ईमानदार अफसरों को ईमानदारी की कीमत पहले भी चुकानी पड़ी है। सत्येंद्र दुबे, एस. मंजूनाथ, यशवंत सोनावाणे ऐसे कई नाम हैं जो ईमानदारी दिखाते-दिखाते शहीद हो गए।
सत्येंद्र दुबे: 27 नवंबर 2003 को सत्येंद्र दुबे को गया सर्किट हाउस में गोली मार दी गई थी। दुबे ने एनएचएआई में भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सीधे पत्र लिखा था इस बारे में विस्तृत जानकारी दी थी।
हालांकि इस पत्र पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए थे लेकिन उन्होंने इसके साथ अपना बायो डाटा भेजा था ताकि मामले को गंभीरता से लिया जाए। घटना के कई साल बाद पटना की एक अदालत ने दुबे की हत्या के मामले में तीन लोगों को सज़ा सुनाई।
एस. मंजूनाथ: आईआईएम-लखनऊ के ग्रेजुएट और इंडियन ऑयल के सेल्स मैनेजर एस. मंजूनाथ की हत्या 19 नवंबर 2005 को हुई थी। मंजूनाथ मिलावटी पेट्रोल बेचने वाले इस पेट्रोल पंप के मालिक मित्तल को कई बार चेतावनी दे चुके थे। हत्या के दिन वह सैंपल लेने गए थे। वह सैंपल ले पाते, इससे पहले ही उन्हें गोली मार दी गई। उनका शव कुछ दिन बाद पड़ोसी सीतापुर जिले से बरामद किया गया।
यशवंत सोनावाणे: बीते साल 25 जनवरी को नासिक जिले के मनमाड के पास एडीएम यशवंत सोनावाणे को तेल में मिलावट की जांच पड़ताल के दौरान कुछ लोगों ने जला दिया था। उनकी मौके पर ही मौत हो गयी और इस दौरान आग का शिकार हुए प्रमुख आरोपी पोपट शिंदे की भी बाद में मौत हो गयी।
उत्तर प्रदेश के साढ़े आठ हजार करोड़ के हेल्थ मिशन घोटाले से जुड़े मामले में भी 9 लोगों की मौत हो गई है। बीते 15 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग के एक अकाउंटेंट का शव मिला था। क्लर्क नौ दिन से गायब था। उनके परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने ली जान। जान गंवाने वाले क्लर्क महेंद्र शर्मा की पत्नी मिथिलेश ने कहा कि उनके पति का बार-बार तबादला किया जाता था। कई माह से तनख्वाह भी रोक दी गई थी। बेटे तुषार ने बताया पिता पर अफसरों का कागजात पर दस्तखत का दबाव था।
इससे पहले इन अफसरों की भी गई जान:
1- डॉ. बच्चीलाल रावत, डीजी मेडिकल एंड हेल्थ
कैसे : घर लौटते समय गोली मारकर हत्या।
वजह: ड्रग माफिया की मदद से इंकार।
2- आरएस शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर
कैसे : लखनऊ में उनके चेम्बर के बाहर गोली मारी।
वजह : माफिया को दवा ठेके देने का विरोध किया।
3- डॉ. ओमप्रकाश चिंपा, सीएमओ इटावा
कैसे: आधी रात को घर के बाहर गोली मारकर हत्या।
वजह: ठेके देने में ड्रग माफिया को नाराज किया।
4- डॉ. विनोद आर्य, एनआरएचएम सीएमओ
कैसे : अक्टूबर 2010 को सैर के दौरान हत्या।
वजह: ड्रग माफिया को ठेके देने से इनकार किया था।
5- डॉ. बीपी सिंह, एनआरएचएम सीएमओ
कैसे : अप्रैल 2011 में मॉर्निग वॉक के दौरान हत्या।
वजह : महकमे की कई गड़बड़ियां पकड़ी थीं।
6- डॉ. योगेंद्र सचान, डिप्टी सीएमओ
कैसे : जून 2011 में लखनऊ जेल में फांसी पर लटके मिले। पोस्टमार्टम में शरीर पर गहरे जख्म।
वजह : बीपी सिंह और आर्य की हत्या का आरोप। पूछताछ में बड़े नाम उजागर होने के संकेत थे।
सुनील वर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर
कैसे : जनवरी 2012 में गोली मारकर खुदकुशी।
वजह: बड़े नामों का खुलासा करने का दबाव था। एजेंसियों को पूछताछ में सफलता मिलने वाली थी।
