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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

केजरीवाल अन्ना को मनाने जाएंगे रालेगण सिद्धी

नई दिल्ली। पूर्व टीम अन्ना के लोगों के चुनाव लड़ने के खिलाफ समाजसेवी अन्ना हजारे के बयान ने अरविंद केजरीवाल और उनके समर्थकों को परेशानी में डाल दिया है। केजरीवाल चाहते हैं कि अन्ना भले ही उनकी पार्टी से सीधे न जु़डें, लेकिन उनके उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार जरूर करें। जिसके चलते अन्ना को मनाने वह उनके गांव रालेगण सिद्धी जाएंगे। अन्ना हजारे ने ट्वीट कर कहा है कि पार्टी बनाकर क्या होगा। उन्होंने आंदोलन की अपनी राह पर आगे बढ़ने की बात कही है।

इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कुछ सदस्यों ने दबी आवाज में अन्ना के बयान की आलोचना भी शुरू कर दी है। संजय सिंह ने कहा है कि अन्ना के बयान से भ्रम की स्थिति बनी है। अन्ना ने ही जंतर-मंतर पर अनशन खत्म करते हुए कहा था कि देश को राजनीतिक विकल्प की जरूरत है। अब अगर भाजपा या कांग्रेस के उम्मीदवारों का समर्थन कर दिया गया तो भ्रष्टाचार के खिलाफ ल़डाई शिथिल पड़ जाएगी, क्योंकि ऐसे जन प्रतिनिधि अपनी पार्टी के व्हिप से बंधे होंगे और वही करेंगे जो भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी या कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कहेंगी। दिल्ली विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर चुके केजरीवाल ने हालांकि सफाई देते हुए कहा है कि अन्ना ने कोई नई बात नहीं कही है। अब शनिवार को केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और गोवा के सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश वाघेला रालेगन सिद्धि जा कर अन्ना से इस बारे में विस्तार से बात करेंगे। वे चाहते हैं कि आम लोगों में यह संदेश न जाए कि अन्ना इस पार्टी के विरोध में हैं। 

इससे पहले अन्ना ने कहा था कि दिल्ली विस चुनाव में केजरीवाल की पार्टी से ल़डने वाले उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार के लिए उनका आना ठीक नहीं होगा। अन्ना ने कहा था कि केजरीवाल और कुछ अन्य ने पार्टी बनाने की इजाजत मांगी थी और उन्होंने रजामंदी दी थी। साथ ही यह भी कहा, वे खुद चुनाव नहीं ल़डें, बल्कि ईमानदार लोगों को चुनाव ल़डवाएं। इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता और अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक प्रणाली में वंशवाद को अभिशाप करार दिया है। उन्होंने देश के युवाओं से इसे जड़ से उखाड़ फेंकने की अपील की है। यहां एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे अरविंद ने कहा कि आगामी चुनावों में युवाओं को भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग को संसद में पहुंचाना है। इन चुनावों को अंतिम मौका करार देते हुए उन्होंने कहा, हमने डेढ़ साल स़डकों पर ल़डाई की है, लेकिन अब भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को संसद में ले जाने की बारी है। इसके लिए युवाओं को ब़डी संख्या में भागीदारी करनी होगी। तमाम अनशनों के बाद यह साफ हो गया है कि कोई भी पार्टी जनलोकपाल विधेयक नहीं लाना चाहती। फिर चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा, सपा हो या बसपा। नाते-रिश्तेदारों को टिकट बांटने के लिए अरविंद ने राजनीतिक दलों की जमकर आलोचना की।
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