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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

सरकार पर नहीं, जनशक्ति पर भरोसा: अन्ना

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अन्ना हज़ारे जनतंत्र यात्रा


सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने रविवार से अमृतसर के जलियांवाला बाग़ से अपनी ‘जनतंत्र यात्रा’ की शुरुआत कर दी है.

अन्ना हज़ारे ने स्पष्ट किया है कि उनके नेतृत्व वाला जनतांत्रिक मोर्चा चुनावी मैदान में नहीं उतरेगा लेकिन अगले लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश की आम जनता को जागरुक बनाने की उनकी मुहिम जारी रहेगी.

इस यात्रा का आयोजन मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ और मज़बूत लोकपाल विधेयक लाने के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से किया जा रहा है.

"आम लोगों को जन लोकपाल विधयेक जैसे मुद्दों पर जागरुक करने की जरुरत है. देश में बदलाव तभी होगा जब आम आदमी इस आंदोलन से जुड़ेगा."
अन्ना हजारे, जनतंत्र यात्रा की शुरुआत से पहले

इस यात्रा के दौरान अन्ना अपने समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ देश की जनता को जागरुक करने की कोशिश करेंगे.

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'त्रस्त है आम आदमी'

अमृतसर में अन्ना हज़ारे ने मीडिया से कहा, “आम लोगों को जन लोकपाल विधयेक जैसे मुद्दों पर जागरुक करने की ज़रुरत है. देश में बदलाव तभी होगा जब आम आदमी इस आंदोलन से जुड़ेगा.”

अन्ना हज़ारे ने ये भी कहा है कि देश की जनता मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से त्रस्त हो चुकी है.

उन्होंने कहा, “देश के आम लोग भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था से त्रस्त हैं. इसमें बदलाव तभी होगा जब आम जनता एक मंच पर आकर बदलाव की मांग करेगी.”

अन्ना हज़ारे के मुताबिक़ जनतंत्र यात्रा का अंतिम उद्देश्य है आम लोगों को ये बताना कि उनमें सरकारों को उखाड़ फेंकने की ताक़त है.

जन संसद का आयोजन

इस यात्रा के दौरान आम लोगों को भ्रष्टाचार, लोकपाल के अलावा चुनाव सुधार और जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के प्रावधानों के बारे में भी बताया जाएगा.

अन्ना हज़ारे ने इस यात्रा को समर्थन देने के लिए सभी राजनीतिक दलों को ख़त भेजा था, लेकिन अभी तक कोई राजनीतिक पार्टी इस यात्रा में शामिल होने के लिए सामने नहीं आई है.

जलियांवाला बाग़ से शुरू जनतंत्र यात्रा के तहत पंजाब में अन्ना हज़ारे आठ सार्वजनिक रैलियों को संबोधित करेंगे. ये यात्रा व्यास और कपूरथला होते हुए जालंधर पहुंचेगी.

निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक पांच महीने बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल जन रैली का आयोजन प्रस्तावित है. इसे जन संसद का नाम दिया गया है.

केजरीवाल से मिले अन्ना, अनशन खत्म करने की अपील की


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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार द्वारा बिजली और पानी की कीमतों को बढ़ाए जाने के खिलाफ पिछले सात दिनों से अनशन पर बैठे अरविंद केजरीवाल से शुक्रवार को उनके पुराने साथी और समाजसेवी अन्ना हजारे मिलने पहुंचे। उन्होंने केजरीवाल से अनशन खत्म करने की अपील भी की। इससे पहले श्रीश्री रविशंकर भी उनसे इस तरह की ही अपील कर चुके हैं।

कल देर रात दिल्ली की सुंदर नगरी कालोनी में अनशन पर बैठे केजरीवाल से अन्ना की मुलाकात बेहद औपचारिक तरीके से हुई। अन्ना ने कहा अब सभी के एक साथ चलने का समय आ गया है चाहे वह रामदेव हों या और कोई। उन्होंने कहा कि केजरीवाल और उनकी राहें भले ही अलग हों लेकिन उनकी मंजिल एक ही है, जहां एक दूसरे की जरूरत पड़ेगी हम साथ देंगे।

