भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे और उनके साथियों के बुधवार से शुरू हो रहे अनिश्चितकालीन अनशन से पहले सरकार ने मंगलवार को भ्रष्टाचार से निपटने के लिए पिछले एक साल में उठाए गए कुछ कदम गिनाए, जिनमें मंत्रियों के विवेकाधिकारों पर लगाम लगाना आदि शामिल हैं।
इन कदमों में सरकार ने लोकसभा में लोकपाल विधेयक और व्हिसल ब्लोअर विधेयक पारित होने का भी उल्लेख किया, जो राज्यसभा में लंबित हैं। इनके अलावा सेवाएं प्रदान करने में पारदर्शिता का भी उल्लेख किया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक कदमों पर संकलित किए गए आंकड़ों के अनुसार सरकार ने निर्देश दिया है कि सक्षम प्राधिकार द्वारा अभियोजन की अनुमति के लिए किए गए अनुरोधों पर फैसला तीन महीने की अवधि में किया जाना चाहिए।
जनवरी, 2011 में बनाए गए मंत्रीसमूह की सिफारिशों के आधार पर यह फैसला किया गया, जिसने दो रिपोर्ट जमा की थीं।
सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि संयुक्त सचिव स्तर से ऊपर के केंद्र सरकार के समस्त अधिकारियों के लिए दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा 6 -ए के तहत जांच शुरू करने के लिहाज से सक्षम प्राधिकार प्रभारी मंत्री को माना जाएगा।
जीओएम की सिफारिश पर मंत्रियों के विवेकाधिकारों के लिए नियामक मानदंड भी तय किए गए और उन्हें सार्वजनिक करने की सिफारिश भी स्वीकार की गई।
सभी सरकारी सेवाओं को पारदर्शिता के साथ आम आदमी तक सुलभ बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ई-शासन योजना को मंजूर किया गया, जिसके तहत ग्रामीण इलाकों में नागरिकों को ऑनलाइन माध्यम से जन सेवाएं प्रदान करने के लिए एक लाख से अधिक सामान्य सेवा केंद्र बनाए गए हैं।
ई-जिला परियोजना के तहत सात राज्यों के 88 जिलों में ई-शासन योजनाओं के लिहाज से पायलट परियोजनाएं चलाई गईं।
सार्वजनिक खरीद प्रणाली में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत मंत्रिमंडल ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसमें सभी मंत्रियों और केंद्र सरकार के विभागों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित इकाइयों की ओर से की जाने वाली सार्वजनिक खरीद के नियमन का प्रावधान है।
इन कदमों में सरकार ने लोकसभा में लोकपाल विधेयक और व्हिसल ब्लोअर विधेयक पारित होने का भी उल्लेख किया, जो राज्यसभा में लंबित हैं। इनके अलावा सेवाएं प्रदान करने में पारदर्शिता का भी उल्लेख किया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक कदमों पर संकलित किए गए आंकड़ों के अनुसार सरकार ने निर्देश दिया है कि सक्षम प्राधिकार द्वारा अभियोजन की अनुमति के लिए किए गए अनुरोधों पर फैसला तीन महीने की अवधि में किया जाना चाहिए।
जनवरी, 2011 में बनाए गए मंत्रीसमूह की सिफारिशों के आधार पर यह फैसला किया गया, जिसने दो रिपोर्ट जमा की थीं।
सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि संयुक्त सचिव स्तर से ऊपर के केंद्र सरकार के समस्त अधिकारियों के लिए दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा 6 -ए के तहत जांच शुरू करने के लिहाज से सक्षम प्राधिकार प्रभारी मंत्री को माना जाएगा।
जीओएम की सिफारिश पर मंत्रियों के विवेकाधिकारों के लिए नियामक मानदंड भी तय किए गए और उन्हें सार्वजनिक करने की सिफारिश भी स्वीकार की गई।
सभी सरकारी सेवाओं को पारदर्शिता के साथ आम आदमी तक सुलभ बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ई-शासन योजना को मंजूर किया गया, जिसके तहत ग्रामीण इलाकों में नागरिकों को ऑनलाइन माध्यम से जन सेवाएं प्रदान करने के लिए एक लाख से अधिक सामान्य सेवा केंद्र बनाए गए हैं।
ई-जिला परियोजना के तहत सात राज्यों के 88 जिलों में ई-शासन योजनाओं के लिहाज से पायलट परियोजनाएं चलाई गईं।
सार्वजनिक खरीद प्रणाली में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत मंत्रिमंडल ने एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसमें सभी मंत्रियों और केंद्र सरकार के विभागों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित इकाइयों की ओर से की जाने वाली सार्वजनिक खरीद के नियमन का प्रावधान है।