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प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में स्वामी ने आरोप लगाया है कि कार्ती की कंपनी 'एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग' ने एयरसेल टेलीवेंचर में 26 लाख रुपये लगाए थे. एयरसेल टेलीवेंचर तब सी शिवशंकरन की कंपनी थी. कार्ती की कंपनी के एयरसेल में पैसे लगाने के कुछ महीने बाद ही मलेशिया की मैक्सिस ने एयरसेल में 4 हजार करोड़ में 74 फीसदी का हिस्सा खरीदा.
इस निवेश को एफआईपीबी ने मई 2006 में मंजूरी दी थी. जब मैक्सिस के निवेश को मंजूरी मिली तब चिदंबरम वित्त मंत्री थे. एयरसेल-मैक्सिस डील के बाद एयरसेल टेलीवेंचर ने 1300 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन दिया, इस लोन का कोई हिसाब-किताब नहीं है.
स्वामी के मुताबिक मैक्सिस के निवेश को तभी मंजूरी मिली जब यह तय हो गया कि कार्ती को इससे फायदा मिलेगा. स्वामी का आरोप है कि कार्ती की 'एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग'नाम की एक कंपनी सिंगापुर में भी है.
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक कार्ती की भारत की कंपनी ने सिंगापुर की कंपनी को हर महीने लाखों डॉलर भेजे. इन पैसों के बारे में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी को जानकारी नहीं दी गई.
स्वामी का कहना है कि कार्ती की एक और कंपनी कैसर सूर्या समुद्र रिसॉर्ट्स भी है. कैसर सूर्या ने कांचीपुरम जिले में 2009 में समुद्र तट की 4.62 हेक्टेयर यानी करीब 11.4 एकड़ जमीन खरीदी. यह जमीन मालिकों पर दबाव बनाकर खरीदी गई, जहां पर 100 रूम का लक्जरी रिसॉर्ट बनाने का प्रस्ताव था और तब की करुणानिधि सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी.
रिकॉर्ड के मुताबिक कंपनी के पास सिर्फ 1.5 लाख रुपये थे जो उसे पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी से कर्ज में मिले थे. स्वामी ने सवाल उठाए हैं कि जमीन और प्रोजेक्ट का काम कैसे हुआ, जबकि कंपनी के पास पैसे ही नहीं थे.