![]() |
arvind kejriwal, nitin gadkari |
नई दिल्ली - आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल का भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ पोल खोलने का अभियान इन दिनों नरन पड़ गया हो पर नितिन गडकरी के इस्तीफे के रूप में केजरीवाल को पहली सफलता हासिल हो गई है। केजरीवाल के बड़े खुलासों का ही असर है कि गडकरी को न केवल दोबारा भाजपा अध्यक्ष बनने की दौड़ से बाहर हुए बल्कि लोगों की आलोचनों का शिकार भी बनना पड़ा।
केजरीवाल ने ही सबसे पहले नितिन गडकरी के स्वामित्व में रही पूर्ति समूह का कच्चा-चिट्ठा लोगों को सामने खोला था। केजरीवाल ने गडकरी और महाराष्ट्र सरकार में मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें कटघरे में खड़ा किया था। गडकरी पर लग रहे आरोपों और उनके खिलाफ आयकर विभाग की सक्रियता के बावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अध्यक्ष पद पर उनकी दावेदारी को समर्थन देता रहा, जबकि भाजपा के कई नेता उनके खिलाफ खुलकर खड़े हो गए थे।