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जनरल ने लिखी पीएम को चिट्ठी, ज़ंग लगे हथियारों से कैसे जीतेंगे जंग?


नई दिल्ली।। कहीं भारत की आजादी खतरे में तो नहीं? भारतीय फौज क्या खोखली हो गई है? क्या सेना में इतना


भी दम नहीं कि वह अपने पड़ोसी दुश्मन देशों के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दे सके? इनमें कुछ सचाई दिखती है, क्योंकि किसी और ने नहीं, बल्कि सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह ने देश की सुरक्षा को खतरे में बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को एक गोपनीय चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में कहा गया है कि सेना के तोपों का गोला-बारूद खत्म हो चुका है। पैदल सेना के पास हथियारों की कमी है। वायुसेना के साजो-समान अपनी ताकत खो चुके हैं। रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने स्वीकार किया है कि उन्हें जनरल की चिट्ठी की जानकारी है। राज्यसभा में इस मुद्दे पर बयान देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि देश की सैनिक तैयारियां मजबूत हैं। उन्होंने कहा कि पीएम से बात करने के बाद इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। 


अंग्रेजी अखबार डीएनए के मुताबिक, जनरल सिंह ने सेना की खस्ता हालत के बारे में 12 मार्च को प्रधानमंत्री को 5 पन्ने की चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी मंगलवार को सामने आई है। जनरल सिंह ने चिट्ठी में लिखा है कि हमारी तमाम कोशिशों और रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद तैयारियां नहीं दिख रही है। मैं यह सूचित करने को मजबूर हूं कि सेना की मौजूदा हालत संतोषजनक स्थिति से कोसों दूर है। 


दो विरोधी पड़ोसी मुल्कों से देश की सुरक्षा सेना की क्षमता से जुड़ी है। इस वजह से सेना की खामियों को तत्काल प्रभाव से दूर करने की जरूरत है। देश के प्रमुख हथियारों की स्थिति बहुत ही खराब है। इनमें मैकेनाइज्ड सेना, तोपखाने, हवाई सुरक्षा, पैदल सेना और स्पेशल सेना के साथ ही इंजीनियर्स और सिग्नल्स भी शामिल हैं। 


चिट्ठी में और भी कुछ मुद्दे उठाए गए हैं। इसमें आईटीबीपी के संचालन का अधिकार सेना को चाहिए। सेना में हवाई बेड़े की जरूरतों को पूरा किया जाए। चीन उत्तरी सीमा पर बड़ी तेजी से विकास कार्य कर रहा है। ऐसे में राज्यों से सिंगल विंडो क्लीयरेंस के तहत बुनियादी विकास की अनुमति दिलवाई जाए। 


सेना प्रमुख की चिट्ठी में जो प्रमुख चिंताएं जाहिर की गई हैं, वे निम्न हैं:- 


आर्मी के पूरे टैंक दस्ते के पास जरूरी गोला बारूद की भारी कमी है। 


हवाई सुरक्षा के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले 97 फीसदी हथियार और उपकरण पुराने पड़ चुके हैं। 


आर्मी की एलीट स्पेशल फोर्स के पास के पास जरूरी हथियारों की कमी है। यह काफी चिंताजनक है। 


पैदल सेना के जवानों के पास हथियारों की कमी। उनके पास रात में दुश्मन से लड़ने की क्षमता की भारी कमी। 


एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल्स की मौजूदा उत्पादन क्षमता और उपलब्धता बेहद कम है। 


लंबी दूरी तक मार करने वाले तोपखाने में पिनाका व स्मर्च रॉकेट सिस्टम का अभाव।

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