महाराष्ट्र दौरे पर निकले अन्ना हजारे की यात्रा जब नागपुर पहुंची तो उनके क़ा़फिले पर नागपुर के चिटणिस पार्क में कुछ युवाओं ने पत्थरबाज़ी की. ये युवा युवक कांग्रेस के सदस्य थे. हालांकि इस घटना में किसी को कोई नुक़सान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना बताती है कि अन्ना हजारे के महाराष्ट्र दौरे को लेकर कांग्रेस में किस हद तक बेचैनी ब़ढी हुई है. पुलिस ने युवक कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं को इस घटना में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार भी किया है. यह घटना 16 मई को तब घटी, जब अन्ना हजारे नागपुर पहुंचे थे और शाम 6 बजे पत्रकार वार्ता के बाद चिटणिस पार्क में जनसभा को संबोधित करने जा रहे थे. इस पार्कमें शहर युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता अन्ना हजारे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और इसी दौरान अन्ना हजारे के क़ाफिले पर पत्थरबाज़ी की घटना घटी. इस घटना में किसी को चोट तो नहीं पहुंची, लेकिन एक गा़डी ज़रूर क्षतिग्रस्त हो गई.
दरअसल, जबसे अन्ना हजारे ने यह घोषणा की है कि वह अपने अगले आंदोलन की तैयारी 2014 के लोकसभा चुनाव और जनलोकपाल क़ानून को ध्यान में रखते हुए कर रहे हैं, तबसे कांग्रेस की बेचैनी ब़ढी हुई है. ऊपर से महाराष्ट्र में एक मज़बूत लोकायुक्त क़ानून की मांग से भी महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार की नींद उ़डी हुई है. अन्ना सा़फ-सा़फ कह रहे हैं कि सरकार की नीयत सा़फ नहीं है, तभी आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी भ्रष्टाचार रोकने के लिए सक्षम क़ानून नहीं बन सका है. ग़ौरतलब है कि 2014 में ही लोकसभा के साथ-साथ महाराष्ट्र विधानसभा के लिए भी चुनाव होना है. अन्ना हजारे यह कह रहे हैं कि इन चुनावों में सा़फ छवि के लोगों को जिताना है, ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मज़बूत क़ानून बनाया जा सके. इसके अलावा जून के पहले सप्ताह में अन्ना हजारे बाबा रामदेव के साथ दिल्ली में भी आंदोलन करेंगे. ज़ाहिर है, अन्ना का रामदेव के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ ल़डना, कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. यह बात कांग्रेस भी समझ रही है. नागपुर की यह घटना शायद इसी झुंझलाहट का नतीजा है.
जनलोकपाल पर सर्वे के नतीजे
इस हफ्ते आईएसी टीम ने एक सर्वे किया था. आइए, आज उसके नतीजों को देखते हैं. सर्वे में 4 सवाल पूछे गए थे और 6948 लोगों ने देश भर से ई-मेल द्वारा अपने जवाब भेजे. नतीजों के आधार पर बनी टेबल नीचे दी गई हैः
सारांश (सर्वेक्षण 10 मई, 2012) | हां % | नहीं% | हां | नहीं |
संसद में आपराधिक पृष्ठभूमि के 162 सांसद हैं. देश में 4200 विधायक हैं, जिनमें 1170 आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं. इसके अलावा इन्हीं में से कई लोगों पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे हैं. क्या आपको लगता है कि ऐसे सांसद और विधायक जन लोकपाल बिल पास करेंगे? | 4 | 96 | 276 | 6650 |
34 केंद्रीय मंत्रियों में 16 ऐसे मंत्री हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. आपको क्या लगता है कि ऐसा मंत्रिमंडल जनलोकपाल पास करेगा? | 4 | 96 | 298 | 6672 |
क्या आपको लगता है कि जब सा़फ छवि के लोग संसद या विधानसभाओं में आएंगे तभी जनलोकपाल बिल पास हो पाएगा? | 93 | 7 | 6488 | 460 |
क्या आपको लगता है कि अन्ना जी को अच्छे और सा़फ छवि के उम्मीदवारों का समर्थन करना चाहिए? | 82 | 4 | 5736 | 253 |
एक बार फिर यह ज़ाहिर हो गया कि भारत की जनता को इस संसद और विधानसभाओं में बैठे सांसदों और विधायकों पर विश्वास नहीं रहा, या यह भी कह सकते हैं कि जनता को पूरा विश्वास हो गया है कि यह संसद एक सशक्त जनलोकपाल नहीं पास करेगी. ऐसा लग रहा है कि खानापूर्ति करने के लिए यह सरकार एक लचर बिल पास करेगी. सारी पार्टियां भी अपनी म़ंजूरी दे चुकी हैं. ऐसी सूरत में हम चुप नहीं बैठेंगे. हमारी मांग एक सशक्त लोकपाल रही है और रहेगी. मेरी आप सबसे अपील है कि एक बड़े आंदोलन के लिए तैयार हो जाइए. आंदोलन का प्रारूप क्या होगा, इस पर अभी चर्चा चल रही है. लेकिन आंदोलन का आकार इतना बड़ा होगा कि सारी पार्टियां और उसमें भ्रष्ट नेता जनता की आवाज़ से हिल जाएंगे और उन्हें जनता की बात माननी ही पड़ेगी. सवाल उठता है कि जनतंत्र में सरकार तानाशाही पर उतर आई है और जनता की नहीं चल रही. सर्वे के आख़िरी सवाल में पूछा गया था कि बिना ख़ुद चुनाव में खड़े हुए क्या अन्ना जी को सा़फ सुथरे छवि के लोगों का समर्थन करना चाहिए. 82 प्रतिशत जनता ने कहा है कि अन्ना जी को सा़फ छवि के उम्मीदवारों का समर्थन करना चाहिए. इस सवाल में जनता ने हां या ना के अलावा अपनी राय भी दी है. जनता का कहना है कि राजनीति बहुत ही घिनौनी और गंदी चीज़ है. एक व्यक्ति ने यह राय दी है कि अन्ना जी जैसे सा़फ छवि के लोगों को राजनीति की तऱफ देखना भी नहीं चाहिए.
आप इस विषय पर चर्चा करें कि क्या सरकार की ऐसी तानाशाही का कोई जवाब नहीं है? अबकी बार हमें ऐसा जवाब ढूंढना है, जिसके चलते हमें फिर सरकार के सामने झोली न फैलानी पड़े. सरकार को समझ में आए कि मालिक कौन है और सेवक कौन. अबकी बार व्यवस्था परिवर्तन के रूप में जवाब ढूंढना है.