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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

मनमोहन की एक थाली की कीमत 7721 रुपए ???


नई दिल्ली। एक तरफ तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश की खस्ता आर्थिक हालत का ढोल पीट कर कहते हैं कि पैसे पेड़ पर नहीं लगते तो दूसरी तरफ उन्हीं की अध्यक्षता वाला भारत का योजना आयोग कहता है कि पेट भरने के लिए शहर के गरीबों के लिए 32 रूपए और ग्रामीण गरीबों के लिए 26 रूपए पर्याप्त हैं।

लेकिन ग़ौर करने वाली बात ये है कि खुद सरकार फिजूलखर्ची की सारी हदें पार कर रही है। हालही में यूपीए सरकार के तीन साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने आवास पर डिनर दिया था। 22 मई को दिए डिनर में एक थाली की कीमत 7,721 रूपए थी। जहां देश के नागरिकों को भर पेट भोजन की कमीं है वहीं हमारे राजनेता महंगी थालियों से अपनी पेट पूजा करते देखे जा सकते हैं।
                      
आपको बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने प्रधानमंत्री के डिनर पर खर्च हुए पैसे की जानकारी मांगी थी। सरकार ने बताया कि डिनर पर कुल 11 लाख 34 हजार 296 रूपए खर्च हुए। सरकार ने टैंट की व्यवस्था पर 14 लाख 42 हजार 678 रूपए खर्च किए। प्लोर डेकोरेशन पर कुल 26 हजार 444 रूपए खर्च किए। इस तरह डिनर पार्टी पर कुल खर्च हुए 28 लाख 95 हजार 503 रूपए। डिनर पार्टी में कुल 603 लोगों को आमंत्रित किया गया था। हालांकि डिनर पार्टी में 307 लोग ही शामिल हो पाए। डिनर पार्टी की व्यवस्था का चार्ज प्रधानमंत्री ने दिया जबकि डिनर के पैसे सीपीडब्ल्यूडी और विदेश मंत्रालय ने दिए।

सरकार के द्वारा फिजूलखर्ची के उदाहरण...

1.हालही में देश के विकास की योजनाएं बनाने वाले योजना आयोग ने नई दिल्‍ली स्थित अपने मुख्‍यालय योजना भवन में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट तर्ज पर टॉयलेट बनाने के लिए इनकी मरम्मत पर 35 लाख रुपये खर्च कर दिए। इन टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए 60 अफसरों को स्मार्ट कार्ड जारी किए गए हैं। जनता के पैसे को पानी की तरह बहाए जाने से जुड़े इस खुलासे पर काफी बवाल मचा। लेकिन इसके बावजूद आयोग के उपाध्‍यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने इस खर्च को 'जायज' बताते हुए इसे मीडिया का दुष्‍प्रचार करार दिया।

2. बाढ़ की मार झेल रहे असम के कई जिलों में बाढ़ से लोगों का बुरा-हाल है लेकिन सूबे के सीएम तरुण गोगोई जापान की यात्रा पर चले गए हैं। गोगोई टोक्‍यो में गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स से जुड़े मसलों पर स्‍टडी के लिए राज्‍यों के वित्‍त मंत्रियों की एम्‍पॉवर्ड कमेटी के सदस्‍य के तौर पर विदेश गए हैं। जबकि असम के 27 में से 15 जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। अब तक कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई है जबकि 17 लाख लोग प्रभावित हैं।

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