जा रहे हैं. ऑल इंडिया प्रेग्रेसिव वूमंस एसोसिएशन की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन कहती हैं, “सरकार इस अपमानजनक प्रक्रिया को बंद करे.”

महाराष्ट्र में वर्धा के सेवाग्राम में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में फॉरेंसिक एक्सपर्ट और वकील डॉ. इंद्रजीत खांडेकर कहते हैं, “उस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.” वे कहते हैं कि उंगलियों के साइज के हिसाब से नतीजे बदल जाते हैं. हाइमन और वजाइना से जुड़ी पुरानी दरार भी यह साबित नहीं करती है कि लड़की या महिला की सक्रिय सेक्स लाइफ रही है. बंगलुरू के वैदेही इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में फॉरेंसिक एक्सपर्ट और कानून के जानकार डॉ. एन. जगदीश के मुताबिक इस तरह की दरार कसरत, खेल-कूद, चोट, किसी लकड़ी या उंगलियों के कारण भी पड़ सकती है. वे कहते हैं, “कुछ महिलाओं की हाइमन इतनी लचीली होती है कि सेक्स के दौरान भी आसानी से नहीं टूटती.”

इस समस्या की जड़ में अंग्रेजी शासन के कानूनी अवशेष हैं, जिनकी नई सदी में कोई तुक नहीं है. वे पूरी तरह तर्कों से परे हैं. जेएनयू के सेंटर फॉर लॉ ऐंड गवर्नेंस में पढ़ाने वाली प्रतीक्षा बख्शी कहती हैं, “फ्रांसीसी मेडिकल विधिवेत्ता एल. थोइनॉट ने 1898 के आसपास नकली और असली कुंआरी लड़कियों में फर्क करने वाली जांच के लिए इस तरह का टेस्ट ईजाद किया था. नकली कुंआरी उस महिला को कहा जाता था, जिसकी हाइमन लचीलेपन के कारण सेक्स के बाद भी नहीं टूटती है.” भारत में मेडिकल विधिशास्त्र की लगभग हर पुस्तक में आंख मूंदकर टीएफटी को बढ़ावा दिया गया है, जिनमें जयसिंह पी. मोदी की लिखी किताब ए टेक्स्ट बुक ऑफ मेडिकल ज्यूरिसप्रूडेंस ऐंड टॉक्सीकोलॉजी भी शामिल है.

चरित्र हनन का हथियार
हालांकि बलात्कार के मुकदमों में मेडिकल सबूत बहुत अहम होते हैं, लेकिन बचाव पक्ष के वकील इस तरह की पुस्तकों और डॉक्टरों की राय का इस्तेमाल यह साबित करने के लिए करते हैं कि महिला का चरित्र अच्छा नहीं है. बख्शी कहती हैं, “वे पूछते हैं कि बलात्कार के समय वह किस पोजीशन में थी, यह कितने समय तक चला. अगर महिला का शीलभंग हुआ है तो वे महिला के चरित्र हनन के लिए हजारों बेतुके सवाल पूछते हैं.” बख्शी अपने शोध के लिए तमाम जिला अदालतों में बलात्कार के मुकदमों के दौरान उपस्थित रही हैं. 1872 के भारतीय साक्ष्य कानून की धारा 155(4), जो 2002 तक चली, कहती है, “जब किसी आदमी पर बलात्कार या बलात्कार की कोशिश का मुकदमा चलाया जाता है तो यह दिखाया जा सकता है कि बलात्कार का मुकदमा करने वाली महिला का चरित्र अच्छा नहीं था.” इस धारा को हटा दिया गया, लेकिन वह मानसिकता अब भी बनी हुई है.

अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ह्यूमन राइट्स वॉच की ओर से 2010 में दी गई रिपोर्ट, ‘डिग्निटी ऑन ट्रायल’ दिखाती है कि किस तरह जज महिला के ‘चरित्र’ को फिंगर टेस्ट से जोड़ते हैं. 2009 में मुसौद्दीन अहमद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि 13 साल की मीरा बेगम अच्छे चरित्र वाली महिला नहीं थी, क्योंकि उसके टीएफटी से पता चला कि वह पहले से सक्रिय सेक्स लाइफ जी रही थी.

