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अग्निवेश के इस दावे पर सवाल उठाने वालों की भी कमी नहीं है। यह जगजाहिर है कि केजरीवाल और अग्निवेश में मतभेद आंदोलन के शुरुआती दिनों से ही हैं।
केजरीवाल का जवाबः उधर, अरविंद केजरीवाल ने स्वामी अग्निवेश के आरोपों को हास्यास्पद करार दिया है। केजरीवाल ने ट्विटर कर कहा, 'कुछ मीडिया वाले स्वामी अग्निवेश के हवाले से कह रहे हैं कि मैं अन्ना को 'मारना' चाहता था। क्या इससे हास्यास्पद चीज कुछ और हो सकती है। क्या स्वामी अग्निवेश ने कुछ सबूत दिए हैं?, नहीं। तो फिर क्या उनसे यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि वे इस बारे में कुछ सबूत दें? अन्ना पर एक नहीं 100 जिंदगी कुर्बान।'
क्या-क्या कहा अग्निवेश नेः अग्निवेश के मुताबिक अप्रैल 2011 में जब जंतर-मंतर पर जन लोकपाल आंदोलन शुरू हुआ तो वह अन्ना को आमरण अनशन पर बैठाने के खिलाफ थे। अग्निवेश ने कहा, 'जब मुझे पता चला कि अन्ना आमरण अनशन करने वाले हैं, तो मैंने अरविंद से सवाल किया था कि वह अन्ना जैसे बुजुर्ग को आमरण अनशन पर क्यों बैठा रहे हैं? इस पर अरविंद ने कहा कि उनका बलिदान हो जाता है तो इससे क्रांति होगी। वह मर जाएंगे तो कोई बात नहीं, यह आंदोलन के लिए अच्छा रहेगा।'
अग्निवेश के मुताबिक जंतर-मंतर पर अनशन के दौरान सरकार द्वारा सारी मांगें मंजूर करने के बाद भी अरविंद केजरीवाल अन्ना को पांच-सात दिन और अनशन करने के लिए उकसाते रहे। उन्होंने कहा, 'आंदोलन की शुरुआत से ही केजरीवाल बहुत बड़ी महत्वकांक्षा लेकर चल रहे थे। उन्हें लग रहा था कि अन्ना के कंधे पर रखकर ही वह अपनी बंदूक चला सकते हैं। केजरीवाल को लगता था कि अन्ना की छवि का फायदा उठाकर वह लोगों के बीच अपनी बड़ी इमेज बना सकते हैं। इसी के चलते उन्होंने अन्ना को पुणे से लाकर जंतर-मंतर पर बिठाया।'
अग्निवेश के मुताबिक अरविंद केजरीवाल चाहते थे कि अन्ना अपना आंदोलन जारी रखें। आंदोलन के दौरान सरकार द्वारा सारी मांगें मान लेने के बावजूद अन्ना अरविंद के उकसावे पर अनशन पर डटे रहे। उन्होंने जब अरविंद ने बात की तो उन्होंने कहा कि अन्ना अनशन नहीं तोड़ेंगे अभी पांच-सात दिन अनशन और जारी रखेंगे। इस बात का तब उन्हें बहुत बुरा लगा था। उन्हें तब लगा कि यह अनशन किसी और मकसद से करवाया जा रहा है। अग्निवेश के मुताबिक किरण बेदी को भी यह बात बुरी लगी थी।
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि उन्होंने इसके बाद टीम अन्ना के सदस्य शांति भूषण और प्रशांत भूषण से बात की। वह भी इस बात पर राजी थे कि अब अन्ना को अनशन तोड़ देना चाहिए। उन्होंने अन्ना को जब इस बारे में समझाया तो वह नहीं माने। इस पर शांति भूषण अन्ना पर बरस पड़े। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पोल-पट्टी खोलने की धमकी के बाद ही अन्ना अनशन तोड़ने पर राजी हुए थे।
आंदोलन से शुरुआत से जुड़े अरविंद गौड़ ने अग्निवेश के आरोप को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा सोचना भी पाप है कि कोई अन्ना को नुकसान पहुंचाना चाहता था। अगर कोई ऐसा कह रहा है तो यह गलतबयानी है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान जो भी हुआ वह स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी। सरकार के रवैये के हिसाब से ही फैसले लिए गए और इस बात पर विचार किया गया कि अनशन कब और कितने दिनों का हो। उनका कहना एकदम गलत है कि कोई अन्ना जी को मारना चाहता था। अग्निवेश का बयान पूरी तरह से बेबुनियाद है।
इस प्रकरण पर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कोई भी जवाब नहीं मिला। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस तरह की बातों से अरविंद केजरीवाल के साथ ही अन्ना से जुड़े कई लोगों को असहजता का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे सवालों का जवाब देते भी नहीं बन रहा है।केजरीवाल के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह अग्निवेश की कुंठा है, जो इस तरह से निकल रही है।
अन्ना हमें हमेशा से प्रेरणा देते रहे हैं, यह सोचना भी गुनाह है। वैसे अगर अग्निवेश की बात करें तो आंदोलन के शुरुआती दिनों में ही उन्हें आंदोलन के लिए नुकसानदायक बता कर टीम अन्ना से बाहर कर दिया गया था। उन पर अन्ना की टीम में जासूसी कर खबरें सरकार तक पहुंचाने का इल्जाम लगा। उनकी एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई, जिसमें उन्हें किसी संदिग्ध से बात करते दिखाया गया। तब भी अग्निवेश ने केजरीवाल पर तानाशाही के इल्जाम लगाए थे और उन्हें अन्ना हजारे के लिए नुकसानदायक बताया था।