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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

शरद पवार की जांच के लिए IAC ने कई महीने पहले की थी मांग


आज श्री वाईपी सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कई सबूत पेश किए. हम श्री सिंह के हौसले का सम्मान करते हैं कि उन्होंने एक ताकतवर केंद्रीय मंत्री की पोल खोलने का साहस दिखाया है. श्री सिंह ने जो दस्तावेज पेश किए वे सारे दस्तावेज इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) को भी मई महीने में मिले थे. आईएसी ने एक प्रेस कांफ्रेस करके मीडिया को शरद पवार के खिलाफ हासिल सारे सबूत दिए और फिर उसे अपनी बेवसाइट पर भी डाल दिया ताकि कोई भी उसे देख सके. देखने के लिए क्लिक करें (http://www.indiaagainstcorruption.org/index.php/sharad-pawar).
   
आईएसी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री समेत जिन 15 मंत्रियों के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग के लिए जंतर-मंतर पर अनशन का एलान किया था उनमें शरद पवार भी शामिल थे. उस जांच के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए आईएसी के वरिष्ठ कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया औऱ गोपाल राय के साथ करीब 400 लोग जंतर-मंतर पर 25 जुलाई 2012 से अनशन पर बैठ गए थे. 10 दिनों तक चले अनशन के दौरान आईएसी के वरिष्ठ कार्यकर्ता और प्रतिष्ठित वकील, प्रशांत भूषण नियमित रूप से मंच से सभी मंत्रियों की कारगुजारियां लोगों को बता रहे थे. शरद पवार के खिलाफ लगे सभी आरोपों की सिलसिलेवार चर्चा भी उस क्रम में कई बार हुई थी जिसे मीडिया ने कवर भी किया था.

आईएसी ने शरद पवार के खिलाफ गेहूं आयात घोटाला, दाल आयात घोटाला, ल्वासा प्रोजेक्ट घोटाला और शाहिद बलवा व अब्दुल करीम तेलगी जैसे लोगों के साथ साठगांठ के आरोप लगाते हुए ठोस प्रमाण प्रस्तुत किए थे.

ये बातें एक सार्वजनिक मंच से जनता और मीडिया के समक्ष हुई थीं इसलिए श्री सिंह का यह कहना उचित नहीं है कि आईएसी ने शरद पवार के भ्रष्टाचार पर चुप्पी साध रखी है. हमने शरद पवार की पोल खोलने के लिए हर संभव प्रयास किया जिसमें 10 दिनों का अनशन तक शामिल है.

जहां तक कल (17 अक्टूबर) के प्रेस कांफ्रेस की बात है तो आईएसी ने इस बात का ऐलान पहले ही कर दिया था कि बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी के भ्रष्टाचार की पोल खोली जाएगी. यह बात मीडिया के माध्यम से पूरे देश को पता थी.
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