2007 में हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने यतिन कुमार को दोषी करार दिया क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता था कि पीड़ित महिला को ‘सेक्स की आदत’ नहीं थी क्योंकि डॉक्टर अपनी दो उंगलियों  को ‘मुश्किल’ से प्रवेश करा सका, जिसके कारण खून बह निकला. 2006 में पटना हाइकोर्ट में हरे कृष्णदास को गैंगरेप के मामले में बरी कर दिया गया क्योंकि डॉक्टर ने जांच में पाया कि पीड़िता की हाइमन पहले से भंग थी और वह सक्रिय सेक्स लाइफ जी रही थी. जज का कहना था कि महिला का कैरेक्टर ‘लूज़’ है.

समस्या यह है कि देश भर के अस्पताल डॉक्टरों से मेडिकल परीक्षा के रूप में पूछते हैं कि हाइमन के सुराख में एक उंगली गई या दो उंगली, वजाइना का प्रवेश द्वार तंग था या फैला हुआ, चोटें ताजा थीं या पुरानी. अगर डॉक्टर ‘नो रेप’ या ‘बलात्कार की कोशिश’ लिखकर देता है तो आरोपी को अदालत में पहले ही फायदा मिल जाता है.

डॉक्टर अगर यह लिखकर देता है कि ‘महिला की पहले से ही सक्रिय सेक्स लाइफ थी’ तो इसे महिला के चरित्र हनन और उसके बयान को गलत साबित करने के लिए बतौर सबूत प्रयोग किया जाता है. डॉ. जगदीश इसके लिए देश में बलात्कार की जांच के लिए आधुनिक तरीकों के अभाव को जिम्मेदार बताते हैं. दुनिया भर में सिर्फ एक-तिहाई बलात्कार पीड़ित महिलाओं में ही शारीरिक चोट के निशान दिखाई देते हैं. हो सकता है, महिला बेहोश रही हो, मेडिकल जांच देर से की गई हो. तब इस तरह के निशान नहीं मिल सकते हैं. वीर्य धुल गया हो या हो सकता है बलात्कारी ने सेक्स के समय कंडोम का इस्तेमाल किया हो. अदालतें आमतौर पर इन बातों को नहीं मानतीं.

डॉक्टर बढ़ाते हैं तकलीफ
दिल्ली गैंगरेप के समय लोग तब दहल गए, जब लड़की के दोस्त ने टीवी पर आकर बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों का व्यवहार कितना असंवेदनशील था. डॉ. खांडेकर कहते हैं, “अनुभवहीन डॉक्टरों का होना एक बड़ी समस्या है क्योंकि पीड़ित को उनकी वजह से और भी तकलीफें झेलनी पड़ती हैं और जरूरी सबूत नष्ट हो जाते हैं. एमबीबीएस की पढ़ाई में फॉरेंसिक साइंस के बारे में बहुत कम बताया जाता है.”

कानूनी बदलावों से भी समस्या बढ़ी है. 1997 में कानून बनाया गया कि सिर्फ महिला डॉक्टर ही बलात्कार के मामलों में मेडिकल जांच कर सकती हैं. लेकिन महिला डॉक्टरों की कमी को देखते हुए 2005 में फिर से कानून में संशोधन हुआ. अब किसी भी लिंग और किसी भी विषय का रजिस्टर्ड मेडिकल डॉक्टर इस तरह की जांच कर सकता है.

हालांकि इसके लिए पीड़िता की अनुमति जरूरी है. इस तरह के बदलावों ने इतनी संवेदनशील जांच के लिए ज्यादा डॉक्टर उपलब्ध करा दिए हैं. लेकिन उनमें से बहुतों के पास योग्यता ही नहीं है.

भारत में बलात्कार की शिकार होने वाली महिला को दो बार तकलीफ झेलनी पड़ती है. पहली बार वह तब तकलीफ झेलती है, जब उसका बलात्कार होता है और दूसरी बार हमारी व्यवस्था उसे परेशान करती है. इस बीच तमाम एजेंसियां दखल देती हैं और वे पूर्वाग्रह की अपनी नजर से पीड़िता को देखती हैं. लेकिन बलात्कार के मामलों में डॉक्टर जिस तरह की भूमिका निभाते हैं, वह देश में बलात्कार के बढ़ते मामलों को देखते हुए बेहद चिंता का विषय है.