अन्ना ने कहा कि सरकार चाहती है कि आंदोलनकारियों की मौत हो जाए, लेकिन अब लोग जागरूक हो रहे हैं। बेहतर होगा कि केजरीवाल अनशन खत्म करें और जल्द स्वस्थ्य होकर लंबी लड़ाई के लिए फिर तैयार होकर मैदान में उतरें। अन्ना ने कहा कि वह शनिवार को जलियांवाला बाग से अपना जागरूकता अभियान शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव की घोषणा होते ही वह दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन शुरू करेंगे।

इससे पूर्व केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को खुले मंच पर आकर बहस करने की चुनौती दे डाली। उन्होंने आरोप लगाया कि शीला दीक्षित ने दो विदेशी कंपनियों को सस्ती दरों में पानी देने का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। उन्होंने कहा कि वह डॉक्युमेंट्स के दम पर साबित कर सकते हैं कि शीला दीक्षित के दावे झूठे हैं। शीला दीक्षित ने कहा था कि जनता 24 घंटे बिजली इस्तेमाल करके सिर्फ 8 घंटे का बिल नहीं दे सकती।

केजरीवाल को नहीं मिलेगा अन्‍ना हजारे का साथ

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नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल से उनके अनिश्चितकालीन उपवास में शामिल होने के लिए न्यौता मिलने के कई दिन बाद गुरुवार को अन्ना हजारे ने कहा कि वह प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि उनका दलगत राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।

जालियांवाला बाग से 31 मार्च से अपनी राष्ट्रव्यापी यात्रा शुरू करने की घोषणा करने के लिए यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस सप्ताह के शुरू में केजरीवाल उनके पास आए थे और उपवास से पहले उनका आशीर्वाद मांगा था तथा आने का न्यौता दिया था।

हजारे ने कहा, ‘‘हम पहले ही कह चुके हैं कि हम किसी दल के साथ नहीं हैं और हम चुनाव लड़ने नहीं जा रहे। मैं 23 मार्च को (केजरीवाल के उपवास में) नहीं जा रहा।’’ सोमवार को रालेगण सिद्धि में हजारे से भेंट करने के बाद केजरीवाल ने कहा था कि इस सप्ताहांत केा सुंदर नगरी में उनके प्रदर्शन में शामिल होने पर वह सहमत हो गए हैं।

जब हजारे से पूछा गया कि क्या वह 23 मार्च के बाद जाएंगे तब उन्होंने कहा कि यदि उनके पास समय रहा तो वह देखेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘अन्य लोगों से बातचीत करने में कोई बुराई नहीं है।’’

हजारे और पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने कहा कि जनतंत्र मोर्चा के कार्यकर्ता व्यवस्था में संपूर्ण बदलाव लाने की जरूरत के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए 31 मार्च को जालियांवाला बाग से राष्ट्रव्यापी यात्रा शुरू करेंगे। पंजाब और हरियाणा होते हुए यात्रा का पहला चरण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 17 अप्रैल को समाप्त होगा।

हजारे ने कहा कि इस दौरान तीन राज्यों में 34 सभाएं होगीं। सिंह ने कहा कि पहले चरण के बाद 13 दिन का अंतराल होगा और फिर उसके बाद यात्रा चालू होगी एवं इस दौरान राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड जनसभाएं की जाएंगी।

नेताओं पर हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा, ‘‘निहित स्वार्थी तत्व की वजह से संसद में प्रदर्शन होते हैं।’’

अरविंद केजरीवाल की भूख हड़ताल में शामिल होंगे अन्ना

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समाजसेवी अन्ना हजारे 23 मार्च से शुरू हो रहे अरविंद केजरीवाल के अनिश्चितकालीन अनशन में साथ देने के लिए एक बार फिर मंच साझा कर सकते है.
जी हां, खबरों के मुताबिक काफी समय से अलग हुए समाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल एक बार फिर साथ होंगे.

