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लीजिये दोस्तों अब एक और घोटाला सामने आ गया हें ।इस कांग्रेस का ये घोटाला इतना बड़ा हें की आप सोच भी नही सकते, इसके आंकड़े के आगे 2g और COALGATE तो बिचारे कहीं ठहरते ही नही हैं।
आरटीआई कार्यकर्ताओं औ देश के १३७ साल पुराने समाचारपत्र स्टेट्समैन ने ४८ लाख करो ड़ के थोरियम खनन घोटाले के बारे में बताया है। लेकिन देश को हुए पूरे नुकसान के बारे में सटीक अनुमान तो कैग जैसी संस्था ही बता सकती है। हमारे देश में मोनाज़ाएट रेत से परमाणु ऊर्जा में आवश्यक तत्व थोरियम को निकालने का काम केवल सरकारी इंडियन रेअर अर्थ लिमिटेड (आईआरईएल) संस्था द्वारा उड़ीसा के छतरपुर, तमिलनाडुअ के मनावलाकुरिची, चवारा और अलुवा और आईआरईएल के औअने कोवलम (केरल) के अनुसण्धान केंद्र में ही किया जाता है। अगर कैग आईआरईएल, औअर देश के परमाणु ऊजा विभाग का औडिट करे तो देश को हुए पूरे नुकसान के बारे में सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
स्टेट्समैन अखबार के मुताबिक तो घोटाला ४८ लाख करोड का है जो अब तक के हुए सभी घोटालों की रकम से बीसीयों गुना ज्यादा है। घोटाले की जड़ में है सरकार का खनन मंत्रालय। देश में खनन का लाइसेंस नागपुर स्थित मुख्य खनन नियंत्रक द्वारा दिये जाते हैं । ३० जून २००८ तक इस पद पर एक ईमानदार अधिकारी श्री सी पी एम्ब्रोस थे । उनके रिटायर होने के बाद अब तक इस पद पर किसी की भी नियुक्ति अभी तक नहीं की गयी है। सेंट्रल ज़ोन के खनन नियंत्रक रंजन सहाय कार्यकारी तौर पर मुख्य खनन नियंत्रक का काम देख रहे है। सहाय के ऊपर नेताओं का वरद हस्त है। उसके खिलाफ़ कई शिकायते सीवीसी के पास पड़ी हैं। खन माफ़िया से मिल कर २००८ के बाद थोरियम जैसे राष्ट्रीय महत्व के खनिज का उत्पादन निजी क्षेत्र को सौंप दिया गया। इस रेत का निर्यात किया जाने लगा जिसे देश से बाहर भेजा जाना ही अपराध है। इस तरह चोरी किये गये खनिज का बाज़ार मूल्य ४८ लाख करोड बैठता है। है न रह घोटालों का बाप!!
यह ''थोरियम'' घोटाला पूरे – 48 लाख करोड़ यानि – 48 ट्रिलियन डॉलर का हें, इसके पहले Coal-gate - 1.86 लाख करोड़ का था, और उसके पहले 2g स्पेक्ट्रम घोटाला – 1.76 लाख करोड़ का ही था। घोटाला शब्द भारत के लिए नया नहीं है। बस हर गुजरते दिन और हफ्ते, महीने और साल के साथ घोटाले की रकम के आगे के जीरो बढ़ते जा रहे हैं ।
सौर्स : http://www.thestatesman.net/index.php?option=com_content&view=article&id=422057%3Aspecial-article&catid=38%3Aeditorial&from_page=search