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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

मिलकर लड़ाई जारी रखने की हुंकार भरी बाबा रामदेव और अन्ना हजारे ने

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए सरकार को आगे लड़ाई की चेतावनी देते हुए योग गुरु बाबा रामदेव और अन्ना हजारे ने एकजुटता दिखाई और आगे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई मिलकर लड़ने की बात कही।

काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबे समय बाद अन्ना हजारे के साथ जंतर-मंतर के पास संसद मार्ग पर एक मंच पर बैठे रामदेव ने 4 जून से अपने आंदोलन को किसी न किसी रूप में जारी रखने का संकेत देते हुए कहा कि शाम को घोषणा की जाएगी कि सोमवार से आंदोलन की रणनीति क्या रहेगी।

उन्होंने कहा, इस देश में काला धन वापस आकर रहेगा और जन लोकपाल के लिए भी आरपार की लड़ाई जारी रहेगी। रामदेव ने केंद्र सरकार पर काले धन को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि देश में आ रहा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) काले धन की चाबी है। अगर सरकार इसका मूल स्रोत बता दे, तो देश में 80 प्रतिशत काले धन का पता लग जाएगा। रामदेव ने प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि लोग उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी की इज्जत करते हैं, लेकिन उन्हें अपनी लोकतांत्रिक, राजनीतिक और संवैधानिक ईमानदारी भी निभानी चाहिए। देश उनको व्यक्ति के रूप में नहीं सर्वोच्च राजनीतिक व्यक्ति के रूप में देखता है।

हिन्दुत्व की छवि से दूरी बनाने की कोशिश करते दिख रहे रामदेव ने दो तीन बार मंच से कहा कि हमारे आंदोलन में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्म और वर्ग के लोग जुड़े हैं। उनके मंच पर भी पूर्व राज्यसभा सदस्य एजाज अली, पूर्व सांसद इलियास आजमी, मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी आदि मुस्लिम नेता मौजूद थे।

रामदेव ने कहा कि आंदोलन किसी पार्टी के खिलाफ नहीं है। यह आंदोलन हम क्रोध और प्रतिशोध के साथ नहीं, बल्कि पूरे होश और बोध के साथ कर रहे हैं। अन्ना हजारे आंदोलन में अपने सहयोगियों शांति भूषण, अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, मनीष सिसौदिया तथा संजय सिंह के साथ मौजूद रहे। दोनों पक्षों ने इस मौके पर एक बार फिर केंद्र सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री पर निशाना साधा।

रामदेव ने कहा कि आज हम फिर से वही जंग नए सिरे से शुरू कर रहे हैं, जो 14 नवंबर, 2010 को जंतर-मंतर पर संयुक्त आंदोलन के साथ शुरू की गई थी। उस दिन रामदेव के साथ हजारे, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण आदि ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में कथित घोटालों का विरोध किया था।

अनशन से पहले हजारे और रामदेव दोनों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर अपना हमला तेज कर दिया था। हजारे ने कहा था कि मनमोहन ने भरोसा खो दिया है, जबकि रामदेव ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री राजनीतिक रूप से ईमानदार नहीं हैं। इस मौके पर टीम अन्ना की प्रमुख सदस्य किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल ने भी सरकार पर निशाना साधा। रामदेव ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी की सभी इज्जत करते हैं, लेकिन वह एक लोकतांत्रिक और राजनीतिक पद पर बैठे हैं और जनता उनसे राजनीतिक ईमानदारी की अपेक्षा करती है।


इस बीच, संसदीय कार्य राज्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि टीम अन्ना और रामदेव भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए मौजूदा संस्थानों को ताक पर रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। आजाद हिन्द ग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद दिल्ली की सीमा पर स्थित टीकरी कलां से राजघाट होते हुए रामदेव आंदोलन स्थल पर पहुंचे।


पिछले साल 4 जून की आधी रात को रामलीला मैदान में हुई पुलिस कार्रवाई के एक साल बाद आंदोलन कर रहे योग गुरु ने कहा कि वहां ‘रावणलीला’ हुई थी। इस बीच पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त किए हैं। क्षेत्र में दिल्ली पुलिस कर्मियों के अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की 20 कंपनियां भी तैनात की गई हैं। आंदोलन में बड़ी तादाद में लोग जंतर-मंतर पहुंचे। विरोध प्रदर्शन में पूर्व सांसद और जेपी आंदोलन से जुड़े रहे 90 वर्षीय रामजी सिंह भी पहुंचे।
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