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पेट्रोल की ये है असली सच्चाई, जो सरकार ने अब तक थी छुपाई

पेट्रोल की कीमतों के बढ़ने के पीछे सरकार जरूर बाजार के हालात की दुहाई दे रही है, लेकिन इसकी असली सच्चाई तो कुछ और ही है। कीमतों में इजाफा तो खुद सरकार द्वारा लगाए जा रहे टैक्स के चलते हो रहा है। हालांकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इस बात को नहीं मानते हैं।


उन्होंने हाल ही में संसद में कहा था कि केंद्र सरकार तेल पर टैक्स नहीं वसूलती है, बल्कि राज्य इस पर फैसला लेता है। जबकि जानकार केंद्र सरकार को भी बतौर टैक्स इससे फायदा होने की बात कर रहे हैं। अगर ये सारे टैक्स पूरी तरह से खत्म कर दिए जाएं, तो आज से ही आप केवल 35 रुपये में पेट्रोल खरीद सकेंगे।


अगर केंद्र और राज्य सरकार पेट्रोल पर से पूरी तरह से टैक्स हटा दे, तो इसकी कीमतों में 35 रुपये से ज्यादा की कमी आ जाएगी। दरअसल, जिस दाम पर हम पेट्रोल खरीदते हैं, उसका करीब 48 फीसदी हिस्सा ही आधार मूल्य होता है। इसके अलावा बाकी का पैसा सरकार की जेब में टैक्स के रूप में जाता है। वहीं पेट्रोल पर करीब 35 फीसदी एक्साइज ड्यूटी, 15 फीसदी सेल्स टैक्स, 2 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगा होता है। बिक्री कर को कई राज्यों में वैट के रूप में भी वसूला जाता है।



अगर हम दिल्ली में पेट्रोल की वर्तमान कीमत 73.14 रुपये को उदाहरण के तौर पर माने, तो टैक्स न लगने पर इसकी बेस प्राइस यानि असली कीमत केवल 35 रुपये ही रह जाएगी। अभी बाकी के 38 रुपये सीधे सरकार की जेब में जा रहे हैं।


तेल के बेस प्राइस में कच्चे तेल की कीमत, प्रॉसेसिंग चार्ज और कच्चे तेल को शोधित करने वाली रिफाइनरियों का चार्ज शामिल होता है। एक्साइज ड्यूटी कच्चे तेल को अलग-अलग पदार्थों जैसे पेट्रोल, डीज़ल और किरोसिन आदि में तय करने के लिए लिया जाता है। वहीं, सेल्स टैक्स यानी बिक्री कर संबंधित राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है।
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