अरविंद का सरकार पर फिर हल्ला-बोल

अरविंद केजरीवाल 23 मार्च से दिल्ली में प्राइवेट बिजली कंपनियों के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन करने वाले हैं. अरविंद के इस अनशन के दौरान समाजसेवी अन्ना हजारे के शामिल होने की खबर है. 

सूत्रों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल सोमवार को अन्ना हजारे से मिलने गए थे. उन्होंने अन्ना से दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन में शामिल होने का आग्रह किया.
अन्ना भी करेंगे अनशन

अन्ना हजारे ने यह आग्रह मान लिया है और आम आदमी पार्टी के बैनर तले हो रहे इस भूख हड़ताल में वह भी एक दिन का अनशन कर सकते हैं. उन्होंने अरविंद को अनशन में आने का भरोसा देते हुए कहा कि उनका समर्थन पार्टी को नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल को है. 

गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिकल पार्टी बनने के बाद इनके बीच दूरियां आ गई थी. 

आरविंद केजरीवाल के राजनीति में आने और राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद से अन्ना और केजरीवाल के बीच तनाव आ गया था और दोनों अलग हो गए थे, लेकिन अनशन के बहाने दोनों के बीच एकबार फिर से नजदीकियां बढ़ने लगी है.

वहीं अन्ना और अरविंद के बीच घटती दूरियां सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है.

विश्‍वास की कमी के चलते छोड़ा अन्‍ना का साथ : अरविंद केजरीवाल


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नई दिल्‍ली - इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन के पूर्व कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने अन्‍ना हजारे से अपने अलग होने के कारणों का खुलासा करते हुए कहा है कि हमारे बीच विश्‍वास की कमी हो गयी थी। जिसके कारण हम दोनों के रास्‍ते अलग हो गये। केजरीवाल ने हेडलाइन्‍स टुडे चैनल को दिये गये साक्षात्‍कार में कहा कि मैं नहीं जानता हूं कि अन्‍ना ने मुझे राजनीतिक रूप से महत्‍वाकांक्षी होने की बात क्‍यों‍ कही, जबकि उन्‍होने कुछ दिनों पहले ही मेरे लिए प्रचार करने की बात कही थी। गौरतलब है कि अन्‍ना हजारे ने कहा था कि अगर वह(अरविंद केजरीवाल) कपिल सिब्‍बल के खिलाफ चुनाव में खड़े होते हैं तो वह केजरीवाल के लिए खुद प्रचार करेंगे।

केजरीवाल का कहना है कि मैं अन्‍ना को समझ नहीं सका था कि वह क्‍या करना चाह रहे है। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल लाने के लिए हुए आंदोलन में केजरीवाल पहले अन्‍ना के साथ ही थे। आंदोलन की शुरूआत अप्रैल 2011 में हुई थी।

केजरीवाल ने स्‍वामी अग्निवेश द्वारा लगाये गये आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह आरोप निराधार हैं कि मैं चाहता था 'अनशन के दौरान अन्‍ना की मृत्‍यु हो जाये।' अगर उन्‍हें (अग्निवेश) कभी ऐसा लगा हो तो उनको यह बात किरन बेदी से या प्रशांत भूषण से बतानी ही चाहिए थी। मैं अन्‍ना की बहुत इज्‍जत करता हूं।
अपनी 'आम आदमी पार्टी' के बारे में केजरीवाल ने कहा है कि हम दिल्‍ली चुनाव के लिए जल्‍द ही प्रचार करेंगे और देखना चाहते हैं कि लोग हमारी पार्टी को कितना समर्थन देते हैं। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ हम पहले की तरह ही आंदोलन करते रहेंगे।

मजबूत लोकपाल न आने पर आंदोलन करेंगे अन्ना


गडव। समाजसेवी अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिए केंद्र सरकार को मई तक का वक्त देते हुए आरोप लगाया कि इस विधेयक को पारित करने मे वित्त मंत्री पी चिदंबरम को कोई दिलचस्पी नहीं है।

