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और बढ़ी डीएलएफ की मुश्किल


रियल्टी दिग्गज डीएलएफ और कांग्र्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के लिए 'एकेÓ नाम निश्चित रूप से परेशान करने वाला रहा है। पहले सामाजिक कार्यकर्ता से नेता बने अरविंद केजरीवाल ने डीएलएफ-वाड्रा गठजोड़ को उजागर किया और अब हरियाणा सरकार के अधिकारी अशोक खेमका ने मानेसर की 3.5 एकड़ जमीन का हस्तांतरण रद्द कर दिया, जिससे इस स्थल पर डीएलएफ की वाणिज्यिक परियोजनाओं को झटका लग सकता है।
अधिकारियों ने संकेत दिया कि वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से डीएलएफ यूनिवर्सल को दी गई जमीन का हस्तांतरण रद्द करने का मामला भले ही कानूनी तौर पर

बहुत अधिक मजबूत न हो लेकिन इसकी वजह से बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर मंगलवार को डीएलएफ का शेयर 4.26 फीसदी गिरकर 208 रुपये पर बंद हुआ।
भू चकबंदी और रिकॉर्ड विभाग के महानिदेशक और भूमि पंजीकरण के महानिरीक्षक खेमका ने डीएलएफ-वाड्रा जमीन सौदे में अनियमितता की बात कहते हुए इसकी जांच के आदेश दिए थे। हालांकि हरियाणा सरकार ने 11 अक्टूबर को खेमका के तबादले का आदेश जारी कर दिया। खेमका ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन मानेसर में डीएलएफ और वाड्रा से संबंधित जमीन का हस्तांतरण रद्द कर दिया।

अधिकारी ने बताया कि खेमका ने तबादले के आदेश के बाद हस्तांतरण रद्द किया जिससे यह कानूनी तौर पर मान्य नहीं हो सकता। इधर, हरियाणा के मुख्य सचिव प्रदीप कुमार चौधरी ने खेमका के तबादले पर बचाव करते हुए कहा कि यह निर्णय राज्य सरकार के स्तर से लिया गया है।

अधिकारियों ने संकेत दिए कि जमीन का हस्तांतरण  रद्द करने का अधिकार खेमका के पास संभवत: नहीं है। उन्होंने कहा, 'इसके लिए एक प्रक्रिया होती है जिसका पालन करना होता है लेकिन ऐसा नहीं किया गया।' खबर लिखे जाने तक इस मामले में डीएलएफ की टिप्पणी नहीं आई। हालांकि इस मामले के जानकार लोगों ने बताया कि मानेसर की जमीन पर अब तक कोई परियोजना शुरू नहीं की जा सकती है। डीएलएफ की यहां व्यावसायिक परियोजना विकसित करने की योजना है। इस इलाके से डीएलएफ की रिहायशी इकाई करीब 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है।

कुछ अन्य लोगों का कहना है कि जिस तरह से खेमका ने हस्तांतरण रद्द किया है, उस तरह से 'स्वामित्व को रद्दÓ नहीं किया जा सकता। उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि इस बारे में कोई आदेश जारी करने से पहले डीएलएफ को कम से कम एक बार कारण बताओ नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का अवसर देना चाहिए था।
हालांकि रद्द करने का आदेश अगर प्रभावी होता है तो डीएलएफ को इस जमीन के मालिकाना हक छोडऩा पड़ सकता है और यह स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के पास चली जाएगी। वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 19 सितंबर को यह जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेची थी। हालांकि इस सौदे के लिए जून 2008 में ही दोनों के बीच समझौता हुआ था।

खेमका ने 8 अक्टूबर को वाड्रा और उनकी कंपनियों की ओर से चार जिलों में किए गए जमीन सौदों की जांच करने को कहा था। उसके तीन दिन बाद ही राज्य सरकार ने उनका तबादला हरियाणा बीज विकास निगम के प्रबंध निदेशक के पद पर कर दिया। तबादले का पत्र पाने के एक दिन बाद ही खेमका ने चारों जिलों के उपायुक्तों (गुडग़ांव, मेवात, फरीदाबाद और पलवल) को वाड्रा की कंपनियों की ओर से 2005 के बाद जमीन सौदों के कागजात जांचने को कहा था। उन्होंने 25 अक्टूबर तक इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा था। खबरों के मुताबिक खेमका ने तकनीकी आधार पर हस्तांतरण रद्द किया है। लेकिन जो अधिकारी हस्तांतरण करता है वह चकबंदी कानून के तहत ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं है।

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