
संघ के मुखपत्र आर्गेनाइज़र के ताज़ा अंक के संपादकीय में इस टिप्पणी के साथ आगे कहा गया है, बोफोर्स घोटाले के बाद सीबीआई के 16 निदेशक हुए। लेकिन उनमें से किसी ने एक बार भी इस केस के बारे में कभी कुछ नहीं कहा। इसमें कहा गया है कि इस घोटाले के उजागर होने के बाद देश ने कई गैर कांग्रेस सरकारें देखीं, लेकिन कोई मामले को अंजाम तक नहीं ले गई। स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्राम के हवाले से संपादकीय में कहा गया है, कई राजनीतिक स्वीडन गए और मामले की जानकारी मांगी तथा वायदा किया कि सत्ता में आने पर वे जांच में मदद करेंगे लेकिन बाद में उन्होंने अपने वायदे पूरे नहीं किए।
संघ ने इस बारे में खेद व्यक्त किया है कि फिलिपींस और बांग्लादेश जैसे छोटे देशों ने सत्ता का दुरूपयोग करने वाले इरशाद और मार्कोस जैसे अपने शासकों को दंडित किया लेकिन भारत में राजनीतिकों के विरूद्ध मामलों को उनके अंजाम तक नहीं पंहुचाया गया। उसने कहा है, इस मामले में हमारे राजनीतिकों की पूरी जमात मजबूत बंधन में बंधी है। संपादकीय में इस बात पर भी हैरानी जताई गई है कि बोफोर्स दलाली खाने में जिस इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोची का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है उसका गांधी परिवार से परिचय कराने वाली सोनिया गांधी का कोई नाम क्यों नहीं ले रहा है।