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कालेधन पर श्वेत पत्र: न कोई आंकड़ा, न ही किसी का नाम

भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी प्रणब ने सोमवार को संसद के निचले सदन लोकसभा में काले धन पर श्वेत पत्र जारी किया.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष की अगुवाई वाली आठ सदस्यीय टीम ने ये रिपोर्ट तैयार की है. सरकार ने पिछले साल इस समिति का गठन किया था जिसने इस साल के शुरू में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी.

प्रणब मुखर्जी ने इस रिपोर्ट के जरिए अवैध तरीक़े से विदेशों में जमा भारतीय धन की रोकथाम और उन्हें देश में वापस लाने के लिए सरकार के जरिए उठाए गए कदमों और आगे की योजनाओं की जानकारी संसद को दी.

कुल 97 पेज के इस श्वेत पत्र में किसी का नाम नहीं लिया गया है और ना ही इस बारे में कोई जानकारी है कि दरअसल कितना काला धन विदेशों में है.

सरकार का कहना है कि काले धन के एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट आने के कारण फिलहाल किसी का नाम नहीं लिया गया है.

भारत 15वें स्थान पर

सरकार ने काले धन का आकलन करने के लिए तीन अलग-अलग संस्थाओं को जिम्मेदारी दी है.

उन संस्थाओं के नाम हैं नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक फाइनांस एंड पॉलिसी, नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फाइनांस एंड मैनेजमेंट और नेशनल काउंसिल फॉर अप्लायड इकॉनॉमिक रिसर्च.


सुप्रीम कोर्ट ने काले धन को लेकर सरकार की खूब खिंचाई की है
कहा गया है कि ये संस्थाएं सितंबर 2012 तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.

इसके पहले सरकार ने बजट पर चर्चा के दौरान श्वेत पत्र पेश करने की बात कही थी.

श्वेत पत्र में बताया गया है कि काले धन के मामले में विश्व में भारत 15वें स्थान पर है. इस सूची के आधार पर पहले नंबर पर चीन है जबकि दूसरे स्थान पर रूस है.

भारत का कितना पैसा काले धन के रूप में विदेशों में जमा है इसको लेकर अलग-अलग लोगों या संस्थाओं की अलग-अलग राय है.

श्वेत पत्र में भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.

केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के एक पूर्व प्रमुख ने कहा है कि ये रकम लगभग 500 अरब डॉलर है जबकि प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि ये रकम 27 लाख करोड़ रूपए से लेकर 77 लाख करोड़ रूपए तक हो सकती है.

बाबा रामदेव काले धन का कुछ और आंकड़ा बताते हैं.
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