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अब 100 में से 99 पैसा लोगों तक पहुंचेगा: राहुल गांधी

अब 100 में से 99 पैसा लोगों तक पहुंचेगा: राहुल गांधी 


जयपुर : कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने अपने पहले भाषण में पार्टी के कामकाज में जबर्दस्त बदलाव के संकेत दिए। उनका यह भाषण बेहद भावुक भी रहा। राहुल ने भाषण की शुरुआत संगठन को मजूबत करने, टिकट बंटवारे के ढंग को बदलने, हर वर्कर की आवाज सुनने से की तो उसे खत्म भावुकता के साथ किया। भाषण के आखिर में राहुल ने उपाध्यक्ष बनने के बाद कमरे में आकर सोनिया के भावुक होने और दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद का वाकया सुनाया। राहुल ने बताया कि उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद कल रात उनकी मां उनके कमरे में आकर रोईं। उन्होंने बताया कि मां इसलिए रोईं क्योंकि वह यह बात समझती हैं कि जो सत्ता हर कोई हासिल करना चाहता है, वह 'जहर' की तरह है। वह ऐसा समझती हैं क्योंकि वह इससे निर्लिप्त हैं। उन्होंने इसके सही इस्तेमाल की बात कही। राहुल का भाषण सुनने के बाद सोनिया गांधी भी भावुक हो गईं।

क्या-क्या बोले राहुल...
'आज सुबह मैं चार बजे उठा। मैं बालकनी में गया। वहां काफी अंधेरा था और ठंड थी। उस समय नई जिम्मेदारी के एहसास के साथ कई बातें मेरे जेहन में आईं। इनमें से कुछ मैं आपके साथ शेयर करूंगा। इसमें एक बात 'उम्मीद' की है, तो दूसरी 'पावर' की।

पहले उम्मीद की बात। मैं जब बच्चा था तो मुझे बैडमिंटन बहुत पसंद था। यह खेल इस जटिल दुनिया में मुझे बैलेंस देता था। मैं अपनी दादी के घर में उनकी सुरक्षा में लगे दो पुलिसवालों से इसे सीखा। वे मेरी दादी की सुरक्षा का जिम्मा संभालते थे। वे मेरे दोस्त हो गए थे। एक दिन उन्होंने मेरी दादी को मार दिया और मेरे जीवन का बैलेंस छीन लिया।

मेरे पिता उस समय बंगाल में थे। वह सीधे दिल्ली पहुंचे। हम वहां पहुंचे तो लोगों में बहुत आक्रोश था। वे चिल्ला रहे थे। हॉस्पिटल में मैंने पिताजी को पहली बार रोते हुए देखा। पिताजी टूट गए थे। उन दिनों देश आज की तरह नहीं था। देश की हालत ठीक नहीं थी। कोई भी देश हमारे बारे में सीरियसली नहीं सोचता था। उन अंधेरे पलों में भी मेरे पिता ने उम्मीद नहीं छोड़ी। उस रात उन्होंने कुछ बातें तय की थीं। बाद के दिनों में मैंने ही नहीं, पूरे देश ने उन बातों को महसूस किया। उम्मीद की उस किरण ने भारत को बदला दिया। बिना उम्मीद के आप कुछ नहीं पा सकते है। आप चीजों को बदल नहीं सकते।

मैं अब पावर की बात करना चाहता हूं। कल रात आप सबने मुझे बधाई दी। मुझे हर किसी ने बधाई दी। कल रात मेरी मां भी मेरे कमरे में आईं और रोईं। वह क्यों रोई? मां इसलिए रोईं क्योंकि वह यह बात समझती हैं कि जो सत्ता हर कोई हासिल करना चाहता है, वह 'जहर' की तरह है। वह ऐसा समझती हैं क्योंकि वह इससे निर्लिप्त हैं। उन्हें पता है कि उनके नजदीक के कई लोगों का इसने क्या हश्र किया है। मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि हमें इस पावर का इस्तेमाल लोगों के सशक्तिकरण के लिए करना चाहिए। इसलिए अगर आप पावरफुल होते हैं, तो आपको बहुत संभलकर रहने की जरूरत है। 

मैं सबकुछ नहीं जानताः मैं सबकुछ नहीं जानता। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो सबकुछ जानता हो। लेकिन कांग्रेस के अंदर कहीं न कहीं हर जानकारी जरूर है। मैं उस जानकारी को तलाशूंगा। मैं आप सब से पूछूंगा। आप से ही सीखूंगा। इस पार्टी का इतिहास और सोच आपके अंदर हैं। जो सुनाई देगा, उसे आगे बढ़ाऊंगा। मैं अपनी कल बात बात फिर दोहराऊंगा। कचहरी में दो लोग होते हैं जज और वकील। मैं जज का काम करूंगा। वकील का काम नहीं करूंगा।

