" "

भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

लोकतंत्र पर हावी होता जुगाड़तंत्र


नयी दिल्ली : चुनाव यदि लोकतंत्र की प्राथमिक जरूरत है, तो उसका स्वतंत्र एवं निष्पक्ष होना भी लोकतंत्र की सफ़लता के लिए अनिवार्य है. लेकिन भारत में कुछ वर्षों से चुनावों के दौरान पैसे का खेल जिस तेजी से बढ़ा है, लोकतंत्र पर धनतंत्र के हावी होने का खतरा मंडरा रहा है.


हाल में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान करोड़ों रुपये जब्त हुए. हैरानी की बात है कि जब्त रुपये पर कोई दावा भी नहीं करता. अब तो राज्यसभा चुनाव तक में पैसों के खेल की चर्चा होने लगी है.
झारखंड में राज्यसभा चुनाव के दिन दो करोड़ रुपये की जब्ती ने इस धारणा को और पुख्ता किया है. जानकारों का मानना है कि बाहुबल की ताकत पर विराम लगने के बाद धन की ताकत राजनीतिक दलों के लिए जिताऊ फ़ैक्टर बन गयी.


सेंटर फ़ॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के एक आकलन के मुताबिक, वर्ष 2009 लोकसभा चुनाव में आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने 1,500 करोड़ रुपये, भाजपा ने 1,000 करोड़, बसपा और एनसीपी ने 700-700 करोड़, डीएमके ने 400 करोड़ और एआइडीएमके ने 300 करोड़ रुपये खर्च किये थे.


सर्वे के मुताबिक, 2009 में देश में 20 फीसदी मतदाताओं ने माना था कि विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने वोट के एवज में पैसे देने की पेशकश की थी. स्टेट फ़ंडिंग की व्यवस्था होचुनावों में धन के बढ़ते इस्तेमाल के बारे में पूर्व चुनाव आयुक्‍त जीवीजी कृष्णमूर्ति कहते हैं, पैसे से चुनाव को प्रभावित करने का मामला नया नहीं है, लेकिन पिछले दो दशक में इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है.


चुनावी प्रक्रिया में अब करोड़पति और कॉरपोरेट हितों को आगे बढ़ानेवाले लोग सीधे तौर पर शामिल हो रहे हैं. वे सीधे चुनाव जीत कर नीति निर्माण में भूमिका निभा रहे हैं. चुनावों का खर्च इस स्तर पर पहुंच गया है कि मौजूदा कानून मजाक बन कर रह गये हैं.


चुनावों में धन बल के बढ़ते प्रयोग को रोकने के लिए चुनाव आयोग को और अधिकार दिये जाने की जरूरत है. साथ ही चुनावी खर्च पर रोक लगाने के लिए स्टेट फंडिग की व्यवस्था भी होनी चाहिए.


पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र जरूरीचुनाव आयोग के सलाहकार रह चुके केजे राव कहते हैं, पिछले कुछ समय से चुनाव आयोग की सख्ती के कारण बड़े पैमाने पर रुपये जब्त किये जा रहे हैं.


बावजूद इसके, चुनावों में पैसे का इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है. इसे तब तक नहीं रोका जा सकता, जब तक भ्रष्टाचार, खास कर राजनीतिक भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा. राजनेताओं द्वारा भ्रष्टाचार से कमाये गये कालेधन के कारण ही चुनावों में पैसे का इस्तेमाल लगातार बढ़ा है.


लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है. चुनावों धन का इस्तेमाल बढ़ने की कई और वजहें भी हैं. मसलन, आज किसी भी दल में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. पार्टियों में जब तक आंतरिक लोकतंत्र नहीं आयेगा, चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी नहीं हो पायेगी.


चुनाव सुधार जरूरी
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के डायरेक्टर जगदीप छोकर कहते हैं, राजनीति में कालेधन का बढ़ता इस्तेमाल लोकतंत्र की नींव को खोखला कर रहा है. खास कर चुनावों में कालेधन का प्रयोग व्यापक पैमाने पर हो रहा है.


इससे चुनावी प्रक्रिया प्रभावित होती है. इसे रोकने के मौजूदा कानून प्र्याप्त नहीं हैं. इसके लिए तत्काल दो कदम उठाने की जरूरत है. पहला, सभी दलों में आंतरिक लोकतंत्र की बहाली हो.


आज विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक के प्रत्याशी हाइकमान की मरजी से तय होते हैं. वहां चयन का आधार क्या होता है, यह किसी को पता नहीं चलता. उम्मीदवारों के चयन के लिए पार्टियों में निचले स्तर पर चुनाव होना चाहिए. दूसरा प्रमुख उपाय है, पार्टियों को मिलनेवाले फंड को पारदर्शी बनाना. पार्टियों के पास करोड़ों रुपये कहां से आते हैं, यह पता नहीं चलता.


देश में चुनाव सुधार का मामला वर्षो से अधर में लटका हुआ है. कोई भी दल चुनाव सुधार नहीं चाहता. जाहिर है, इसके लिए लोगों को ही आगे आना होगा.


कोट : राजनेताओं द्वारा भ्रष्टाचार से कमाये कालेधन के कारण ही चुनावों में पैसे का इस्तेमाल बढ़ा है. 
केजे राव, चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार



  •  चुनावों में काले धन का प्रयोग व्यापक पैमाने पर हो रहा है.
  •  यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान लखीमपुर में दो करोड़ रुपये जब्त
  •  पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान 12 करोड़ रुपये जब्त
  •  तमिलनाडु विस चुनाव के दौरान करीब 24 करोड़ जब्त
  •  कहां जाता है जब्त रुपया : चुनावों के दौरान जब्त धन आयकर विभाग के कैश डिपार्टमेंट में जमा होता है
  •  चुनावों का खर्च इस स्तर पर पहुंच गया है कि मौजूदा कानून मजाक बनकर रह गये हैं.- जीवीजी कृष्णमूर्ति, पूर्व चुनाव आयुक्‍त


मोदी राज में खजाने को 16 हजार करोड़ का चूनाः सीएजी


अहमदाबाद। गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार घोटाले के एक गंभीर आरोप में उलझ गई है। सीएजी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि सरकार ने कई कंपनियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया जिससे खजाने को 16 हजार करोड़ रुपये का चूना लगा है। सरकार ने आज बजट सत्र के आखरी दिन रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया। इस दौरान विपक्ष का कोई विधायक सदन में नहीं था। सभी को तीन दिन पहले निलंबित कर दिया गया था। विपक्ष ने इसे साजिश बताते हुए आरोप लगाया है कि गुजरात सरकार भ्रष्टाचार की तमाम सीमाएं लांघ गई है।


सीएजी रिपोर्ट कहती है कि गुजरात सरकार ने अदानी एनर्जी को खरीद कीमत से भी कम पर गैस उपलब्ध कराई जिससे सरकार को 70 करोड़ रुपये का चूना लगा। गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन यानी जीएसपीसी ने एस्सार स्टील को बेजा ढंग से 12 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया। सार्वजनिक उपक्रमों को लेकर सरकार की गलत नीतियों के चलते खजाने को 4216 करोड़ रुपये का चूना लगा। सीएजी के मुताबिक तमाम गड़बड़ियों के चलते सरकारी खजाने को 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है।




विपक्ष का आरोप है कि सरकार को वित्तीय गड़बड़ियों के बारे में पहले से जानकारी थी। वो बहस से बचना चाहती थी इसीलिए विपक्ष के तमाम विधायकों को तीन दिन पहले पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था। विपक्ष के मुताबिक मोदी सरकार उद्योगपतियों के हाथों में खेल रही है। वहीं गुजरात सरकार ने कहा है कि सीएजी रिपोर्ट सिर्फ कुछ बातों का संकेत देती है। कोई नतीजा निकाल लेना जल्दबाजी है। विपक्ष का हंगामा बेवजह है।


जो भी हो, सीएजी रिपोर्ट ने विपक्ष को सरकार के खिलाफ बड़ा हथियार मुहैया करा दिया है। चुनाव करीब हैं और अरसे से गुजरात की सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस ये मौका छोड़ना नहीं चाहती। वो इस मुद्दे को सड़क तक ले जाने का मन बना चुकी है।

सच्चे और ईमानदार लीडर की जरूरत: बेदी


मसूरी, जागरण कार्यालय: आज के बच्चे कल के लीडर हैं। यदि बच्चों को राजनीति में अपना भविष्य बनाना है तो उन्हें परिवर्तनशील लीडर बनना होगा। इस समय देश को सच्चे और ईमानदार राजनेताओं की आवश्यकता है।


मसूरी स्थित वुडस्टॉक स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय वुडस्टॉक मॉडल यूएन-2012 के शुभारंभ अवसर पर बच्चों को संबोधित करते हुए प्रथम महिला आइपीएस किरन बेदी ने कहा कि आप सब कल का भविष्य हैं, इसलिए समाज और देश के प्रति आपकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि इस समय देश को अच्छे लीडर की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि आप में से कुछ लोग राजनीति में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं तो सेवा भाव से राजनीति में आइए। इस समय देश को सच्चे और ईमानदार राजनेता की आवश्यकता है।


बच्चों को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में किरन बेदी ने कहा कि तिहाड़ जेल में कैदियों के लिए मैने जो सुधार कार्यक्रम बनाए थे, मेरे बाद अधिकारियों ने इस कार्य को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि सशक्त लोकपाल बिल को लाया जाना देशहित में जरूरी है। जिस प्रकार उत्तराखंड ने लोकपाल बिल पास कर पहल की है, अन्य राज्यों को भी ऐसा करना चाहिए। बेदी ने कहा कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जरूरी है कि सीबीआइ को भी इसके दायरे में लाया जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो आंदोलन जारी रहेगा। वुडस्टॉक मॉडल यूएन-2012 में मेजबान वुडस्टॉक के अलावा देहरादून व दिल्ली के आठ स्कूलों के लगभग 150 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। वुडस्टॉक के प्रिंसिपल जोनाथन लांग ने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों का आभार जताया। इस मौके पर अजय मार्क और एड बेवन मौजूद थे।

Manjunath Shanmugam

He was a marketing manager (grade A officer) for the Indian Oil Corporation (IOC) who was murdered for sealing a corrupt petrol station in UP. This incident inspired several students at IIM, IIT and other institutes.

