नई दिल्ली - गैंग रेप कांड में बुधवार को हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि इतने गंभीर मामले में एसीपी ही क्यों, पुलिस कमिश्नर या डीसीपी को सस्पेंड क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने यह नाराजगी तब जताई जब दिल्ली पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते हुए बताया कि इस मामले में इलाके के एसीपी को सस्पेंड कर दिया गया है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि बार-बार निर्देश के बावजूद उन पुलिसकर्मियों के नाम क्यों नहीं बताए गए जो वारदात के दिन उस रूट पर ऑन ड्यूटी थे?
चीफ जस्टिस डी. मुरुगेशन और जस्टिस वी. के. जैन की बेंच के सामने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करते वक्त साउथ दिल्ली की डीसीपी छाया शर्मा भी मौजूद थीं। कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच चूंकि पूरी हो चुकी है ऐसे में अब आगे का काम ट्रायल कोर्ट का है। हम छानबीन मॉनिटर नहीं करेंगे लेकिन पुलिस को यह बताना होगा कि अब तीन से दो पीसीआर कैसे हो गईं जबकि शुरुआत में उस रूट पर तीन पीसीआर होने की बात कही गई थी। कोर्ट ने यह भी बताने को कहा कि पीसीआर में कौन था। कोर्ट ने कहा कि जब तक आप रूट पर ड्यूटी कर रहे तमाम पुलिसकर्मियों के नाम नहीं बताएंगे हम आगे नहीं बढ़ेंगे। सरकारी वकील ने कहा कि वह गुरुवार को नाम बता देंगे तो कोर्ट ने कहा कि गुरुवार को ही आदेश भी पारित किया जाएगा।
जॉइंट कमिश्नर की क्या जिम्मेदारी?
हाई कोर्ट ने गाड़ियों से काले शीशे उतारने में हुई कोताही पर भी गहरी नाराजगी जाहिर की। पुलिस ने जैसे ही बताया गया कि इस मामले में एसीपी (ट्रैफिक) पर कार्रवाई की गई है तो कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या पूरी दिल्ली में काला शीशा उतारने की जिम्मेदारी सिर्फ एक एसीपी पर है, इसके लिए जॉइंट कमिश्नर (ट्रैफिक) क्यों जिम्मेदार नहीं? कोर्ट ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सड़कों पर काले शीशे वाली गाड़ी कैसे चलने दी गई। इसके लिए कौन-कौन अफसर जिम्मेदार हैं।
बंद कमरे में ही होगी सुनवाई
दिल्ली की अदालत ने बुधवार को कहा कि मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट के उस फैसले में कुछ भी गलत नहीं है जिसमें मामले की सुनवाई बंद कमरे में करने की बात है। इस आदेश के खिलाफ दो वकीलों ने हाई कोर्ट से कहा कि यह ऐसी घटना है जिसने देश को झकझोर कर रख दिया है, ऐसे में सुनवाई के दौरान क्या प्रगति हो रही हो यह सबको जानने का अधिकार है। हाई कोर्ट ने कहा कि आप याचिका दायर कर अपनी बात कह सकते हैं। दरिंदगी की शिकार लड़की के परिजनों ने भी कहा है कि सुनवाई में क्या हो रहा है यह जानने का हक सबको होना चाहिए ताकि लोगों का गुस्सा ठंडा न पड़े।
जूवनाइल पर केंद्र को नोटिस
हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें कहा गया है कि जो भी जूवनाइल 16 साल से ऊपर है और गंभीर मामले में लिप्त है उसे जूवनाइल जस्टिस (जेजे) ऐक्ट का बेनिफिट नहीं मिलना चाहिए। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की है।