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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

संसदीय समिति की रायशुमारी से उत्साहित नहीं टीम अन्ना


नई दिल्ली । भ्रष्टाचार के खिलाफ 25 जुलाई से दिल्ली में फिर अनशन की तैयारी कर रही टीम अन्ना के आगे संसद ने लोकपाल विधेयक पर रायशुमारी का एक और दरवाजा खोल दिया है।

विधेयक पर विचार कर रही राज्यसभा की प्रवर समिति ने आम जनता से लेकर विशेषज्ञों को 15 दिन के भीतर अपनी राय देने को कहा है। हालांकि टीम अन्ना ने साफ कर दिया है कि वह संसदीय समिति की इस कवायद से उत्साहित नहीं है।

इस बारे में पूछे जाने पर टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण ने कहा, पूर्व में भी हम संसद की स्थायी समिति के आगे पेश हो चुके हैं। राजनीतिक दलों को भी लोकपाल विधेयक पर अपनी बात समझाने की कोशिश कर चुके हैं।

ऐसे में देखना होगा कि इस पूरी कवायद का उद्देश्य कहीं केवल झूठ का एक पर्दा खड़ा करना तो नहीं है? लिहाजा सभी से मंत्रणा के बाद फैसला होगा कि प्रवर समिति के सामने हम पेश होंगे या उसका बहिष्कार करेंगे।

लोकपाल विधेयक पर विचार कर रही संसदीय समिति के अध्यक्ष व कांग्रेस सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी ने नए सिरे से रायशुमारी की कवायद को जायज बताते हुए 'दैनिक जागरण' से बातचीत में कहा, लोकसभा से पारित विधेयक में अब तक 187 संशोधन जुड़ चुके हैं। लिहाजा समिति ने नए संशोधनों की रोशनी में आम जनता व विशेषज्ञों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। पिछले दिनों हुई समिति की बैठक में फैसला किया गया था कि विधेयक की पेंचीदगियों को समझने के लिए विधि सचिव को भी बुलाया जाएगा।

27 दिसंबर 2011 को शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से तो लोकपाल विधेयक पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में बहस के बाद इस पर मतदान टल गया था। गत मानसून सत्र के दौरान विधेयक राज्यसभा में पुन: पेश कर 15 सदस्यीय प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। समिति में नेता विपक्ष अरुण जेटली सहित विपक्ष व अन्य दलों के प्रमुख नेता शामिल हैं।
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