प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) और निजता के अधिकार के बीच संतुलन होना चाहिए, क्योंकि निजता का अधिकार भी मौलिक अधिकार से जुड़ा है।
सूचना आयुक्तों के सालाना सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि वे आरटीआई को किसी रोड़े के रूप में न देखें, बल्कि उसे इस रूप में लेना चाहिए कि यह हम सभी के लिए सामूहिक रूप से अच्छा है।
मनमोहन ने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी अधिकारियों की आलोचना करने, उपहास करने और उन्हें नीचा दिखाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। आरटीआई पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने, सूचना व जागरूकता का प्रसार करने तथा नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आरटीआई और निजता के अधिकार के बीच संतुलन बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आरटीआई और निजता के अधिकार के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है, क्योंकि निजता का अधिकार मौलिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है।
मनमोहन ने कहा कि आरटीआई के कारण नागरिक खुद को सशक्त महसूस करते हैं, क्योंकि प्रथम चरण में 95.5 प्रतिशत आवेदनों का निस्तारण कर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आरटीआई के अच्छे और रचनात्मक इस्तेमाल की सम्भावना शायद मौजूदा स्थिति के संकेतों से अधिक है। ऐसी सूचनाएं जो सम्भवत: कोई सार्वजनिक उद्देश्य हल नहीं कर सकती, उनकी मांग करने के लिए इस कानून के हल्के व पीड़ादायक इस्तेमाल को लेकर चिंताएं हैं।