इंदौर। अण्णा हजारे व उनकी टीम के राजनीति में उतरने के ऐलान पर लोगों की काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। उनका दल कैसे जनता के दिलों में जगह बनाएगा इसे लेकर संशय की स्थिति भी है। भास्कर ने टॉक शो के माध्यम से इस बारे में जानना चाहा तो लोगों की राय थी कि चयन, प्रचार, धन और विश्वास अण्णा टीम के लिए मुख्य चुनौती होगा।
भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने निकले अण्णा का आंदोलन अब यू टर्न ले चुका है। उनके लिए अब ज्यादा चुनौती होगी क्योंकि पहले वे अकेले जनता के सामने आए लेकिन अब दल के रूप में जनता के बीच जाना है। अकेले थे तब सबकुछ ठीक था कि वे ईमानदार व साफ छवि के व्यक्ति हैं लेकिन अब उन्हें अपने जैसे 545 लोग और चुनना हैं। यदि दो-चार भी उनके विपरीत निकल गए तो पूरी पार्टी पर प्रश्नचिह्न् लग जाएगा। अभी तक सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना ही अण्णा टीम का मकसद था लेकिन देश के हर कोने में मुद्दे अलग-अलग हैं।
ऐसे में पार्टी की विचारधारा तय करने व समझने वाले एक-जैसे लोग मिलना भी कठिन है। राजनीतिक दल तो कई हैं फिर अण्णा टीम कैसे जनभावनाओं को साथ लेकर काम करेगी यह विश्वास जनता को दिलाना भी टीम के सामने बड़ी चुनौती होगा। चूंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली पार्टी है तो काले धन से भी दूरी बनाए रखना होगी।
कुछ इस तरह की बाते शनिवार को भास्कर द्वारा आयोजित टॉक शो में सामने आई। गृहिणी अर्शी खान का कहना था अण्णा ने अनशन से आंदोलन शुरू किया था। जब कुछ नहीं बदला तो अब राजनीतिक दल के रूप में कैसे अपनी सरकार बनाकर भ्रष्टाचार मुक्त देश बना देंगे। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य युवराज चौहान का कहना था अण्णा के आंदोलन में जनता सड़क पर भी आई लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी। अण्णा टीम काजल की कोठरी को भी निर्मल जल की तरह शुद्ध कर सकती है यदि जनता उन्हें समर्थन दे तो। एनएसयूआई सदस्य शादाब खान का कहना है देश में अभी तक सौ से ज्यादा पार्टियां बनीं लेकिन कुछ ही चल रही हैं। छात्र सौरव जैन का कहना है दल के लिए खुद को चला पाना ही चुनौती होगी।
जन आंदोलन कभी-कभी होते हैं
जनआंदोलन कभी-कभी होते हैं। जिस तेजी से ये ऊपर बढ़ते हैं उसी तेजी से नीचे भी गिरते हैं। भारत जैसे देश में राजनीतिक दल बनाए बगैर ऐसे बड़े बदलाव नहीं किए जा सकते जो अण्णा टीम चाहती है। अण्णा टीम राजनीति का अनुभव नहीं रखती और उसके कुछ सदस्य बड़बोले हैं। इन दोनों मामलों में उन्हें विशेष ध्यान रखना होगा।
- कल्याण जैन, पूर्व सांसद
एक जैसा चुनाव चिह्न् मिलना मुश्किल
पार्टी रजिस्ट्रेशन तो करा लेगी लेकिन उसके प्रत्याशियों को एक जैसा चुनाव चिह्न् मिल पाए यह मुश्किल होगा। चार राज्यों में 3.33 प्रतिशत विधायक लाएगी तब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलेगा। जब यह नहीं होगा तब राजनीतिक पार्टी के रूप में इलेक्शन कमीशन अमान्य घोषित कर देगा।
- पुष्यमित्र भार्गव, अभिभाषक
भ्रष्ट लोग ईमानदार को दबा रहे
चार भ्रष्ट लोग मिलकर ईमानदार को दबा रहे हैं। अण्णा के सामने यही चुनौती रहेगी कि वे बगैर दबे कैसे आगे बढ़ें। इस जमाने में तो ईमानदारी का क्राइटेरिया भी तय करना चुनौतीभरा होता है। यही सामना अण्णा और उनकी टीम को करना है। समय-समय पर कई मसलों पर उन्हें सुझाव भी देना पड़ेगा।
- सीमा पाठक, टैरोकार्ड रीडर
मसल पावर के लिए नहीं बना रहे पार्टी
हम मसल पावर दिखाने के लिए पार्टी नहीं बना रहे हैं। इससे देश में नया परिवर्तन आएगा। यह आंदोलन को आगे बढ़ाने का ही एक प्रयास है। जब जयप्रकाश नारायण जनता के समर्थन से इंदिरा गांधी को हटा चुके थे तो अण्णा क्यों नहीं कर सकते।
- डॉ. इंदर विक्रमसिंह, इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य
जनता की ही पार्टी है
जनता खुद चुनाव लड़ने के लिए टीम को फंड देगी क्योंकि यह उन्हीं की पार्टी है। टीम को देशभर से लोगों का सहयोग मिलेगा। टीम की पार्टी बनने के बाद आम लोगों की मंशा पूरी होती नजर आ रही है इसलिए किसी भी तरह के संशय की संभावना नहीं है।
- स्नेहा पाटीदार, अण्णा समर्थक
दिखता कुछ निकलता कुछ और