टाट्रा घोटाले के बारे में जानती थे सोनिया एवं रक्षामंत्री


बड़े सौदे होते हैं, तो उन सौदों को पूरा कराने के लिए बड़े-बड़े एजेंट होते हैं। ऐसा ही एक एजेंट है टाट्रा सिपॉक्स, जिसे रक्षा मंत्रालय के कड़े नियमों ने भी नहीं रोका। साल 2009 में टाट्रा पर उंगली उठी। रक्षा मंत्री ने जांच के आदेश भी दिए, लेकिन आज तक न जांच ख़त्म हुई न ही एजेंट टाट्रा की सौदेबाज़ी।


रक्षा मंत्री ए के एंटनी अब यह नहीं कह सकते थे कि उन्हें टाट्रा सिपॉक्स के साथ हुए रक्षा सौदों में गड़बड़ी की बात नहीं पता थी। क्योंकि एक अंग्रेज़ी अख़बार डीएनए के मानें, तो रक्षा मंत्री को यह बात उन्हें किसी और ने नहीं, बल्कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ने ही बताई थी, वह भी लिखित में।


अख़बार के मुताबिक, 5 अक्टूबर 2009 को केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने रक्षामंत्री को एक चिट्ठी लिखी थी। या यूं कहा जाए कि शिकायत की थी। दरअसल, यह चिट्ठी गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के कहने पर लिखी थी।


इस चिट्ठी में टाट्रा मामले में ज़रूरी क़दम उठाने के लिए कहा गया था। रक्षा मंत्रालय ने इस ख़त का जवाब 22 अक्टूबर को दिया था, जिसमें कहा गया था कि मामले की जांच की जा रही है और जांच में वक़्त लग सकता है। रक्षा मंत्रालय ने अपना जवाब देकर मामले को भुला दिया और क़रीब ढाई साल बाद यह मामला फिर सुर्खियों में है। मामले में लीपापोती से बीजेपी नाराज़ है और उसने रक्षा मंत्री के इस्तीफ़े की मांग की है।


अख़बार के मुताबिक, कर्नाटक के वरिष्ठ नेता डॉ. हनुमनथप्पा ने 6000 करोड़ रुपये के टाट्रा ट्रकों की ख़रीद के मामले में हुए घोटाले के बारे में तत्कालीन क़ानून मंत्री को भी पत्र लिखा था। यह पत्र कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी दिया गया था। इसमें उन्होंने कहा था कि टाट्रा ट्रकों का ठेका सीधे उत्पादन कंपनी को न देते हुए उसके ब्रिटिश एजेंट को दिया गया और यह रक्षा ख़रीद से जुड़े दिशा-निर्देशों का सीधा उल्लंघन है। इतना ही नहीं, हनुमनथप्पा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी इस घपले की जानकारी दी। उन्होंने इस बाबत प्रधानमंत्री को चिट्टी 16 अक्टूबर 2009 को लिखी थी।


इसके अलावा, सरकार के एक और वरिष्ठ मंत्री वीरप्पा मोइली को इस बारे में जानकारी दी गई थी। मोइली ने इस मसले को संबधित विभाग को सौंपने का भरोसा दिलाया था। नए खुलासे पर अभी तक रक्षा मंत्री का जवाब नहीं आया है। इस मामले में रक्षा मंत्री के जवाब का इंतज़ार है, क्योंकि बकौल रक्षा मंत्री ए के एंटनी लिखित शिकायतों पर कार्रवाई ज़रूर करते हैं।


ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर रक्षा मंत्री ने साल दो हज़ार नौ में ही कोई कड़ा क़दम क्यों नहीं उठाया और अगर उन्होंने अपने सहयोगी मंत्रियों की बात पर ग़ैर फ़रमाया होता तो देश इस शर्मिंदगी से बच सकता था। यह बात हनुमनथप्पा भी मानते हैं कि सरकार ने आज तक उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड के 
चेयरमैन ने कहा है कि हनुमनथपप्पा को बीईएमल से कोई लेना देना नहीं हैं।


जिस टाट्रा सिपॉक्स को एजेंट बताया जा रहा है, वह कम्पनी इंग्लैंड की है और एक एनआरआई रवि ऋषि इस कम्पनी में मेजॉरिटी शेयर होल्डर हैं। सवालों के घेरे में ऋषि भी हैं। इस बीच सीबीआई ने अपना काम शुरू कर दिया है। वैसे तो रक्षा हलकों में टाट्रा एक बड़ा नाम है, लेकिन अब यह साफ़ हो चुका है कि टाट्रा ट्रक ख़रीद मामले में सीबीआई ने केस दर्ज़ कर लिया है, जिसके बाद सीबीआई ने इस मामले में दिल्ली और बेंगलुरु में दो दो जगह छापा मारा।


टाट्रा सिपॉक्स के सबसे बड़े शेयर होल्डर रवि ऋषि को पूछताछ के लिए बुलाया गया। रवि ऋषि डिफ़ेंस एक्सपो के सिलसिले में दिल्ली में हैं। रवि ऋषि वेक्ट्रा ग्रुप के चेयरमैन हैं। ब्रिटिश नागरिक रवि ऋषि ने इस मामले में अपनी कंपनी की भूमिका से साफ़ इंकार किया है।


आर्मी को टाट्रा-बीईएमएल ट्रकों की आपूर्ति से जुड़े क़रार में हुई कथित अनियमितता के मामले में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र की एफआईआर दर्ज़ की गई। जनरल वी के सिंह ने इसी टाट्रा कंपनी की ओर अंगुलियां उठाई थी। जनरल ने दावा किया था कि घटिया क्ववालिटी के 600 टाट्रा ट्रक की फ़ाइल आगे बढ़ाने के लिए उन्हें 14 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की गई थी।


सूत्रों की मानें, तो रक्षा मंत्रालय के कहने पर इस मामले में दो अलग अलग केस भी दर्ज़ किए जाएंगे, जिसमें एक केस सौदे की जांच से जुडा होगा तो दूसरा जनरल वी के सिंह के रिश्वत पेशकश मामले से। दरअसल, इस मामले में सेना ने पांच मार्च को टाट्रा और भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड का ज़िक्र किया था।


रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह ने टाट्रा और वेक्ट्रा लिमिटेड की ओर से रिश्वत की पेशकश की थी। फ़िलहाल वेक्ट्रा के चेयरमैन रवि ऋषि इन आरोपों को ग़लत बता रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह से उनका कोई लेना देना नहीं हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में क्या कुछ निकलकर आता है।

एक प्रेस कांफ्रेंस में अरविंद केजरीवाल का जवाब विशेषाधिकार नोटिस पर

ऐसी संसद का सम्मान नहीं कर सकता'


केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि संसद को अपमान की स्थिति तक लाने के लिए सभी दल जिम्मवार हैं क्योंकि आपराधिक छवि के 162 सांसद इसमें प्रवेश करने में सफल रहे हैं।


टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने अपने तेवर बरकरार रखते हुए संसद का अपमान करने के लिए उन्हें मिले विशेषाधिकार हनन नोटिसों का यह कहकर जवाब दिया कि वह ऐसे संस्थान का सम्मान कैसे कर सकते हैं जहां इतने सारे आपराधिक पृष्ठभूमि के सांसद हों। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि संसद को अपमान की स्थिति तक लाने के लिए सभी दल जिम्मेवार हैं क्योंकि आपराधिक छवि के 162 सांसद इसमें प्रवेश करने में सफल रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि एक वक्त ऐसी संसद थी जिसमें लाल बहादुर शास्त्री ने एक ट्रेन हादसे के बाद (रेल मंत्री पद से)इस्तीफा दे दिया था।


इस तरह की संसद के लिए मैं कोई भी त्याग करना चाहूंगा लेकिन मैं आजकल की संसद का कैसे सम्मन कर सकूंगा? केजरीवाल ने आरोप लगाया कि ऐसे उद्योगपति तमाम दलों की मदद से संसद में प्रवेश करने में सफल रहे हैं जिन्हें किसी जन सेवा के लिए जाना नहीं पड़ता।उन्होंने पूछा कि वे अपने कारोबारी हितों को आगे मजबूत करने के लिए संसद में प्रवेश करते हैं, यह संसद का अपमान नहीं तो और क्या है? सज्जन सिंह वर्मा के अतिरिक्त राजद सांसदों राजनीति प्रसाद और रामकृपाल यादव ने केजरीवाल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस भेजा था।


केजरीवाल ने 25 फरवरी को कहा था कि इस संसद में 163 सदस्यों के खिलाफ जघन्य अपराधों के मामले हैं।मौजूदा संसद में बलात्कारी बैठे हुए हैं, हत्यारे और लुटेरे बैठे हुए हैं। आप संसद की ओर से लोकपाल विधेयक पारित किए गए जाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? इस हालात में आप भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?


केजरीवाल ने कहा कि टीम अन्ना उन 14 केंद्रीय कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ सबूत उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखेगी जिन्हें उन्होंने भ्रष्ट बताया था।हजारे ने इन मंत्रियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अगस्त तक की समय सीमा दी थी और सरकार को कहा था कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा।

स्कूली किताबों में अन्ना हजारे बने "दूसरे गांधी"


नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की अलख जगाने वाले अन्ना हजारे भले ही सत्ता पक्ष व अन्य राजनीतिक वर्ग के आंखों की किरकिरी बने हों, लेकिन वे स्कूलों की किताब में 'दूसरे गांधी' बन गए हैं। सीबीएसई के कई स्कूलों में एक निजी प्रकाशक की पुस्तक को 'जनरल नॉलेज अपडेट' के रूप में उन्हें पढ़ाई का हिस्सा बनाया गया है। 


सातवीं-आठवीं कक्षा के लिए अलग- अलग तैयार की गई इन पुस्तकों में अन्ना को दूसरा गांधी बताते हुए उनके जीवन, हाल ही में हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन व अनशन के बारे में जानकारी दी गई है। 


आठवीं कक्षा की पुस्तक में अन्ना के जन लोकपाल की मुख्य विशेषताओं को बताया गया है। हजारे पर लिखी गई धीरेन एम दोषी की किताब के बारे में दावा किया गया है कि यह सतत एवं समग्र मूल्यांकन (सीसीई) योजना पर आधारित पुस्तक है। 


गौरतलब है कि सीसीई योजना मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल की पहल पर छात्रों के सीसीई के लिए सीबीएसई के स्कूलों में लागू की गई है। 


मंत्रालय का टिप्पणी से परहेज 


फिलहाल मानव संसाधन मंत्रालय और सीबीएसई ने इस तरह की पुस्तकों के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है। मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा कि अगर कोई सप्लीमेंटरी पढ़ाई के तहत किसी व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी दे रहा है तो इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। 
मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने इस संबंध में 'एसएमएस' के जरिए पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। सीबीएसई चेयरमैन विनीत जोशी ने भी इस संबंध में कुछ नहीं कहा। 


मंत्रालय के अधिकारी इस मसले को सियासी रूप से संवेदनशील मानते हुए कुछ भी आधिकारिक रूप से कहने से बच रहे हैं। दरअसल मंत्रालय सूत्रों का मानना है कि इस मसले में हाथ डालना बर्र के छत्ते को छेडऩे जैसा है। एक अधिकारी ने कहा कि हमने किसी तरह की संस्तुति नहीं दी है, लेकिन अन्ना के बारे में कोई पढ़ाना ही चाहता है तो हम रोकने में समर्थ भी नहीं हैं।