अन्ना ने कर्नाटक के गडव यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि लोकपाल विधेयक को पारित करने में चिदंबरम ही नहीं बल्कि पूरी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यूपीए सरकार को ही कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मई तक उस विधेयक को पारित नहीं करती है तो वह विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।

जनतंत्र मोर्चा नहीं लड़ेगा चुनाव: अन्‍ना हजारे


नई दिल्ली - सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा है कि उनका नवगठित ‘जनतंत्र मोर्चा’ राजनीतिक दल नहीं बनाएगा और ना ही चुनाव लड़ेगा। हजारे ने कहा कि जनतंत्र मोर्चा का मुख्य उद्देश्य संघर्ष होगा और वे पार्टी का ध्यान किए बिना केवल अच्छे उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। 

अन्‍न हजारे ने कहा कि जनतंत्र मोर्चा कोई चुनाव नहीं लड़ेगा या कोई राजनीतिक दल नहीं बनाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य संघर्ष होगा। हम पार्टियों का ध्यान किये बिना अच्छे उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। उन्होंने एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि उम्मीदवार का चरित्र अच्छा होना चाहिए, उसका पिछला रिकार्ड अच्छा होना चाहिए और अच्छी छवि होनी चाहिए। हजारे ने कहा कि यदि उनकी साथी पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी चुनाव लड़ती हैं तो वह उन्हें अपना समर्थन नहीं देंगे।

अम्बाला से भ्रष्टाचार का बिगुल फूंकेंगे 'अन्ना'

चंडीगढ़ : देशभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ डंका बजाने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे अब हरियाणा में भ्रष्टाचार का बिगुल बजाएंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार अगले महीने 4 अप्रैल को अम्बाला से अन्ना का हरियाणा दौरा शुरू होगा,जो 10 अप्रैल को सोनीपत में खत्म होगा। अन्ना की इस मुहिम में इस बार अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी नहीं रहेंगे,बल्कि योग गुरु स्वामी रामदेव, जनरलवी.के.सिंह,एन.गोविंदाचार्य व डा.भीमराव अम्बेदकर के पौत्र प्रकाश अम्बेदकर भी हुंकार भरेंगे। अन्ना के दौरे को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। 

इसमें पानीपत में दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के अध्यक्ष एडवोकेट सतबीर हुड्डा की अगुवाई में समान शिक्षा रैली को भी संबोधित करेंगे।  बता दें कि भ्रष्टाचार की लड़ाई शुरू करने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे का हरियाणा दौरा बीते फरवरी महीने में प्रस्तावित था लेकिन किन्हीं कारणों से अब यह 4 अप्रैल से शुरू होगा। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार अन्ना हजारे 4 अप्रैल की दोपहर को अम्बाला शहर से अपने मिशन का आगाज करेंगे। उसके बाद यमुनानगर,जगाधरी व कुरुक्षेत्र में लोगों को भ्रष्टाचार की लड़ाई में साथ देने का आग्रह करेंगे।  5 अप्रैल को अन्ना हजारे की सभा करनाल के तरावड़ी,नीलो खेड़ी, घरौंडा,करनाल शहर होते हुए पानीपत में समान शिक्षा रैली में भाग लेेकर जींद में रात्रि ठहराव करेंगे।

 6 अप्रैल को मिर्चपुर,बरवाला, अग्रोहा, फतेहाबाद,ढींग मंडी होते हुए सिरसा पहुंचेंगे। 8 अप्रैल को दादरी, नारनौल,महेंद्रगढ़, अटेली व रेवाड़ी में लोगों को सरकार में फैले भ्रष्टाचार के बारे में बताएंगे। इसी तरह से अन्ना हजारे 9 अप्रैल को पटौदी, मेवात, नूंह, सोहना व गुडग़ांव में लोगों को संबोधित करने के साथ ही 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के क्षेत्र झज्जर,गोहाना,रोहतक व सोनीपत में भ्रष्टाचार के कारनामों का खुलासा करेंगे।  अन्ना के हरियाणा दौरे की कमेटी में शामिल एडवोकेट सतबीर हुड्डा की मानें तो अन्ना के दौरे का मकसद लोगों को भ्रष्टाचार की लड़ाई में शामिल करना है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में जिस तरह से भ्रष्टाचार व घोटाले उजागर हुए हैं, उससे हरियाणा की साख काफी गिरी है। इन्हीं मुद्दों पर राज्य की जनता को जागरुक किया जाएगा।

women's day 2013 : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर क्या महिला शुरक्षित है ??

