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CBI जांच पर टीम अन्ना को भरोसा नहीं : कोयला घोटाला

कोयला घोटाला मामले में बीजेपी से मिली शिकायत को सीवीसी ने सीबीआई को सौंप दिया है. भले ही अभी कुछ साबित नहीं हुआ हो लेकिन अगर सीबीआई को जांच में कुछ गड़बड़ मिलती है, तो 2जी की तरह इसे भी बवाल बनते देर नहीं लगेगी.


इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा करने वाली टीम अन्ना अब भी खास, खुश नहीं. उन्हें तो सीबीआई की जांच पर ही भरोसा नहीं. किरण बेदी ने इस मुद्दे पर ट्वीट किया है कि सीबीआई को सियासी छल-कपट से मुक्त किया जाना चाहिए ताकि इस संस्था पर भरोसा हो सके.


सत्ता से बाहर रहने पर सभी राजनीतिक पार्टियों ने आरोप लगाए हैं कि सीबीआई पक्षपात पूर्ण जांच करती है.


टीम अन्ना खुश हो या नहीं, लेकिन अब जांच सीबीआई के हवाले ही है. सीबीआई की जांच से ही अब साफ होगा कि देश की जनता से कितना बड़ा छल हुआ है औऱ इस छल के गुनहगार कौन हैं?


क्या है मामला:


सीवीसी ने सीबीआई को जो शिकायत दी है उसके मुताबिक खदान आवंटित होने के बाद प्राइवेट कंपनियां, इसकी आउटसोर्सिंग कर रही थी, जबकि ये नियम के खिलाफ है.


प्राइवेट कंपनियां बिचौलियों की भूमिका निभाते हुए मुनाफा कमा रही थी और दूसरी कंपनियों को महंगी कीमत पर कोयला खदान दे रही थी. सीवीसी के मुताबिक 64 कोयला खदान करीब 50 प्राइवेट कंपनियों को दिए गए. सूत्रों के मुताबिक सीएजी की रिपोर्ट में भी इन कंपनियों के नाम है.


जिस कोयला घोटाले के आरोपों में प्रधानमंत्री भी घिरते नजर आ रहे हैं उसका खेल साल 2004 में शुरू हुआ था. सीएजी की रिपोर्ट की माने तो 28 जून 2004 तक सिर्फ 39 कोयला खदानों का आवंटन किया गया था.


2004 में ही कोयला खदान आवंटन की प्रक्रिया में बदलाव की बात सामने आ गई थी. उस समय के कोयला सचिव ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर साफ कहा था कि कोयला खदान आवंटन बोली लगाकर ही किया जाना चाहिए. कोयला सचिव ने ये भी लिखा था कि मौजूदा प्रक्रिया में अधिकारियों को कई तरह दबाव झेलने पड़ते है.


तब कोयला सचिव के सुझावों को सिर्फ इसलिए सिरे से खारिज कर दिया गया ताकि आवंटन जल्दी हो सके. सीएजी की रिपोर्ट साफ कहती है कि कोयला खदान आवंटन में बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं है.


प्रधानमंत्री ने बोली लगाने की प्रक्रिया में जानबूझकर देरी होने दी. प्रधानमंत्री ने कोयला सचिव के सुझावों को भी नज़रअंदाज किया जिस वक्त कोयले खदानों का आवंटन हुआ था, उस वक्त कोयला मंत्रालय खुद प्रधानमंत्री के पास था. अब जब ये मामला सीबीआई तक पहुंच चुका है तो विपक्षी बीजेपी जताने में जुटी है कि ये तो उनकी कोशिशों का नतीजा है.
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