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अन्ना जी, जी.डी. अग्रवाल के स्वास्थ्य के बारे में बात करते हुए

अन्ना जी, जी.डी. अग्रवाल के स्वास्थ्य के बारे में बात करते हुए| वो आज शाम को उनसे मिलने भी जायेंगे|
अन्ना जी के साथ अभी अभी गंगा के लिए कुर्बान होने जा रहे तपस्वी के दर्शन करके आ रहा हूँ. संकल्प और मनोबल से लबरेज़ जी. डी. अग्रवाल से मिलते ही मन ऊर्जा से भर गया. गंगा मां का सच्चा बेटा. जिसने ८ फरवरी से कुछ नहीं खाया. ९ मार्च से पानी भी नहीं पीया..... लेकिन इसके बाद भी आवाज़ में कशिश.
एक-एक लफ्ज़ में यही बात कि गंगा को बचाना है तो बलिदान देना ही पड़ेगा. ५०० बाँध बनाए जा रहे हैं. गंगा की धारा बदली जा रही है. जिन रास्तों से बहकर गंगा का पानी गंगाजल बनता है वे सूखते जा रहे हैं. दिल्ली में एक नया माल खुलता है तो उसे बिजली देने के लिए गंगा के किनारे बसे सैकड़ों गाँव बाँध में डुबो दिए जाते हैं.
जी. डी. अग्रवाल की मांग है कि तीन साल पहले बनी गंगा बेसिन अथारिटी की बैठक बुलाई जाए.(डेढ़ साल से इसकी एक बार भी बैठक नहीं हुई है) उसमें चर्चा की जाए कि गंगा के साथ यह सलूक होना चाहिए या नहीं. और तब तक उत्तराखंड में बन रहे ६ बड़े बांधों का काम रोक दिया जाए. लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. एक बैठक बुलाने में इतनी कोताही. सरकार होने का इतना घमंड. चुने हुए होने का इतना अहंकार कि एक बैठक तक बुलाने को तैयार नहीं.
गंगा नदी है. गंगा इस देश का जीवन है. गंगा के किनारे दुनिया का सबसे बडा सिंचित-उपजाऊ मैदान है.
सवाल यह नहीं है कि जी.डी.अग्रवाल जी बचेंगे या नहीं. सवाल यह है कि गंगा बचेगी या नहीं. क्योंकि गंगा नहीं बची तो दिल्ली भी शायद ही बचे. इसलिए वह महान तपस्वी कह रहा है कि "मेरी गंगा मां बलिदान मांग रही है".

--- Manish Sisodia.

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