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भारतीय संस्कृति मातृ-प्रधान संस्कृति रही है। इस नाते पारिवारिक दायरे से लेकर सांस्कृतिक प्रभावों में देश की महिलाओं का वर्चस्व बना रहा है। पौराणिक दृष्टि से देखें तो हमारी प्राचीन संस्कृति में नारी की महत्ता सदैव अप्रतिम मानी गई है। यानी हम कह सकते है-"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता" (जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।) 

मौजूदा दौर में हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाकर भी इनकी गरिमा को याद रखा करते हैं। विश्वव्यापी तौर पर आठ मार्च को प्रतिवर्ष हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हम मनाते हैं और इस सदी में इनके योगदान की मीमांसा करते हैं। लेकिन, व्यापक परिप्रेक्ष्य में आज भी हमारे सामाजिक दायरे में ऐसी विसंगतियां देखने को मिल जाती हैं, जो इनकी गरिमा के विपरीत रहा करती है। ऐसी प्रवृत्ति हमारी दकियानूसी सोच का ही अभिप्राय है। 

अगर ऐसा न होता तो जिस दिन सारी दुनिया में जहां महिला दिवस मनाया जा रहा था। उसी दिन महिलाओं को उत्पीड़ित किए जाने से लेकर उनकी हत्या तक के मामले घटित नहीं होते। जिस महिला दिवस को आधी दुनिया या आधी आबादी के रूप में हम आंकते रहे हैं, उसी आधी दुनिया में विसंगतियों का ऐसा जंजाल आज तक क्यों नहीं मिट पाया है? इस बात का जवाब दिया जाना वाकई टेढ़ी खीर है?

सच्चाई का दायरा तो वास्तव में महिलाओं की अकूत श्रमशीलता, गृहस्थ धर्म, पारिवारिक संस्कार और जीवनदर्शन के तमाम गुणों की अवधारणा पर निर्भर करता है। अंग्रेजी के एक विद्वान का यह कथन कितना सटीक हैः ' टू टीच ए मैन इज इक्वल टू टीच ए मैन, बट टू टीच ए वुमन इज इक्वलेंट टू टीच ए फैमिली" (एक मानव को शिक्षा देना, एक मानव को शिक्षा देने के बराबर है, लेकिन एक महिला को शिक्षा देना, पूरे परिवार को शिक्षा देने के बराबर है।) स्पष्ट है कि महिला का पारिवारिक दायरे में जो योगदान होता है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसीलिए हमारी संस्कृति को मातृ-प्रधान इसलिए माना गया है। 

अफसोस की बात यह है कि आज अपने परिवर्तित दायरे में हम एक दिन तो देश के नारीत्व के नाम समर्पित कर देते हैं। लेकिन, इसके अनुपालन में हमारा समाज उतना तवज्जो नहीं देता जितना उसे देना चाहिए। इन सारी विसंगतियों के पीछे जो मूल कारण है, वह वाकई त्रासदीपूर्ण है। 

चूंकि, राष्ट्रीय परिवेश में जब हम अपने संचार साधनों की समीक्षा करते हैं तो यह साफ जाहिर हो जाता है कि हम अपनी संस्कृति को इस दायरे में कोई महत्व नहीं दे रहे हैं। दूरदर्शन, रेडियो, साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हमें जिस तरह की ऊर्जा मिलनी चाहिए वैसी ऊर्जा आज नहीं मिल पा रही है। इसके पीछे जो तथ्य छिपे हैं, उसकी गंभीरता को समझना चाहिए। 