जनता तो चाहती है उसे साफ-स्वच्छ सरकार मिले ताकि एक बार चुन लें तो बार-बार सरकार की तरफ न देखना पड़े। फिर सरकार ही जनता का ध्यान रखे। हर राजनीतिक दल खुद को साफ-स्वच्छ बताता है लेकिन बाद में निकलता कुछ और है।
- शैलेंद्र पाठक, व्यवसायी
भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने निकले अण्णा का आंदोलन अब यू टर्न ले चुका है। उनके लिए अब ज्यादा चुनौती होगी क्योंकि पहले वे अकेले जनता के सामने आए लेकिन अब दल के रूप में जनता के बीच जाना है। अकेले थे तब सबकुछ ठीक था कि वे ईमानदार व साफ छवि के व्यक्ति हैं लेकिन अब उन्हें अपने जैसे 545 लोग और चुनना हैं। यदि दो-चार भी उनके विपरीत निकल गए तो पूरी पार्टी पर प्रश्नचिह्न् लग जाएगा। अभी तक सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना ही अण्णा टीम का मकसद था लेकिन देश के हर कोने में मुद्दे अलग-अलग हैं।
ऐसे में पार्टी की विचारधारा तय करने व समझने वाले एक-जैसे लोग मिलना भी कठिन है। राजनीतिक दल तो कई हैं फिर अण्णा टीम कैसे जनभावनाओं को साथ लेकर काम करेगी यह विश्वास जनता को दिलाना भी टीम के सामने बड़ी चुनौती होगा। चूंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली पार्टी है तो काले धन से भी दूरी बनाए रखना होगी।
कुछ इस तरह की बाते शनिवार को भास्कर द्वारा आयोजित टॉक शो में सामने आई। गृहिणी अर्शी खान का कहना था अण्णा ने अनशन से आंदोलन शुरू किया था। जब कुछ नहीं बदला तो अब राजनीतिक दल के रूप में कैसे अपनी सरकार बनाकर भ्रष्टाचार मुक्त देश बना देंगे। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य युवराज चौहान का कहना था अण्णा के आंदोलन में जनता सड़क पर भी आई लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी। अण्णा टीम काजल की कोठरी को भी निर्मल जल की तरह शुद्ध कर सकती है यदि जनता उन्हें समर्थन दे तो। एनएसयूआई सदस्य शादाब खान का कहना है देश में अभी तक सौ से ज्यादा पार्टियां बनीं लेकिन कुछ ही चल रही हैं। छात्र सौरव जैन का कहना है दल के लिए खुद को चला पाना ही चुनौती होगी।
जन आंदोलन कभी-कभी होते हैं
जनआंदोलन कभी-कभी होते हैं। जिस तेजी से ये ऊपर बढ़ते हैं उसी तेजी से नीचे भी गिरते हैं। भारत जैसे देश में राजनीतिक दल बनाए बगैर ऐसे बड़े बदलाव नहीं किए जा सकते जो अण्णा टीम चाहती है। अण्णा टीम राजनीति का अनुभव नहीं रखती और उसके कुछ सदस्य बड़बोले हैं। इन दोनों मामलों में उन्हें विशेष ध्यान रखना होगा।
- कल्याण जैन, पूर्व सांसद
एक जैसा चुनाव चिह्न् मिलना मुश्किल
पार्टी रजिस्ट्रेशन तो करा लेगी लेकिन उसके प्रत्याशियों को एक जैसा चुनाव चिह्न् मिल पाए यह मुश्किल होगा। चार राज्यों में 3.33 प्रतिशत विधायक लाएगी तब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलेगा। जब यह नहीं होगा तब राजनीतिक पार्टी के रूप में इलेक्शन कमीशन अमान्य घोषित कर देगा।
- पुष्यमित्र भार्गव, अभिभाषक
भ्रष्ट लोग ईमानदार को दबा रहे
चार भ्रष्ट लोग मिलकर ईमानदार को दबा रहे हैं। अण्णा के सामने यही चुनौती रहेगी कि वे बगैर दबे कैसे आगे बढ़ें। इस जमाने में तो ईमानदारी का क्राइटेरिया भी तय करना चुनौतीभरा होता है। यही सामना अण्णा और उनकी टीम को करना है। समय-समय पर कई मसलों पर उन्हें सुझाव भी देना पड़ेगा।
- सीमा पाठक, टैरोकार्ड रीडर
मसल पावर के लिए नहीं बना रहे पार्टी
हम मसल पावर दिखाने के लिए पार्टी नहीं बना रहे हैं। इससे देश में नया परिवर्तन आएगा। यह आंदोलन को आगे बढ़ाने का ही एक प्रयास है। जब जयप्रकाश नारायण जनता के समर्थन से इंदिरा गांधी को हटा चुके थे तो अण्णा क्यों नहीं कर सकते।
- डॉ. इंदर विक्रमसिंह, इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य
जनता की ही पार्टी है
जनता खुद चुनाव लड़ने के लिए टीम को फंड देगी क्योंकि यह उन्हीं की पार्टी है। टीम को देशभर से लोगों का सहयोग मिलेगा। टीम की पार्टी बनने के बाद आम लोगों की मंशा पूरी होती नजर आ रही है इसलिए किसी भी तरह के संशय की संभावना नहीं है।
- स्नेहा पाटीदार, अण्णा समर्थक
दिखता कुछ निकलता कुछ और
जनता तो चाहती है उसे साफ-स्वच्छ सरकार मिले ताकि एक बार चुन लें तो बार-बार सरकार की तरफ न देखना पड़े। फिर सरकार ही जनता का ध्यान रखे। हर राजनीतिक दल खुद को साफ-स्वच्छ बताता है लेकिन बाद में निकलता कुछ और है।
- शैलेंद्र पाठक, व्यवसायी