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दरअसल सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ आरापों की झड़ी ने सरकार को तिलमिला कर रख दिया है। विपक्ष के तमाम हमलों के बावजूद अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सबसे बड़ी ताकत उनकी साफ-सुथरी छवि ही थी। लेकिन टीम अन्ना ने दस्तावेजों के आधार पर प्रधानमंत्री को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। पहले से ही साख के संकट से जूझ रही सरकार इसलिए तुरंत अपने बचाव में उतरी। प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री नारायण सामी ने बयान जारी कर अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा। केजरीवाल ने समझने की क्षमता खो दी है। प्रधानमंत्री और बाकी मंत्रियों के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं, उनकी आलोचना होनी चाहिए। ये लोग बिना तथ्य के सिर्फ लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री के अलावा टीम अन्ना पर जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मणयम स्वामी ने भी जोरदार हमला बोला। अब तक भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना की मुहिम का समर्थन करने वाले स्वामी ने कहा कि टीम अन्ना नक्सलियों जैसा बर्ताव कर रही है।
शनिवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में टीम अन्ना ने प्रधानमंत्री समेत 15 मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए थे। टीम अन्ना का आरोप था कि जिस वक्त कोयला खदानों के आवंटन में गड़बड़ी हुई उस वक्त कोयला मंत्रा पीएम के ही पास था, इसलिए जवाबदेही भी मनमोहन सिंह की बनती है। उधर मौके की तलाश में बैठी बीजेपी ने भी टीम अन्ना के आरोप पर सरकार से जवाब मांग लिया है।