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आधुनिक भारत का तीर्थ है अन्ना का गांव‎

गांधीवादी विचारक व समाजसेवी अन्ना हजारे से मिलने की ललक राजकीय महाविद्यालय के प्रोफेसर अनिल कुमार नैथानी को अन्ना के पैतृक गांव रालेगण सिद्धी तक ले गई। लेकिन अन्ना के न मिलने पर उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। हालांकि अन्ना के निवास तक पहुंचने की उन्हें काफी खुशी भी है।

प्रो.नैथानी महाराष्ट्र में अमरावती विश्वविद्यालय पहुंचे थे। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि अन्ना हजारे का पैतृक गांव रालेगण सिद्धी पास में ही है, तो वह अपने को रोक नहीं पाए। जिसके वह उन्होंने 18 घंटे की यात्रा कर अन्ना के गांव पहुंच गए। वह बताते हैं कि गांव के करीब 30 घरों में पूरी तरह शांति छाई हुई थी। चिल-मिलाती धूप में कुछ लोग गांव के पदमावती मंदिर तक आ-जा रहे थे। इसी मंदिर में गांधीवादी अन्ना हजारे भी रहते हैं। लेकिन उस समय अन्ना हजारे यहां पर नहीं मिले, जिससे प्रो.नैथानी को निराशा का सामना करना पड़ा, पर इस बात का संतोष भी रहा कि वह अन्ना के निवास तक पहुंच गए हैं। नैथानी ने बताया कि उन्होंने अन्ना का कमरा देखा। वहां बाहर बने चबूतरे पर उनका बड़ा सा चित्र रखा था। जिस पर 'सूचना का अधिकार दिलाने के लिए सलाम' लिखा था। प्रोफेसर नैथानी ने बताया कि अन्ना हजारे के यहां आने-जाने में कोई रोक-टोक नहीं है। लगभग एक घंटे अन्ना हजारे के गांव में रहकर आधुनिक भारत के तीर्थ में रहने का अहसास हुआ। यहां पहुंच कर जो अनुभूति हुई वह अपने आप में अनोखी थी।
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