भ्रष्टाचार और लोकपाल के मुद्दे पर एक बार फिर अन्ना की टीम और प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच शनिवार को तनातनी रही.
जहां प्रधानमंत्री कार्यालय ने चिट्ठी लिखकर अन्ना टीम के प्रधानमंत्री पर लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया वहीं अन्ना की टीम ने कहा कि सरकार ऐसे बर्ताव कर रही है मानो देश में कोई भ्रष्टाचार ही न हो.
तीन जून को रामदेव और अन्ना के एक साथ हुए अनशन के बाद लग रहा था कि लोकपाल के मामले पर बयानबाजी बंद हो गई है लेकिन शनिवार को सरकार ने अन्ना टीम के ख़िलाफ़ कड़ा रुख दिखाया.
'कोई सबूत नहीं दिए गए'
प्रधानमंत्री कार्यालय से एक पत्र जारी किया गया और प्रधानमंत्री कार्यालय पीएमओ के मत्री नारायणस्वामी ने अन्ना टीम पर जोरदार हमला किया.
पीएमओ से जारी पत्र में कहा गया है कि अन्ना की टीम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कैबिनेट मंत्रियों और प्रधानमंत्री पर जो आरोप लगाए थे वो बेबुनियाद हैं क्योंकि उसमें कोई सबूत नहीं दिया गया गया है.
पत्र में लोकपाल को लेकर सरकार के प्रयास भी गिनाए गए और कई क़ानूनों का भी जि़क्र किया गया और कहा गया कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार का रुख कड़ा है.
चेन्नई में पीएमओ के मंत्री नारायणस्वामी का रवैया भी कड़ा था. उन्होंने कहा कि अन्ना की टीम में कुछ स्वयंभू नेता हैं जो देश में चुनी गई सरकार को गिराना चाहते हैं.
उनका कहना था कि अन्ना अच्छे आदमी है लेकिन उनके आंदोलन से जुड़े कुछ लोग 'राष्ट्रविरोधी' हैं जिन्हें विदेशों से समर्थन मिल रहा है.
पर्यवेक्षकों का मानना है कि सरकार की रणनीति थी अन्ना की टीम में फूट डालने की कोशिश करना.
'आंदोलन जारी रहेगा'
इसके जवाब में अन्ना की टीम ने प्रधानमंत्री कार्यालय को आड़े हाथों लिया और कहा कि सरकार ऐसे बर्ताव कर रही है मानो देश में कोई भ्रष्टाचार नहीं हो.
अन्ना टीम की सदस्य किरन बेदी ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री अपने काबिना मंत्रियों के खिलाफ लगे आरोपों पर जो रवैय्या अपना रहे हैं वो अजीबोगरीब है.
उनका दावा था कि सीएजी के सचिव ने भी माना है कि कोयला मामले में अनियमित्ताएँ हुई हैं.
टीम के एक और सदस्य मनीष सिसौदिया ने कहा कि पीएमओ ने जो पत्र लिखा है उसमें इस बात के कोई सबूत नहीं है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार में शामिल नहीं थे इसलिए 25 जुलाई से घोषित आंदोलन जारी रहेगा.
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जहां प्रधानमंत्री कार्यालय ने चिट्ठी लिखकर अन्ना टीम के प्रधानमंत्री पर लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया वहीं अन्ना की टीम ने कहा कि सरकार ऐसे बर्ताव कर रही है मानो देश में कोई भ्रष्टाचार ही न हो.
तीन जून को रामदेव और अन्ना के एक साथ हुए अनशन के बाद लग रहा था कि लोकपाल के मामले पर बयानबाजी बंद हो गई है लेकिन शनिवार को सरकार ने अन्ना टीम के ख़िलाफ़ कड़ा रुख दिखाया.
'कोई सबूत नहीं दिए गए'
प्रधानमंत्री कार्यालय से एक पत्र जारी किया गया और प्रधानमंत्री कार्यालय पीएमओ के मत्री नारायणस्वामी ने अन्ना टीम पर जोरदार हमला किया.
पीएमओ से जारी पत्र में कहा गया है कि अन्ना की टीम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कैबिनेट मंत्रियों और प्रधानमंत्री पर जो आरोप लगाए थे वो बेबुनियाद हैं क्योंकि उसमें कोई सबूत नहीं दिया गया गया है.
पत्र में लोकपाल को लेकर सरकार के प्रयास भी गिनाए गए और कई क़ानूनों का भी जि़क्र किया गया और कहा गया कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार का रुख कड़ा है.
चेन्नई में पीएमओ के मंत्री नारायणस्वामी का रवैया भी कड़ा था. उन्होंने कहा कि अन्ना की टीम में कुछ स्वयंभू नेता हैं जो देश में चुनी गई सरकार को गिराना चाहते हैं.
उनका कहना था कि अन्ना अच्छे आदमी है लेकिन उनके आंदोलन से जुड़े कुछ लोग 'राष्ट्रविरोधी' हैं जिन्हें विदेशों से समर्थन मिल रहा है.
पर्यवेक्षकों का मानना है कि सरकार की रणनीति थी अन्ना की टीम में फूट डालने की कोशिश करना.
'आंदोलन जारी रहेगा'
इसके जवाब में अन्ना की टीम ने प्रधानमंत्री कार्यालय को आड़े हाथों लिया और कहा कि सरकार ऐसे बर्ताव कर रही है मानो देश में कोई भ्रष्टाचार नहीं हो.
अन्ना टीम की सदस्य किरन बेदी ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री अपने काबिना मंत्रियों के खिलाफ लगे आरोपों पर जो रवैय्या अपना रहे हैं वो अजीबोगरीब है.
उनका दावा था कि सीएजी के सचिव ने भी माना है कि कोयला मामले में अनियमित्ताएँ हुई हैं.
टीम के एक और सदस्य मनीष सिसौदिया ने कहा कि पीएमओ ने जो पत्र लिखा है उसमें इस बात के कोई सबूत नहीं है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार में शामिल नहीं थे इसलिए 25 जुलाई से घोषित आंदोलन जारी रहेगा.
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