" "

भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

लोकपाल पर फिर गदर की तैयारी में अन्ना

लोकपाल को लेकर संसद से सड़क तक एक बार फिर दंगल शुरू होने वाला है। अन्ना हजारे, बाबा रामदेव को साथ लेकर अनशन के बहाने सरकार को फिर टेंशन देने की तैयारी में हैं, तो सरकार ने भी 23 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाकर अपना रुख़ साफ़ करने की कोशिश की है।

लेकिन सारी क़वायद के बीच सवाल वही है कि लोकपाल कब तक। लोकपाल विधेयक पर जमी धूल एक बार फिर साफ़ करने की क़वायद शुरू हो रही है। चुनावी शोरगुल में दबने के बाद लोकपाल का मुद्दा फिर से ज़ोर पकड़ने लगा है।
इस मसले पर हरिद्वार में अन्ना हजारे की बाबा रामदेव से मुलाक़ात के बाद केंद्र सरकार भी हरकत में आई है। 23 मार्च को इस मसले पर प्रधानमंत्री की ओर से सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है, जिसमें लोकपाल पर जारी गतिरोध ख़त्म करने के लिए सरकार कोशिश करेगी।

सरकार बजट सत्र में लोकपाल बिल को राज्यसभा से पास करवाने के लिए फ़िक्रमंद दिखना चाहती है। क्योंकि शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में लोकपाल विधेयक के लटकने से सरकार को काफ़ी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
हालांकि लोकपाल पर संबंधित पक्षों की स्थिति जस की तस दिखती है। मज़बूत लोकपाल बिल की मांग को लेकर अन्ना एक बार फिर अनशन पर बैठने वाले हैं। दिल्ली में 25 मार्च को एक दिन का अनशन रख टीम अन्ना बताना चाहती है कि लोकपाल की लड़ाई के लिए वह अभी भी प्रतिबद्ध हैं।

इस अनशन में रामदेव की भी भागीदारी की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी बिल के प्रवधानों को लेकर ज़्यादा आक्रामक रुख़ अपनाने के संकेत दिए हैं। बीजेपी लोकपाल विधेयक पर उसी जगह से बहस शुरू करना चाहती है, जहां पर उसे 29 दिसंबर को छोड़ा गया था।

बदलाव सरकार के रुख़ में भी कुछ ख़ास नहीं है, लेकिन 5 राज्यों में चुनाव के बाद देश के बदल सियासी माहौल ने यूपीए सरकार को फ़िक्रमंद ज़रूर किया है और केंद्र सरकार विधेयक के कुछ प्रावधानों में कुछ बदलाव कर इस पर सहमति बनाने में जुटी है।
बहरहाल, कोशिशों के दौर के बीच अभी लोकपाल बिल पर अनिश्चितता बरक़रार है।
" "