अन्ना का अगला आन्दोलन : केजरीवाल




लोकायुक्त पुलिस ने 88 दिन में पकड़ी 70 करोड़ रुपए की काली कमाई


भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकायुक्त पुलिस के इतिहास में पहली बार तीन माह की समयावधि में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ की गई छापामार कार्रवाई में 70 करोड़ रुपए की काली कमाई का खुलासा किया गया है।


पिछले 88 दिन में 17 अधिकारी-कर्मचारियों के यहां छापे और 40 अधिकारी-कर्मचारियों को रिश्वत लेते दबोचा गया है। सबसे बड़ी कार्रवाई उज्जैन पीएचई में पदस्थ रहे एई आरके द्विवेदी यहां हुई। जिनके पास से 8 करोड़ रुपए से अधिक का काला धन उजागर किया गया है। 


छापे के 17 मामले 
लोकायुक्त पुलिस ने एक जनवरी से 28 मार्च की स्थिति में 17 भ्रष्ट शासकीय सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर उनके पचास से अधिक ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की है। भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा काली कमाई से प्रदेश के बाहर भी बड़ी संख्या में अचल संपत्ति खरीदी गई है। इसमें करीब 70 करोड़ की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया गया है।


इसके अलावा 40 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ ट्रेप की कार्रवाई की है। इसमें चार लाख रुपए से अधिक रिश्वत की राशि बरामद की गई है। विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त के गठन के बाद तीन माह की समयावधि में लोकायुक्त की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। हैरत की बात तो यह है कि जबलपुर विकास प्राधिकरण के स्टोर कीपर (मुकेश दुबे) जैसे छोटे कर्मचारी के पास ढाई करोड़ रुपए की आय से अधिक संपत्ति मिल रही है, तो पटवारी तीन से पांच करोड़ के आसामी निकले हैं। रिश्वत के मामलों में राजस्व, स्वास्थ्य, नगर निगम, पीडब्ल्यूड़ी, खनिज, सहकारिता और नगरीय निकायों के अधिकारी-कर्मचारी पकड़े जा रहे हैं। 


तोड़ा सालों का रिकार्ड 
लोकायुक्त पुलिस की महज तीन माह की कार्रवाई ने साल भर में होने वाली कार्रवाइयों का रिकार्ड तोड़ दिया है। कभी साल में पांच से दस करोड़ की बेनामी संपत्ति का खुलासा होता था तो अब तीन माह में आंकड़ा 70 करोड़ पार कर गया है। वर्ष 2010 में लोकायुक्त पुलिस ने अनुपातहीन संपत्ति के 25 मामलों में 24 करोड़ 31 लाख रुपए का काला धन उजागर किया था तो इस साल ट्रेप के 65 प्रकरणों में 6.85 लाख रुपए जब्त किए थे। वर्ष 2011 में छापे के 37 प्रकरणों में 70 करोड़ 11 लाख रुपए की काली कमाई उजागर की थी तो ट्रेप के 102 मामलों में 11.57 लाख रुपए बरामद किए थे। जबकि इस साल अब तक 17 छापे और 40 ट्रेप के प्रकरण कायम किए जा चुके हैं।

पैसे का खेलः उत्तराखंड एवं झारखंड राज्यसभा में काउंटिंग रुकी


 झारखंड एवं उत्तराखंड के राज्यसभा चुनाव में धन के दुरुपयोग की खबरों से चितित निर्वाचन आयोग ने सम्बंधित राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों को मतगणना शुरू न करने को कहा है। मतगणना शुक्रवार शाम पांच बजे से होनी थी। आयोग ने झारखंड एवं उत्तराखंड की विधानसभा के निर्वाचन अधिकारियों से शुक्रवार को मतदान के संपन्‍न होने के विषय में व्यापक रपट भेजने का निर्देश दिया। साथ ही मतदान के तुरंत बाद घटी किसी अप्रिय घटना का विशेष उल्लेख करने को कहा।

निर्वाचन आयोग ने बिना अनुमति के मतगणना शुरू करने से मना करने के साथ-साथ निर्वाचन आयोग की इजाजत के बगैर परिणामों की घोषणा भी नहीं करने को कहा है। आयोग ने कहा कि निर्वाचन अधिकारियों द्वारा भेजी गई रपट का अध्ययन करने के बाद मतगणना की अनुमति दी जाएगी।

झारखंड की राजधानी रांची में एक वाहन से दो करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद की गई थी। बताया जाता है कि जब्त वाहन एक निर्दलीय प्रत्याशी के रिश्तेदार का है।

केजरीवाल मेंटल केस हैं: लालू



नेताओं के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए राजद नेता लालू प्रसाद ने कहा कि टीम अन्ना के यह सदस्य मेंटल केस  हो गए हैं और कुंठा में ऐसे बयान दे रहे हैं।


सांसदों के बारे में टीम अन्ना सदस्य के बयान के बारे में पूछे जाने पर लालू ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, केजरीवाल सठिया गए हैं। वह मेंटल केस बन गए हैं और कुंठाग्रस्त हैं।


संसद का अपमान करने के संबंध में केजरीवाल के खिलाफ कुछ सांसदों की ओर से पेश विशेषाधिकार हनन नोटिसों पर पलटवार करते हुए कहा था कि ऐसे सदन का सम्मान कैसे किया जा सकता है जिसके 162 सदस्य आपराधिक पृष्ठभूमि के हों।


सदन का अपमान करने संबंधी चार सांसदों की ओर से पेश विशेषाधिकार नोटिसों पर केजरीवाल ने कहा कि वह संसद का सम्मान करते हैं लेकिन इसका अपमान उनके द्वारा हो रहा है जो इसके अंदर बैठे हैं न कि उनके जरिए जो उसके बाहर हैं।

अपनी ही सेना से लड़ रही सरकार: केजरीवाल


सरकार और सेना प्रमुख के बीच चल रही लड़ाई में अब टीम अन्ना भी कूद गई है। अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि सरकार की जी-हुजूरी नहीं करने की वजह से सेना प्रमुख को निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही सरकार के साथ संघर्ष में उनका साथ देने का एलान भी किया है।


टीम अन्ना की एक और सदस्य एवं पूर्व आइपीएस अफसर किरण बेदी के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि सेना प्रमुख लंबे समय से अकेले यह लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन आम लोगों को इसकी जानकारी नहीं रही। इसी तरह उन्होंने रक्षामंत्री एके एंटनी की ओर इशारा करते हुए कहा है कि सिर्फ खुद को ईमानदार बताने भर से काम नहीं चलेगा। उन्हें बेईमानों के खिलाफ कार्रवाई भी करनी होगी।


अरविंद केजरीवाल ने सोशल नेटवर्किग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा है कि ऐसा लग रहा है कि सरकार न सिर्फ अपने देश की जनता बल्कि अपनी सेना से भी लड़ रही है। उन्होंने इस मामले में सेना प्रमुख को सही बताते हुए लिखा है कि हम सेना प्रमुख के संघर्ष में पूरी तरह उनके साथ हैं। हमें उन पर गर्व है। सरकार ने हर महत्वपूर्ण संस्थान में अपने चमचों को बिठाकर उन्हें नष्ट कर दिया है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक [कैग] एवं सेना प्रमुख जैसे लोग, जो उनके सामने नहीं झुकते, उन पर हमला किया जाता है।

टीम अन्ना बोली, हमें सेनाध्यक्ष पर गर्व है!


नई दिल्ली। टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि केंद्र सरकार लीक से हटकर चलने के कारण सैन्य प्रमुख जनरल वी. के. सिंह को निशाना बना रही है।


केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा कि हम जनरल सिंह के साथ हैं और हमें उन पर गर्व है। सरकार ने लगभग सभी संस्थानों में अपने वफादारों को नियुक्त करके संस्थानों की महत्ता खत्म कर दी है और जो भी सरकार के इशारों पर नहीं नाचता जैसे कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक एवं जनरल सिंह उन्हें कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है।


देश के लिए समस्या बन गई है संसद: केजरीवाल 


उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञ भारत की सुरक्षा-व्यवस्था पर चर्चा करने के बजाय राजनीति करने में व्यस्त हैं। अब जनता का धैर्य खत्म हो गया है।


गौरतलब है कि उम्र विवाद के पचड़े में पड़ने के बाद सैन्य प्रमुख विवादों के बवंडर में फंस गये हैं। उन्होंने कुछ दिनों पहले ही एक साक्षात्कार में आरोप लगाया था कि सेना के लिए 600 ट्राटा ट्रकों का सौदा मंजूर करने के लिए उन्हें एक व्यक्ति ने 14 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की थी।


इसके बाद सैन्य प्रमुख का एक पत्र लीक हो गया, जिसमें कहा गया था कि सेना के पास गोला, बारूद की भारी कमी है और हवाई रक्षा के 97 प्रतिशत औजार पुराने पड़ चुके हैं। इस लीक को लेकर कल संसद में भारी हंगामा हुआ था और जनता दल यूनाइटेड, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने जनरल सिंह को बर्खास्त करने की मांग की थी।


दूसरी तरफ टीम अन्ना भी सांसदों पर टिप्पणी करने के कारण विवादों के घेरे में हैं। केजरीवाल का कहना है कि जिस तरह से सरकार काम कर रही है उससे लगता है कि वह सशस्त्र सेना और आम जनता के खिलाफ है।

अरविंद केजरीवाल का विशेषाधिकार नोटिस पर जवाब

MPs with pending criminal cases.