टेलीविजन के जरिए हमें जो कुछ परोसा जा रहा है उस दिशा में न तो संस्कृति विभाग ही ध्यान दे रहा है और न ही मानवीय गतिविधियों से जुड़े सांस्कृतिक संगठन ही। यदि इसी तरह हमने अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली तो न जाने हमारे मानवीय दायरे में किस तरह का भूचाल नहीं आ जाएगा? इसकी चिंता न करते हुए हम यदि इसे सहजतौर पर टालते जाएंगे तो निश्चित तौर पर यह हमारी सभ्यता और संस्कृति को कालिख मलने से चूकेगा नहीं। 


दरअसल, शैक्षणिक संस्थाओं को इस संदर्भ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। यदि हम अपने नौनिहालों को प्रारब्ध की शिक्षा में अपने दायित्व से काट कर रखेंगे तो उनमें परिवर्तन कहां आ पाएगा। यही वह उम्र है जहाँ हम इन नौनिहालों को संस्कारित कर सकते हैं। ऐसा किया जाना अपनी सभ्यता को शिखर तक पहुंचाना ही है।

सात दिनों तक हरियाणा में यात्रा निकालकर क्रांति का आगाज करेंगे अन्ना


लोकपाल के लिए लड़ाई लड़ने वाले प्रमुख समाजसेवी अन्ना हजारे हरियाणा में यात्रा निकालकर क्रांति का आगाज करेंगे। अन्ना की यात्रा राज्य में 4 अप्रैल से शुरू होगी और 11 अप्रैल को उत्तरप्रदेश की ओर रुख करेगी। अन्ना की जनतंत्र यात्रा का कार्यक्रम सोमवार को गुड़गांव के मैत्री भवन में आयोजित बैठक में लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता पूर्व थल सेना अध्यक्ष वीके सिंह ने की।

अन्ना के प्रदेश टीम के सदस्य सुभाष पूनिया ने बताया कि अन्ना की यात्रा पंजाब में पहली अप्रैल से शुरू होगी और 3 अप्रैल तक पंजाब में ही यात्रा जारी रहेगी। हरियाणा में यह यात्रा 4 अप्रैल को सुबह सबसे पहले राजपुरा में प्रवेश करेगी। इसके बाद अंबाला, यमुनानगर के रास्ते कुरुक्षेत्र पहुंचेगी और रात्रि पड़ाव भी कुरुक्षेत्र में ही होगा। 5 अप्रैल को यात्रा कुरुक्षेत्र से करनाल की ओर रुख करेगी तथा पानीपत के रास्ते जींद पहुंचेगी तथा अन्ना रात्रि को जींद में ही रुकेंगे। 6 अप्रैल को बरवाला, अग्रोहा फतेहाबाद के रास्ते यात्रा सिरसा पहुंचेगी। 7 अप्रैल को सिरसा से चौपटा, भट्टूकलां, आदमपुर व हिसार होते हुए रात्रि पड़ाव भिवानी में होगा। 8 अप्रैल को यात्रा दादरी, नारनौल के रास्ते रेवाड़ी पहुंचेगी। 9 अप्रैल को यात्रा मेवात के रास्ते गुड़गांव के लिए निकलेगी और रात्रि ठहराव भी गुड़गांव में होगा। 10 अप्रैल को यात्रा झज्जर, रोहतक के रास्ते सोनीपत पहुंचेगी। अगले दिन सोनीपत से यात्रा उत्तरप्रदेश के लिए रवाना होगी। सुभाष पूनिया ने बताया कि 25 मुद्दों को लेकर की जा रही है और इन मुद्दों पर जनता के बीच अन्ना अपनी बात रखेंगे।

अरविन्द केजरीवाल के समर्थन में अन्ना

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लोकायुक्त ही नहीं ला पाए तो कैसे बन पाएंगे मोदी पीएम : अन्ना हजारे

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नई दिल्ली - भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल के मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा। वहीं लोकायुक्त के बहाने अन्ना ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। अन्ना ने सवाल उठाया कि नरेंद्र मोदी गुजरात में तो लोकायुक्त कानून नहीं बना पाए, तो कैसे भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बना पाएंगे। वो कैसे पीएम बनेंगे।

