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Tahirul Qadri Anna Hazare |
मुहम्मद ताहिर उल कादरी पाकिस्तान में जाना-पहचाना नाम है। यह शख्स सूफी धर्मगुरु है और कुछ वक्त तक पाकिस्तान की सियासत से बाहर था। अब वह मुल्क के सिस्टम में भरी गंदगी दूर करने का नारा देकर कनाडा से वापस लौट आएं हैं और उनकी वापसी ने पाकिस्तान में राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है। वह इस्लामाबाद में संसद के बाहर हजारों समर्थकों के साथ डटे हुए हैं। आइये जानते हैं उनके बारे में :
कौन हैं और क्या चाहते हैं कादरी
2010 में कादरी ने धार्मिक संदेश जारी कर आतंकवाद और आत्मघाती हमलों की खिलाफत की थी। इसने उन्हें लोकप्रिय बनाया। वह एक शैक्षणिक और धार्मिक संगठन चलाते हैं जिसकी मौजूदगी दुनियाभर में है। वह अपराधियों को राजनीति से बाहर करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान के राजनीतिक तंत्र में बदलाव लाने की ठानी है। कादरी ने संकल्प लिया है कि जब तक ऐसा नहीं होता तब तक वह वापस नहीं जाएंगे। एक इंटरव्यू में उन्होंने 'चुनावी तानाशाही' और 'तहरीर स्कवायर' जैसी स्थिति की तरफ इशारा किया। वह ऐसा सिस्टम चाहते हैं जिसमें उम्मीदवारों की ईमानदारी की जांच की जाए। इस मांग के चलते विश्लेषक उनकी तुलना अन्ना हजारे और लोकपाल आंदोलन से करने लगे हैं।
जनसमर्थन और कद
लोगों के कादरी के समर्थन में आने की वजह पाकिस्तान में आतंकवादी हमले, जनाक्रोश और प्रशासन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है। ऐसा लगता है कि कादरी को सेना का समर्थन हासिल है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश में उथल-पुथल सुनिश्चित करने के लिए रावलपिंडी (यहां सेना का मुख्यालय है) ने उन्हें खड़ा किया है। ज्यादातर पाकिस्तानियों को सूफी विचारधारा से कोई दिक्कत नहीं है।
ताजा संकट
पाकिस्तान में मार्च में आम चुनाव होने हैं। अगर वहां एक असैन्य सरकार के हाथ से सत्ता दूसरी असैन्य सरकार के हाथ में जाती है तो पाकिस्तान में ऐसा पहली बार होगा। पाक का सियासी माहौल इस वक्त नवाज शरीफ के पक्ष में है। वह सेना पर लगाम कस सकते हैं। ऐसे में आर्मी देश में राजनीतिक उथल-पुथल चाहेगी ताकि चुनाव टल जाएं और वहां एक कमजोर अंतरिम सरकार आ जाए।