MPs with pending criminal cases.
The 162 MPs with pending criminal cases are distributed across all major political parties


आर्मी चीफ के पक्ष में खुलकर सामने आई टीम अन्ना


नई दिल्ली ।। सरकार की नाराजगी और राजनीतिक दलों के हमले झेल रहे आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह के पक्ष में टीम अन्ना खुलकर सामने आ गई। गुरुवार को टीम अन्ना ने जनरल सिंह को अपना पूरा समर्थन देते हुए कहा कि सरकार की हां में हां न मिलाने की वजह से ही उन्हें निशाने पर लिया गया है। 


टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ' आर्मी चीफ और सीएजी जैसे कुछ लोग जो सरकार की हां में हां नहीं मिलाते, उन्हें निशाने पर ले लिया जाता है। हम आर्मी चीफ के संघर्ष का पूरा समर्थन करते हैं। हमें उन पर गर्व है। ' उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि सरकार ने उनके खिलाफ जंग छेड़ दी है। आर्मी चीफ के खिलाफ दिए जा रहे बयानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ' नेता देश की सुरक्षा तैयारियों में कमी पर चर्चा करने के बदले राजनीति खेल रहे हैं। ' 


टीम अन्ना की एक और सदस्य किरन बेदी ने कहा, ऐसा लगता है कि आर्मी चीफ 'संदिग्ध निष्ठा वाले सीनियर ऑफिसरों' से घिरे थे। 'सबूत तो था, पर समझ नहीं आ रहा था इन्हें कैसे फिक्स किया जाए? अब उन्हें रास्ता मिल गया है।' 


किरन बेदी ने ट्वीट किया,'जब और कुछ काम नहीं करता तब कुदरत का नियम काम करता है। कुदरत पर भरोसा रखें। जो करप्शन में लिप्त हैं और सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं उनका अंत जल्द ही होगा।'

जनरल को शहीद नहीं करेगी सरकार


रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई से इंकार के संकेत दिए हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री को लिखे उनके पत्र के लीक होने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसका मतलब है कि सरकार जनरल वीके सिंह को बर्खास्त करके या फिर छुट्टी पर भेजकर शहीदों की श्रेणी में नहीं लाना चाहती जिन्हें उनकी ईमानदारी के लिए सेना से बर्खास्त कर दिया गया।


रक्षामंत्री ए के एंटनी ने दिल्ली में डिफेन्सएक्सपो में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि खुफिया ब्यूरो से उस पत्र के लीक होने की जांच करने के लिए कहा गया है जिसमें सेनाध्यक्ष ने कहा था कि देश की सुरक्षा दांव पर लग सकती है। एंटनी ने कहा कि सरकार इसकी जड़ तक जाएगी और राष्ट्र विरोधी कार्रवाई के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाएगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या जनरल सिंह पर सरकार को भरोसा है कि इस सवाल पर रक्षा मंत्री ने कहा सेना के तीनों अंगो के प्रमुखों पर सरकार को भरोसा है। वे काम कर रहे हैं अन्यथा वे कैसे काम कर रहे होते।


शुरुआत में एंटनी ने सेना प्रमुख से जुड़े सवालों को टालने की कोशिश की और पत्रकारों से सेना को विवाद में नहीं लाने और संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाने का अनुरोध किया, लेकिन पत्रकारों के बार बार पूछे जाने पर आखिरकार उन्होंने कुछ सवालों के जवाब दिये। यह पूछे जाने पर कि क्या उनको लग रहा है कि विश्वासघात हुआ है तो इस पर एंटनी ने कहा कि वह अपनी व्यक्तिगत भावना का खुलासा नहीं करना चाहेंगे और उनका फैसला तथ्यों के आधार पर होगा।


उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रति सरकार की रत्ती भर भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति है और उसने फैसला किया है कि अगर खरीद प्रक्रिया में किसी भी चरण में अनियमितता पायी जाती है तो वह अनुबंध को रद्द करने से नहीं हिचकिचाएगी। उन्होंने कहा कि हम लगातार अपनी रक्षा तैयारियों की समीक्षा करते हैं। रक्षा को मजबूत बनाना अनवरत प्रक्रिया है और भारत को रक्षा बलों के आधुनिकीकरण के लिए आवंटन में ठोस वृद्धि करने की आवश्यकता है।


पत्र लीक देशद्रोह: जनरल सिंह
रक्षा मंत्री की इस टिप्पणी से कुछ समय पहले जम्मू से जनरल सिंह का बयान आया था कि उनके पत्र के लीक होने को ‘बड़े देशद्रोह ’ की तरह लिया जाय और उसके स्रोत के साथ ‘कड़ाई ’ से निपटा जाय। एंटनी ने कहा कि कोई देशभक्त भारतीय संवेदनशील पत्र व्यवहार को लीक करने में लिप्त नहीं हो सकता क्योंकि इससे केवल दुश्मन को ही फायदा होगा। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट जल्द मिल जाएगी। 


सरकार को फिर पेरशानी में डालने वाले एक घटनाक्रम में आज दिल्ली के एक अखबार में एक रिपोर्ट आई है कि जनरल सिंह ने लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग के खिलाफ तृणमूल कांगे्रस के एक सांसद की भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत को सीबीआई को प्रेषित किया था। सुहाग दीमापुर स्थित तीसरी कोर के कमाण्डर हैं और सिंह के बाद सेनाध्यक्ष पद पर प्रोन्नत किए जा सकने वाले संभावितों की कतार में उनका नाम है।

लोकपाल ‘ब्लैकमेलर’ बनकर रह जाएगा: काट्जू



लखनऊ। जनलोकपाल विधेयक की मांग तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे टीम की देशव्यापी मुहिम के बीच भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काट्जू ने कहा है कि लोकपाल कानून बन जाने पर सारी व्यवस्था चरमरा जायेगी और लोकपाल ब्लैकमेलर बनकर रह जायेगा।


काट्जू ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि लोकपाल हो या जनलोकपाल कानून, इससे व्यवस्था चरमरा जायेगी। सरकार चल नहीं पायेगी। देश में 55-60 लाख कर्मचारी हैं। पंद्रह बीस लाख तो रेलवे कर्मचारी हैं। लाखों में शिकायतें आयेंगी। इनकी जांच के लिए हजारों लोकपाल बनाने पड़ेंगे, क्योंकि दिल्ली में बैठकर चेन्नई की जांच नहीं हो सकती। जिला स्तर पर लोकपाल बनाने पड़ेंगे।


उन्होंने कहा कि लोकपाल का वेतन होगा कर्मचारी होंगे, दफ्तर देना पड़ेगा। बावजूद इसके क्या गारंटी है कि लोकपाल भ्रष्ट नहीं होगा।


लोकपाल की जरूरत नहीं, बस लोग सुधर जाएं: अक्षय




उनका तो मानना है कि लोकपाल ब्लैकमेलर होकर रह जायेगा, क्योंकि लोगों के नैतिक स्तर में गिरावट आई है।
काट्जू ने कहा कि लोकपाल की वजह से नौकरशाही सरकार के समानान्तर काम करने लगेगी। उनका कहना था कि वे अभी तक वे चुप थे, क्योंकि आमतौर पर मीडिया उनसे नाराज रहता है और लोकपाल का विरोध करने वाले को भ्रष्टाचार का समर्थक मान लिया जाता है।


उन्होंने कहा कि उनका स्पष्ट मत है कि लोकपाल की कोई आवश्यकता नहीं है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए वर्तमान संवैधानिक व्यवस्था पर्याप्त है। इसे सख्ती से लागू करने की जरूरत है।


इलेक्ट्रानिक मीडिया पर खासतौर से नाराज काट्जू ने कहा कि यह गैरजिम्मेदार हो गई है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनते ही गुंडाराज की वापसी के समाचार दिखाये जाने लगे हैं। नई सरकार को साल दो साल का समय दिया जाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव में अपार संभावनाएं हैं। वे युवा हैं और ऑस्ट्रेलिया से एमटेक हैं। उन्हें काम करने का मौका दिया जाना चाहिए, उसके बाद उनकी तारीफ या आलोचना की जानी चाहिए। अभी से यह कहना कि गुंडाराज आ गया है यह तरीका गलत है। किसी को हतोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।


काट्जू ने कहा कि अन्ना हजारे ईमानदार हैं, लेकिन उनमें वैज्ञानिक सोच नहीं है। देश की समस्याओं को दूर करने के लिए वैज्ञानिक सोच जरूरी है। शोर-शराबे से समस्याओं का हल नहीं होता।


इलेक्ट्रानिक मीडिया को भारतीय प्रेस परिषद के अधिकार क्षेत्र में लाये जाने की जबरदस्त वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि इस ताकतवर संचार माध्यम को बुनियादी समस्याओं को उठाने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि उन्हें दुख होता है जब इलेक्ट्रानिक मीडिया रियल्टी शो, फिल्मी सितारों के स्वयंवर, बिग बॉस जैसे मुद्दाविहीन कार्यक्रमों को प्रमुखता से दिखाता है। इससे आम लोगों की बुनियादी समस्याएं गौण हो जाती हैं। बुनियादी समस्याओं से लोगों का ध्यान हट जाता है।


उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति के रूप में मायावती सरकार के कार्यकाल में स्मारकों और पार्कों के संबंध में दिये अपने आदेश को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान उन्होंने विपक्षी वकील से पूछा था कि क्या इसमें कानून का उल्लंघन हो रहा है। विपक्षी वकील ने भी कानून का उल्लंघन नहीं होने की बात स्वीकारी थी। ऐसे में वे सरकार के खिलाफ कैसे आदेश दे सकते थे।


उन्होंने कहा कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में किसी संस्था को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। जनता द्वारा चुनी सरकार थी और कानून का उल्लंघन नहीं हो रहा था तो वह सरकार के खिलाफ आदेश क्यों और कैसे देते।


उन्होंने कहा कि वे मीडिया क्षेत्र में कालेधन के कथित प्रयोग पर परिषद गंभीर है। परिषद की कोशिश है कि मीडिया स्वतंत्र और निष्पक्ष बनी रहे। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार को छह महीने के अन्दर पत्रकार मान्यता समिति और विज्ञापन समिति के गठन का निर्देश दिया गया है। सरकार से यह भी कहा गया है कि मान्यता समिति का अध्यक्ष पत्रकार हो और सचिव अधिकारी। इसके ज्यादातर सदस्य पत्रकार ही होने चाहिए।


परिषद की सचिव विभा भार्गव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को पत्रकारों की समस्याओं को जल्द से जल्द दूर करने का आग्रह किया गया है, जबकि परिषद के सदस्य राजीव रंजन नाग ने बताया कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पत्रकारों की चिकित्सा, बीमा और पेंशन जैसी सुविधाओं पर विस्तार से चर्चा की गयी।


नाग ने बताया कि जिला स्तर पर पत्रकारों पर हुए हमले के बारे में भी मुख्यमंत्री से बात हुई है। मुख्यमंत्री ने इन समस्याओं को गौर से सुनने के बाद इनके निदान का आश्वासन दिया है। सुश्री विभा भार्गव के अनुसार परिषद के दो दिनों तक चली बैठक में कई शिकायतों का निस्तारण किया गया।


उन्होंने बताया कि परिषद दक्षिण एशियाई देशों (दक्षेस) के पत्रकारों की समन्वय समिति बना रहा है जो पत्रकारों की दिक्कतों को देखेगा। उनका कहना था कि अदालतों की खबरों के बारे में वह अभी कुछ नहीं कह सकतीं, क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। परिषद का मत है कि लिखने की स्वतंत्रता हो लेकिन संतुलन के साथ। यह न हो कि किसी मामले का मीडिया ट्रायल शुरू हो जाय।


