उत्तर प्रदेश के चुनावी मौसम में टीम अन्ना का तूफान भी दिखने लगा है। राजनीतिक रैलियों को छोड़कर लोग टीम अन्ना की जागरूकता रैलियों में हिस्सा लेने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं।
गाजीपुर जिले के रहने वाले 30 साल के मनोज अपने शहर में हुई टीम अन्ना की रैली में हिस्सा नहीं ले सके तो सौकिलोमीटर का सफर तय करके चंदौली की रैली में पहुंचे। टीम अन्ना की रैलियों और राजनीतिक रैलियों का बड़ा फर्क यह भी है कि टीम अन्ना की रैली में लोग खुद खिंचे चले आते हैं जबकि राजनीतिक रैली में भीड़ इकट्ठा करने के लिए नेताओं को कड़ी मशक्कत और बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है।
मनोज कहते हैं, एक जागरूक और जिम्मेदार मतदाता होते हुए मैं इस पशोपेश में था कि किसे वोट करूं और क्यों करूं। इन दिनों सभी पार्टियों के उम्मीदवार हमारे पास आ रहे हैं। मैं सोचता था कि उनसे क्या सवाल किया जाए और क्या वादा लिया जाए? इस सभा के बाद अब जो भी उम्मीदवार हमारे पास आएगा, उससे मैं पूछूंगा कि क्या वह राज्य में सख्त लोकायुक्त कानून के लिए काम करेगा? चंदौली में हुई रैली में मनोज अकेले नहीं थे जिन्हें अपने उम्मीदवारों से शिकायत थी। युवाओं का असंतोष भी साफ झलक रहा था।
चंदौली के जीटी रोड पर पंजाब नेशनल बैंक के नजदीक मैदान में आयोजित यह रैली उस समय हो रही थी, जबकि इसी शहर के दूसरे हिस्से में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की रैली चल रही थी। लेकिन यहां आए लोगों का कहना था कि वे राहुल की रैली में इसलिए नहीं गए क्योंकि राहुल अपनी पार्टी के लिए वोट मांगने आए थे जबकि टीम अन्ना का अपना कोई स्वार्थ नहीं था। वह सिर्फ हमें जागरुक करने आई थी।
टीम अन्ना ने लोगों को बताया कि केंद्र सरकार ने लोकपाल आंदोलन के दौरान अन्ना हजारे को किस तरह बार-बार धोखा दिया। साथ ही राजनीतिक दलों के आंतरिक ढांचे में लोकतांत्रिक व्यवस्था की कमी पर भी रोशनी डाली। टीम अन्ना ने लोकपाल बिल के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि चाहे सत्ता में जो भी आए लोकपाल भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखेगा और लोगों को अच्छा शासन मिल सकेगा।
रैली में शामिल हो रहे एमबीए स्नातक मुरारी वर्मा का कहना था कि यह लोगों के बीच में जागरुकता लाने का और उनके वोट के महत्व के बारे में बताने के लिए एक सराहनीय प्रयास है। वर्मा ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रेदश देश के सबसे पिछड़े इलाकों में शुमार है क्योंकि यहां के राजनेताओं ने कभी विकास पर ध्यान ही नहीं दिया।
टीम अन्ना अब तक उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, बलिया, बस्ती, गोंडा, फैजाबाद, बाराबंकी, आजमगढ़, चंदौली, वाराणासी और इलाहाबाद में मतदाता जागरुकता अभियान के तहत रैलियां कर चुकी है। अभियान का अगला चरण 13 फरवरी को रायबरेली से शुरु होगा। इसी दिन कन्नौज और फर्रुखाबाद में भी रैली होगी जबकि 15 फरवरी को मैनपुरी व इटावा और 16 फरवरी को ललितपुर और झांसी में रैलियां होंगी।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESगाजीपुर जिले के रहने वाले 30 साल के मनोज अपने शहर में हुई टीम अन्ना की रैली में हिस्सा नहीं ले सके तो सौकिलोमीटर का सफर तय करके चंदौली की रैली में पहुंचे। टीम अन्ना की रैलियों और राजनीतिक रैलियों का बड़ा फर्क यह भी है कि टीम अन्ना की रैली में लोग खुद खिंचे चले आते हैं जबकि राजनीतिक रैली में भीड़ इकट्ठा करने के लिए नेताओं को कड़ी मशक्कत और बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है।
मनोज कहते हैं, एक जागरूक और जिम्मेदार मतदाता होते हुए मैं इस पशोपेश में था कि किसे वोट करूं और क्यों करूं। इन दिनों सभी पार्टियों के उम्मीदवार हमारे पास आ रहे हैं। मैं सोचता था कि उनसे क्या सवाल किया जाए और क्या वादा लिया जाए? इस सभा के बाद अब जो भी उम्मीदवार हमारे पास आएगा, उससे मैं पूछूंगा कि क्या वह राज्य में सख्त लोकायुक्त कानून के लिए काम करेगा? चंदौली में हुई रैली में मनोज अकेले नहीं थे जिन्हें अपने उम्मीदवारों से शिकायत थी। युवाओं का असंतोष भी साफ झलक रहा था।
चंदौली के जीटी रोड पर पंजाब नेशनल बैंक के नजदीक मैदान में आयोजित यह रैली उस समय हो रही थी, जबकि इसी शहर के दूसरे हिस्से में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की रैली चल रही थी। लेकिन यहां आए लोगों का कहना था कि वे राहुल की रैली में इसलिए नहीं गए क्योंकि राहुल अपनी पार्टी के लिए वोट मांगने आए थे जबकि टीम अन्ना का अपना कोई स्वार्थ नहीं था। वह सिर्फ हमें जागरुक करने आई थी।
टीम अन्ना ने लोगों को बताया कि केंद्र सरकार ने लोकपाल आंदोलन के दौरान अन्ना हजारे को किस तरह बार-बार धोखा दिया। साथ ही राजनीतिक दलों के आंतरिक ढांचे में लोकतांत्रिक व्यवस्था की कमी पर भी रोशनी डाली। टीम अन्ना ने लोकपाल बिल के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि चाहे सत्ता में जो भी आए लोकपाल भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखेगा और लोगों को अच्छा शासन मिल सकेगा।
रैली में शामिल हो रहे एमबीए स्नातक मुरारी वर्मा का कहना था कि यह लोगों के बीच में जागरुकता लाने का और उनके वोट के महत्व के बारे में बताने के लिए एक सराहनीय प्रयास है। वर्मा ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रेदश देश के सबसे पिछड़े इलाकों में शुमार है क्योंकि यहां के राजनेताओं ने कभी विकास पर ध्यान ही नहीं दिया।
टीम अन्ना अब तक उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, बलिया, बस्ती, गोंडा, फैजाबाद, बाराबंकी, आजमगढ़, चंदौली, वाराणासी और इलाहाबाद में मतदाता जागरुकता अभियान के तहत रैलियां कर चुकी है। अभियान का अगला चरण 13 फरवरी को रायबरेली से शुरु होगा। इसी दिन कन्नौज और फर्रुखाबाद में भी रैली होगी जबकि 15 फरवरी को मैनपुरी व इटावा और 16 फरवरी को ललितपुर और झांसी में रैलियां होंगी।