स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था - सिद्धांतो पर दृढ रहनेवाले, राष्ट्रीयता के धुन में दीवाने, देशकार्य को समर्पित सौ एक युवक अगर मुझे मिल जाते हैं तो मैं इस देश का नजारा बदल दुंगा। दुर्भाग्यवश स्वामी जी को ऐसे समर्पित युवक उस मसय नही मिल पाए, फिर भी स्वामी जी से प्रेरणा पा कर कई कार्यकर्ता गण आज भी विध क्षेत्रों में कार्यरत हैं। यह उपलब्धी भी कम महत्त्वपूर्ण नही हैं।
अपनी भारत देश में करीब छः लाख गांव हैं और देश की आबादी एक सौ बीस करोड से भी आगे बढ गई हैं। इतनी बडी जनसंख्या में से मात्र छः लाख नवयुवक दृढ संकल्प के साथ एक एक गांव विकास कार्य हेतु चुन ले और अपनी आप को उस कार्य में समर्पित कर दे, तो इस देश और देश की जनता का उज्वल भविष्य दूर नही हैं।
देश का दुर्भाग्य हैं कि ऐसे नवयुवक बढ कर आगे नही आते। लेकिन 16 अगस्त 2011 को दिल्ली के जंतरमंतर तथा रामलिला मैदान में जनलोकपाल कानून की मांग में विराट आंदोलन हुआ था। देशभर के विभिन्न राज्यों से करोडों की संख्या में लोग सडकों पर उतर आए थे। स्वाधिनता प्राप्ती के 65 वर्षों में पहली बार ऐसा विशाल आंदोलन खडा हुआ था।
माना कि इस आंदोलन से भ्रष्टाचार का सफाया तो नहीं हो पाया, लेकिन करोडो रुपये खर्च करने पर भी जो संभव नहीं हो सकता था वह लोक जागरण का अभूकपूर्व कार्य इस आंदोलन के कारण साकार हो पाया। देश के विभिन्न राज्यों से हजारो की तादाद में रालेगण सिद्धी में चिठ्ठीयाँ आयी। सब ने आंदोलन से जुडने की भावना पत्रों द्वारा व्यक्त की थी। इन्ही पत्रों में से कुछ में कई युवकों ने अपना जीवन समाज और राष्ट्रकी सेवा में समर्पित करने की मंशा भी प्रकट की थी। हालाँ कि जीवन समर्पण कोई आसान बात नही हैं, फिर भी आगामी 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती के मौके पर जीवन समर्पन के लिए उत्सुक 200 नव युवक तथा आंदोलन से जुडके के लिए उत्सुक 200 युवक, कुल मिला कर 400 कार्यकर्ता 10 जनवरी से 13 जनवरी 2013 तक रालेगण सिद्धी में चार दिवसीय प्रशिक्षण शिबीर में शामील हो रहे हैं। इन चार दिनों में उनका यदि कुछ प्रबोधन हो पाया, उनके विचारों में कुछ दृढता आने के संकेत मिले तो विभिन्न राज्यों से आये हुए इन कार्यकर्ताओं जैसे बाकी कार्यकर्ताओं को भी तीन या चार महिनों में चार या पांच दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन कार्यकर्ताओं ने अपने अपने, जिला, तहसिल व ग्राम स्तर पर सम विचारी कार्यकर्ताओं का संघटन बनाना हैं। यह जरुरी नही कि अन्ना हजारे जैसे उन्हे भी अविवाहीत रहना हैं। लेकिन अपनी गृहस्थी चलाते समय अहसास रहे कि अपने उपर समाज का कुछ ऋण हैं। इस देश के खातीर भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे लाखो शहिदों नें हमारी आजादी के लिए अपनी जाने कुर्बान की। इस कुर्बानी को हमेशा याद रखते हुए जब भी कभी मुमकिन हो, किसी भी प्रकार के फल की अपेक्षा न रखते हुए, निष्काम भावना से अपना समय देश के कार्य हेतु लगाने को इन कार्यकर्ताओं ने तयार रहना हैं। देश में संपूर्ण परिवर्तन का विचार गांव सें शुरू होता हैं।
