" "

भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

कैसे आम आदमी का भला करेगी केजरीवाल की पार्टी?

 अन्ना हजारे के पूर्व शिष्य अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक पार्टी की शुरुआत कर दी , वी पी हाउस में अपने समर्थकों के साथ आये और राजनीतिक पार्टी लांच करने की घोषणा कर दी। उन्होंने बताया कि 26 नवम्बर को पार्टी का नाम और उसका घोषणापत्र जारी कर दिया जाएगा। अरविंद केजरीवाल के साथ जो लोग हैं उन्हें गंभीर माना जाता है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि 26 नवम्बर को जब उनकी पार्टी का ऐलान होगा तो कुछ नया जरूर होगा। 

इस वी पी हाउस में कई बार राजनीतिक परिवर्तन की इबारत लिखी गयी है, हो सकता है कि गांधी जयन्ती के दिन अरविंद केजरीवाल के जिन मित्रों का जमावड़ा हुआ था वे किसी नई राजनीतिक शक्ति की शुरुआत के कारण बने। इस सम्मलेन में कुछ कागज भी जारी किये गए जिनके आधार पर करीब डेढ़ महीने तक बहस होगी और उसके बाद राजनीतिक पार्टी के गठन की विधिवत घोषणा की जायेगी। किसी भी पार्टी की घोषणा के पहले उसके बारे में कुछ कहना बहुत ही मुश्किल काम होता है, इसलिए अभी अरविंद केजरीवाल और वी पी हाउस में इकठ्ठा हुए उनके साथियों के सपनों के बारे में बात की जायेगी। जाहिर है आज से ही हिन्दी क्षेत्रों में इस पार्टी के बारे में बहस शुरू हो चुकी है अखबारों ने लिखा है कि अन्ना की जगह महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री के पोस्टर लगे मंच से केजरीवाल ने कहा, सभी दलों ने मिलकर जन लोकपाल आंदोलन को बार-बार धोखा दिया। हमें चुनौती दी गई कि खुद चुनाव लड़कर बनवा लो।

आज हम इस मंच से एलान करते हैं कि हम चुनावी राजनीति में कूद रहे हैं। जनता राजनीति में कूद रही है। उनके साथ मंच पर राजनीतिक चिन्तक योगेंद्र यादव भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आज के ज़माने में राजनीति जरूरी है , इससे अलग नहीं रहा जा सकता। अभी कल तक अन्ना हजारे की जयजयकार कर रहे अरविंद केजरीवाल ने उनके एक अहम सवाल का जवाब भी दिया और अपने भाषण में ऐलान किया कि , बार-बार सवाल पूछा जा रहा है कि पैसा कहां से आएगा? लेकिन, ईमानदारी से चुनाव लड़ने के लिए पैसे की जरूरत नहीं होती। मौजूदा नेताओं ने ऐसा माहौल बना दिया है कि राजनीति सिर्फ गुंडों का काम बनकर रह गई है। हमें साबित करना है कि यह देशभक्तों का काम है।

जानकार बताते हैं कि उनकी नई पार्टी में केजरीवाल के अलावा प्रशांत भूषण ,योगेंद्र यादव ,गोपाल राय, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को आलाकमान का रुतबा हासिल होगा। जो कागजपत्र पेश किये गए उन पर नजर डालने से साफ समझ में आ जाता है कि अगर यह राजनीतिक पार्टी सत्ता में आ गयी तो बहुत जल्द एक ऐसी व्यवस्था कायम हो जायेगी जो हर तरह से आदर्श होगी। अरविंद केजरीवाल की पार्टी के बारे में जो कुछ भी अब तक पता चला है, उसके आधार पर उनकी प्रस्तावित पार्टी से बहुत उम्मीदें नहीं बनतीं। आम आदमी का नाम लेकर शुरू की जा रही पार्टी के शुरुआती कार्यम में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके बल पर बहुत उम्मीद बन सके। लेकिन पार्टी के शुरू करने वालों को बहुत उम्मीदें हैं।

केजरीवाल के साथी और गंभीर राजनीतिक कार्यकर्ता गोपाल राय का कहना है कि इस देश में जब तक गाँवसभा में बैठे हुए आम आदमी को अपने आस पास का विकास करने का अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक इस देश में सही मायने में लोकशाही की स्थापना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की नौकरशाही को जवाहरलाल नेहरू ने अपना लिया था, वहीं बहुत बड़ी गलती हो गयी थी. नौकरशाही के बारे में उनकी पार्टी नए सिरे से विचार करेगी, लेकिन अभी यह साफ़ नहीं है कि नई नौकरशाही का स्वरुप क्या होगा? इस पर विचार चल रहा है। गोपाल राय से बात करके ऐसा लगता है कि केजरीवाल की पार्टी वही सब करना चाहती है जो महात्मा गाँधी के हिंद स्वराज और ग्राम स्वराज में राजनीतिक कार्य का मकसद बताया गया है। यह अलग बात है कि पूरी बातचीत में उन्होंने महात्मा गांधी का नाम एक बार भी नहीं लिया।
" "