पिछले साल अगस्त में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय झंडे का कथित तौर पर अनादर करने को लेकर अन्ना हजारे और उनकी टीम के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस को आदेश देने से अदालत ने इंकार कर दिया है।
टीम अन्ना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए दायर एक याचिका पर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनिल कुमार ने कहा कि याचिका में कुछ भी न न तो उल्लेख किया गया है न न ही पेश किया गया कि मामले में एफआईआर क्यों दायर होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता के पास यदि सारे साक्ष्य हैं तो एफआईआर दायर करने के लिए आदेश देने की जरुरत ही नहीं है। अदालत का यह आदेश वकील रविंद्र कुमार की याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस को हजारे, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और अन्य छह के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान तिरंगे का कथित तौर पर अपमान करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग की थी।
आपराधिक मामला दायर करने के लिए कुमार की अर्जी को अदालत ने जहां अस्वीकार कर दिया वहीं अदालत ने उन्हें अपने आरोप के समर्थन में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 200 के तहत प्रमुख साक्ष्य पेश करने की अनुमति दी।
अदालत ने इस मामले में सभी जरूरी साक्ष्य उपलब्ध कराने को कहा और मामले में साक्ष्य के परीक्षण के लिए दो अप्रैल की तारीख तय की है।
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टीम अन्ना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए दायर एक याचिका पर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनिल कुमार ने कहा कि याचिका में कुछ भी न न तो उल्लेख किया गया है न न ही पेश किया गया कि मामले में एफआईआर क्यों दायर होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता के पास यदि सारे साक्ष्य हैं तो एफआईआर दायर करने के लिए आदेश देने की जरुरत ही नहीं है। अदालत का यह आदेश वकील रविंद्र कुमार की याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस को हजारे, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और अन्य छह के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान तिरंगे का कथित तौर पर अपमान करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग की थी।
आपराधिक मामला दायर करने के लिए कुमार की अर्जी को अदालत ने जहां अस्वीकार कर दिया वहीं अदालत ने उन्हें अपने आरोप के समर्थन में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 200 के तहत प्रमुख साक्ष्य पेश करने की अनुमति दी।
अदालत ने इस मामले में सभी जरूरी साक्ष्य उपलब्ध कराने को कहा और मामले में साक्ष्य के परीक्षण के लिए दो अप्रैल की तारीख तय की है।
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