7- डॉ. शैलेष यादव, डिप्टी सीएमओ
कैसे: यादव की कार ट्राले में घुसी। मौके पर मौत।
वजह: सीबीआई के सामने खुलासे करने वाले थे।
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हालांकि इस पत्र पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए थे लेकिन उन्होंने इसके साथ अपना बायो डाटा भेजा था ताकि मामले को गंभीरता से लिया जाए। घटना के कई साल बाद पटना की एक अदालत ने दुबे की हत्या के मामले में तीन लोगों को सज़ा सुनाई।
एस. मंजूनाथ: आईआईएम-लखनऊ के ग्रेजुएट और इंडियन ऑयल के सेल्स मैनेजर एस. मंजूनाथ की हत्या 19 नवंबर 2005 को हुई थी। मंजूनाथ मिलावटी पेट्रोल बेचने वाले इस पेट्रोल पंप के मालिक मित्तल को कई बार चेतावनी दे चुके थे। हत्या के दिन वह सैंपल लेने गए थे। वह सैंपल ले पाते, इससे पहले ही उन्हें गोली मार दी गई। उनका शव कुछ दिन बाद पड़ोसी सीतापुर जिले से बरामद किया गया।
यशवंत सोनावाणे: बीते साल 25 जनवरी को नासिक जिले के मनमाड के पास एडीएम यशवंत सोनावाणे को तेल में मिलावट की जांच पड़ताल के दौरान कुछ लोगों ने जला दिया था। उनकी मौके पर ही मौत हो गयी और इस दौरान आग का शिकार हुए प्रमुख आरोपी पोपट शिंदे की भी बाद में मौत हो गयी।
उत्तर प्रदेश के साढ़े आठ हजार करोड़ के हेल्थ मिशन घोटाले से जुड़े मामले में भी 9 लोगों की मौत हो गई है। बीते 15 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग के एक अकाउंटेंट का शव मिला था। क्लर्क नौ दिन से गायब था। उनके परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने ली जान। जान गंवाने वाले क्लर्क महेंद्र शर्मा की पत्नी मिथिलेश ने कहा कि उनके पति का बार-बार तबादला किया जाता था। कई माह से तनख्वाह भी रोक दी गई थी। बेटे तुषार ने बताया पिता पर अफसरों का कागजात पर दस्तखत का दबाव था।
इससे पहले इन अफसरों की भी गई जान:
1- डॉ. बच्चीलाल रावत, डीजी मेडिकल एंड हेल्थ
कैसे : घर लौटते समय गोली मारकर हत्या।
वजह: ड्रग माफिया की मदद से इंकार।
2- आरएस शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर
कैसे : लखनऊ में उनके चेम्बर के बाहर गोली मारी।
वजह : माफिया को दवा ठेके देने का विरोध किया।
3- डॉ. ओमप्रकाश चिंपा, सीएमओ इटावा
कैसे: आधी रात को घर के बाहर गोली मारकर हत्या।
वजह: ठेके देने में ड्रग माफिया को नाराज किया।
4- डॉ. विनोद आर्य, एनआरएचएम सीएमओ
कैसे : अक्टूबर 2010 को सैर के दौरान हत्या।
वजह: ड्रग माफिया को ठेके देने से इनकार किया था।
5- डॉ. बीपी सिंह, एनआरएचएम सीएमओ
कैसे : अप्रैल 2011 में मॉर्निग वॉक के दौरान हत्या।
वजह : महकमे की कई गड़बड़ियां पकड़ी थीं।
6- डॉ. योगेंद्र सचान, डिप्टी सीएमओ
कैसे : जून 2011 में लखनऊ जेल में फांसी पर लटके मिले। पोस्टमार्टम में शरीर पर गहरे जख्म।
वजह : बीपी सिंह और आर्य की हत्या का आरोप। पूछताछ में बड़े नाम उजागर होने के संकेत थे।
सुनील वर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर
कैसे : जनवरी 2012 में गोली मारकर खुदकुशी।
वजह: बड़े नामों का खुलासा करने का दबाव था। एजेंसियों को पूछताछ में सफलता मिलने वाली थी।
7- डॉ. शैलेष यादव, डिप्टी सीएमओ
कैसे: यादव की कार ट्राले में घुसी। मौके पर मौत।
वजह: सीबीआई के सामने खुलासे करने वाले थे।