और भी... http://aajtak.intoday.in/story/rape-evidence-insult-after-assault-1-721275.html

अन्ना हजारे पिता तुल्य है हमारे आदर्श : मनीष सिसौदिया


आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष सिसौदिया ने कहा, कैबिनेट में पेश किए गए सरकार के लोकपाल बिल से आमजन को कोई लाभ नहीं मिलेगा। जनलोकपाल बिल ही भ्रष्टाचार मिटा सकता है। अन्ना हजारे को पिता तुल्य और आदर्श बताते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने का दावा किया।

नगर स्थित पार्टी कार्यालय पर सोमवार को प्रेस कांफ्रेस में मनीष सिसौदिया ने कहा, अन्ना हजारे के नेतृत्व में बना जनलोकपाल बिल का खाका सशक्त था। यदि भ्रष्टाचार मिटाना है तो उसी जनलोकपाल को लागू करना होगा। सरकार ने जिस लोकपाल को कैबिनेट में मंजूरी दिलाई है, वह निर्बल है। आमजन को उससे कोई लाभ नहीं मिलेगा और न ही भ्रष्टाचार मिलेगा। उन्होंने कहा, लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी की पूरी तैयारी है। प्रदेश की सभी सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा जाएगा। जनता विपक्षी दलों को इस बार उनकी औकात बता देगी। उन्होंने भरोसा दिलाया, आप भ्रष्ट अफसरों और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए मैदान में आई है। जनता को उसका हक और मूलभूत सुविधाएं दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। अन्ना हजारे द्वारा पार्टी अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल को लालची बताए जाने के सवाल पर बोले, अन्ना हजारे हमारे पिता तुल्य और आदर्श हैं। हजारे अराजनैतिक रूप से भ्रष्टाचार मिटाने के पक्षधर हैं, जबकि पार्टी राजनीति के अंदर रहकर यह काम करना चाहती है। इस मौके पर एडवोकेट सोमेंद्र सिंह ढाका, विजयश्री, अनुज ढाका, अजीत कुमार, मनोज आर्य आदि बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

आम आदमी पार्टी ने गडकरी के खिलाफ शिकायत दर्ज की


नागपुर - आम आदमी पार्टी 'आप' ने आयकर अधिकारी विरोधी टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ शिकायत दायर की है। गडकरी ने भाजपा अध्यक्ष पद से कार्यमुक्त होने के एक दिन बाद 24 जनवरी को नागपुर हवाई अड्डे पर कहा था कि वह अब पद की गरिमा से बंधे नहीं हैं। उन्होंने वस्तुत: आयकर अधिकारियों को धमकी दी थी और दावा किया था कि जब केन्द्र में भाजपा की सरकार बनेगी तो उन अधिकारियों को कोई नहीं बचाएगा। एएपी नेता गिरिश नंदगावंकर ने कल राल सोनेगांव हवाई अड्डा पुलिस थाने में गडकरी के खिलाफ शिकायत दायर की।

पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने कहा था कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम भी आयकर अधिकारियों की रक्षा करने में सक्षम नहीं होंगे। गडकरी की इस टिप्पणी पर आयकर अधिकारियों के शीर्ष निकाय ने कड़ी प्रतिक्रिया की थी। इस प्रतिक्रिया के बाद गडकरी यह कहते हुए पलट गए कि उनके बयान को ‘‘तोड़ा मरोड़ा गया है और उसकी गलत व्याख्या की गई है।’’ 

पुलिस निरीक्षक टी. के. वाहिले ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए आज सुबह पीटीआई को बताया कि पुलिस शिकायत पर गौर कर रही है।  वाहिले ने कहा, ‘‘यह एक गैर-संज्ञेय मामला है और अभी तक गडकरी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं रिपीट नहीं किया गया है।’’

