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लड़के का कहना है कि जब उसे और पीड़ित लड़की को नग्न अवस्था में बस से फेंक दिया गया था तो उन्होंने राह पर आते-जाते लोगों को रोकने की कोशिश की थी लेकिन 20-25 मिनट तक कोई नहीं रुका. लड़के का ये भी कहना था कि करीब 45 मिनट बाद पुलिस की पीसीआर वैन्स घटनास्थल पर पहुंची लेकिन आपस में अधिकार क्षेत्र तय करने में उन्हें समय लगा.
इस मामले पर विपक्षी पार्टियों और जानी मानी हस्तियों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि जब तक वे पूरे मामले में जानकारी हासिल नहीं कर लेते तब तक वे प्रतिक्रिया नहीं देंगे.
@thekiranbedi पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा है- “लड़के के दोस्त का इंटरव्यू टूटे हुए सामाजिक ढाँचे को दर्शाता है फिर वो समुदाय हो, पुलिस हो या कोई और. बहुत शर्म की बात है. ज़ी न्यूज़ के खिलाफ मामला दर्ज करने में पुलिस ने कानूनी तेज़ी दिखाई है. काश वे अपरधों को वैसे ही दर्ज करे जैसे वो रिपोर्ट किए जाते हैं.समाज के तौर पर हम मानवता भूल चुके हैं.”
@NMenonRaoअमरीका में भारत की राजदूत निरुपमा राव ने भी ट्विटर पर अपने विचार रखे हैं. उन्होंने इंटरव्यू का वीडियो लिंक पोस्ट करते हुए लिखा है ये पूरे समाज को कटघरे में खड़ा करता है.
@suchetadalalउस बहादुर लड़की और लड़के को जो सहना पड़ा, उसके बाद मैं सो नहीं पाई. पुलिस में सुधार ज़रूरी है.
@Ayeshatakiaअभिनेत्री आयशा टाकिया- दामिनी का दोस्त सच्चा हीरो है. उन हालातों में भी अपनी दोस्त की इज्ज़त के लिए वो लड़ा...
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में अपनी बात कुछ यूँ रखी- अगर मानवता के आधार पर भी देखो तो कम से कम उन्हें अस्पताल ले जाना चाहिए था, उनके शरीर को ढकना चाहिए था. तीन पीसीआर वाले वहाँ थे. उनके खिलाफ एफआईआर दायर करना होगा.