नई दिल्ली. सांसदों के खिलाफ टीम अन्ना की टिप्पणी को लेकर लोकसभा में निंदा प्रस्ताव पारित करने से सांसदों के पीछे हट जाने के बाद टीम अन्ना के तेवर एक बार फिर तल्ख हो गए हैं। किरन बेदी ने बुधवार को ट्वीट किया कि जिस दिन हमारे लोकसेवकों को यह अहसास होगा कि उन्हें इज्जत मांगने से नहीं बल्कि कमाने से मिलेगी, उस दिन लोगों की सेवा का नजरिया ही बदल जाएगा। उन्होंने लिखा कि संसद में किसी ने इन सवालों पर चर्चा तक नहीं कि जो सवाल जंतर मंतर पर उठाए गए थे। उन्हें लोगों की समस्याओं का ख्याल नहीं है और इन मसलों का हल नहीं निकाला जाना चाहिए?
अन्ना हजारे के सहयोगी सुरेश पठारे ने ट्वीट किया, ‘पांच वर्षों में हमारे सांसद केवल दो मुद्दों पर राजी होते हैं- 1. अपनी सैलरी बढ़ाने और 2. उनके प्रति इस्तेमाल किए गए शब्दों के लिए टीम अन्ना की आलोचना।’
अरविंद केजरीवाल ने तो लोक सभा में प्रस्ताव पर बहस खत्म होने के तत्काल बाद पत्रकारों से कहा कि सांसदों को लेकर जनता के मन में उठे सवाल अभी बरकरार हैं। उन्होंने कहा कि संसद में बहस के दौरान दागियों को टिकट देने, बिल फाड़ने की घटनाओं जैसे किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। भविष्य में क्या इसी तरह बिल फाड़े जाएंगे? क्या माइक और कुर्सियां फेंकी जाएंगी? सांसदों की खरीद-फरोख्त जारी रहेगी? वहीं, किरण बेदी का कहना था, 'साफ-सुथरी राजनीति के पक्ष में जनता की नाराजगी को समझने के लिए संसद में बहस का एक अवसर था, जो गंवा दिया गया।
सांसद अपने विशेषाधिकार पर उठी अंगुली को लेकर हमेशा कड़ा रुख अख्तियार करते रहे हैं। दिसंबर 1978 में तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार ने कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी को संसद की अवमानना के एक मामले में जेल तक भेज दिया था। पर टीम अन्ना के मामले में सांसद ऐन मौके पर निंदा प्रस्ताव पारित करने से भी पीछे हट गए। मुलायम सिंह ने अन्ना को अपराधी के तौर पर संसद में हाजिर किए जाने की मांग रखी, पर उनकी मांग को संसद ने गंभीरता से नहीं लिया। जानकार मानते हैं कि अन्ना के खिलाफ ऐसा कुछ करना नेताओं को ही भारी पड़ सकता था। इसकी वजह यह है कि अन्ना के साथ आज भी जनसमर्थन है और यह 1978 (इमरजेंसी के बाद का वक्त) नहीं है।
ऐसे टला निंदा प्रस्ताव
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी, गृहमंत्री पी चिदंबरम और संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल से बात की। बंसल ने नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से बात की। शरद पवार भी सुषमा और आडवाणी के पास गए। सबकी सहमति से निंदा प्रस्ताव लाने का विचार छोड़ दिया गया।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने हालांकि टीम अन्ना के खिलाफ बेहद तीखे तेवर दिखाए। मुलायम ने कहा कि टीम अन्ना को मुजरिमों की तरह संसद में लाया जाए। उन्होंने टीम अन्ना के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की भी मांग की। लेकिन राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि टीम अन्ना को ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ 'सिरफिरे' लोग सांसदों के खिलाफ कुछ भी बोलते रहते हैं। उन्हें भाव नहीं दिया जाना चाहिए।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के अनुसार संसद के पास अपनी मर्यादा को बचाने रखने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं। इसके लिए कई तरह के अधिकार दिए गए हैं हालांकि अलग से कानून नहीं हैं। संसद और इसके सदस्य खुद तय कर सकते हैं कि उसका अपमान हुआ है या नहीं। इसके लिए कोई निर्धारित मानक नहीं है। संसद को सजा देने का अधिकार भी है जिसके तहत आरोप साबित होने पर जेल तक भेजा जा सकता है। कश्यप के मुताबिक, टीम अन्ना के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव में संसद भविष्य में ऐसा नहीं करने की चेतावनी दे सकती है।
कब हो सकती है कार्रवाई?
संसद में अब तक विशेषाधिकार हनन और अवमानना के 203 मामले आए हैं। इन मामलों में विशेषाधिकार हनन और अवमानना के तहत कार्रवाई हो सकती है, यदि - किसी खास सदस्य या कमेटी को संसदीय कार्य करने के दौरान बाधा पहुंचाई गई हो - संसद की कमेटी या संसद को अभिव्यक्ति की आजादी के तहत अपमानित किया गया हो - संसद के खिलाफ बिना आधार के आरोप लगाए गए हों - संसद से निकले तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया हो