नई दिल्ली। लोकपाल के मुद्दे पर सरकार से टकराने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे का नाम 2011 के गांधी शांति पुरस्कार पाने वाले संभावित लोगों की लिस्ट में शामिल किया गया था लेकिन पीएमओ ने इस लिस्ट को मंजूरी नहीं दी। इस संबंध में पीएमओ ने संस्कृति मंत्रालय से और नाम मांगे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि जूरी मेंबर्स से और नाम मांगे गए हैं।
गौरतलब है कि अन्ना हजारे ग्रामसभा को विधनासभाओं और संसद से ऊपर बताते आए हैं। वो स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने की मांग करते आ रहे हैं। अन्ना हजारे की टीम द्वारा वेबसाइट यूट्यूब पर 'रिबिल्डिंग रिपब्लिक' नाम से पोस्ट किए गए वीडियो संदेश में अन्ना ने साफ कहा है कि ग्राम सभाएं देश की सबसे बड़ी संरचनाएं हैं क्योंकि वे अपनी ताकत सीधे जनता से प्राप्त करती हैं।
मालूम हो कि लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना ने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार को निशाने पर ले रखा है। अन्ना ने यूपीए को निशाने पर लेते हुए कई बार कहा है कि सरकार की मंशा एक प्रभावी लोकपाल विधेयक लाने की नहीं है।