भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे समाजसेवी अन्ना हजारे का भरोसा भी अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उठ गया है। कल तक पीएम को ईमानदार करार देने वाले अन्ना ने सोमवार को कहा कि कोयला ब्लाकों के आवंटन में भ्रष्टाचार से संबंधित कागजातों को देखने के बाद उन्हें इस घोटाले में प्रधानमंत्री पर शक हो रहा है। उल्लेखनीय है कि टीम अन्ना ने कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री सहित 15 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये थे। इनमें प्रधानमंत्री को सीधे तौर पर निशाने पर लेते हुए कोल ब्लाक आवंटन घोटाले में उनकी भूमिका पर सवाल खडे़ किए गए थे।
योग गुरु बाबा रामदेव के रविवार के एक दिन के अनशन में शामिल होने के बाद अन्ना ने आज नोएडा में मीडिया से कहा कि वह प्रधानमंत्री को साफ-सुथरा नेता समझते थे, लेकिन कोयला आवंटन के कागजातों को देखने के बाद उन्हें पीएम पर शक होने लगा है। अन्ना का यह बयान कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के उन आरोपों के बाद आया है, जिसमें कांग्रेस नेतृत्व ने अन्ना एवं रामदेव की मुहिम को सरकार को बदनाम करने की साजिश करार दिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने भी टीम अन्ना के आरोपों को खारिज कर दिया है। इसका जवाब देते हुए अन्ना ने कहा कि जिन मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, उनके खिलाफ एकत्र सुबूतों की फाइलें हम सोनिया गांधी को भेजने जा रहे हैं। इसके बाद सोनिया गांधी खुद तय करें कि आरोप गलत हैं या सही। उन्होंने सवाल किया कि यदि आरोप गलत हैं तो सरकार इसकी निष्पक्ष जांच क्यों नहीं करा रही है? उन्होंने कहा कि टीम अन्ना के आरोपों को गलत नहीं, बल्कि सीएजी की रिपोर्ट को गलत बताने की कोशिश की जा रही है।
अन्ना नहीं, टीम अन्ना करेगी अनशन
नोएडा के सेक्टर 14 स्थित शांति भूषण के आवास पर सोमवार को टीम अन्ना की कोर कमेटी की बैठक हुई। इसमें अन्ना हजारे ने भी हिस्सा लेने पहुंचे थे। बैठक में आंदोलन की रूपरेखा को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए। तय किया गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अनशन को हथियार बनाने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे 25 जुलाई से शुरू होने जा रहे अनशन पर नहीं बैठेंगे, बल्कि उनकी टीम के युवा इस बार यह जिम्मेदारी निभाएंगे। बैठक के बाद अन्ना ने कहा कि 5 जून से टीम अन्ना के सदस्य देश के अलग-अलग राज्यों का दौरा करेंगे और भ्रष्ट मंत्रियों की पोल जनता के सामने खोलेंगे। 8 जून को खत्म होने जा रहे महाराष्ट्र दौरे के बाद अन्ना खुद टीम के साथ देशभर में दौरा करेंगे। इस दौरान टीम अन्ना काला धन व जन लोकपाल के लिए ग्राम सभा से लेकर संसद तक के सदस्यों के विचार और उनकी राय लेगी।
‘प्रोटोकाल’ पर बाबा से सहमत नहीं केजरीवाल
केंद्र सरकार के खिलाफ एक मंच से आवाज बुलंद करने के बावजूद टीम और योग गुरु बाबा रामदेव के बीच मतभेद खत्म नहीं हुए हैं। योग गुरु की कई बातों पर असहमति जता चुकी टीम अन्ना ‘प्रोटोकाल’ पर भी बाबा के बयान से इत्तेफाक नहीं रखती। टीम अन्ना के मुख्य सदस्य अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को बाबा के उस बयान को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि मंच से भाषण देते समय नेताओं का नाम नहीं लेने और किसी पर निजी हमला नहीं करने का ‘प्रोटोकाल’ तय किया गया था। केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि मुझे पहले से इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया था। मेरे पास एक छोटी सी पर्ची तब भेजी गई जब मैंने नाम लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा कि अगर सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़नी है तो मंत्रियों का नाम लेना ही पडे़गा और मैंने ऐसा करके कुछ भी गलत नहीं किया है। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार और काला धन के मुद्दे पर रविवार को अनशन के दौरान अपने बयान को बाबा द्वारा अपवाद बताए जाने पर केजरीवाल ने आंदोलन स्थल से चले गए थे।
राह अलग, पर मंजिल एक
काले धन को वापस लाने और भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अन्ना-बाबा का आंदोलन भले ही अलग-अलग चले, लेकिन मंच साझा करने में कोई विवाद आडे़ नहीं आएगा। टीम अन्ना के मुताबिक 25 जुलाई से शुरू हो रहे अनशन के लिए बाबा रामदेव को आमंत्रित किया गया है, जबकि 9 अगस्त को बाबा के अनशन में अन्ना सहित पूरी टीम शामिल होगी।