जनलोकपाल के लिए अभियान चलाने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे आज अपनी नई टीम की घोषणा कर सकते हैं। करप्शन के खिलाफ अपने अभियान को तेज करने के लिए अन्ना दिल्ली में अपने समर्थकों के साथ बैठक कर रहे हैं। किरन बेदी भी अन्ना से मिलने आई हैं।
इस बीच अन्ना से अलग हो चुके इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया ने सोमवार सुबह अचानक अन्ना हजारे से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात से यह चर्चा भी छिड़ी कि क्या केजरीवाल अन्ना को मनाने आए थे? गौरतलब है कि केजरीवाल की अन्ना से मतभेद के बाद यह पहली मुलाकात है।
केजरीवाल अन्ना से मुलाकात के बाद इस बारे में कुछ नहीं बोले, हालांकि उन्होंने कहा कि वह अन्ना के साथ हैं। केजरीवाल ने कहा कि उनके और अन्ना के बीच कोई झगड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्ना जो भी आंदोलन चलाएंगे, वह समर्थन देंगे। अन्ना से अलग हुए उनके निजी सचिव सुरेश पठारे के बारे में केजरीवाल ने कहा कि पठारे उनसे जुड़ना चाहें, तो उनका स्वागत है। गौरतलब है कि केजरीवाल 2 अक्टूबर को नई पार्टी की घोषणा करने वाले हैं।
कौन होगा अन्ना का नया 'सारथी'?
अन्ना हजारे की राहें केजरीवाल से अलग होने के बाद अब अगले स्टेज की तैयारी दोनों खेमों में शुरू हो चुकी है। अन्ना जहां एक ओर अपनी नई टीम की रणनीति बनाने में जुटे हैं, वहीं केजरीवाल अपनी पार्टी की घोषणा की तैयारी भी पूरी कर चुके हैं। केजरीवाल और उनके सहयोगियों के अलग होने के बाद अन्ना हजारे को दिल्ली की गतिविधियों को संभालने के लिए किसी ऐसे शख्स की जरूरत है, जो उनकी कमी को पूरा कर सकें।
दिल्ली में किसी कद्दावर कोऑर्डिनेटर की जरूरत को अन्ना नकार नहीं सकते। अभी अन्ना अपनी नई टीम के लिए जिन नामों पर गंभीरता से सोच रहे हैं, उनमें संभावित हैं।
मेधा पाटकर- नर्मदा बचाओ आंदोलन से चर्चा में रहने वाली मेधा पाटकर अन्ना के आंदोलन का शुरू से ही हिस्सा रही हैं। शुरुआती दौर में वह मंच पर भी देखी गईं। जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ा उन्होंने इसे बस नैतिक समर्थन दिया और सक्रिय भूमिका से खुद को अलग कर लिया। सूत्रों की माने तो इसके पीछे केजरीवाल का पूरे आंदोलन को लेकर मनमाना रवैया रहा है। अब केजरीवाल के अलग होने के बाद इस बात की संभावना जताई जा रही है कि वह अन्ना के साथ फिर नजर आएंगी।
राजेंद्र सिंह-वाटर हार्वेस्टिंग के लिए दुनिया भर में पहचान बना चुके और रैमन मैग्सेसे पुरस्कार पाने वाले राजेंद्र सिंह भी पहले अन्ना की कोर कमिटी का हिस्सा रहे हैं। जैसे जैसे आंदोलन आगे बढ़ा राजेंद्र सिंह ने भी इससे किनारा कर लिया। आंदोलन के कई मुद्दों से उन्होंने अपने को अलग पाया और कोर कमिटी से इस्तीफा दे दिया। अब अन्ना के साथ फिर उनके वापस आने की संभावना भी जताई जा रही है।
मौलाना काजमी -टीम अन्ना का अल्पसंख्यक चेहरा रहे मौलाना काजमी को मीटिंग के दौरान जासूसी करने के आरोप में बाहर का रास्ता दिखाया गया था। उन पर आरोप लगा था कि वह मीटिंग की मोबाइल पर विडियो रिकॉर्डिंग बना रहे थे। उन्होंने इस बात पर भारी गुस्सा जताया था और इसके पीछे केजरीवाल की मनमानी बताया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि अरविंद ने पूरे आंदोलन को हाई जैक कर लिया है। केजरीवाल के अलग होने के बाद वह भी अन्ना के करीब आ सकते हैं।
जनरल वीके सिंह -अन्ना ने दिल्ली आने के बाद सेना और सिविल दोनों के ही रिटायर्ड अधिकारियों से मुलाकात की है। इस बात से यह तो तय है कि वह अपने आंदोलन में इन्हें शामिल करने का मन भी बना रहे हैं। जनरल वीके सिंह ने पिछले आंदोलन में मंच पर आकर यह जता दिया था कि वह करप्शन के खिलाफ लड़ाई के लिए कमर कस चुके हैं। अगर वह भी अन्ना के साथ नजर आएं तो कोई हैरानी की बात नहीं है।