पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं के अपमानजनक कार्टून कथित रूप से जारी करने पर जादवपुर यूनिवर्सिटी के एक प्रफेसर को गिरफ्तार किया गया था। बाद में हालांकि उन्हें जमानत मिल गई। प्रफेसर की गिरफ्तारी की चौतरफा निंदा हुई है।
भौतिक रसायन के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा ने बाद में दावा किया कि उन्होंने केवल मनोरंजन के लिए अपने मित्रों को मेल भेजे थे। महापात्रा ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उनकी निर्दयतापूर्वक पिटाई की और गुरुवार रात को जबरन अपने बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया कि उन्होंने जानबूझकर कार्टून को इंटरनेट पर जारी किया क्योंकि वह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के सक्रिय कार्यकर्ता हैं।
पूर्वी जादवपुर पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया, 'महापात्रा पर भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।'
इस मामले में प्रफेसर के पड़ोसी और महापात्र हाउसिंग सोसाइटी के सचिव सुब्रत सेनगुप्ता की भी गिरफ्तारी हुई है। उन पर सोसाइटी के पंजीकृत ईमेल आईडी से कार्टून भेजने का आरोप है।
महापात्रा और सेनगुप्ता को हालांकि, जमानत पर रिहा कर दिया गया है। उनकी गिरफ्तारी की चौतरफा आलोचना हुई है। नेताओं, शिक्षाविदों, कलाकारों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
गौरतलब है कि कार्टून में ममता और रेल मंत्री मुकुल राय की तस्वीरों के साथ-साथ सत्यजीत रे की फिल्म 'सोनार केल्ला' के कुछ संवाद शामिल किए गए हैं, जिसमें दोनों को पार्टी के नेता दिनेश त्रिवेदी से निपटने के तरीकों पर चर्चा करते हुए दिखाया गया है, जिन्होंने रेल बजट में किराया वृद्धि के बाद ममता और पार्टी के दबाव में इस्तीफा दे दिया।
वहीं, मुख्यमंत्री ने गिरफ्तारी का बचाव करते हुए सीपीएम पर निशाना साधा। सीएम बनर्जी ने कहा, '34 वर्ष तक जब वे सत्ता में रहे तो उन्होंने कुछ भी काम नहीं किया। लेकिन अब वे केवल मेरे विकास के कार्यों में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। वे अपराध करते हैं और एक बार जब लोगों की गिरफ्तारी हो जाती है तो वे अपने चैनलों पर इसे दिन भर दिखाते हैं।'
प्रफेसर और उनके पड़ोसी की गिरफ्तारी की चौतरफा आलोचना हुई है। तृणमूल के ही बागी सांसद कबीर सुमन ने कहा, ''मैंने कार्टून देखा है, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि यह किस प्रकार साइबर अपराध है। यह हास्य व्यंग्य के रूप में बनाया गया है। यदि आज उन्हें गिरफ्तार किया गया है तो कौन जानता है कल हमें भी गिरफ्तार किया जा सकता है।'
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रदेश इकाई के सचिव राहुल सिन्हा ने जहां इसे सत्ता का दुरुपयोग बताया है, वहीं कांग्रेस नेता ओ. पी. मिश्रा ने कहा कि यह विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर हमला है।
कभी ममता के करीबी समझे जाने वाले शिक्षाविद सुनंदो सांन्याल ने कहा, 'यह वह बदलाव नहीं है, जिसकी अपेक्षा की गई थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।' ऐक्टर कौशिक सेन ने कहा, 'मुझे पूरे मामले की जब जानकारी मिली तो मैं अपनी हंसी रोक नहीं सका। यह हास्यास्पद है कि किसी को कार्टून बनाने के लिए गिरफ्तार कर लिया जाए। साथ ही यह चिंताजनक भी है। संभव है कि आगे हमारे नाटक रोक दिए जाएं और हमारे घरों पर भी हमले हों।'
सरकार ने हालांकि पुलिस की कार्रवाई का बचाव किया है। परिवहन मंत्री मदन मित्र ने कहा कि महापात्र ने जो कुछ भी किया, वह शिक्षक की गरिमा के खिलाफ है। वहीं श्रम मंत्री पुर्नेंदु बोस ने कहा, 'यह ममता को अपमानित करने की कोशिश है। पुलिस ने वही किया, जो ऐसे मामलों में उससे अपेक्षा की जाती है।'
