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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

क्या बिजली का बिल आपका खून चूस रहा है?

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अगर बिजली का बिल आपका खून चूस रहा है, तो विरोध का हक आपका भी बनता है! 


दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियों ने जब साल 2010-11 के लिए बिजली की दरें 50 से 70 फीसदी तक बढ़ाने की मांग की तो दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी अथॉरिटी (डीईआरसी) के अध्यक्ष ब्रिजेंद्र सिंह ने इन कंपनियों के बही-खाते की जांच कराई. 

जांच में पता चला कि घाटे का रोना-रोने वाली ये कंपनियां फर्जी तरीके से लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही हैं और खूब पैसे लूट रही हैं, इसलिए ब्रिजेंद्र सिंह ने दाम बढ़ाने की जगह बिजली की दरों में 20 फीसदी कटौती का हुक्म दिया था. डीईआरसी वह सरकारी संस्था है जो दिल्ली में बिजली की आपूर्ति, लागत और उससे जुड़ी सारी बातों पर नजर रखती है. 

लेकिन शीला दीक्षित ने डीईआरसी का आदेश रुकवाते हुए एक नया आदेश जारी किया और कहा कि किसी भी सूरत में बिजली का रेट घटाया नहीं जाना चाहिए. मामला हाईकोर्ट तक गया और कोर्ट ने शीला दीक्षित के आदेश को गैर-कानूनी ठहराया था. 

बिजेंद्र सिंह सितंबर 2010 में रिटायर हुए और शीला दीक्षित ने पी.डी.सुधाकर को अध्यक्ष बनाया. नए अध्यक्ष की अगुवाई में डीईआरसी ने साल 2011-12 के लिए बिजली की ऐसी नई दरें तैयार की हैं जिससे हमारे घर की बिजली का बिल 2 से 3 गुना तक बढ़ जाएगा. भ्रष्टाचार का यह खेल बहुत बड़ा है. क्या जनता को यह सब चुपचाप सह जाना चाहिए?

जनता का खून चूसने वाले शीला दीक्षित सरकार के इस खेल पर आप क्या कहेंगे? इस पूरे खेल से जुड़ी एक-एक बात का पर्दाफाश 23 सितंबर को जंतर-मंतर पर शाम 3 बजे होगा. भ्रष्टाचार के खिलाफ इस आंदोलन में शामिल होकर विरोध जताने का हक आपका भी बनता है.
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