आइबीआइ का खुलासा, पाक ने हेमराज के हत्यारे को दिए 5 लाख


नई दिल्ली : एलओसी पर इंडियन आर्मी के जवान हेमराज सिंह का सिर काटने की कलई धीरे-धीरे खुलने लगी है। मिलिटरी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआती रिपोर्ट से पता चलता है कि इस बर्बर कार्रवाई में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रत्यक्ष रूप से शामिल थी। पाकिस्तान की इस बर्बर कार्रवाई में दो भारतीय सैनिक मारे गए थे। इसमें लांस नायक हेमराज सिंह का सिर काट लिया गया था। मिलिटरी खुफिया विभाग ने इस रिपोर्ट को 'सेकेंड हैंड इन्फर्मेशन' के आधार पर तैयार किया है। सीनियर सिक्यूरिटी ऑफिसर के मुताबिक रिपोर्ट देश की दूसरी सुरक्षा एजेंसियों से साझा की गई है। हालांकि फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। 

खुफिया विभाग को उपलब्ध सोर्स से पता चला है कि आईएसआई ने 'बोर्डर ऐक्शन टीम' के जरिए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस ऐक्शन टीम में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्करे तैयबा और जैश-ए-मोहमम्द को शामिल किया गया था। इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि लश्कर ने सिर काटने वाले को 5 लाख रुपए का इनाम भी दिया।

गौरतलब है कि 8 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के मेंढर सेक्टर में लांस नायक हेमराज सिंह और सुधाकर सिंह की डेड बॉडी बरामद की गई थी। इसमें हेमराज सिंह की बॉडी से सिर गायब था। इन्हें मारने के बाद भी डेड बॉडी से साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था। इस बर्बर घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा किया तो उसने शामिल होने से साफ इनकार कर दिया। लेकिन इंडियन आर्मी ने आधिकारिक रूप से कहा था कि यह पाकिस्तानी सैनिकों की कायराना हरकत है।


अंग्रेजी दैनिक 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के मुताबिक खुफिया विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अभी इस रिपोर्ट की पुष्टि बाकी है इसलिए ज्यादा डिटेल नहीं बता सकते। पाकिस्तानी आर्मी 'बॉर्डर ऐक्शन टीम' को भारत के खिलाफ आतंकी कार्रवाई के लिए एक राणनीतिक टूल की तरह इस्तेमाल कर रही है। बैट(बॉर्डर ऐक्शन टीम) ही आतंकियों के लिए भारत के खिलाफ तमात तरह की रणनीति तैयार करती है।

अन्ना हैं महात्मा गांधी से ज्यादा भरोसेमंद: सर्वे



मुंबई: अन्ना हजारे के आंदोलन में अब भले वह आग नहीं रही लेकिन आज भी वह देश में सबसे भरोसेमंद शख्सियत हैं। ताजा सर्वे से पता चलता है कि देश में भरोसेमंद शख्स के मामले में अन्ना और ब्रैंड में नोकिया का कोई मुकाबला नहीं। अन्ना हजारे को सबसे भरोसेमंद शख्स का खिताब लगातार दूसरी बार मिला है। 



'ट्रस्ट रिसर्च अडवाइजरी' ने 'द ब्रैंड ट्रस्ट रिपोर्ट 2013' टाइटल से इस सर्वे को अंजाम दिया है। सर्वे में जहां अन्ना हजारे सबसे भरोसेमंद शख्स के रूप में उभरे हैं तो मोबाइल हैंड सेट बनाने वाली कंपनी नोकिया सबसे भरोसेमंद ब्रैंड के रूप में उभरी है। 'ट्रस्ट रिसर्च अडवाइजरी' के एग्जेक्युटिव चीफ एन. चंद्रमौली ने कहा कि अन्ना लगातार दूसरी बार इस पोजिशन पर मजबूती से कायम हैं। 



राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को इस सर्वे में 12वीं पोजिशन मिली है। बापू साउथ इंडिया के सुपर स्टार रजनीकांत से काफी आगे हैं। रजनीकांत 35वें नंबर पर हैं। इस सर्वे में 1,100 मोस्ट ट्रस्टेड ब्रैंड 211 कैटिगरी में रखे गए थे। इसमें शख्सियत, गैजिट, कंज्यूमर प्रॉडक्ट, रीटेल टेक्नॉलजी, बैंकिंग, सरकारी संस्थान, टेलिकॉम और एयरलाइंस के साथ अन्य कैटिगरी थी। 



