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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

कानून जनता की सलाह लेकर बनाए जाएं: अन्ना


नई दिल्ली। टीम अन्ना द्वारा सांसदों के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियां करने पर सांसदों की कटु आलोचना झेल रहे समाजसेवी अन्ना हजारे ने आज कहा कि कानून संसद द्वारा बनाये जाते हैं पर उन्हें जनता से सलाह करके ही बनाया जाना चाहिए।


हजारे ने अपने नवीनतम ब्लॉग में लिखा है कि हमने सैकड़ों बार कहा है कि कानून संविधान के अनुसार संसद द्वारा बनाये जाते हैं, पर लोकतंत्र में सरकार को चाहिए कि वह कानून का प्रारूप समाज के अनुभवी लोगों की मदद से तैयार करे।


हजारे ने कहा कि किसी भी कानून का प्रारूप इन्टरनेट अथवा अन्य माध्यमों से जनता के समक्ष रखा जाना चाहिए। जनता कानून का प्रारूप पढ़ेगी और अपनी सलाह देगी तथा उन सुझावों को संसद के सामने रखा जाना चाहिए।


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74 वर्षीय गांधीवादी ने कहा कि वर्ष 1950 में जनता देश की मालिक बन गयी और सरकारी खजाने में धन उसका है। उन्होंने कहा कि देश के भ्रष्टाचार बढ़ गया है, क्योंकि जनता का इस धन पर नियंत्रण नही रहा है।


अन्ना हजारे ने कहा कि लोकपाल विधेयक संसद में आठ बार रखे जाने के बावजूद पारित नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि कानून संसद में बनाये जाते हैं, पर लोकपाल विधेयक लोकसभा में आठ बार प्रस्तुत होने के बावजूद पारित नहीं हो सका। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? 


उन्होंने कहा कि जनता देश की मालिक है तथा विधायक, सांसद और सरकारी अधिकारी जनता के सेवक हैं। उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें विधानसभाओं और संसद में भेजा है पर अगर वे कानून नहीं बना रही है तो जनता को पूरा अधिकार है कि वह इस बारे में उनसे पूछे।


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हजारे का यह कथन उस समय आया है जब लोकसभा के सांसद दलगत राजनीति से ऊपर उठकर टीम अन्ना द्वारा सांसदों के विरुद्ध कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के विरोध में एकजुट हुए और उनकी निंदा की।


कांग्रेस का कहना है कि हजारे को अनशन करने का पूरा अधिकार है पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद के पास है।

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