इस बारे में अपनी राय दीजिए



करप्शन की काट के लिए जन लोकपाल सबसे बेहतरः सर्वे


गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आंदोलन का समर्थन करते हुए 73 प्रतिशत लोगों ने राय व्यक्त की है कि प्रधानमंत्री, केन्द्रीय जांच एजेंसी और उच्च पदों पर बैठे अफसरों को भी जनलोकपाल के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए।


यह तथ्य कंज्यूमर यूनिटी एण्ड ट्रस्ट सोसायटी (कट्स) द्वारा राजस्थान के 28 जिलों में कराई गई रायशुमारी में सामने आए हैं। सर्वे में शामिल शतप्रतिशत लोगों ने देश में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जनलोकपाल विधेयक के पक्ष में अपना मत व्यक्त किया है।


कट्स द्वारा ‘हालात सर्वे’ नाम से किए गए सर्वे में राज्य के 28 जिलों में 554 लोगों से बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के बारे में अपनी राय पूछे जाने पर 65 प्रतिशत लोगों ने माना कि भ्रष्टाचार पर प्रभावी तरीके से अंकुश लगाने के लिए जनलोकपाल एक बेहतरीन वैधानिक हथियार का काम करेगा जबकि 22 प्रतिशत लोगों की राय थी कि यह भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में आंशिक रूप से ही प्रभावी हो पाएगा।


भ्रष्टाचार पर अंकुश को ज्वलंत मुद्दा मानते हुए 87 प्रतिशत लोगों ने अन्ना हजारे के आंदोलन को समर्थन देने की बात कही है जबकि बेरोजगारी को द्वितीय प्राथमिकता देते हुए 84 प्रतिशत ने इसके समाधान के लिए कदम उठाने की बात कही है। सर्वे में 80 प्रतिशत लोगों ने आतंकवाद पर नियंत्रण की बात कही है जबकि महंगाई को 78 प्रतिशत लोगों ने गंभीर मुद्दा माना, उनके अनुसार इसका मुख्य कारण भ्रष्टाचार और कालाधन है।

अन्ना के तेवर बरकरार, कहा साफ छवि वाले ही संसद में बैठें


संसद में टीम अन्ना पर हमला बोलने वाले सांसदों के तेवर में भले ही नरमी आ गई हो लेकिन समाजसेवी अन्ना हजारे का रुख अभी नरम नहीं हुआ हैं। अन्ना हजारे ने बुधवार को एक बार फिर सांसदों पर कड़े तेवर अख्तयार करते हुए कहा कि केवल साफ छवि वालों को ही संसद में बैठने का अधिकार है।


गुरूदास दास गुप्ता के बयान की आलोचना की
अन्ना ने आज अपने गांव रालेगण सिद्धी में संवाददाताओं से कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है और केवल साफ छवि वाले लोगों को ही संसद में बैठने का अधिकार है। दूसरी तरफ उन्होंने अपने ब्लॉग पर भाकपा नेता गुरूदास दास गुप्ता समेत उन सांसदों के रवैये की भी आलोचना की है, जिसमें कहा गया था कि टीम अन्ना के लोग सवाल उठाने वाले कौन होते हैं।


सांसदों का रवैया संविधान का अपमान
अन्ना हजारे ने अपने ताजा पोस्ट में कहा कि सांसदों का इस तरह का रवैया संविधान का अपमान है। उन्होंने कहा कि हमने किसी राजनीतिक दल या राजनीतिक नेता के बारे में कुछ नहीं कहा है। हम केवल देश के लिए लड़ रहे हैं। केंद्र सरकार झूठे वायदे करके हमें धोखा दे रही है। मजबूत लोकपाल लाने की उसकी साफ मंशा नहीं है।

सत्येन्द्र दुबे की भ्रष्टाचार से लड़ने के बाद बिहार के गया में हत्या कर दी गयी ....


सत्येन्द्र दुबे नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया  (एनएचएआई) में एक परियोजना निदेशक था. स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग निर्माण परियोजना में भ्रष्टाचार से लड़ने के बाद उसकी बिहार के गया में हत्या कर दी गयी  


अन्ना ने केजरीवाल का बचाव किया


समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने  दावा किया कि उनकी टीम के सदस्य अरविंद केजरीवाल के पास सांसदों के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर लगाये गए आरोपों के संबंध में ठोस सबूत हैं और यह लोकसभाध्यक्ष पर है कि वह इस बारे में जांच करायें।

हजारे ने दिल्ली से लौटने के बाद पुणे के पास स्थित अपने पैतृक गांव रालेगणसिद्धि में एक मराठी टीवी चैनल से कहा, ‘अरविंद ने मुझे बताया कि सांसदों के बारे में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उनके पास ठोस सबूत हैं। संसद लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है और इसलिए इन आरोपों की जांच लोकसभाध्यक्ष की ओर से करायी जानी चाहिए।’ उन्होंने साथ ही कहा कि यदि केजरीवाल जांच में दोषी पाये जाते हैं तो उन्हें भी सजा दी जा सकती है।

विसलब्लोअर्स

इन विसलब्लोअर्स ने एक मकसद के लिए लड़ाई की और अपनी जान देश के लिए दे दी. 25 विसलब्लोअर्स मार दिए गए पिछले कुछ सालों में क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठाई.


कानून जनता की सलाह लेकर बनाए जाएं: अन्ना


नई दिल्ली। टीम अन्ना द्वारा सांसदों के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियां करने पर सांसदों की कटु आलोचना झेल रहे समाजसेवी अन्ना हजारे ने आज कहा कि कानून संसद द्वारा बनाये जाते हैं पर उन्हें जनता से सलाह करके ही बनाया जाना चाहिए।


हजारे ने अपने नवीनतम ब्लॉग में लिखा है कि हमने सैकड़ों बार कहा है कि कानून संविधान के अनुसार संसद द्वारा बनाये जाते हैं, पर लोकतंत्र में सरकार को चाहिए कि वह कानून का प्रारूप समाज के अनुभवी लोगों की मदद से तैयार करे।


हजारे ने कहा कि किसी भी कानून का प्रारूप इन्टरनेट अथवा अन्य माध्यमों से जनता के समक्ष रखा जाना चाहिए। जनता कानून का प्रारूप पढ़ेगी और अपनी सलाह देगी तथा उन सुझावों को संसद के सामने रखा जाना चाहिए।


सिर्फ हिदायत देकर छोड़ा टीम अन्ना को लोकसभा ने 


74 वर्षीय गांधीवादी ने कहा कि वर्ष 1950 में जनता देश की मालिक बन गयी और सरकारी खजाने में धन उसका है। उन्होंने कहा कि देश के भ्रष्टाचार बढ़ गया है, क्योंकि जनता का इस धन पर नियंत्रण नही रहा है।


अन्ना हजारे ने कहा कि लोकपाल विधेयक संसद में आठ बार रखे जाने के बावजूद पारित नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि कानून संसद में बनाये जाते हैं, पर लोकपाल विधेयक लोकसभा में आठ बार प्रस्तुत होने के बावजूद पारित नहीं हो सका। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? 


उन्होंने कहा कि जनता देश की मालिक है तथा विधायक, सांसद और सरकारी अधिकारी जनता के सेवक हैं। उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें विधानसभाओं और संसद में भेजा है पर अगर वे कानून नहीं बना रही है तो जनता को पूरा अधिकार है कि वह इस बारे में उनसे पूछे।


टीम अन्ना चुनाव लड़े बगैर सत्ता चाहती है: दिग्विजय 


हजारे का यह कथन उस समय आया है जब लोकसभा के सांसद दलगत राजनीति से ऊपर उठकर टीम अन्ना द्वारा सांसदों के विरुद्ध कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के विरोध में एकजुट हुए और उनकी निंदा की।


कांग्रेस का कहना है कि हजारे को अनशन करने का पूरा अधिकार है पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद के पास है।

अंग्रेजों की तरह बर्ताव कर रहे हैं सांसद: अन्ना हजारे


देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन चुके गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने सांसदों के व्यवहार की तुलना अंग्रेजों से की है। उन्होंने कहा, मनमाने कानून अंग्रेज बनाते थे, लेकिन आज के नेताओं को भी सवाल खड़े करना नहीं सुहा रहा। उनके सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने संसद में निंदा प्रस्ताव पारित होने के तुरंत बाद फिर वही बातें दुहराई हैं। उन्होंने कहा, जनता को इस बात का जवाब अब भी नहीं मिला है कि क्या सांसदों की खरीद-फरोख्त कर भविष्य में फिर संसद का अपमान किया जाएगा।


अन्ना हजारे ने मंगलवार को कहा, वे और उनके सहयोगी संसद का पूरा सम्मान करते हैं। हमने एक बार नहीं, सैकड़ों बार कहा है कि संविधान के मुताबिक कानून संसद में ही बनते हैं, लेकिन ये कानून जनता की राय के मुताबिक और उनको साथ ले कर ही बनाए जाने चाहिए। अन्ना ने कहा, संविधान में जनता को सबसे ऊपर रखा गया है। इसके बावजूद आज जनता सवाल खड़ा करती है तो ये [सांसद] कहते हैं हमसे पूछने वाले आप कौन? ऐसा कह कर ये लोग संविधान का अपमान कर रहे हैं। नेता कुछ सवाल उठाते हैं और मेरा उन्हें जवाब शीर्षक से लिखे ब्लॉग में अन्ना ने कहा, अंग्रेज तो जुल्मी थे। उन्हें भारत को लूटना था। इसलिए मनमर्जी से कानून बनाए और जनता पर अत्याचार करते रहे। इस तरह वे नाजायज व अमानवीय कानूनों के आधार पर भारत को लूट ले गए, लेकिन अब हम प्रजातंत्र में हैं। अब कोई भी कानून बनाना है तो उसका मसौदा बनाते समय जनता के अनुभवी लोगों को साथ में ले कर बनाना है और तब उसे कानून बनाने के लिए संसद को भेजना है। मैं उम्मीद करता हूं कि राजनीति के लोग इस बात को समझेंगे।


अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने संसद के निंदा प्रस्ताव के तुरंत बाद कहा, जनता बड़े गौर से संसद की कार्यवाही देख रही थी, मगर उन्हें अपने सवालों का जवाब नहीं मिला। लोग पूछ रहे हैं कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले जो 162 सांसद अंदर बैठे हैं, उनका क्या होगा? क्या इनके आरोपों पर सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालत नहीं बननी चाहिए? जनता जानना चाहती है कि क्या भविष्य में फिर से संसद के अंदर बिल फाड़े जाएंगे, माइक, टेबल और कुर्सियां फेंकी जाएंगी? क्या भविष्य में सांसदों की खरीद-फरोख्त जारी रहेगी? केजरीवाल ने कहा, जनता संसद की बहुत इज्जत करती है। नहीं चाहती कि जिस तरह से अपमान होता आया है, आगे भी होता रहे, मगर दुख की बात है कि संसद में हुई चर्चा से इस बात का कोई जवाब नहीं मिला।