बॉलिवुड ऐक्टर आमिर खान लंबी छलांग लगाकर दूसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। वह पिछले साल पांचवें नंबर पर थे। आमिर खान की लोकप्रियता 'सत्यमेव जयते'से काफी बढ़ी है। सलमान खान एक पायदान नीचे खिसकर तीसरे नंबर पर आ गए हैं। शाहरुख खान, आमिर और सलमान के बाद हैं। पहली बार बिजनस कैटिगरी में उद्योगपति धीरूभाई अंबानी को भी जगह गई थी और उन्हें इस लिस्ट में दूसरी पोजिशन मिली। सचिन तेंडुलकर को भरोसेमंद खिलाड़ी में पांचवीं पोजिशन मिली है।


वीडियो शेयर करना न भूलें : अन्ना की आज पटना में विशाल जनतंत्र रैली

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गांधी और जेपी की कर्मभूमि पर अन्ना हजारे की 'क्रांति'



दिल्ली में गरजने वाले अन्ना हजारे, आज बिहार में रैली कर रहे हैं. गांधी और जेपी की कर्मभूमि से अपनी क्रांति का नया अध्याय लिखने चले हैं अन्ना हजारे.



भ्रष्टाचार के खिलाफ देशभर में अलख जगाई वाले अन्ना अब आंदोलन का दूसरा अध्याय लिखने जा रहे हैं. अब तक दिल्ली और मुंबई में जनलोकपाल की हुंकार भरने वाले अन्ना ने आंदोलन की दोबारा शुरुआत के लिए बिहार की धरती को चुना है. अन्ना बुधवार को पटना में रैली कर रहे हैं. जिसके बाद अन्ना देशभर में जनलोकपाल की अलख जगाएंगे.



यानी जिस बिहार की धरती ने महात्मा गांधी और जेपी के आंदोलनों को नए तेवर दिए थे, अन्ना भी वहीं से अपनी आवाज बुलंद करेंगे. गांधी जी ने बिहार के ही चंपारण से आंदोलन की शुरुआत की थी और अहिंसा को हथियार बनाते हुए अग्रेजों को हिन्दुस्तान छोड़ने पर मजबूर किया था, तो जेपी ने इसी बिहार से संपूर्ण क्रांति का नारा देकर दिल्ली के तख्त को हिला दिया था. अन्ना भी इसीलिए पटना के उसी ऐतिहासिक गांधी मैदान में जनतंत्र रैली कर रहे हैं.



जनलोकपाल के आंदोलन का हश्र एक बार देख चुके हैं अन्ना हजारे, इसीलिए पटना से नई शुरुआत करने के लिए अन्ना ने गांधी जी के शहादत दिवस को रैली के लिए चुना है. साथ ही जेपी निवास में ठहरने का फैसला कर खुद को गांधी और जेपी की विरासत से जोड़ने की कोशिश की है.



जनलोकपाल आंदोलन का नया अध्याय है. तो अन्ना के कुछ साथी भी नए हैं. इसबार अन्ना के साथ कुछ नए चेहरे भी रैली में शामिल होंगे. पटना की रैली में पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह, समाजसेवी मेधा पाटकर और किरण बेदी के भी शामिल होने की उम्मीद है. नए जोश और नई उमंग के साथ फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं अन्ना हजारे, इस उम्मीद के साथ कि 16 अगस्त को रामलीला मैदान में हुई अगस्त क्रांति जैसी लहर ही एक बार फिर पैदा होगी. इस आंदोलन में सिर्फ जनलोकपाल की बात नहीं होगी. बल्कि अन्ना भ्रष्टाचार के साथ व्यवस्था परिवर्तन की भी बात कर रहे हैं.





