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केजरीवाल से अलग होने के बाद बाबा रामदेव से मिले अन्ना


 राजनीतिक पार्टी के मसले पर टीम अन्ना के औपचारिक रूप से टूटने के बाद अन्ना हजारे और बाबा रामदेव करीब आ गए हैं। बुधवार की रात नई दिल्ली में गोल्फ लिंक स्थित बंगला नंबर 102 में दोनों की मुलाकात हुई। यह बंगला फिलहाल एक साप्ताहिक अखबार के संपादक के नाम पर किराये पर है। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान पूर्व आर्मी चीफ जनरल वी.के. सिंह के भी मौजूद थे।

अन्ना के बयान के बाद केजरीवाल ने गुरुवार को पहली बार इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके फैसले से हम स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा कि अन्ना हमारे लिए गुरु और पिता जैसे हैं, उनका बयान अप्रत्याशित था।

अन्ना ने बुधवार को ही अपने करीबी सहयोगी अरविंद केजरीवाल को सार्वजनिक रूप से बाय-बाय कह दिया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल और उनके साथी राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन मेरे नाम या फोटो का इस्तेमाल न करें। केजरीवाल से ब्रेकअप के बाद अन्ना-रामदेव की मुलाकात के मायने तलाशे जा रहे हैं। समझा जा रहा है कि तीनों ने आगे के आंदोलन के मुद्दों और रूपरेखा पर चर्चा की। सूत्रों का दावा तो यह भी है कि अन्ना और रामदेव को एक साथ लाने की मुहिम के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी एक कारोबारी का हाथ है।

सूत्रों के मुताबिक बाबा रामदेव रात करीब सवा नौ बजे और अन्ना हजारे करीब साढ़े नौ बजे उस कोठी पर पहुंचे। करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद वे चले गए। क्या बात हुई, इस बारे में फिलहाल कुछ भी नहीं कहा गया है। बाबा रामदेव और अरविंद केजरीवाल के बीच शुरू से मतभेद रहे हैं। किरण बेदी और केजरीवाल के बीच भी मतभेद खुल कर सामने आते रहे हैं। सो, केजरीवाल से अलग होने के तुरंत बाद अन्ना का रामदेव से मिलना अहम है।

इसी बीच चर्चा है कि अन्ना को केजरीवाल से दूर करने में कई लोगों का रोल रहा है। अन्ना को बताया गया है कि पिछले साल रामलीला मैदान में हुए अनशन के बाद किस तरह साधन और सपोर्ट बढ़ा है, किस तरह उनका 'यूज' किया जा रहा है, किस तरह 'एरोगेंसी' बढ़ती गई है। सूत्रों के मुताबिक तकरीबन एक महीने पहले जंतर-मंतर पर हुए अनशन के दौरान अन्ना की मौजूदगी मेंही 'मैं हूं अरविंद, मैं हूं केजरीवाल' की टोपियों ने भी दूरी बढ़ाने में रोल प्ले किया है।
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