संसद की टीम अन्ना को चेतावनी


नई दिल्ली। संसद और सांसदों के विरुद्ध तीखी टिप्पणी से आहत एवं नाराज लोकसभा ने एक सुर से टीम अन्ना की निंदा कर कठोर चेतावनी दी, लेकिन उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन के तहत कार्रवाई से बचा गया। राजग से लेकर संप्रग के सहयोगियों तक, सबने टीम अन्ना पर जमकर भड़ास निकाली। विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर कांग्रेस, भाजपा और वाम दलों ने दूरी बना ली। नतीजतन, लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की भावनाओं के अनुरूप टीम अन्ना को चेतावनी दी कि सदन को नीचा दिखाने वाली टिप्पणियां कतई स्वीकार्य नहीं हैं।


रविवार को जंतर-मंतर पर टीम अन्ना की तरफ से खुद पर और संसद पर की गई टिप्पणी से उद्धेलित राजग संयोजक शरद यादव ने संसद के खिलाफ आपत्तिजनक बयानों को रोकने के लिए नोटिस दिया था। दिन में हंगामे के बाद शाम को लोकसभा में सरकार अल्पकालिक चर्चा को राजी हुई। बजट पर वित्त मंत्री के जवाब के बाद हुई इस अल्पकालिक चर्चा में सभी दलों ने टीम अन्ना की भाषा और उनके रवैये की निंदा की। चर्चा के बाद टीम अन्ना के खिलाफ सदन की तरफ से कोई प्रस्ताव पारित करने के बजाय अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की मंशा को जताते हुए सिविल सोसाइटी को चेतावनी दी। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून और आदर्श आचार-संहिता के तहत गहन छानबीन के बाद चुनाव में जनता अपने विवेक से जनप्रतिनिधियों का चयन करती है। संसद जनता के सामूहिक विवेक का सम्मान करती है।


जदयू अध्यक्ष शरद यादव के साथ सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, बसपा, अन्नाद्रमुक और टीडीपी जैसे तमाम दल टीम अन्ना को सदन में तलब कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की हिमायत करते रहे। सोमवार को टीम अन्ना के खिलाफ आक्रामक रही भाजपा ने खुद को खोल में समेट लिया। टीम अन्ना के मुख्य कर्ताधर्ता अरविंद केजरीवाल या अन्य के खिलाफ सदन की तरफ से विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने के सवाल पर सरकार के साथ-साथ भाजपा और वामदल भी सहमत नहीं थे। सबका मानना था कि इससे अप्रासंगिक हो रही टीम अन्ना फिर से सुर्खियां बटोर लेगी। खुद संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने वरिष्ठ नेताओं प्रणब मुखर्जी, राकांपा सुप्रीमो शरद पवार और पी. चिदंबरम और दूसरे नेताओं से विमर्श करती रहीं। शरद यादव भी अपना भाषण खत्म करने के बाद सोनिया गांधी से मिलने गए, लेकिन सत्ता पक्ष की तरफ से कोई प्रस्ताव लाने या विशेषाधिकार हनन चलाने से साफ मना कर दिया गया। चर्चा के दौैरान राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह ने शरद यादव और भाजपा नेताओं को भी अन्ना की तरफदारी करते रहने के लिए असहज किया।

जनरल ने लिखी पीएम को चिट्ठी, ज़ंग लगे हथियारों से कैसे जीतेंगे जंग?


नई दिल्ली।। कहीं भारत की आजादी खतरे में तो नहीं? भारतीय फौज क्या खोखली हो गई है? क्या सेना में इतना


भी दम नहीं कि वह अपने पड़ोसी दुश्मन देशों के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दे सके? इनमें कुछ सचाई दिखती है, क्योंकि किसी और ने नहीं, बल्कि सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह ने देश की सुरक्षा को खतरे में बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को एक गोपनीय चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में कहा गया है कि सेना के तोपों का गोला-बारूद खत्म हो चुका है। पैदल सेना के पास हथियारों की कमी है। वायुसेना के साजो-समान अपनी ताकत खो चुके हैं। रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने स्वीकार किया है कि उन्हें जनरल की चिट्ठी की जानकारी है। राज्यसभा में इस मुद्दे पर बयान देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि देश की सैनिक तैयारियां मजबूत हैं। उन्होंने कहा कि पीएम से बात करने के बाद इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। 


अंग्रेजी अखबार डीएनए के मुताबिक, जनरल सिंह ने सेना की खस्ता हालत के बारे में 12 मार्च को प्रधानमंत्री को 5 पन्ने की चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी मंगलवार को सामने आई है। जनरल सिंह ने चिट्ठी में लिखा है कि हमारी तमाम कोशिशों और रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद तैयारियां नहीं दिख रही है। मैं यह सूचित करने को मजबूर हूं कि सेना की मौजूदा हालत संतोषजनक स्थिति से कोसों दूर है। 


दो विरोधी पड़ोसी मुल्कों से देश की सुरक्षा सेना की क्षमता से जुड़ी है। इस वजह से सेना की खामियों को तत्काल प्रभाव से दूर करने की जरूरत है। देश के प्रमुख हथियारों की स्थिति बहुत ही खराब है। इनमें मैकेनाइज्ड सेना, तोपखाने, हवाई सुरक्षा, पैदल सेना और स्पेशल सेना के साथ ही इंजीनियर्स और सिग्नल्स भी शामिल हैं। 


चिट्ठी में और भी कुछ मुद्दे उठाए गए हैं। इसमें आईटीबीपी के संचालन का अधिकार सेना को चाहिए। सेना में हवाई बेड़े की जरूरतों को पूरा किया जाए। चीन उत्तरी सीमा पर बड़ी तेजी से विकास कार्य कर रहा है। ऐसे में राज्यों से सिंगल विंडो क्लीयरेंस के तहत बुनियादी विकास की अनुमति दिलवाई जाए। 


सेना प्रमुख की चिट्ठी में जो प्रमुख चिंताएं जाहिर की गई हैं, वे निम्न हैं:- 


आर्मी के पूरे टैंक दस्ते के पास जरूरी गोला बारूद की भारी कमी है। 


हवाई सुरक्षा के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले 97 फीसदी हथियार और उपकरण पुराने पड़ चुके हैं। 


आर्मी की एलीट स्पेशल फोर्स के पास के पास जरूरी हथियारों की कमी है। यह काफी चिंताजनक है। 


पैदल सेना के जवानों के पास हथियारों की कमी। उनके पास रात में दुश्मन से लड़ने की क्षमता की भारी कमी। 


एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल्स की मौजूदा उत्पादन क्षमता और उपलब्धता बेहद कम है। 


लंबी दूरी तक मार करने वाले तोपखाने में पिनाका व स्मर्च रॉकेट सिस्टम का अभाव।

सांसदों पर फिर हावी हुई टीम अन्‍ना


नई दिल्‍ली. सांसदों के खिलाफ टीम अन्ना की टिप्पणी को लेकर लोकसभा में निंदा प्रस्‍ताव पारित करने से सांसदों के पीछे हट जाने के बाद टीम अन्‍ना के तेवर एक बार फिर तल्‍ख हो गए हैं। किरन बेदी ने बुधवार को ट्वीट किया कि जिस दिन हमारे लोकसेवकों को यह अहसास होगा कि उन्‍हें इज्‍जत मांगने से नहीं बल्कि कमाने से मिलेगी, उस दिन लोगों की सेवा का नजरिया ही बदल जाएगा। उन्‍होंने लिखा कि संसद में किसी ने इन सवालों पर चर्चा तक नहीं कि जो सवाल जंतर मंतर पर उठाए गए थे। उन्‍हें लोगों की समस्‍याओं का ख्‍याल नहीं है और इन मसलों का हल नहीं निकाला जाना चाहिए?


अन्‍ना हजारे के सहयोगी सुरेश पठारे ने ट्वीट किया, ‘पांच वर्षों में हमारे सांसद केवल दो मुद्दों पर राजी होते हैं- 1. अपनी सैलरी बढ़ाने और 2. उनके प्रति इस्‍तेमाल किए गए शब्‍दों के लिए टीम अन्‍ना की आलोचना।’
  
अरविंद केजरीवाल ने तो लोक सभा में प्रस्‍ताव पर बहस खत्म होने के तत्‍काल बाद पत्रकारों से कहा कि सांसदों को लेकर जनता के मन में उठे सवाल अभी बरकरार हैं। उन्होंने कहा कि संसद में बहस के दौरान दागियों को टिकट देने, बिल फाड़ने की घटनाओं जैसे किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। भविष्‍य में क्‍या इसी तरह बिल फाड़े जाएंगे? क्‍या माइक और कुर्सियां फेंकी जाएंगी? सांसदों की खरीद-फरोख्‍त जारी रहेगी? वहीं, किरण बेदी का कहना था, 'साफ-सुथरी राजनीति के पक्ष में जनता की नाराजगी को समझने के लिए संसद में बहस का एक अवसर था, जो गंवा दिया गया। 

सांसद अपने विशेषाधिकार पर उठी अंगुली को लेकर हमेशा कड़ा रुख अख्तियार करते रहे हैं। दिसंबर 1978 में तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार ने कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी को संसद की अवमानना के एक मामले में जेल तक भेज दिया था। पर टीम अन्‍ना के मामले में सांसद ऐन मौके पर निंदा प्रस्‍ताव पारित करने से भी पीछे हट गए। मुलायम सिंह ने अन्‍ना को अपराधी के तौर पर संसद में हाजिर किए जाने की मांग रखी, पर उनकी मांग को संसद ने गंभीरता से नहीं लिया। जानकार मानते हैं कि अन्‍ना के खिलाफ ऐसा कुछ करना नेताओं को ही भारी पड़ सकता था। इसकी वजह यह है कि अन्‍ना के साथ आज भी जनसमर्थन है और यह 1978 (इमरजेंसी के बाद का वक्‍त) नहीं है।  
ऐसे टला निंदा प्रस्ताव

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी, गृहमंत्री पी चिदंबरम और संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल से बात की। बंसल ने नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से बात की। शरद पवार भी सुषमा और आडवाणी के पास गए। सबकी सहमति से निंदा प्रस्ताव लाने का विचार छोड़ दिया गया।

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने हालांकि टीम अन्ना के खिलाफ बेहद तीखे तेवर दिखाए। मुलायम ने कहा कि टीम अन्ना को मुजरिमों की तरह संसद में लाया जाए। उन्होंने टीम अन्ना के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की भी मांग की। लेकिन राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि टीम अन्ना को ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ 'सिरफिरे' लोग सांसदों के खिलाफ कुछ भी बोलते रहते हैं। उन्हें भाव नहीं दिया जाना चाहिए। 

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ?

