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25 विधायक जनता के पैसे पर यूरोप घूमने कैसे जा सकते हैं।

वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे का महाराष्ट्र में जन जागरण दौरा जारी है। आज अन्ना ने महाराष्ट्र के कई जिलों में सूखे के मुद्दे पर कहा कि राज्य में जनता पानी के लिए त्राही त्राही कर रही हैं लेकिन विधायक सरकारी पैसे पर विदेश घूमने जा रहे हैं। गौरतलब है कि अन्ना महाराष्ट्र में मजबूत लोकायुक्त कि लिए सूबे में दौरे पर हैं।
अन्ना का कहना है कि जब लोग पानी के लिए तरस रहे हैं तो ऐसे में 25 विधायक जनता के पैसे पर यूरोप घूमने कैसे जा सकते हैं। अन्ना ने महाराष्ट्र के विधायकों पर निशाना साधते हुए कहा कि सभी पार्टियों के 25 विधायक एक जून से 15 जून तक के लिए यूरोप जा रहे है। अन्ना ने कहा कि राज्य में पानी नहीं, जनता के पैसे से टूर पर जा रहे हैं। जनता को उन्हें रोकना चाहिए।

अन्ना सरकार से मांग कर रहे हैं कि वो इन विधायकों की यूरोप यात्रा को रोके। अन्ना महाराष्ट्र में मजबूत लोकायुक्त की मुहिम चला रहे हैं। इस मुहिम के तीसरे दिन वो औरंगाबाद से जालना पहुंचे। यहां उन्होंने दिन भर लोगों से मुलाकात की और एक जनसभा का भी आयोजन किया। विदेश जाने वाले विधायकों की विरोध के साथ उन्होंने इस बात का भी खंडन किया कि उनके और उनकी टीम के बीच में किसी तरह के मतभेद हैं।

मालूम हो कि महाराष्ट्र सरकार के पास लोगों की पानी की समस्या का समाधान नहीं है। राज्य के कई इलाके पानी के लिए तरस रहे हैं। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को कर्नाटक से सटे गावों के लिए पानी के लिए गुहार लगानी पड़ी। उन्होंने कर्नाटक से इन गावों के लिए पानी मांगा है। सिर्फ सरकार ही नहीं इन इलाकों के जनप्रतिनिधि भी लोगों को पानी की समस्या से निजात नहीं दिला पा रहे है।

मालूम हो कि महाराष्ट्र के 15 जिलों में पानी की अभूतपूर्व कमी है। नासिक, धुले, नंदूरबार, लातूर, अहमदनगर, उस्मानाबाद, पुणे, सतारा, सांगली, सोलापुर, नागपुर, गोंडिया, गढ़चिरौली, अमरावती और बुलढाना में लोगों को पानी दिख नहीं रहा है। लगातार दूसरे साल बारिश नहीं होने से जमीनी पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है।

सिंचाई की कई बड़ी परियोजनाएं भी सालों से राजनीतिक उठापटक के चलते लटकी पड़ी हैं। विदर्भ में गोसीखुर्द परियोजना राजीव गांधी के जमाने में 350 करोड़ की लागत से शुरू की गई थी ये योजना आज तक पूरी नहीं हो सकी है। अब इसकी लागत बढ़ कर 16000 करोड़ रुपए हो गई है। पश्चिमी महाराष्ट्र में कृष्णा वैली प्रोजेक्ट 1996-97 में शिवसेना-बीजेपी की सरकार के दौर में शुरू हुआ था, ये आज तक खटाई में पड़ा हुआ है।

सरकार ने सिंचाई के लिए किसानों के बिजली कनेक्शन फिर जोड़ने और सप्लाई जारी रखने के आदेश दिए हैं। ये कनेक्शन बिल न भरने की वजह से कट गए थे। अनार और अंगूर की फसलों को बचाने के लिए किसानों को 8000 रुपए प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे, हालांकि ये लाभ दो हेक्टेयर तक खेतीवाले किसानों को मिलेगा।
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