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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

अन्ना ने ठुकराया केजरीवाल के दो करोड़


नई दिल्ली - इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल के 2 करोड़ रुपए का ऑफर ठुकर दिया. कुछ महीने पहले अरविंद केजरीवाल आंदोलन के बचे हुए पैसों का चेक लेकर अन्ना को देने गए थे लेकिन अन्ना ने चेक लेने से इनकार कर दिया.

क्या अरविंद केजरीवाल से अलग होने के बाद अब अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के नाम पर जमा हुआ पैसा भी इस्तेमाल नहीं करेंगे.

ये सवाल इसलिए क्योंकि आंदोलन के नाम पर जो चंदा जमा किया गया उसमें से बचे हुए पैसों को भी लेने से अन्ना हजारे ने मना कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपी खबर के मुताबिक अरविंद केजरीवाल के एनजीओ पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन  आंदोलन के बचे हुए पैसे अन्ना को देना चाहा लेकिन अन्ना ने इसे लेने से मना कर दिया.

अखबार के मुताबिक कुछ महीने पहले केजरीवाल ने रालेगण सिद्धी पहुंचकर चंदे की बची हुई रकम के तौर पर अन्ना को तकरीबन 2 करोड़ का चेक देना चाहा लेकिन अन्ना ने इस चेक को लेने से इनकार कर दिया.

अरविंद ये पैसे इसलिए अन्ना को देने गए थे क्योंकि ये पैसे राजनीतिक पार्टी के लिए नहीं बल्कि आंदोलन के लिए मिले थे. और चूंकि अब अन्ना ही आंदोलन को आगे बढाएंगे इसलिए ये पैसा वो अन्ना को देने गए थे.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक टीम अन्ना के कोर ग्रुप में शामिल रहे पूर्व सदस्य दिनेश वाघेला ने भी केजरीवाल के इस ऑफर की पुष्टी की है. इस बारे में अब तक अरविंद केजरीवाल का पक्ष सामने नहीं आया है.

अखबार के मुताबिक 20 सितंबर को अन्ना जब दिल्ली में थे उस दौरान महाराष्ट्र सदन में अन्ना के सहयोगियों की बैठक में भी ये मामला गरमाया था लेकिन अन्ना ने अपने समर्थकों को निर्देश दिया कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन से आंदोलन का डाटा बेस को लेने की कोशिश की जाए लेकिन चंदे में से बचे पैसे को वापस नहीं लिया जाएं. अखबार के मुताबिक बैठक में अन्ना ने कबूल किया कि अरविंद चेक वापस कर रहे थे लेकिन उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया.

फिलहाल इंडिया अगेंस्ट करप्शन के पास कुल कितना पैसा है ये तो नहीं पता है लेकिन हम आपको बता दें कि कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 में 1 अप्रैल और सितंबर 30 यानि 6 महीने के दौरान आईएसी को आंदोलन के नाम पर कुल 2.94 करोड़ रुपये का चंदा मिला जिसमें से 1 करोड़ 14 लाख रुपये अकेले रामलीला मैदान आंदोलन के दौरान चंदे में मिले.

रिपोर्ट के मुताबिक आईएसी ने इस दौरान कुल 1 करोड़ 57 लाख रुपये खर्च भी दिखाया था. नवंबर 2011 में आई इस ऑडिट रिपोर्ट के बाद आईएसी ने अब तक दूसरी रिपोर्ट जनता के सामने पेश नहीं किया है. हालांकि जुलाई महीने के जंतर-मंतर आंदोलन के दौरान चंदे के तौर पर साढ़े 39 लाख लाख रुपये जमा होने की बात कही गई थी. चंदे के नाम पर जमा हुए पैसों में से खर्च होने के बाद जो पैसे शेष हैं फिलहाल वो पीसीआरएफ के खाते में जमा है.

ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि अन्ना हजारे ने केजरीवाल और इंडिया अगेंस्ट करप्शन से तो अपना नाता तोड़ लिया है  लेकिन आंदोलन के नाम पर जमा चंदे की राशि का क्या होगा?
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