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के अनुसार संसद के पास अपनी मर्यादा को बचाने रखने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं। इसके लिए कई तरह के अधिकार दिए गए हैं हालांकि अलग से कानून नहीं हैं। संसद और इसके सदस्‍य खुद तय कर सकते हैं कि उसका अपमान हुआ है या नहीं। इसके लिए कोई निर्धारित मानक नहीं है। संसद को सजा देने का अधिकार भी है जिसके तहत आरोप साबित होने पर जेल तक भेजा जा सकता है। कश्यप के मुताबिक, टीम अन्ना के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव में संसद भविष्य में ऐसा नहीं करने की चेतावनी दे सकती है।

कब हो सकती है कार्रवाई? 

संसद में अब तक विशेषाधिकार हनन और अवमानना के 203 मामले आए हैं। इन मामलों में विशेषाधिकार हनन और अवमानना के तहत कार्रवाई हो सकती है, यदि - किसी खास सदस्य या कमेटी को संसदीय कार्य करने के दौरान बाधा पहुंचाई गई हो - संसद की कमेटी या संसद को अभिव्‍यक्ति की आजादी के तहत अपमानित किया गया हो - संसद के खिलाफ बिना आधार के आरोप लगाए गए हों - संसद से निकले तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया हो 

अन्ना की प्रासंगिकता पर ठाकरे ने उठाए सवाल


शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों की ओर से भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे मुहिम की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए हैं.


शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में ठाकरे ने लिखा है कि पिछले साल दिसंबर में मुंबई में 'फ्लॉप शो' के बाद अन्ना हजारे और उनके सहयोगी एक बार फिर खबरों में हैं.

संपादकीय में ठाकरे ने लिखा है, 'अन्ना हजारे के सहयोगी प्रशांत भूषण के खिलाफ लोगों में नाराजगी है, अरविंद केजरीवाल का स्वागत चप्पलों से किया जाता है, किरण बेदी की भ्रष्ट गतिविधियां उजागर हो चुकी हैं, स्वामी अग्निवेश पिछले साल अगस्त में टीम से बाहर कर दिए गए जब आंदोलन चरम पर था, इंडिया अगेंस्ट करप्शन के मुंबई कार्यालय की गतिविधियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.'

आंदोलन को मीडिया कवरेज का जिक्र करते हुए ठाकरे ने लिखा कि मीडिया कभी अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों की एक-एक बात को तवज्जो देता था, लेकिन रविवार को जंतर-मंतर पर उनके आंदोलन को मीडिया ने पहले जितना महत्व नहीं दिया.

बचा सकते हो तो बचा लो देश को : विनोद रॉय

देश के कॉम्पट्रोलर और ऑडिटर जनरल (सीएजी) विनोद राय ने चौंकाने वाला बयान दिया है। कई घोटालों का पर्दाफाश करने वाले राय ने टेलीकॉम घोटाला, कॉमनवेल्थ खेल घोटाला समेत कई घोटालों की परतें उधेड़ी हैं। सीएजी विनोद राय ने कहा है कि लोकतंत्र दोराहे पर खड़ा है। लोगों को आगे आना होगा, अपनी आवाज बुलंद करनी होगी क्योंकि मुट्ठी भर लोग जनता की आवाज बन चुके हैं।

दिल्ली के हिंदू कॉलेज के छात्र रहे कैग विनोद राय को उनके कॉलेज ने सम्मानित करने के लिए शुक्रवार को बुलाया था। पूर्व छात्रों के सम्मान समारोह के दौरान विनोद राय ने देश की हालत पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि

आज लोकतंत्र दोराहे पर खड़ा है, ऐसे में यहां आए सभी लोगों को इस बात की कोशिश करनी होगी कि हम मौन बहुमत न बने रहें।

हिंदू कॉलेज ने विनोद राय के साथ साथ जनता पार्टी के नेता सुबह्रमण्यम स्वामी को भी सम्मानित किया।

जनवरी 2008 में कैग नियुक्त हुए विनोद राय ने मजाक मजाक में ये भी कहा कि उनके काम की वजह से धीरे धीरे उनके दोस्तों की तादाद घट रही है दुश्मनों की बढ़ रही है। विनोद राय ने मौजूदा राजनीतिक हालात पर और टिप्पणी भी की जो कि काफी संजीदा हैं। उन्होंने कहा कि बहुमत के लिए वक्त आ गया है कि वो अपनी चुप्पी तोड़े क्योंकि सिर्फ चंद लोग बहुमत यानि जनता की आवाज बन गए हैं।

Percentages of Party MPs Facing Criminal Charges (Lok Sabha 2009)

The data labels on the bars show how many MPs each party has.  The top two national parties, the Congress and the BJP, have 21% and 38% of their MPs facing criminal charges.  Of all parties with 3 or more MPs, the Shiv Sena has the largest percentage of MPs facing criminal charges (82%), followed closely by the RJD (75%) and JD (S) (67%).

Figure 2 shows the corresponding percentages by state.  Jharkhand leads the pack at 57%, followed closely by Maharashtra at 54%, Bihar at 45%, Gujarat at 42%, and UP at 39%.  The picture changes somewhat when only serious criminal charges are being considered, as can be seen in Figure 3.

When considering only serious criminal charges, UP leads the pack with 28%, followed very closely by Gujarat at 27%, Maharashtra at 21%, Karnataka at 18%, AP at 17%, TN and Bihar at 15%, and Jharkhand at 14%.

For those interested, the ADR report also gives a list of the top 35 MPs with the most criminal cases against them.

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना महंगा पड़ा रिंकू सिंह को; छह गोली लगने के बाद भी खत्म नहीं हुआ जज्बा


नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में समाज कल्याण अधिकारी रिंकू सिंह माही को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत अपनी एक आंख, जबड़ा और दोनों हाथ गंवा कर चुकानी पड़ी।

बकौल रिंकू सिंह माही, मेरी गलती सिर्फ इतनी सी थी कि मैंने सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के नाम पर हो रही अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाने की जुर्रत की थी।

मैंने अपने विभाग से आरटीआई के मार्फत कुछ ऐसी जानकारियां मांगी थीं, जो करीब तीस करोड़ रुपए के घोटाले की पोल खोलने में चिंगारी का काम कर सकती थीं। मेरी इन गुस्ताखियों का नतीजा था कि कुछ अज्ञात लोगों ने मुझ पर हमला कर छह गोलियां मारीं।

इस हमले के बावजूद मेरा हौसला अब भी चट्टान की तरह मजबूत है। मैं समाज कल्याण विभाग में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ सोमवार से लखनऊ में आमरण अनशन पर बैठने जा रहा हूं।

उत्तर प्रदेश के एनएचआरएम घोटाले में अपनी जांच गंवा चुके एकाउंटेंट महेंद्र शर्मा के बेटे तुषार शर्मा का कहना है कि भ्रष्टचार के खिलाफ लड़ाई की बहुत बड़ी कीमत उनके परिवार ने चुकाई है।

हत्या से सात दिन पहले से उसके पिता लापता हो गए। सात दिन बाद अचानक उनकी मृत्यु की खबर दी गई। उनके शरीर में छह से अधिक जख्म पाए जाने के बावजूद उनकी मौत को आत्महत्या का रूप दे दिया गया। अब उनका परिवार अपने हक के लिए जद्दोजहद कर रहा है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

एनएचआरएम घोटाले में अपनी जान गंवा चुके सीएमओ डा.वीपी सिंह के भाई वाईपी सिंह का कहना है कि उनका भाई हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ा। डा. वीपी सिंह तब से ही भ्रष्टाचारियों की आंखों में खटकने लगे थे, जब से उन्होंने हृदय विशेषज्ञों को सीएमओ बनाने के लिए अपने विभाग में आंदोलन छेड़ा था।

एनएचआरएम घोटाले में भ्रष्टाचारियों का साथ न देने की कीमत उन्हें अपनी जान देकर गंवानी पड़ी। तमिलनाडु के एक गांव में खनन माफिया की खिलाफत के चलते अपनी जान गंवाने वाले सतीश कुमार के भाई ए मुत्थू का कहना था कि 14 दिन पहले खनन माफिया ने उसके सामने ट्रक से कुचल कर उसके भाई की हत्या कर दी।

पुलिस को आंखों देखा हाल बताने के बावजूद पुलिस ने उनका साथ देने की बजाय खनन माफिया का साथ दिया। उसके भाई की हत्या को पुलिस ने एक्सीडेंट का रूप दे दिया। तमाम प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन के बावजूद अभी तक उसके भाई के हत्यारे आजाद घूम रहे हैं।

पोते में नरेंद्र की छवि

मध्य प्रदेश के मुरैना में खनन माफिया द्वारा मौत के घाट उतारे गए आईपीएस नरेंद्र कुमार के चाचा राजपाल सिंह का कहना था कि इस घटना के बाद से उनका परिवार पूरी तरह से टूट चुका है।

परिवार कितने सदमे में है, इसको शब्दों में बयां करना नामुमकिन है। किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि परिवार को इस सदमे से किस तरह बाहर निकालें। नरेंद्र की पत्नी ने कुछ दिनों पहले ही एक पुत्र को जन्म दिया है। अब उसी में हम सब नरेंद्र की छवि देख रहे हैं।

पूरा विडियो देखें और बताये अन्नाजी ने कुछ गलत कहा था जंतर मंतर पर?



