सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानना चाहा कि क्या उसने देश के पूर्व चीफ जस्टिस और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के. जी. बालाकृष्णन के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के आरोपों की कोई जांच कराई है। चीफ जस्टिस एस. एच. कपाड़िया की बेंच ने सरकार को निर्देश दिया कि वह एक महीने के भीतर बालाकृष्णन पर लगे आरोपों पर की गई कार्रवाई अथवा ऐसा करने की मंशा के बारे में जानकारी दे। बालाकृष्णन पर आरोप है कि उन्होंने 2004 से 2009 के बीच अपने रिश्तेदारों के नाम पर 40 करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति अर्जित की।
बेंच ने कहा, 'हम जानना चाहते हैं कि पूर्व चीफ जस्टिस के खिलाफ सरकार को दिए गए आवेदन पर क्या कार्रवाई की गई और सरकार की क्या करने की मंशा है।' बेंच को बताया गया कि करीब 10 महीने पहले सरकार से शिकायत की गई थी, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बेंच ने अटर्नी जनरल जी. ई. वाहनवती से इस मुद्दे पर एक महीने में जानकारी देने के लिए कहा। वाहनवती ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह याचिका का अध्ययन करेंगे और इससे जुड़े सरकार के सभी अधिकारियों को इस बारे में लिखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ 'कॉमन कॉज' की उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सरकार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ कथित रूप से आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जुटाने के आरोपों की जांच करने का आदेश देने की मांग की गई है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESबेंच ने कहा, 'हम जानना चाहते हैं कि पूर्व चीफ जस्टिस के खिलाफ सरकार को दिए गए आवेदन पर क्या कार्रवाई की गई और सरकार की क्या करने की मंशा है।' बेंच को बताया गया कि करीब 10 महीने पहले सरकार से शिकायत की गई थी, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बेंच ने अटर्नी जनरल जी. ई. वाहनवती से इस मुद्दे पर एक महीने में जानकारी देने के लिए कहा। वाहनवती ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह याचिका का अध्ययन करेंगे और इससे जुड़े सरकार के सभी अधिकारियों को इस बारे में लिखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ 'कॉमन कॉज' की उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सरकार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ कथित रूप से आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जुटाने के आरोपों की जांच करने का आदेश देने की मांग की गई है।