मैं हर किसी की बात सुनूंगा...आपने मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है। कांग्रेस पार्टी कहलाती है, लेकिन सचमुच में यह परिवार है। यह दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है। इसमें हिंदुस्तान के सभी लोग शामिल हैं। आज बड़े बदलाव की जरूरत है। लेकिन यह सोच-समझ कर करना होगा। सबकी आवाज को समझकर करना होगा। आपको लगना नहीं चाहिए कि राहुल गांधी सिर्फ युवाओं की बात करता है। राहुल गांधी का परिवार सबके साथ है। आज से राहुल गांधी सबके लिए काम करेगा। मैं वादा करता हूं कि मैं आप सबको एक ही नजर से, एक ही तरीके से देखूंगा। चाहे वह बुजुर्ग हो, महिला हो, अनुभवहीन हो... मैं उसे सुनूंगा और समझने की कोशिश करूंगा।

बड़ा मजेदार संगठन है कांग्रेस...कांग्रेस दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है। लेकिन इसमें नियम और कानून नहीं चलते हैं। हम हर दो मिनट में नए नियम बनाते हैं। यहां शायद किसी को नहीं पता कांग्रेस के नियम क्या हैं? बड़ा मजेदार संगठन है। मैं कभी-कभी पूछता हूं कि यह संगठन चुनाव कैसे जीतता है? बाकी पार्टियों को खत्म कैसे कर देता है? शीला दीक्षित जी कह रही थीं कि चुनाव से पहले सब खड़े हो जाते हैं। गांधी जी का संगठन है, इसलिए इसमें हिंदुस्तान का डीएनए है। विपक्ष यह समझ नहीं पाता है।

40-50 ऐसे नेता चाहिए जो...हम लीडरशिप डिवलेपमेंट पर फोकस नहीं करते। हमें ऐसे चालीस-पचास नेता तैयार करने हैं, जो देश और प्रदेश को चला सकें। हर प्रदेश में 5 से 10 ऐसे नेता हों जो सीएम बन सकें। हर जिले में यह बात हो। जब भी कोई पूछे कि कांग्रेस क्या करती है तो जवाब मिलना चाहिए कि भविष्य के लिए सेकुलर नेता तैयार करती है। जमीन से जुड़े नेता तैयार करती है। ऐसे नेता तैयार करती है, जिन्हें देखकर हिंदुस्तान के लोग उनके पीछे खड़े होने के लिए तैयार हो जाएं। इसके लिए संगठन की जरूरत हैं। ऐसा सिस्टम बन सकता है, जिसे आप बनाएंगे और चलाएंगे।

टिकट बांटने का ढंग बदलेंगे..टिकट बंटवारे के समय संगठन से नहीं पूछा जाता। ऊपर से फैसला ले लिया जाता है। चुनाव से पहले दूसरे दल के लोग आ जाते हैं। चुनाव हार जाते हैं और फिर चले जाते हैं। हमारा वर्कर देखता है पैराशूट से नेता आया और चला गया। इसे बदलना है। कांग्रेस वर्कर की इज्जत होनी चाहिए। वर्कर ही नहीं, अच्छे नेताओं की भी इज्जत होनी चाहिए। उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। कभी-कभी हमारे ही लोग हमारे खिलाफ खड़े हो जाते हैं। उनके खिलाफ ऐक्शन लेने की जरूरत है। जिस दिन हमने यह काम कर दिया, हमारे सामने कोई नहीं टिक पाएगा।

हमारे आगे कई चुनौतियां हैं...लोगों को हमसे कई उम्मीदें हैं। कुछ गैरजिम्मेदार मुट्ठी भर लोग उनकी जिंदगी तय नहीं कर सकते, लोगों में यह भावना है। आखिर चीफ मिनिस्टर टीचर की भर्ती क्यों करता है? राज्यपाल क्यों वीसी नियुक्त करते हैं?ऐसा क्यों होता है? क्योंकि हम ज्ञान नहीं पद की इज्जत करते हैं। इससे होता यह है कि आपके पास पद नहीं तो कुछ नहीं होता। यह भारत की विडंबना है। जनता में आक्रोश है, क्योंकि उन्हें अलग-थलग कर दिया गया है। पूरे सिस्टम को बदलना होगा। जुडिशल, पॉलिटिकल सिस्टम... हर क्षेत्र में बदलाव की जरूरत है। आम आदमी की भी पॉलिटिक्स में भागीदारी बहुत जरूरी है।

100 में से 99 पैसे पहुंचाएंगेः मैं अपनी सरकार के काम को लेकर बहुत आशावादी हूं। मैं आशावादी इसलिए हूं क्योंकि हमने कई क्रांतियों की नींव रख दी है। इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष और पीएम को धन्यवाद देना चाहता हूं। आज सड़कों के जाल से पूरा देश जुड़ा है। आधार, डायरेक्ट कैश ट्रांसफर, मनरेगा कई उदाहरण हैं। पहले कहा गया था कि आम आदमी के पास 100 में से 50 पैसे पहुंचते हैं। हमारी सरकार तय करेगी कि आम आदी के पास 100 में से 99 पैसे पहुंचें।

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