अन्ना ने सरकार को भी घेरते हुए कहा कि सरकार ने ऐसा क्यों कहा कि हर राज्य में लोकायुक्त होगा। गरीब को हर जगह करप्शन देखना पड़ता, देश में गरीब लोगों को न्याय नहीं दिलाते तो फिर जनलोकपाल का क्या मतलब है। अब सरकार कह रही है कि सीबीआई भी लोकपाल के दायरे में नहीं आएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार और नेताओं से उन्हें कोई अपेक्षा नहीं है। जनता को अपने प्रतिनिधि भेजने पड़ेंगे। मैं डेढ़ साल घूमता रहूंगा और बताऊंगा कि सरकार ने किस तरह झूठ बोला। सोनिया ने लिखा है कि हमने जनलोकपाल संसद में रखा है। मैंने उनको लिखा कि क्या इसमें सीबीआई, सीवीसी है? जब तक इनपर सरकार का कंट्रोल है तब तक कैसा लोकपाल। मैंने सोनिया को लिखा है कि सत्ता जहर नहीं, नशा है।
अन्ना ने कहा कि हमने तय किया है कि मैं डेढ़ साल तक घूमूंगा, गरीबों को न्याय दिलाउंगा। जनरल वीके सिंह भी साथ रहेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो आम चुनाव से पहले रामलीला मैदान में भी बैठूंगा। उन्होंने कहा कि कानून विधानसभा या संसद में बनता है। लेकिन कानून का ड्राफ्ट जनता के साथ मिलकर बनाना चाहिए। जनता को अपने लोग भेजने चाहिए, ताकि सशक्त कानून बन सके।

सरकार दे रही धोखा, फिर करूंगा अनशन: अन्ना

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ANNA HAZARE


भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि लोकपाल बिल के नाम पर सरकार शुरू से धोखा देते आई है. अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो अपने वादे से मुकर गए हैं.

लोकपाल बिल पर अन्ना हजारे ने कहा है कि सरकार ने कैबिनेट के सामने जो ड्राफ्ट रखा है, वह हमारा नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जनलोकपाल पर जो भी आश्वासन दिए, वे पूरे नहीं किए. सरकार ने हमें धोखा दिया है.

अन्ना ने आगे कहा कि सीबीआई और सीवीसी लोकपाल के दायरे में आने चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि लोकपाल को लेकर ज्वाइंट कमेटी बनाई गई थी, उसका क्या हुआ.

अन्ना ने सोनिया गांधी पर निशाना साधा, 'सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी से कहा था कि सत्ता जहर है. मैंने उनसे पूछता हूं कि अगर ऐसा है तो हर कोई इसके पीछे क्यों भागता है. सत्ता जहर नहीं नशा है.'

नरेंद्र मोदी के पीएम पद की उम्मीदवारी के बारे में अन्ना हजारे ने कहा, 'नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री पद के लिए सही नहीं हैं. नरेंद्र मोदी ने गुजरात में लोकायुक्त नहीं बनने दिया था.' वहीं राहुल गांधी के बारे में अन्ना बोले, 'परिवारवाद देश के लिए बहुत घातक है. देश को चलाने के लिए उनके पास कोई अनुभव नहीं है.' वहीं किरण बेदी के नए लोकपाल बिल के समर्थन के बारे में अन्ना ने कहा, 'अगर वो ऐसा कर रही हैं तो इसका मतलब उन्हें इसके बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है.'

अरविंद केजरीवाल की पार्टी को समर्थन देने के सवाल पर अन्ना ने कहा, 'अगर केजरीवाल चुनाव लड़ेंगे तो मैं उनका समर्थन नहीं करूंगा. मैं सिर्फ अच्छे इंसानों का समर्थन करूंगा. पहले मैं उनका समर्थन कर सकता था लेकिन अब उनकी पार्टी के लोगों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं.'

अन्ना ने कहा, 'अगर जरूरत पड़ी तो मैं एक बार फिर से अनशन करूंगा. मैं पूरे देश का भ्रमण करके लोगों को जागरुक करूंगा.'

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