भौतिक रसायन के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा ने बाद में दावा किया कि उन्होंने केवल मनोरंजन के लिए अपने मित्रों को मेल भेजे थे। महापात्रा ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उनकी निर्दयतापूर्वक पिटाई की और गुरुवार रात को जबरन अपने बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया कि उन्होंने जानबूझकर कार्टून को इंटरनेट पर जारी किया क्योंकि वह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के सक्रिय कार्यकर्ता हैं।
पूर्वी जादवपुर पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया, 'महापात्रा पर भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।'
इस मामले में प्रफेसर के पड़ोसी और महापात्र हाउसिंग सोसाइटी के सचिव सुब्रत सेनगुप्ता की भी गिरफ्तारी हुई है। उन पर सोसाइटी के पंजीकृत ईमेल आईडी से कार्टून भेजने का आरोप है।
महापात्रा और सेनगुप्ता को हालांकि, जमानत पर रिहा कर दिया गया है। उनकी गिरफ्तारी की चौतरफा आलोचना हुई है। नेताओं, शिक्षाविदों, कलाकारों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
गौरतलब है कि कार्टून में ममता और रेल मंत्री मुकुल राय की तस्वीरों के साथ-साथ सत्यजीत रे की फिल्म 'सोनार केल्ला' के कुछ संवाद शामिल किए गए हैं, जिसमें दोनों को पार्टी के नेता दिनेश त्रिवेदी से निपटने के तरीकों पर चर्चा करते हुए दिखाया गया है, जिन्होंने रेल बजट में किराया वृद्धि के बाद ममता और पार्टी के दबाव में इस्तीफा दे दिया।
वहीं, मुख्यमंत्री ने गिरफ्तारी का बचाव करते हुए सीपीएम पर निशाना साधा। सीएम बनर्जी ने कहा, '34 वर्ष तक जब वे सत्ता में रहे तो उन्होंने कुछ भी काम नहीं किया। लेकिन अब वे केवल मेरे विकास के कार्यों में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। वे अपराध करते हैं और एक बार जब लोगों की गिरफ्तारी हो जाती है तो वे अपने चैनलों पर इसे दिन भर दिखाते हैं।'
प्रफेसर और उनके पड़ोसी की गिरफ्तारी की चौतरफा आलोचना हुई है। तृणमूल के ही बागी सांसद कबीर सुमन ने कहा, ''मैंने कार्टून देखा है, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि यह किस प्रकार साइबर अपराध है। यह हास्य व्यंग्य के रूप में बनाया गया है। यदि आज उन्हें गिरफ्तार किया गया है तो कौन जानता है कल हमें भी गिरफ्तार किया जा सकता है।'
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रदेश इकाई के सचिव राहुल सिन्हा ने जहां इसे सत्ता का दुरुपयोग बताया है, वहीं कांग्रेस नेता ओ. पी. मिश्रा ने कहा कि यह विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर हमला है।
कभी ममता के करीबी समझे जाने वाले शिक्षाविद सुनंदो सांन्याल ने कहा, 'यह वह बदलाव नहीं है, जिसकी अपेक्षा की गई थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।' ऐक्टर कौशिक सेन ने कहा, 'मुझे पूरे मामले की जब जानकारी मिली तो मैं अपनी हंसी रोक नहीं सका। यह हास्यास्पद है कि किसी को कार्टून बनाने के लिए गिरफ्तार कर लिया जाए। साथ ही यह चिंताजनक भी है। संभव है कि आगे हमारे नाटक रोक दिए जाएं और हमारे घरों पर भी हमले हों।'
सरकार ने हालांकि पुलिस की कार्रवाई का बचाव किया है। परिवहन मंत्री मदन मित्र ने कहा कि महापात्र ने जो कुछ भी किया, वह शिक्षक की गरिमा के खिलाफ है। वहीं श्रम मंत्री पुर्नेंदु बोस ने कहा, 'यह ममता को अपमानित करने की कोशिश है। पुलिस ने वही किया, जो ऐसे मामलों में उससे अपेक्षा की जाती है।'