अन्ना हजारे की जनतंत्र रैली के लिए पटना का गांधी मैदान तैयार



पटना: पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे की जनतंत्र रैली को लेकर पूरी तरह तैयार है। रैली के लिए सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं व आगंतुकों पर सीसीटीवी से निगरानी रखी जाएगी।


पटना में कोहरे के बावजूद गांधी मैदान में अन्ना को सुनने के लिए सुबह से ही लोग पहुंचने लगे हैं। रैली में लोगों को गांधी की खून से सनी मिट्टी की शपथ दिलाई जाएगी।  


जनरल बीके सिंह ने बुधवार को बताया कि रैली में महात्मा गांधी के खून से सनी मिट्टी को सामने रखकर लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की शपथ दिलाई जाएगी। रैली दोपहर 12 बजे प्रारम्भ होगी। अन्ना खुली जीप में जेपी कुटिया से गांधी मैदान पहुंचेंगे।


उन्होंने बताया कि मंगलवार की देर शाम मुम्बई से समाजसेवी निर्मलेंदु गांधी की खून से सनी मिट्टी को लेकर पटना पहुंचे। उन्होंने बताया कि गांधी की हत्या क बाद यह मिट्टी इंग्लैंड ले जाकर नीलाम कर दी गई थी।


इधर, पटना के पुलिस अधीक्षक (नगर) जयकांत ने बताया कि गांधी मैदान में सुरक्षा के लिए 500 पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। इसके अतिरिक्त त्वरित प्रतिक्रिया दल की तैनाती व ब्रजवाहन और वाटर कैनन का इंतजाम किया गया है।


गांधी मैदान और उसके आसपास के इलाकों में खुफिया तंत्र की पैनी निगाह है। मैदानी भाग से लेकर मंच तक पुलिस की पैनी निगाह रहेगी। सीसीटीवी कैमरे के जरिये सुरक्षा और ट्रैफिक की निगरानी की जाएगी।


इस बीच अन्ना को सुनने के लिए सुबह से ही लोग गांधी मैदान पहुंचने लगे हैं। रैली में हजारों लोगों के भाग लेने की संभावना है।

लोकपाल पर सरकार जनता को भटका रही है: अन्ना हजारे


नई दिल्ली - लोकपाल को लेकर लड़ाई लड़ रहे समाजसेवी अन्ना हजारे बुधवार को पटना के गांधी मैदान में रैली करने वाले हैं. पटना निकलने से पहले दिल्ली में अन्ना हजारे ने लोकपाल के मुद्दे पर सोनिया गांधी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

अन्ना हजारे ने एलान किया कि वे लोगों को जगाने के लिए अगले डेढ़ साल तक देश भर का दौरा करेंगे.

कैबिनेट में लोकपाल बिल रखे जाने से दो दिन पहले अन्ना ने सोनिया गांधी और केंद्र सरकार पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि 2 साल में जनलोकपाल कानून को लेकर सरकार ने कई आश्वासन दिया लेकिन अभी तक कानून नहीं बन सका है.

आपको बता दें कि सोनिया गांधी ने अन्ना हजारे को चिट्ठी लिख कर कहा था कि सरकार संसद के अगले सत्र में लोकपाल बिल लाएगी और सरकार पूरी कोशिश करेगी कि वे इस बिल को कानून का रूप दे पाएं.

बुधवार को अन्ना हजारे पटना के गांधी मैदान में रैली करने वाले हैं और रैली से एक दिन पहले दिल्ली में अन्ना हजारे ने एलान किया कि लोगों को जगाने के लिए वो अगले डेढ़ साल तक देश भर का दौरा करेंगे.

अन्ना ने कहा कि चुनाव के एलान होते ही वो रामलीला मैदान पहुंचेंगे और जनता सड़कों पर उतरेगी.

सरकार ने लोकपाल बिल को लोकसभा से तो पास करा लिया था लेकिन राज्यसभा में बिल लटक गया था.

इसके बाद बिल सेलेक्ट कमेटी को सौंप दिया गया था सेलेक्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राज्यसभा में पेश कर दी है, अब कैबिनेट के विचार के बाद बिल राज्यसभा से पास होगा इसके बाद एक बार इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा ताकि बिल में जो बदलाव किए गए हैं उनपर लोकसभा की मुहर लगाई जा सके.

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