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चिदम्बरम लोकतंत्र के सबसे बड़े हत्यारे: स्वामी अग्निवेश

सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम को 'लोकतंत्र का सबसे बड़ा हत्यारा' करार देते हुए नक्सल हिंसा और नक्सलियों द्वारा किए जा रहे अपहरण के लिए जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने गरीब जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए कुछ नहीं किया. अग्निवेश ने कहा, 'गरीब जनजातीय लोगों के अधिकारों के मुद्दे को शांतिपूर्वक तथा कानूनी ढंग से सुलझाने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया.


मुझे चिदंबरम के इरादों को लेकर संदेह है कि क्या वास्तव में वह समस्या समाप्त करने को लेकर गम्भीर हैं?'नक्सलियों के साथ वार्ता के लिए वर्ष 2010 में सरकार की ओर से वार्ताकार नियुक्त अग्निवेश ने नक्सल हिंसा तथा हाल में नक्सलियों द्वारा किए गए अपहरण के लिए समस्या के समाधान के लिए सरकार की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया.


नक्सलियों द्वारा पहले दो इतावली नागरिकों, फिर ओडिशा के एक विधायक और फिर छत्तीसगढ़ में एक जिलाधिकारी के हाल के अपहरण तथा बाद में उन्हें छोड़ दिए जाने के बारे में अग्निवेश ने कहा, 'नक्सलियों का इरादा कभी उन्हें मारने का नहीं था. यह आप पर है कि आप इसे उनकी हार मानते हैं या महानता.'


यह पूछे जाने पर कि ऐसा कहकर क्या वह नक्सलियों द्वारा अपहरण या हत्या की वारदातों को जायज नहीं ठहरा रहे, अग्निवेश ने कहा, 'मैं हिंसा की किसी भी घटना की निंदा करता हूं. लेकिन आपको यह भी देखना चाहिए कि गरीब जनजातीय समुदाय के लोगों के साथ क्या हो रहा है.


करीब 1,700 जनजातीय समुदाय के लोग बिना किसी आरोप के जेल में बंद हैं.' उन्होंने सुरक्षा के नाम पर नक्सल प्रभावित इलाकों में चलाए जा रहे सैन्य अभियान को लेकर एक बार फिर अपनी असहमति जाहिर करते हुए कहा, 'यह ऑपरेशन ग्रीन हंट सैन्य अभियान है, लेकिन इसका वास्तविक उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों को हासिल करना और उन्हें कुछ कॉरपोरेट हाउस के बीच वितरित करना है.'


उन्होंने आरोप लगाया कि चिदंबरम की कॉरपोरेट जगत के उन लोगों के साथ दोस्ती है, जो देश के पूर्वी एवं मध्य हिस्से में मौजूद खनिज संपदा का दोहन करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'चिदंबरम नक्सलियों से अधिक हिंसक हैं.


वह लोकतंत्र के सबसे बड़े हत्यारे हैं. नक्सल नेता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद की मई, 2010 में मुठभेड़ में मारे जाने पर उन्होंने एक बार फिर संदेह जताया और कहा, 'उसे नजदीक से गोली मारी गई और मुठभेड़ में ऐसा नहीं होता.
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