देश में भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए जनलोकपाल, राईट टू रिजेक्ट, ग्रामसभा को जादा अधिकार, दफ्तर दिरंगाई, जनता की सनद जैसे कानून बनवाने के लिए सरकार को बाध्य करना हो तो ग्रामस्तरीय संघटन पुरे देश भर में बनाना पडेगा। साथ ही साथ जब देश संपूर्ण परिवर्तन की उम्मीद रखे तो किसानों की, मजदूरों की, शिक्षा क्षेत्र की, पर्यावरण की समस्याओं पर गौर करना जरुरी बनता है। फिलहाल प्रकृती का और मानवता का हो रहा शोषण एक गम्भीर खतरा बन गया हैं। इन समस्याओं का निपटारा करने के लिए 20-25 साल तक गम्भीर प्रयास करने होंगे। ध्येयवादी कार्यकर्ताओं का संघटन यदि ग्रामस्तर से ले कर राष्ट्रीय स्तर तक मजबती से खडा हो तो देश में परिवर्तन असंभव नही हैं। दीर्घ काल चलने वाले इस आंदोलन का शुभारंभ 12 जनवरी 2013 को रालेगण सिद्धी जैसे एक छोटे से देहात से करने का संकल्प कार्यकर्ताओं ने कर रखा हैं।
इस अभियान का व्यापक प्रचार व प्रसार पुरे देश भर में करने के लिए 30 जनवरी 2013 को बिहार में पटना के महात्मा गांधी मैदान से प्रचार का शुभारंभ किया जायेगा। क्यों कि महात्मा गांधी जी तथा जयप्रकाश नारायण जी ने अपने आंदोलनों की रणभेरी यहीं से बजाई थी। इस तथ्य से मैं भली भाँति वाकिफ हूं कि गांधी जी या जयप्रकाश नारायण जी के पैरों के पास बैठने की भी मेरी हैसियत नहीं हैं, लेकिन उनसे प्रेरणा ले कर एक लघु प्रयास करने में क्या हर्ज हैं? इसी सोंच को ले कर हम यह अल्प प्रयास कर रहे हैं। बिहार से आरम्भ कर आगामी डेड-दो साल में पुरे देश भर में भ्रमण करने का इरादा रखता हूं।
कई लोग आश्चर्य करेंगे कि मंदिर में रहनेवाला एक फकिर जिसके पास न धन हैं न दौलत, न ही कहीं पर बैंक बॅलन्स और सपना देखता हैं, देश में सम्पूर्ण परिवर्तन का। पर मुझे यकिन हैं कि अगर जनता इस नेक काम में तन-मन-धन से सहयोग प्रदान करे तो कुछ भी असंभव नहीं है। पिछले पच्चीस वर्षों से जनता के सामने झोली फैलाते आ रहां हूं। जो भी पांच, दस, बीस रुपये जनता झोली में डाल देती हैं, उसी के बुते पर आंदोलन यहां तक पोहोंच पाया हैं। झोली में मिले एक-एक रुपये तक का हिसाब दिया गया हैं। यही वजह हैं कि आंदोलन अब तक चल पाया हैं। देशभर में संपूर्ण परिवर्तन करने में यदि जनता सहयोग करे तो कामयाबी जरूर मिलेगी इस बारे में तनिक भी संदेह नही। अर्थ सहयोग के लिए प्रयास करने की अब तक 25 साल में जरुरत ही नही पडी। लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर पर काम बढाना हो तो अर्थ सहाय्यता की जरुरत पडेगी, इस बात का अहसास होने लगा हैं। बिना अर्थ संग्रह किए देशभर में भ्रमण करना संभव नही हो पाएगा। इसिलिए जो इस काम में अर्थ सहयोग देना चाहते हो वे "भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन न्यास देशव्यापी" बैंक आफ महाराष्ट्र, शाखा - रालेगण सिद्धी, ता. पारनेर, जि. अहमदनगर, पिन कोड-414302, बैंक खाता क्रमांक 60118737987, IFSC कोड- MAHB 0000871, MICR कोड - 414014012 पर चैक या डिमांड ड्राफ्ट द्वारा प्रेषित कर सकते हैं।
रोकड रुप में अर्थ सहयोग हम नहीं लेते। जो भी अर्थ सहाय्यता करना चाहते हैं वो चैक या डिमांड ड्राफ्ट से कर सकते हैं। आर्थिक व्यवहार में पारदर्शिता के लिए खर्च के सभी व्यवहार चैक अथवा डिमांड ड्राफ्ट द्वारा ही किए जाते हैं। इसी कारण तो 25 वर्ष चल रहे इस आंदोलन में कोई भी हम पर उंगली तक नही उटा पाया। आगामी 20-25 वर्ष तक चलनेवाले परिवर्तन के इस प्रदीर्घ आंदोलन में जो जुडना चाहते हैं ऐसे केवल चारित्रशील कार्यकर्ता अपना नाम, पता, फोन, इ-मेल आदि सम्पूर्ण जानकारी हमारे नम्बर 9923599234 पर एसएमएस द्वारा प्रेषित करे। स्वयंसेवक (वालण्टिअर) के नाते देशसेवा का व्रत जो लेना चाहते हो मात्र ऐसेही कार्यकर्ता इसमें शामील हो। देश का उज्वल भविष्य बनाने के लिए गर्दी की नहीं बल्कि दर्दी कार्यकर्ताओं की जरुरत हैं।
कि. बा. तथा अण्णा हजारे