दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रमंडल खेल घोटाला मामले में आरोपी स्विटजरलैंड की कंपनी स्विस टाइमिंग की याचिका शोमवार को खारिज कर दी। याचिका में कंपनी के खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई करने से निचली अदालत पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।
कार्रवाई रोकने का किया था अनुरोध
न्यायाधीश मुक्ता गुप्ता ने कहा कि याचिका खारिज की जाती है। स्विस कंपनी ने याचिका में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश द्वारा कंपनी के खिलाफ कदम उठाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने जांच एजेंसी की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया है जिसमें कहा गया था कि कंपनी को मामले में उपस्थित होने के लिये प्रक्रिया के तहत सम्मन दिया गया है।
7 फरवरी तक निर्णय रखा था सुरक्षित
अदालत ने कंपनी की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसे जांच एजेंसी की तरफ से विदेशी कंपनियों के लिये निर्धारित प्रक्रिया के तहत कोई सम्मन नहीं मिला। इससे पहले, कंपनी के वकील और सीबीआई द्वारा जिरह पूरी करने के बाद अदालत ने सात फरवरी को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
सीबीआई पर गुमराह करने का आरोप
मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा था कि सीबीआई ने इस मामले में अदालत को गुमराह किया है। सीबीआई की दलीलों के आधार पर अगर अदालत गिरफ्तारी वारंट जारी करती है या फिर संपत्ति जब्त करती है तो यह कानून के खिलाफ होगा, क्योंकि आरोपी को सीआरपीसी तथा अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत सम्मन नहीं दिया गया है।
बहरहाल, सीबीआई ने स्विस टाइमिंग की दलील का विरोध किया और कहा कि कंपनी को सम्मन दोनों देशों के बीच संधियों के तहत दिया गया। राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के प्रमुख रहे सुरेश कलमाड़ी और अन्य सह आरोपी पर अवैध रूप से स्विस टाइमिंग को ठेका देकर राज्य सरकार को 90 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाने का आरोप है।
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न्यायाधीश मुक्ता गुप्ता ने कहा कि याचिका खारिज की जाती है। स्विस कंपनी ने याचिका में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश द्वारा कंपनी के खिलाफ कदम उठाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने जांच एजेंसी की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया है जिसमें कहा गया था कि कंपनी को मामले में उपस्थित होने के लिये प्रक्रिया के तहत सम्मन दिया गया है।
7 फरवरी तक निर्णय रखा था सुरक्षित
अदालत ने कंपनी की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसे जांच एजेंसी की तरफ से विदेशी कंपनियों के लिये निर्धारित प्रक्रिया के तहत कोई सम्मन नहीं मिला। इससे पहले, कंपनी के वकील और सीबीआई द्वारा जिरह पूरी करने के बाद अदालत ने सात फरवरी को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
सीबीआई पर गुमराह करने का आरोप
मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा था कि सीबीआई ने इस मामले में अदालत को गुमराह किया है। सीबीआई की दलीलों के आधार पर अगर अदालत गिरफ्तारी वारंट जारी करती है या फिर संपत्ति जब्त करती है तो यह कानून के खिलाफ होगा, क्योंकि आरोपी को सीआरपीसी तथा अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत सम्मन नहीं दिया गया है।
बहरहाल, सीबीआई ने स्विस टाइमिंग की दलील का विरोध किया और कहा कि कंपनी को सम्मन दोनों देशों के बीच संधियों के तहत दिया गया। राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के प्रमुख रहे सुरेश कलमाड़ी और अन्य सह आरोपी पर अवैध रूप से स्विस टाइमिंग को ठेका देकर राज्य सरकार को 90 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाने का आरोप है।