बूमरेंग के डर से लोकसभा ने नहीं की टीम अन्ना के खिलाफ कार्रवाई, हिदायत देकर छोड़ा

नई दिल्ली| आखिरकार अन्ना हजारे की टीम क्रुद्ध सांसदों के प्रकोप से बच गई और शायद संसद के सामूहिक विवेक में यह बात आई कि इतने लोकप्रिय आंदोलन के नेताओं के खिलाफ कोई भी कार्रवाई बमरैंग यानी उललवार साबित हो सकती है। इसीलिए संसद ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे गांधीवादी अन्ना हजारे और उनकी टीम के सदस्यों द्वारा संसद और संसद सदस्यों के खिलाफ की गई कथित आपत्तिजनक बयानबाजी की कड़ी निंदा करने सम्बंधी जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर मंगलवार को लोकसभा में चर्चा तो की पर, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। प्रस्ताव पर चर्चा के बाद लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि संसद की गरिमा को बनाए रख जाना चाहिए क्योंकि लोग जनप्रतिनिधियों पर विश्वास करके उन्हें चुनते हैं।


उन्होंने कहा, "संसद देश का सामूहिक विचार प्रदर्शित करता है। ऐसी कोई भी टिप्पणी जो संसद की गरिमा को कम करती हो, अवांछित और अस्वीकार्य है।"


ज्ञात हो कि संसद और संसद सदस्यों के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी से नाराज शरद यादव उनके बयानों की कड़ी निंदा करने वाला प्रस्ताव लेकर आए थे, जिस पर बहस हुई और फिर लोकसभा अध्यक्ष ने उस पर अपनी टिप्पणी की।


चर्चा की शुरुआत करते हुए शरद यादव ने कहा कि सदन का सम्मान घटेगा तो देश कहां जाएगा। अन्ना हजारे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह भी किसी फकीर से कम नहीं हैं।


यादव ने कहा, "संसद सर्वोच्च संस्था है और जब इस पर लगातार हमले होते हैं तो हमें चिंता होती है। सदन का सम्मान घटेगा तो देश कहां जाएगा।"


उन्होंने कहा, "राम के राज में भी रावण हुए और कृष्ण के काल में भी कंस और दुर्योधन हुए। कई बार सदन में भी ऐसे लोग आए, जिन्हें नहीं आना चाहिए था। संसद सामथ्र्यवान संस्था है। इस पर हमला ठीक नहीं है।"


यादव ने कहा, "यह वही संसद है जिसने गलत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की। महज 13 दिनों में उन 11 सांसदों की सांसदी खत्म कर दी गई थी, जिन्होंने इस संसद को शर्मसार किया था।"


उन्होंने कहा, "आजकल एक ट्रेंड चला है कि राजनीतिक जमात पर हमला करो और उसे घेरो। ईमानदारों की बात नहीं हो रही है। बेईमानों की ओर इशारा कर अंधेरा फैलाने की कोशिश की जा रही है और अंधेरे की ओर ले जाकर निराशा फैलाई जा रही है। हम भी उस फकीर से कम नहीं है।"


यादव ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से आग्रह किया, "सदन की रक्षा और सुरक्षा आपके हाथ में है। जनता का इस संस्था पर से विश्वास न उठे, यह जिम्मेदारी आपको उठानी होगी। इस विश्वास को टूटने मत दीजिए।"


समाजवादी पार्टी (सपा) के मुलायम सिंह यादव ने कहा कि सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा, बल्कि इस तरह के बयान देने वालों को संसद में खड़ा किया जाना चाहिए और मुजरिम की तरह पेश किया जाना चाहिए।


मुलायम ने कहा, "संसद सर्वोच्च संस्था है और सर्वोच्च सत्ता भी यही है। यदि कोई इस पर अनुचित हमला करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।"


उन्होंने कहा, "सिर्फ प्रस्ताव पारित कर न छोड़ा जाए। जनप्रतिनिधियों के खिलाफ बयान देने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्हें मुजरिम की तरह संसद में पेश किया जाना चाहिए। उनके खिलाफ सर्वसम्मति से विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया जाना चाहिए।"


सोमवार को कई सांसदों ने दलगत भावना से ऊपर उठते हुए अन्ना हजारे के साथियों द्वारा सांसदों के लिए इस्तेमाल असंसदीय भाषा के खिलाफ प्रस्ताव पास करने की मांग की थी।

कर्नाटक वक्फ बोर्ड में दो लाख करोड़ का घोटाला

कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग ने राज्य वक्फ बोर्ड में दो लाख करोड़ रुपए के भूमि घोटाले का खुलासा किया है।

कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अनवर मनिपद्दी ने मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा को रिपोर्ट सौंपने के बाद पत्रकारों से कहा कि मैंने वक्फ बोर्ड भूमि घोटाले से संबंधित आरोप की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है और इस रिपोर्ट को सदन में रखा जाएगा। इस घोटाले में कई प्रमुख राजनेताओं के साथ ही कई वक्फ बोर्डों के सदस्य, वक्फ अधिकारी, दलाल तथा भूमि माफिया शामिल हैं।

वक्फ बोर्ड की भूमि में हुए भारी घोटाले की शिकायतों तथा अखबारों में प्रकाशित खबरों के बाद राज्य सरकार ने आरोपों की जांच के लिए पिछले वर्ष नवंबर में जांच आयोग का गठन किया जिसने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

मनिपद्दी ने घोटाले में शामिल राजनेताओं के नाम उजागर करने से इंकार किया और कहा कि यह काम राज्य विधानसभा का है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के पास 54 हजार एकड़ पंजीकृत भूमि है, जिसमें से करीब 27 हजार एकड़ भूमि में गड़बड़ी हुई है।

अन्ना टीम बिना चुनाव लड़े हथियाना चाहती है सत्ता: दिग्विजय

कांग्रेस के महासचिव और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अन्ना टीम पर निशाना साधा है। उन्होंने अन्ना टीम पर आरोप लगाया कि वे जनता को गुमराह कर बिना चुनाव के सत्ता हथियाना चाहते हैं।

मंगलवार को मीडिया से चर्चा करते हुए दिग्विजय सिंह ने कटाक्ष करते हुए कहा कि अन्ना टीम के सदस्यों का इतिहास बड़ा उज्ज्वल है। ऐसे में वे देश की जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों पर कैसे कीचड़ उछाल सकते हैं। सिंह ने एक-एक कर नाम लिए और कहा कि अन्ना टीम के अरविंद केजरीवाल वो शख्स हैं जिन्होंने नौकरी में रहते हुए शासकीय नियमों का उल्लंघन किया। प्रशांत भूषण- शांति भूषण पर उन्होंने आरोप लगाया कि अदालतों में अच्छी पकड़ होने के चलते भूषणों ने करोड़ों की भूमि लाखों में खरीदी, टैक्स चोरी की। किरण वेदी के बारे में दिग्विजय बोले की एनजीओ के लिए बिजनेस क्लास से पैसा लेकर रियायत की हवाई यात्राएं की।

ऐसे चरित्र के लोग बिना चुनाव लड़े ही देश की बागडौर अपने हाथ में लेना चाहते हैं। ये लोग ऐसा दबाव बनाना चाहते हैं कि इनसे पूछकर सत्ता चले। अन्ना टीम अपने गिरेबां में झांके कि वे जब नियमों का उल्लंघन कर रहे थे, टैक्स चोरी कर रहे थे, तब इनकी मॉरिलिटी कहां चली गई थी।

Did I say something wrong? Full Vedio of Arvind Speech At Jantar Mantar



राजनीति के कई लोग एक सवाल खड़ा कर रहे हैं. उनको जवाब:-


सवाल : कानून संविधान के मुताबिक संसद में बनते हैं वह संसद ही बनाएगी.

जवाबः ऐसा सवाल खड़ा करके हमारे राजनेता जनता की दिशाभूल कर रहे हैं. हमने एक बार नहीं सैंकडों बार कहा है कि संविधान के मुताबिक कानून संसद में ही बनते हैं. लेकिन लोकशाही यानि जनतंत्र अथवा प्रजातंत्र में कानून का मसौदा(ड्राफ्ट) बनाना है तो वह समाज के अनुभवी लोगों को लेकर, सरकार ने बनाना है. ऐसे मसौदे को इंटरनेट और दूसरे माध्यमों के ज़रिए देश की जनता के सामने रखा जाना चाहिए. जनता उस ड्राफ्ट को पढ़ेगी, कुछ कमियां दिखाई देंगी तो जनता सुझाव करेगी. जनता से मिले सभी सुझावों को लेकर संसद में रखा जाना चाहिए.

लोकशाही का मतलब है लोगों ने, लोगों के लिए, लोगों के सहभाग से चलाई हुई शाही. वह है लोकशाही? डा. बाबा साहब अंबेडकर जी ने संविधान को संसद में रखते हुए पहला शब्द दिया था – ”हम भारत के लोग”. २६ जनवरी १९५० में देश में प्रजा सत्ता का दिन मनाया गया. उसी दिन से जनता इस देश की मालिक हो गई. सरकारी तिजोरी में जमा होने वाला पैसा जनता का पैसा है. इस तिजोरी में से सरकार जो पैसा जमा या खर्च करती है उसका हिसाब किताब जनता को देना ज़रूरी है. कारण कि यही प्रजातंत्र है. उस पैसे के ऊपर जनता का कोई नियंत्रण न होने के कारण और उसका हिसाब किताब जनता को न दिए जाने के कारण भ्रष्टाचार बढ गया है.

जनता इस देश की मालिक है. संविधान के माध्यम से प्रतिनिधि लोकशाही को हम भारतवासियों ने स्वीकार किया है. राज्य की विधान सभा में जनता अपने प्रतिनिधि के रूप में, अपने सेवक के रूप में, विधायक को भेजती है और लोकसभा के लिए सांसद को भेजती है. संविधान कहता है कि जनता के सेवकों को जनता के विकास के लिए उनके पैसों का सही नियोजन करना है. इसलिए लोकसभा और विधानसभाओं को कानून बनाने हैं. लेकिन जनलोकपाल जैसा बिल आठ बार लोकसभा में आकर भी पास नहीं किया गया.

कानून लोकसभा में बनते हैं यह बात बराबर है लेकिन आठ बार लोकसभा में आकर भी बिल पास नहीं हुआ इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है? जनता इस देश की मालिक है और मालिक ने अपने सेवकों को भेजा है. सेवक जब कानून नहीं बना रहे तो मालिक होने के नाते जनता को पूछने का हक है कि जनलोकपाल कानून क्यों नहीं बनाया गया?

हमारा संविधान अस्तित्व में आए ६३ साल बीत गए. लेकिन जनता देश की मालिक है और हम जनता के सेवक हैं यह बात इन सेवकों को समझ में नहीं आई. यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बात है. किसी दफ्तर में नागरिक अपने काम करवाने जाते हैं और कुछ पूछ लें तो कहा जाता है कि ”आप पूछने वाले कौन?”. जिस प्रकार जनप्रतिनिधियों को हम जनता ने अपने सेवक के रूप में भेजा है उसी प्रकार राष्ट्रपति जी ने जिन आई.ए.एस., आई.पी.एस., आई.एफ.एस. जैसे सनदी अधिकारियों का चयन किया वह भी गवर्नमेंट सरवेंट हैं. जनप्रतिनिधि एवं सभी सरकारी सेवक जनता के सेवक हैं. ”हमसे पूछने वाले आप कौन” ऐसा कह कर ये लोग संविधान का अपमान कर रहे हैं.

अंग्रेज़ जुल्मी था. उसे भारत को लूटना था. इसलिए उसने अपनी मनमर्जी से कानून बनवाए और देश की जनता पर अन्याय व अत्याचार करता रहा. इस तरह वह नाजायज और अमानवीय कानून के आधार पर भारत को लूट ले गया. अब हम प्रजातंत्र में हैं. गणतंत्र में हैं. लोकशाही में हैं. अब कोई भी कानून बनाना है तो उसका ड्राफ्ट बनाते समय जनता के अनुभवी लोगों को साथ में लेकर ही ड्राफ्ट बनाना है. और तब कानून बनाने के लिए उसे संसद में भेजना है. मैं उम्मीद करता हूं कि राजनीति के लोग इस बात को समझेंगे.

कि.बा. उपनाम अण्णा हज़ारे


" "